अपनी माँ को दुखी करने वाले को, क्यों चन्द्रमा कभी सुखी नहीं रहने देते हैं

परम आदरणीय हिन्दू धर्म के ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा ग्रह (जो की मानव के मन को कण्ट्रोल करते हैं) उनका सबसे मुख्य निवास होता है मानव की माँ में, इसलिए अपनी माँ को दुखी करने वाला मानव चाहे कितना भी सर्व सुविधा सम्पन्न हो लेकिन उसका मन हमेशा बेचैन, उदिग्न, परेशान बना रहता है !

वहीँ दूसरी तरफ ऐसी संतान जो अपनी माँ का हमेशा आदर करते हैं, वो बड़ी से बड़ी मुसीबतों को झेलने के बावजूद भी हमेशा शांत – मुस्कुराते रहते हैं जैसे- हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी !

जन्म कुंडली में चन्द्रमा ग्रह को बहुत शक्तिशाली माना गया है, जिसकी वजह से चन्द्रमा की कमजोर स्थिति ना केवल घनघोर मानसिक अशांति पैदा कर सकती है बल्कि कई अन्य विचित्र समस्याएं भी पैदा कर सकती है, जैसे- साइको नेचर या पागलपन, आत्महत्या करने की इच्छा, डर या घबराहट, बेवजह मन खिन्न उदास रहना और किसी काम को ठीक से पूरा ना कर पाना, हमेशा अकेले व अंधेरे में रहना पसंद करने की वजह से डिप्रेशन में जाना, नींद में चौककर जाग जाना आदि !

चन्द्रमा जल के भी स्वामी हैं जिसकी वजह से चन्द्रमा के नाराज होने पर शरीर में जल तत्व का समन्वय बिगड़ने लग सकता है ! यानी चन्द्रमा के खराब होने पर पेशाब से संबंधित रोगों के अलावा, फेफड़ों से संबंधित रोग होते हैं (क्योकि फेफड़ो में भी 80 प्रतिशत जल होता है) और हृदय संबंधित रोग होते हैं (क्योकि ब्लड में 79 प्रतिशत जल होता है) !

अगर पूरे शरीर की बात की जाए तो हम सभी मानवों के शरीर में औसतन लगभग 60 प्रतिशत सिर्फ जल ही होता है, इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि जल जो की जीवन है, उसको कण्ट्रोल करने वाले “चन्द्रमा ग्रह” को नाराज करना मतलब अपने जीवन के साथ खिलवाड़ करने जैसा ही है ! क्योकि चन्द्रमा के नाराज होने पर पूरे शरीर में कहीं भी बीमारी पैदा हो सकती है क्योकि पूरे शरीर में कोई ऐसी जगह नहीं हैं जहां जलीय तत्व की उपस्थिति ना हो !

वास्तव में, चन्द्रमा ग्रह में पूरे पृथ्वी पर हर जगह स्थित पानी की हर एक बूँद को प्रभावित करने की कितनी जबरदस्त ताकत होती है इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि जब पूर्णिमा के दिन चाँद का साइज सबसे ज्यादा बड़ा होता है तो समुद्र में स्थित अथाह पानी भी अपने तटों से कई फ़ीट आगे खींचकर बढ़कर आ जाता है (अधिक जानकारी के लिए मीडिया में प्रकाशित इस खबर को पढ़ें- पूर्णिमा के दिन समुद्र में क्यों उत्पन्न होता है ज्वार – भाटा, पढ़ें रोचक जानकारी) ! पूर्णिमा की वजह से नदियों, झीलों व तालाबों में भी पानी कुछ सेन्टीमीटर्स खींचकर आगे बढ़ जाता है जिसे लोग जल्दी समझ नहीं पाते हैं !

इसलिए पूर्णिमा के दिन मानव मस्तिष्क (जिसमें 85 प्रतिशत जल होता है) में इतने ज्यादा हार्मोन्स का स्राव होने लगता है कि इंसान भी सबसे ज्यादा इमोशनल (भावुक) हो जाते हैं और कुछ लोगों का मानना है इसी वजह से पूर्णिमा के ही दिन आत्महत्या की घटनाये सबसे ज्यादा होती हैं जिसके बारे में अधिक जानने के लिए कृपया मीडिया में प्रकाशित यह खबर पढ़ें- Science Facts: ‘पूनम की रात’ का आत्महत्या से है बड़ा कनेक्शन! US की रिसर्च में क्यों है ऐसा दावा? !

अतः संभवतः इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर, परम आदरणीय हिन्दू धर्म में हर पूर्णिंमा के दिन व्रत उपवास करने को बोला गया है क्योकि पेट की भूख में जबरदस्त क्षमता होती है बाकी सभी तरह के समस्याओं के दुखों को वक्ती तौर पर कम कर देने की (इसलिए आपने कभी किसी भिखारी को आत्महत्या करते हुए नहीं सुना होगा, लेकिन बहुत से अमीरों को आत्महत्या करते जरूर सुना होगा क्योकि आत्महत्या करने का ख्याल तभी ज्यादा जोर पकड़ता है है जब आदमी को पेट की भूख ना सता रही हो) ! वैसे आत्महत्या जैसे महापाप को करने से जीवन की किसी भी समस्या से कभी भी मुक्ति नहीं मिलती है और ऐसा क्यों है, जानने के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह का यह आर्टिकल पढ़ें- अगर आप भी आत्महत्या को सभी मुश्किलों का अंत समझते हों तो, कृपया यह लेख जरूर पढ़ें

पुराणों में चन्द्रमा का एक नाम सोम भी बताया गया है और सोम का मतलब होता है “अमृत” इसलिए ये समझाने की जरूरत नहीं है कि तन और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए चन्द्रमा का खुश रहना कितना जरूरी है, अतः आप पूरी दुनिया में देख लीजिये हर उस आदमी को जो लम्बे समय से बीमार नहीं पड़ा है वो निश्चित रूप से अपनी माँ का बहुत बड़ा भक्त होगा ! वास्तव में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी आदमी की जन्म कुंडली में भले ही चन्द्रमा चाहे कितनी ही अच्छी अवस्था में बैठे हों लेकिन उस आदमी को बार – बार किसी ना किसी तरह की बिमारी झेलने से कोई नहीं बचा सकता है अगर वह आदमी बार – बार अपनी माँ को दुःख पहुँचाता हो !

उम्मीद है ऊपर लिखी हुई जानकारियों से यह स्पष्ट हो गया होगा कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए चन्द्रमा को भी खुश रखना कितना जरूरी है ! वैसे तो चन्द्रमा को खुश रखने के लिए आदरणीय ज्योतिषीय लोग कई तरह के उपाय बताते हैं जैसे मोती रत्न पहनना या चन्द्रमा के मंत्र जपना आदि ! वास्तव में जो मोती प्राकृतिक रूप से समुद्र में मिलते हैं (जो कि अब ना के बराबर मिलते हैं) सिर्फ वही फायदेमंद होतें हैं, ना कि सीप की खेती के दौरान सीप की असमय हत्या करके प्राप्त मोती !

सभी ग्रहों की तरह चन्द्रमा के मंत्र भी कठिन संस्कृत भाषा में हैं जिनका सही उच्चारण कर पाना सभी के वश की बात नहीं है, इसलिए हम बात कर रहें हैं ऐसे तरीकों के बारे में जो ना केवल किसी भी मामले में रत्नों या पूजा पाठ आदि से कम फायदेमंद है, बल्कि उन्हें आजमाने के लिए एक रुपए भी खर्च करने की जरुरत नहीं हैं जिसकी वजह से इन उपायों को आजमाकर कई लोगों ने अपनी कुंडली में बेहद खराब अवस्था में बैठे हुए चन्द्रमा के बावजूद भी अत्यंत शुभ लाभ प्राप्त किये हैं !

वास्तव में चन्द्रमा को खुश करने का सबसे तेज और सबसे आसान तरीका है अपनी माँ को खुश करना ! माँ को खुश करना मतलब- माँ से कभी ऊँची आवाज में गुस्से में बात ना करना, माँ को ऐसी कड़वी बात ना बोलना जो उनके दिल को चुभे, माँ की देखभाल के लिए रोज समय जरूर निकालना, माँ की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ख्याल उसी तरह एकदम नियम से रखना जैसे अपनी पत्नी व बच्चों का रखा जाता हो, माँ की सलाहों को अनदेखा ना करना, पत्नी अगर माँ के खाने पीने में लापरवाही बरत रही हो तो पत्नी की आदतों को सुधारने के लिए लगातार प्रयास करना, माँ का जीवन समाप्त हो जाने से पहले उनके जीवन की अधूरी रह गयी इच्छाओं (जैसे- तीर्थ यात्रा, बच्चों की शादियां, पूर्वजों का श्राद्ध, गरीबों को दान आदि) को पूरा करने के लिए यथासम्भव प्रयास करना आदि !

अगर माँ जीवित ना हो तो माँ के चरणों का मानसिक ध्यान करके, उनके नाम पर समय – समय पर कोई पुण्यवर्धक कार्य (जैसे- गरीबों को दान, गौशाला में चारे की व्यवस्था आदि) करवाने से भी, जन्म कुंडली में चन्द्रमा चाहे कितनी भी खराब अवस्था में बैठे हों, निश्चित शुभ फल देने लगते हैं !

वैसे आज के कलियुगी जमाने में कई ऐसे अजीब अहसानफरामोश लोग भी होतें हैं जिन्हे लगता है कि वे अपनी माँ के लिए चाहे कितना भी अच्छा काम करे लेकिन उनकी माँ उनसे कभी खुश नहीं हो सकती क्योकि उनकी माँ का स्वभाव ही बुरा है ! तो ऐसे लोगों को हमारा यह विनम्र सुझाव है कि यह सत्य है कि दुनिया में कोई भी आदमी/औरत परफेक्ट नहीं हो सकता है इसलिए माँ के स्वभाव में भी थोड़ा बहुत कमी हो सकती है लेकिन वो जो कुछ भी कमिया होंगी, सिर्फ दूसरे रिश्तों के लिए होंगी, ना कि माँ के रिश्ते में होंगी ! मतलब कोई स्त्री बेटी, बहन या पत्नी के रूप में भले ही खराब हो सकती है लेकिन माँ के तौर पर शायद ही वो कभी गलती करे !

स्त्री इसलिए ही तो पुरुषो की तुलना में ज्यादा महान मानी जाती है कि चाहे कुछ भी हो जाए, स्त्री अपना ममता वाला गुण कभी नहीं छोड़ती है इसलिए हर स्त्री को माँ के रूप में अपने संतान से हर हाल में इज्जत मिलनी ही चाहिए ! माँ के स्वभाव में अगर कोई कमी हो भी तो इसका ये कत्तई मतलब नहीं होता है कि उसकी संतान को यह अधिकार मिल जाता है कि वो अपनी जन्मदाता माँ से गुस्से में बात करें ! इसलिए माँ की किसी भी कमी को संतान को सिर्फ प्यार से समझाकर ही दूर करना चाहिए (देखिये इस विषय पर वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद जी महाराज का क्या कहना है- माता-पिता की सेवा के बाद भी अगर उनका अनुकूल व्यवहार न हो तो क्या करें ?, और माता-पिता की सेवा से प्रभु की प्राप्ति, और यदि माता-पिता अपने बच्चों को सुधारना चाहते हैं तो हर माता-पिता अपने बच्चों को ये सुनाएं , और माता-पिता गाँव में रहते हैं, बच्चे शहर में पढ़ते हैं, अब माता-पिता की सेवा कैसे करूँ ?, और माता पिता को सुख कैसे मिले) !

कई स्वार्थी किस्म की लड़कियां शादी के बाद जब अपने पति के घर रहने के लिए जाती हैं तो वे कभी भी अपनी सास का, अपनी सगी माँ की तरह प्रेमपूर्वक देखभाल नहीं करती हैं जबकि ज्योतिष के अनुसार चन्द्रमा जितना सगी माँ में वास करतें हैं, उतना ही सासू माँ में भी वास करतें हैं इसलिए अपनी सास के साथ किसी भी तरह की चालाकी करने वाली महिला को चन्द्रमा कभी सुखी नहीं – नहीं – नहीं रहने दे सकतें हैं !

इसलिए जो भी बुद्धिमान लोग चन्द्रमा ग्रह की नाराजगी नहीं झेलना चाहते हों, उन्हें अपनी माँ की लगातार उचित देखभाल करते रहना चाहिए क्योकि अगर माँ दुखी है तो कोई चाहे कितना भी चन्द्रमा का मंत्र जप लें या महंगा से महंगा मोती पहन ले तब भी उसके शरीर में देर सवेर चन्द्रमा के क्रोध से उत्पन्न होने वाले मानसिक व शारीरिक रोगों को होने से कोई नहीं – नहीं – नहीं बचा सकेगा !

अंततः सारांश रूप में समझने वाली बात यह है कि, माँ का ख्याल सिर्फ चन्द्रमा की नाराजगी से बचने के लिए नहीं करना है, बल्कि इस संसार में बेशुमार कामयाबी पाने के लिए भी करना है; आईये जानते हैं कैसे- आम तौर पर लोग समझते हैं कि किसी भगवान को खुश करना हो तो सबसे बढ़िया तरीका है उन भगवान की पूजा करना, जबकि वास्तव में भगवान् के किसी अवतार को खुश करने का सबसे बड़ा तरीका है- “उन भगवान के मुख्य गुण को उचित रूप में खुद ही अपना लेना” जैसे- संसार के सभी ऐश्वर्य, धन, दौलत के मालिक गणेश जी का सबसे मुख्य गुण हैं अपने जन्म दाता माता – पिता को ही भगवान के समान आदर सत्कार देना ! इसलिए जो भी इंसान अपने माता पिता को गणेश जी की तरह खूब सम्मान देकर, ईमानदारी से पैसा कमाने के लिए मेहनत करता है वो एक ना एक दिन गणेश जी के आशीर्वाद से अथाह धन दौलत का मालिक निश्चित बनकर ही रहता है !

इस शाश्वत नियम को कभी नहीं भूलना चाहिए कि, भगवान् किसी इंसान के लगातार अच्छे काम करने के बावजूद अगर उसको अच्छा फल नहीं लौटा रहें है तो इसका मतलब भगवान ने उस इंसान को देर सवेर एक बहुत बड़ा गिफ्ट लौटाने के लिए सोच रखा है (गिफ्ट जैसे- मोक्ष) और इसी तरह अगर भगवान् किसी इंसान के लगातार बुरे काम करने के बावजूद अगर उसको बुरा फल नहीं लौटा रहें है तो इसका मतलब भगवान ने उस इंसान को देर सवेर एक बहुत बड़ा दंड लौटाने के लिए सोच रखा है (दंड जैसे- नर्क वास) ! इसलिए कर्मफल के अटल सिद्धांत को बिना कभी भूले हुए, यथासम्भव बिना किसी का दिल दुखाये हुए, अपने माता – पिता का बेशकीमती आशीर्वाद लेकर, जीवनपथ पर आगे बढ़ने वाले अंततः धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सब प्राप्त कर लेते हैं !

यहाँ इस बात का भी वर्णन करना भी जरूरी है कि अपनी माता के साथ – साथ महामाता की सेवा करने से भी चन्द्रमा आश्चर्यजनक रूप से शुभ फल देने वाले हो जाते हैं ! महा माता बोलते हैं धरती माँ यानी पृथ्वी को जो विश्व के सभी जीवों के खाने, पीने, रहने, दवा आदि की व्यवस्था पिछले अरबों – खरबों सालों से करती आ रही है ! इसलिए किसी भी मानव द्वारा पृथ्वी की रक्षा करने वाले किसी भी उपाय (जैसे- हरे पेड़ लगाना, पानी बचाना, सभी तरह के केमिकल्स का त्याग कर देना, प्रदूषण कम करना आदि) को करने से भी चन्द्रमा बहुत शुभ हो जाते हैं ! पुराणों के अनुसार पृथ्वी माँ की ही प्रत्यक्ष अंशावतार है भारतीय देशी गाय माँ, इसलिए देशी गाय माँ की भी सच्चे दिल से सेवा करने से चन्द्रमा समेत सभी ग्रह बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं ! चंद्र भेदी प्राणायाम करने से भी चन्द्रमा की प्रसन्नता व आरोग्य प्राप्त किया जा सकता है (चन्द्रभेदी प्राणायाम की विधि जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- अखंड यौवन को बेहद आसानी व जल्दी से प्रदान करने में सक्षम हैं ये यौगिक क्रियाएं) !

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