वो अनजाना कर्ज
जिस माता ने तुम्हे जन्म दिया
अपनी अमृतमय दूध की बूंदों से
तुम्हे सिंचित किया
अपनी जन्मदायिनी माँ
के दूध का कर्ज तुम्हे
जब याद रहा
फिर उस गोमाता के
दूध का कर्ज कैसे
तुम भूल गए
जिसका दूध तुमने उम्र भर पिया
जिस पल तुमने
भेज दिया उसी पल से
उस माता के रोमकूप से
निकले श्राप से
तुम हर पल घिरते रहे
पर हाय !!
आज भी तुम उससे अनजान रहे !
लेखिका –
श्री देवयानी
(सभी देश भक्तों से “स्वयं बने गोपाल” समूह का विनम्र आवाहन है कि वे सभी सम्भव माध्यम से उन झूठे सांसदों पर लगातार दबाव बनायें जो मुंह पर तो राष्ट्र के विकास की बात करते हैं लेकिन पीठ पीछे विदेशों में गोमांस की बेहद भारी डिमांड की पूर्ति करने वाली खुरापाती शक्तियों की मदद करने के लिए मोदी जी द्वारा गोहत्या पर कड़े नियम बनाने में बार बार विघ्न डालते हैं)
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