Category: असम्भव को सम्भव करने वाले प्रचण्ड तेजस्वी भारतीय सन्त

(भाग – 4) जानिये सर्वदोषनाशक व सर्वसफलता दायक “अभिजीत मुहूर्त” के बारे में (श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी आत्मकथा)

आईये जानते हैं, रूद्र के अंश गृहस्थ अवतार के रूप में जन्म लेने वाले परम आदरणीय श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी के जीवन में घटी एक ऐसी घटना के बारे में जो सर्वदोषनाशक व...

क्या “भविष्यमालिका” ग्रंथ में वर्णित आश्चर्यजनक भविष्यवाणियां सच हो सकती हैं ?

आजकल सोशल मीडिया में “भविष्य मालिका” ग्रंथ में लिखी हुई कई आश्चर्यजनक भविष्यवाणियों से संबंधित वीडियो, पोस्ट्स, आर्टिकल्स काफी वायरल हो रहें हैं जिनमे सारांशतः यही बताया जा रहा है कि 2024 से ही...

ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 7): जिसे उद्दंड लड़का समझा, वो अनंत ब्रह्माण्ड अधीश्वर निकला

(गोलोक वासी ऋषि सत्ता की अत्यंत दयामयी कृपा से प्राप्त आपबीती दुर्लभ अनुभव का अंश विवरण)- जब मै धरती लोक पर था (यानी मेरे पार्थिव शरीर की मृत्यु के लगभग एक वर्ष पूर्व) मै...

(भाग – 3) शरीर के किसी भी रोगों के कारण टोक्सिंस (विष) को इस तरह विषहर्ता भगवान शिव को समर्पित करके बनिए रोगमुक्त (श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी आत्मकथा)

गृहस्थ संत परम आदरणीय श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे (श्री पाण्डेय जी का संक्षिप्त जीवन परिचय जानने के लिए कृपया उनसे सम्बन्धित पूर्व प्रकाशित आर्टिकल्स को पढ़ें...

(भाग – 2) जानिये कैसे, आँखों से गायब होती रौशनी अचानक वापस लौटी (श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी आत्मकथा)

आजकल लोगों को आँखों से सम्बन्धित तरह – तरह की बीमारियाँ बहुत हो रही हैं और जिनके प्रमुख कारण हैं- डायबिटिज, किसी तरह का नशा करना, केमिकल व प्रिजर्वेटिव युक्त खाद्य पदार्थों को खाना...

(भाग – 1) रूद्र के अंश गृहस्थ अवतार श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी

सबसे पहले हम अपने सभी आदरणीय पाठको को बताना चाहेंगे कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह की स्थापना में जिन दिव्य ऋषि सत्ताओं द्वारा प्रदत्त विशेष ज्ञान व स्नेह का आधार हैं, उनमें से एक...

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ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 6): त्रैलोक्य मोहन रूप में आयेगें तो मृत्यु ही मांगोगे

(विशेष अवसर पर गोलोक वासी ऋषि सत्ता की अत्यंत दयामयी कृपा से प्राप्त आपबीती दुर्लभ अनुभव का अंश विवरण)- मेरे अपने पार्थिव देह को छोड़ने अर्थात मृत्यु के बाद जब तक मैं अपनी गोलोक...

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ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 5): अदम्य प्रेम व प्रचंड कर्मयोग के आगे मृत्यु भी बेबस है

{नीचे सर्वप्रथम श्री परमहंस योगानंद की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक “एक योगी की आत्मकथा” (जो फिलोसौफिकल लायब्रेरी न्यूयार्क के 1946 मूल संस्करण का पुनर्मुद्रण है) के पेज नम्बर 431 और 513 का अंश उद्धृत है...

ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 4): सभी भीषण पापों (जिनके फलस्वरूप पैदा हुई सभी लाइलाज शारीरिक बिमारियों व सामाजिक तकलीफों) का भी बेहद आसान प्रायश्चित व समाधान है यह विशिष्ट ध्यान साधना

अक्सर कई सज्जन व्यक्तियों के मन की अंतर्व्यथा होती है कि उनसे जीवन में जो कुछ भी जाने अनजाने पाप, गलतियाँ आदि हो चुकी हैं, उसका दंड ना जाने, भगवान् अभी या भविष्य में...

ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 3): सज्जन व्यक्ति तो माफ़ कर देंगे किन्तु ईश्वर कदापि नहीं

[ महती ईश्वरीय कृपा से जब जब परम आदरणीय ऋषि सत्ता का अति दुर्लभ सम्पर्क “स्वयं बनें गोपाल” समूह को प्राप्त होता है तब तब कोई ना कोई बेशकीमती ज्ञान हमें अवश्य प्राप्त होता...

ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 2): चाक्षुषमति की देवी प्रदत्त ज्ञान

[परम आदरणीय ऋषि सत्ता की अत्यंत दयामयी कृपा है कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह को उनसे जुड़े दुर्लभ सत्य वृत्तान्त को पुनः प्रकाशित करने की अनुमति मिली है ! ऋषि सत्ता के बारम्बार हमारे...

ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 1): पृथ्वी से गोलोक, गोलोक से पुनः पृथ्वी की परम आश्चर्यजनक महायात्रा

[एक दिव्य देहधारी ऋषि सत्ता की परम आश्चर्यजनक पर नितांत गोपनीय आत्मकथा, जिसे विशेष मूहूर्त पर “स्वयं बनें गोपाल” समूह को प्रकाशित करने की विशेष अनुमति प्राप्त हुई है ! वह दिव्य गाथा, उन्ही...

श्री मालवीय जी जिन्हें शिव का अवतार मानते थे ऐसे दिगम्बर बाबा श्री हरिहर जी

भारत भूमि का पृथ्वी पर अपना एक विशिष्ट स्थान है क्योंकि यहाँ एक से बढ़कर एक दिव्य तीर्थ स्थल हैं (जैसे – हिमालय, वृन्दावन, जगन्नाथपुरी, अयोध्या, विन्ध्याचल, द्वारिका, रामेश्वरम, काशी आदि) और इन सभी...

ये शरीर मरा तो, कारण शरीर जूझ गया (युग पुरुष के अथक प्रयास की महा गाथा)

युग पुरुष के पञ्च तत्वों का बना शरीर अपनी अन्तिम साँसे गिन रहा था ! समय था 2 जून 1990 (गायत्री जयंती) सुबह 8 बजे, गुरु माता जी का दाहिना हाथ अपने हाथ में...

गंगा जिनके चरण छूती ऐसे शिव के अवतार श्री बाबा कीनाराम

कुछ मनीषियों का कहना है की वाराणसी स्थित क्रीं कुण्ड अपने में कई तीर्थों का सार स्वरुप है और इसलिए परम आदरणीय श्री बाबा कीना राम ने इसे अपनी अन्तिम निवास स्थली बनायीं !...

जिनका नाम दुनिया ने खेपा (पागल) रखा, माँ जगदम्बा ने उन्हें गोद में खिलाया

सन 1868 की एक महारात्री को बंगाल के तारा पीठ के महा श्मशान घाट में साधू श्री ब्रजबासी ने एक सेमल वृक्ष के नीचे बालक श्री वामा खेपा को बैठाते हुए कहा-` तुम्हे जो...