स्वयं बने गोपाल

लेख – प्रबंधकल्पना – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

किसी प्रबंध कल्पना पर और कुछ विचार करने के पहले यह देखना चाहिए कि कवि घटनाओं को किसी आदर्श परिणाम पर ले जा कर तोड़ना चाहता है अथवा यों ही स्वाभाविक गति पर छोड़ना...

कहानी – शराब की दुकान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कांग्रेस कमेटी में यह सवाल पेश था-शराब और ताड़ी की दूकानों पर कौन धरना देने जाय? कमेटी के पच्चीस मेम्बर सिर झुकाये बैठे थे; पर किसी के मुँह से बात न निकलती थी। मुआमला...

लेख – पात्र द्वारा भावव्यंजना – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

पात्र द्वारा जिन स्थायी भावों की प्रधानत: व्यंजना जायसी ने कराई है वे रति, शोक और युध्दोत्साह हैं। दो एक स्थानों पर क्रोध की भी व्यंजना है। भय का केवल आलंबन मात्र हम समुद्रवर्णन...

कहानी – जुलूस – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़े, कुछ बालक झंडियाँ और झंडे लिये वंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो उन्हें...

लेख – स्वभावचित्रण – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

आरंभ में ही हम यह कह देना अच्छा समझते हैं कि जायसी का ध्यान स्वभावचित्रण की ओर वैसा न था। ‘पदमावत’ में हम न तो किसी व्यक्ति के ही स्वभाव का ऐसा प्रदर्शन पाते...

कहानी – पत्‍नी से पति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मिस्टर सेठ को सभी हिन्दुस्तानी चीजों से नफरत थी और उनकी सुन्दरी पत्नी गोदावरी को सभी विदेशी चीजों से चिढ़! मगर धैर्य और विनय भारत की देवियों का आभूषण है। गोदावरी दिल पर हजार...

लेख – भावना या कल्पना – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

आरंभ में ही हम काव्यानुशीलन को भावयोग कह आए हैं और उसे कर्मयोग और ज्ञानयोग के समकक्ष बता आए हैं। यहाँ पर अब यह कहने की आवश्यकता प्रतीत होती है कि ‘उपासना’ भावयोग का...

कहानी – मोटर के छींटे – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

क्या नाम कि… प्रात:काल स्नान-पूजा से निपट, तिलक लगा, पीताम्बर पहन, खड़ाऊँ पाँव में डाल, बगल में पत्रा दबा, हाथ में मोटा-सा शत्रु-मस्तक-भंजन ले एक जजमान के घर चला। विवाह की साइत विचारनी थी।...

लेख – संबंधनिर्वाह – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

प्रबंधकाव्य में बड़ी भारी बात है संबंधनिर्वाह। माघ ने कहा है – बह्वपि स्वेच्छया कामं प्रकीर्णमभिधीयते।   अनुज्झितार्थसंबंधा: प्रबन्धो दुरुदाहर:॥   जायसी का संबंधनिर्वाह अच्छा है। एक प्रसंग से दूसरे प्रसंग की श्रृखला बराबर...

कहानी – जेल – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मृदुला मैजिस्ट्रेट के इजलास से ज़नाने जेल में वापस आयी, तो उसका मुख प्रसन्न था। बरी हो जाने की गुलाबी आशा उसके कपोलों पर चमक रही थी। उसे देखते ही राजनैतिक कैदियों के एक...

लेख – जायसी का रहस्यवाद – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

सूफियों के अद्वैतवाद का जो विचार पूर्वप्रकरण में हुआ था उससे यह स्पष्ट हो गया कि किस प्रकार आर्य जाति (भारतीय और यूनानी) के तत्त्वचिंतकों द्वारा प्रतिपादित इस सिद्धांत को सामी पैगंबरी मतों में...

कहानी – दुराशा (प्रहसन) – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पात्र दयाशंकर -कार्यालय के एक साधारण लेखक   आनंदमोहन -कालेज का एक विद्यार्थी तथा दयाशंकर का मित्र   ज्योतिस्वरूप -दयाशंकर का एक सुदूर-सम्बन्धी   सेवती -दयाशंकर की पत्नी   [होली का दिन]   (समय-9...

लेख – जायसी की भाषा – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

जायसी की भाषा ठेठ अवधी है और पूरबी हिंदी के अंतर्गत है। इससे उसमें ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों से कई बातों में विभिन्नता है। जायसी को अच्छी तरह समझने के लिए अवधी की...

कहानी – मैकू – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कादिर और मैकू ताड़ीखाने के सामने पहुँचे, तो वहाँ कांग्रेस के वालंटियर झंडा लिये खड़े नजर आये। दरवाजे के इधर-उधर हजारों दर्शक खड़े थे। शाम का वक्त था। इस वक्त गली में पियक्कड़ों के...

लेख – काव्य की साधना- (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

मनुष्य अपने भावों, विचारों और व्यापारों को लिए दिए दूसरों के भावों, विचारों और व्यापारों के साथ कहीं मिलाता और कहीं लड़ाता हुआ अंत तक चला चलता है और इसी को जीना कहता है।...

कहानी – समर-यात्रा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आज सवेरे ही से गाँव में हलचल मची हुई थी। कच्ची झोंपड़ियाँ हँसती हुई जान पड़ती थीं। आज सत्याग्रहियों का जत्था गाँव में आयेगा। कोदई चौधरी के द्वार पर चँदोवा तना हुआ है। आटा,...