ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 7): जिसे उद्दंड लड़का समझा, वो अनंत ब्रह्माण्ड अधीश्वर निकला

यह मथुरा स्थित “मानसी गंगा मंदिर” की फोटो है
(गोलोक वासी ऋषि सत्ता की अत्यंत दयामयी कृपा से प्राप्त आपबीती दुर्लभ अनुभव का अंश विवरण)-
जब मै धरती लोक पर था (यानी मेरे पार्थिव शरीर की मृत्यु के लगभग एक वर्ष पूर्व) मै अपने परिवार के साथ मथुरा गया था भगवान कृष्ण के मंदिरों के दर्शन करने के लिए ! मुझे शुरू से ही पूजा पाठ करने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता था (क्योकि मेरा अधिकाँश समय कर्मयोग यानी ईमानदारी से पैसा कमाकर यथासम्भव जरूरतमंदों की सहायता करने में बीतता था) लेकिन जैसे – जैसे मेरी उम्र बढ़ रही थी मुझमें भगवान को जानने की इच्छा भी बढ़ रही थी, किन्तु भगवान को जानने का सभी लोग बस एक ही तरीका बताते थे कि खूब पूजा पाठ करो, जिसके लिए मेरे पास समय ही नहीं था, अतः मुझे वाकई में समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे भगवान की प्राप्ति होगी कैसे !
कई लोगों ने मुझे ये भी बताया था कि मथुरा वृन्दावन में भगवान कृष्ण सभी पर अनायास कृपा करते हैं इसलिए भक्त चाहे बड़ा हो या छोटा वृन्दावन में श्री कृष्ण की कृपा से अभिभूत हुए बिना नहीं रह पाता है ! यही सोचकर मै वृन्दावन गया अपने पूरे परिवार के साथ !
सबसे पहले मैं मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि दर्शन करने के लिए गया, तत्प्श्चात कुछ अन्य मंदिरों का दर्शन करके मैं विश्रामघाट गया ! फिर मै पंहुचा मानसी गंगा का दर्शन करने के लिए, जो कि साक्षात् कृष्ण का अवतार माने जाने वाले गोवर्धन पर्वत पर स्थित हैं !
मानसी गंगा के बारे में कहा जाता है कि ये भगवान कृष्ण के मन से पैदा हुई गंगा जी हैं, जिन्हे कृष्ण जी ने वच्छासुर नामक राक्षस (जो कि गाय के रूप में श्रीकृष्ण को मारने आया था) को मारने के बाद, उसमें प्रायश्चित रुपी स्नान के लिए उत्पन्न किया था !
मै और मेरा परिवार मानसी गंगा के तट पर स्थित बड़े से मंदिर में भगवान के कई रूपों की मूर्तियों के दर्शन करने लगे ! वैसे तो मै एक सीनियर सिटीज़न होने के बावजूद भी एकदम स्वस्थ, मजबूत शरीर वाला व्यक्ति था लेकिन तब भी मेरा परिवार हमेशा मेरा इतना ख्याल रखता था कि हर समय मेरे आस पास ही रहता था ताकि मुझे भीड़ में दर्शन करते समय किसी प्रकार की कोई दिक्क्त ना हो !

यह मानसी गंगा मंदिर में स्थित गाय माँ की मूर्ति की फोटो है जिनके थन में लगे नल से भी मानसी गंगा का जल प्राप्त किया जा सकता है
लेकिन तब भी पता नहीं क्यों, कुछ देर के लिए ऐसी स्थिति अचानक, अपने आप बन गयी कि मै और मेरी धर्मपत्नी को छोड़कर, परिवार के बाकी सदस्य मुझसे अलग होकर ना जाने कहाँ चले गए ! तो इससे पहले कि मै अपने परिवार के अन्य सदस्यों को खोजने के लिए प्रयास कर पाता, मेरी नजर मंदिर परिसर में बनी गाय माता की बड़ी सी मूर्ती पर गयी जिनके थन में लगे हुए नल से मानसी गंगा का जल बह रहा था !
वास्तव में मैं कुछ देर पहले मै मानसी गंगा के घाट पर भी गया था उनके पानी को पीने के लिए, लेकिन मैने वहां पर देखा कि कई लोग उस घाट पर नहा रहें हैं और साथ ही साथ अपने कपड़े भी धो रहें हैं, तो मेरी हिम्मत ही नहीं पड़ी उस पानी को पीने की (चूंकि मैं बहुत सफाई पसंद व्यक्ति था इसलिए मेरी अंतरात्मा ने मुझे रोक लिया ऐसा पानी पीने के लिए जिसमें लोग अपने पहने हुए कपड़े धो रहें हों) !
लेकिन मेरे मन में यह भाव भी था कि आखिर सभी महापुरुष लोग मानसी गंगा के जल को दिव्य बताते हैं तो जरूर इसके पीछे कोई बड़ा सत्य तर्क होगा, इसलिए मुझे एक बूँद ही सही, पर मानसी गंगा के जल को पी लेना चाहिए ! अतः सामने गाय माँ की मूर्ती के थन से भी मानसी गंगा के जल को मिलता हुआ देखकर मुझे यह बड़ी प्रसन्नता हुई कि चलो यहां साफ़सुथरे माहौल में भी वही जल पीने को मिल जाएगा (वास्तव में मंदिर प्रशासन ने यह व्यवस्था वहां कर रखी है कि जो वृद्ध या कमजोर दर्शनार्थी मानसी गंगा के घाट तक पैदल जाकर जल का सेवन ना कर सकें, वही दर्शनार्थी मंदिर के अंदर लगी गाय माँ की मूर्ती स्थित नल से भी मानसी गंगा का जल प्राप्त कर सकतें हैं ! गाय माँ के थन में यह जल इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा मानसी गंगा से खींचकर गाय माता की मूर्ती तक पहुंचाया जाता है) !
तब मैंने सोचा की परिवार को खोजने के लिए जाने से पहले, मुझे और मेरी पत्नी को गाय माँ की मूर्ती से मानसी गंगा का जल पी लेना चाहिए ! तो मैंने अपनी पतिव्रता व परोपकारी धर्मपत्नी से कहा की पहले तुम जल पी लो तब तक मैं नल को ऊपर उठाये (यानी खोले) रहता हूँ और फिर तुम नल को उठाये रहना तब मैं जल पी लूँगा ! पत्नी ने कहा ठीक है और उसके बाद वो पानी पीने के लिए नल के पास झुकी, और जैसे ही मैं नल ऊपर उठाने वाला था, वैसे ही एक 13 – 14 साल के लड़के ने मेरे और मेरी पत्नी के बीच में जबरदस्ती घुसकर, नल को ऊपर उठा दिया, जिससे मेरी पत्नी के हथेलियों में एक अंजुली पानी गिर गया जिसे पत्नी ने पी लिया !
मै उस लड़के की इस उद्दंडता भरी हरकत से मन ही मन नाराज हो उठा और इससे पहले की मैं उस लड़के को डांटने के लिए कुछ कह पाता, वो लड़का तेजी से वहां से जाने लगा और कुछ ही सेकण्ड्स में भीड़ में कहीं गायब हो गया ! मैंने बस जाते समय कुछ सेकण्ड्स के लिए उस लड़के की झलक देखी थी, लेकिन वो झलक ऐसी थी कि मैं एकदम अवाक, हैरान, निःशब्द रह गया था क्योकि वो लड़का साक्षात् सुंदरता व मासूमियत का अवतार था !
उस लड़के ने केवल एक छोटी सी धोती पहन रखी थी वो भी सिर्फ घुटनो तक ! दिन के उजाले में भी उस लड़के का शरीर मानो मक्खन जैसा नाजुक लग रहा था और आँखों में इतना भोलापन जैसा की तुरंत पैदा होने वाले बच्चों की आँखों में होता है ! शरीर का रंग शायद हल्का सा सांवला था और उसके सिर के बाल काले, घुंघराले व कंधे जितने लम्बे थे ! कुल मिलाकर वो लड़का इतना अतिशय सुंदर, मासूम था कि मै तो दीन दुनिया भुलाकर, बस सम्मोहित होकर उसी लड़के की तरफ देखता रह गया !
मुझे होश तब आया जब मेरी धर्मपत्नी ने मुझसे कहा की अब आप भी मानसी गंगा का पानी पी लीजिये ! तब मैंने कहा की पानी – वानी छोड़ो, जल्दी से मेरे पीछे – पीछे आओ मुझे किसी को ढूढ़ना है ! तब पत्नी ने कहा की आप परेशान ना हो, परिवार के बाकी लोग कहीं आस – पास में ही होंगे इसलिए उनको हम लोग जल्द ही खोज लेंगे, लेकिन सबसे पहले आप पानी तो पी लीजिये !
तब मैंने कहा कि अभी समझाने का टाइम नहीं है, तुम केवल इतना करो कि जल्दी से मेरे पीछे – पीछे आओ और उसके बाद मैंने अपनी पत्नी के साथ पूरा मंदिर छान मारा लेकिन वो लड़का मुझे फिर कहीं दिखाई नहीं दिया ! उस लड़के को खोजने के दौरान मुझे मेरा परिवार भी मिल गया और मेरा परिवार भी इस बात से हैरान था कि अचानक मै दर्शन करना छोड़कर किसको खोजने में लगा हूँ !
जब अन्ततः वो लड़का नहीं मिला तो परिवार के सभी लोगों ने मुझसे पूछा कि आखिर माजरा क्या है ! तो फिर मैंने पूरी बात अपने परिवार वालों को बताई कि कैसे एक आश्चर्यजनक आभायुक्त लड़का अचानक प्रकट हुआ और वह लड़का पत्नी को मानसी गंगा का जल पिलाने वाली प्रक्रिया पूर्ण करके अचानक गायब हो गया !
वैसे तो मै मॉडर्न साइंस को मानने वाला एक वेरी प्रैक्टिकल पर्सन था लेकिन उस लड़के की मात्र कुछ सेकण्ड्स की अति रोमांचकारी झलक ने ही मुझे यह मानने पर मजबूर कर दिया कि वह बालक कोई और नहीं बल्कि साक्षात श्री कृष्ण ही थे जो मुझ अति साधारण प्राणी पर अपनी महाकृपा करने के लिए पधारे थे !
उन दैवीय बालक को पहचानने में जो मेरा थोड़ा बहुत संदेह बचा रह गया था वो सब दूर हो गया जब मुझे अगले दिन बरसाना के श्री राधा रानी मंदिर में श्रीकृष्ण के गोलोक रूप का दर्शन हुआ ! तभी मै समझ गया था कि मानसी गंगा के मंदिर में उनका भौतिक रूप में मेरे पास आकर दर्शन देना उसी की भूमिका था !
श्री कृष्ण की इस अनायास महाकृपा से निहाल होकर सारांश रूप में, मै बस यही कहना चाहूंगा कि ये नासमझ जमाना भले ही आपके दिन रात के समर्पण युक्त सेवा कार्यों की उपयोगिता समझे या न समझे, लेकिन ईश्वर आपके किसी भी अच्छे/बुरे कर्म के प्रति अनजान नहीं है, और जैसे ही उचित समय आता है, बिना मांगे ईश्वरीय कृपा आपको मिलकर ही रहती है, इसलिए बिना थके, निराश हुए अपने सेवाकार्यों को करते रहना चाहिए !
वास्तव में कर्म योग (यानी ईमानदारी से पैसा कमाना और उस पैसे से घर परिवार के साथ – साथ अन्य जरूरतमन्दों की यथोचित मदद करना आदि), किसी मामले में भक्ति योग (यानी भगवान् का मंत्र जप, भजन, कीर्तन आदि करना) से कम पुण्यवर्धक नहीं है लेकिन तब भी बहुत से लोग सिर्फ पूजा पाठ को ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प मानते हैं क्योकि उनके अनुसार पूजा पाठ से ईश्वर की प्राप्ति जल्दी होती है और साथ ही साथ जीवन में सांसारिक समस्याएं व तकलीफ भी कम झेलनी पड़ती हैं !
वास्तव में अगर ऐसी बात होती तो जितने भी भक्ति योग के (यानि पूजा पाठ करने वाले) महान संत हुए हैं वे सभी अपने पूरे जीवन भर एक से बढ़कर एक कष्ट ना झेलते (जैसे- श्री राम कृष्ण परम हंस को गले का कैंसर हो गया था, विवेकानंद को जलोदर हो गया था, इनके अलावा आज भी भारत के तीर्थ क्षेत्रों में कई ऐसे महान साधू संत मौजूद हैं जिन्हे ईश्वर के साक्षात दर्शन का परम सौभाग्य प्राप्त हो चुका है लेकिन इसके बावजूद उन्हें कई – कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता है भिक्षा ना मिलने पर) ! इसलिए कोई भी योग (चाहे वो भक्ति योग हो, कर्म योग हो, राज योग हो या हठ योग हो) प्रारब्ध में लिखे कष्टों को ख़त्म नहीं करते हैं, बल्कि उनको आसानी से झेल लेने की शक्ति प्रदान करते हैं, जिसकी वजह से मानव बड़ी से बड़ी विपत्ति को भी मुस्कुराते हुए सह लेता है !
सिर्फ पूजा पाठ को ही एकमात्र साधन समझने वालों को, ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि भगवान की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए तो बस एक बार प्रेम से भगवान् का लिया हुआ नाम ही पर्याप्त होता है क्योकि शिव पुराण में भगवान् शिव ने खुद माता पार्वती को आश्वासन देते हुए कहा है कि “जो कोई भी मानव मात्र एक बार प्रेमपूर्वक मेरा नाम ले लेगा तो उसी समय वह मानव और उसके आस पास स्थित हर चीज, के हर तरह के अशुभ व अमंगल नष्ट हो जाते हैं क्योकि दुनिया में कोई भी ऐसा अशुभ या अमंगल नहीं है जो मेरे नाम की प्रचंड अग्नि के आगे एक क्षण भी ठहर सके” !
इसलिए कहा जाता है कि चाहे कितने भी बड़े वास्तुदोष युक्त मनहूस घर में रहना हो या किसी नए कठिन बिजनेस की शुरुआत करनी हो या जन्म कुंडली के ग्रहों में चाहे कितनी बड़ी समस्या हो, मात्र एक बार ही भगवान का नाम लेने से निश्चित हर तरह के अशुभ व अमंगल का नाश हो जाता है क्योकि बड़े से बड़े वास्तुदोष या कुंडली में स्थित पाप ग्रहों की औकात नहीं है कि वे अनंत ब्रह्माण्डों के निर्माता भगवान के नाम के तेज का सामना कर सकें !
इसलिए किसी भी तरह की शंका, भय को त्याग करके, अपने कर्म योग में निश्चिन्त होकर आगे बढ़ते रहना चाहिए और जहाँ तक बात भक्ति योग में समय देने की है तो भगवान के अनुसार कोई भी गृहस्थ व्यक्ति मात्र एक बार भी उनका नाम प्रेमपूर्वक लेकर, कोई भी उचित काम (भले ही उस काम में कितने भी बड़े अशुभ व अमंगल संयोग जुड़े हुए हों) को निश्चित महाशुभ व महामंगलकारी बना सकता है !
जय हो परम आदरणीय गौ माता की !
जय हो परम आदरणीय गोपाल की !
(ऋषि सत्ता से सम्बंधित अन्य आर्टिकल्स तथा अन्य महत्वपूर्ण हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 1): पृथ्वी से गोलोक, गोलोक से पुनः पृथ्वी की परम आश्चर्यजनक महायात्रा
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 2): चाक्षुषमति की देवी प्रदत्त ज्ञान
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 3): सज्जन व्यक्ति तो माफ़ कर देंगे किन्तु ईश्वर कदापि नहीं
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 5): अदम्य प्रेम व प्रचंड कर्मयोग के आगे मृत्यु भी बेबस है
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग 6): त्रैलोक्य मोहन रूप में आयेगें तो मृत्यु ही मांगोगे
(भाग – 1) रूद्र के अंश गृहस्थ अवतार श्री कृष्ण चन्द्र पाण्डेय जी
सर्वोच्च सौभाग्य की कीमत है बड़ी भयंकर
ईश्वरीय खोज की अंतहीन गाथा : निराशा भरी उबन से लेकर ख़ुशी के महा विस्फोट तक
क्या चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम’ से सम्पर्क टूटने के पीछे एलियंस का हाथ है
“स्वयं बनें गोपाल” समूह खुलासा कर रहा है भारत में हो सकने वाले एलिएंस के वर्तमान संभावित शहर की
यू एफ ओ, एलियंस के पैरों के निशान और क्रॉस निशान मिले हमारे खोजी दल को
वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य
क्या एलियन से बातचीत कर पाना संभव है ?
क्या वैज्ञानिक पूरा सच बोल रहें हैं बरमूडा ट्राएंगल के बारे में
एलियन्स कैसे घूमते और अचानक गायब हो जाते हैं
जानिये कौन हैं एलियन और क्या हैं उनकी विशेषताएं
यहाँ कल्पना जैसा कुछ भी नहीं, सब सत्य है
जानिये, मानवों के भेष में जन्म लेने वाले एलियंस को कैसे पहचाना जा सकता है
क्यों गिरने से पहले कुछ उल्कापिण्डो को सैटेलाईट नहीं देख पाते
आखिर एलियंस से सम्बन्ध स्थापित हो जाने पर कौन सा विशेष फायदा मिल जाएगा ?
सावधान, पृथ्वी के खम्भों का कांपना बढ़ता जा रहा है !
जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है
क्या शादी करने से पहले जन्म कुंडली मिलवाना जरूरी है या नहीं
अघोषित वैश्विक महामारी बन चुकी “विटामिन डी की कमी” का आसान समाधान जानिये इस आयुर्वेद दिवस पर
Are the North Pole and South Pole of Earth interchanging, and if yes, why ?
Know about the supreme divine progression that makes oneself Gopal
Our research group finds U.F.O. and Aliens’ footprints
The facts published by us are still the riddles for the scientists
Is it possible to interact with aliens?
Are Scientists telling the complete truth about Bermuda Triangle ?
What we consider as meteorites, can actually be something else as well
How aliens move and how they disappear all of sudden
Who are real aliens and what their specialties are
Why satellites can not see some meteorites before they fall down
Know how to identify the aliens who are born in human form
There is nothing imaginary here, everything is true
Eventually what do we get benefited with if the actual contact with Aliens gets established
Beware, shaking of pillars of earth is increasing !
कृपया हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे ट्विटर पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे ऐप (App) को इंस्टाल करने के लिए यहाँ क्लिक करें
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !