Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को
{नोट- पहली कविता “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए एक आदरणीय स्वयं सेवक द्वारा रचित है पर उन्होंने हमसे अपने नाम को प्रकाशित ना करने का अनुरोध किया है इसलिए हम उनकी कविता...
माँ आज तुम मेरे पास नहीं हो फिर भी मै अकेला नहीं हू क्योकी जब भी कभी मै किसी अनदेखी अनछुई तपिश में घिरता हूँ तुम्हारी ममता की छाँव मुझे सहला जाती है और...
कमल का सब रुपया उड़ चुका था-सब सम्पत्ति बिक चुकी थी। मित्रों ने खूब दलाली की, न्यास जहाँ रक्खा वहीं धोखा हुआ! जो उसके साथ मौज-मंगल में दिन बिताते थे, रातों का आनन्द लेते...
भीत-सी आँखोंवाली उस दुर्बल, छोटी और अपने-आप ही सिमटी-सी बालिका पर दृष्टि डाल कर मैंने सामने बैठे सज्जन को, उनका भरा हुआ प्रवेशपत्र लौटाते हुए कहा – ‘आपने आयु ठीक नहीं भरी है। ठीक...
पालक एक आने गठ्ठी, टमाटर छह आने रत्तल और हरी मिर्चें एक आने की ढेरी “पता नहीं तरकारी बेचनेवाली स्त्री का मुख कैसा था कि मुझे लगा पालक के पत्तों की सारी कोमलता, टमाटरों...
वन्य कुसुमों की झालरें सुख शीतल पवन से विकम्पित होकर चारों ओर झूल रही थीं। छोटे-छोटे झरनों की कुल्याएँ कतराती हुई बह रही थीं। लता-वितानों से ढँकी हुई प्राकृतिक गुफाएँ शिल्प-रचना-पूर्ण सुन्दर प्रकोष्ठ बनातीं,...
पहले कहा जा चुका है कि जायसी का झुकाव सूफी मत की ओर था जिसमें जीवात्मा और परमात्मा में पारमार्थिक भेद न माना जाने पर भी साधकों के व्यवहार में ईश्वर की भावना प्रियतम...
संपन्न और मध्यम वर्ग की स्त्रियों की विवशता, उनके पतिहीन जीवन की दुर्वहता समाज के निकट चिरपरिचित हो चुकी है। वे शून्य के समान पुरुष की इकाई के साथ सब कुछ हैं, परंतु उससे...
जोधपुर के महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आशकरण नाम के एक राजपूत सेनापति थे, बड़े सच्चे, वीर, शीलवान् और परमार्थी। उनकी बहादुरी की इतनी धाक थी, कि दुश्मन उनके नाम से कांपते थे। दोनों...
पद्मा के चन्द्र-मुख पर षोडश कला की शुभ्र चन्द्रिका अम्लान खिल रही है। एकान्त कुंज की कली-सी प्रणय के वासन्ती मलयस्पर्श से हिल उठती,विकास के लिए व्याकुल हो रही है। पद्मा की प्रतिभा की...
राष्ट्र के सेवक ने कहा – देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं,...
केशव से मेरी पुरानी लाग-डाँट थी। लेख और वाणी, हास्य और विनोद सभी क्षेत्रों में मुझसे कोसों आगे था। उसके गुणों की चंद्र-ज्योति में मेरे दीपक का प्रकाश कभी प्रस्फुटित न हुआ। एक बार...