स्वयं बने गोपाल

लेख – राष्ट्र का सेवक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

राष्ट्र के सेवक ने कहा – देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं,...

कविता – अखरावट – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

दोहा गगन हुता नहिं महि हुती, हुते चंद नहिं सूर।   ऐसइ अंधाकूप महँ रचा मुहम्मद नूर॥   सोरठा   साईं केरा नाँव, हिया पूर, काया भरी।   मुहमद रहा न ठाँव, दूसर कोइ...

कहानी – हार की जीत – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

केशव से मेरी पुरानी लाग-डाँट थी। लेख और वाणी, हास्य और विनोद सभी क्षेत्रों में मुझसे कोसों आगे था। उसके गुणों की चंद्र-ज्योति में मेरे दीपक का प्रकाश कभी प्रस्फुटित न हुआ। एक बार...

कविता – मंडपगमन खंड, पदमावती-वियोग-खंड, सुआ-भेंट-खंड, बसंत खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

राजा बाउर बिरह बियोगी । चेला सहस तीस सँग जोगी॥ पदमावति के दरसन आसा । दँडवत कीन्ह मँडप चहुँ पासा॥   पुरुष बार होइ कै सिर नावा । नावत सीस देव पहँ आवा॥  ...

कहानी – दफ्तरी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

रफाकत हुसेन मेरे दफ्तर का दफ्तरी था। 10 रु. मासिक वेतन पाता था। दो-तीन रुपये बाहर के फुटकर काम से मिल जाते थे। यही उसकी जीविका थी, पर वह अपनी दशा पर संतुष्ट था।...

कविता – बोहित खंड, सात समुद्र खंड, सिंहलद्वीप खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सो न डोल देखा गजपती । राजा सत्ता दत्ता दुहँ सती॥ अपनेहि कथा, आपनेहि कंथा । जीउ दीन्ह अगुमन तेहि पंथा॥   निहचै चला भरम जिउ खोई । साहस जहाँ सिध्दि तहँ होई॥  ...

कहानी – मानसरोवर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुझे देवीपुर गये पाँच दिन हो चुके थे, पर ऐसा एक दिन भी न होगा कि बौड़म की चर्चा न हुई हो। मेरे पास सुबह से शाम तक गाँव के लोग बैठे रहते थे।...

कविता – राजा रत्नसेन सती खंड,पार्वती-महेश खंड,राजा-गढ़-छेंका खंड, – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

कै बसंत पदमावति गई । राजहि तब बसंत सुधिा भई॥ जो जागा न बसंत न बारी । ना वह खेल, न खेलनहारी॥   ना वह ओहि कर रूप सुहाई । गै हेराइ, पुनि दिस्टि...

कहानी – पूर्व संस्कार- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सज्जनों के हिस्से में भौतिक उन्नति कभी भूल कर ही आती है। रामटहल विलासी, दुर्व्यसनी, चरित्राहीन आदमी थे, पर सांसारिक व्यवहारों में चतुर, सूद-ब्याज के मामले में दक्ष और मुकदमे-अदालत में कुशल थे। उनका...

कविता – राजा-गजपति-संवाद खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

मासेक लाग चलत तेहि वाटा । उतरे जाइ समुद के घाटा॥ रतनसेन भा जोगी जती । सुनि भेंटै आवा गजपती॥   जोगी आपु, कटक सब चेला। कौन दीप कहँ चाहहिं खेला॥   ”आए भलेहि,...

कहानी – विषम समस्या – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मेरे दफ्तर में चार चपरासी थे, उनमें एक का नाम गरीब था। बहुत ही सीधा, बड़ा आज्ञाकारी, अपने काम में चौकस रहनेवाला, घुड़कियाँ खाकर चुप रह जानेवाला। यथा नाम तथा गुण, गरीब मनुष्य था।...

कविता -नागमती-पदमावती-विवाद खंड, रत्नसेन-संतति खंड, राघवचेतन देशनिकाला खंड, राघवचेतन-दिल्ली-गमन खंड- मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

जाही जूही तेहि फुलवारी । देखि रहस रहि सकी न बारी॥ दूतिन्ह बात न हिये समानी । पदमावति पहँ कहा सो आनी॥   नागमती है आपनि बारी । भँवर मिला रस करै धामारी॥  ...

कहानी – गुप्तधन – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बाबू हरिदास का ईंटों का पजावा शहर से मिला हुआ था। आसपास के देहातों से सैकड़ों स्त्री-पुरुष, लड़के नित्य आते और पजावे से ईंट सिर पर उठा कर ऊपर कतारों से सजाते। एक आदमी...

कविता – रत्नसेन साथी खंड, षट्ऋतु वर्णन खंड, नागमती-वियोग खंड,नागमती-संदेश खंड,रत्नसेन-बिदाई खंड – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

रतनसेन गए अपनी सभा । बैठे पाट जहाँ अठख्रभा॥ आइ मिले चितउर के साथी । सबै बिहँसि के दीन्ही हाथी॥   राजा कर भल मानहु भाई । जेइ हम कहँ यह भूमि देखाई॥  ...

कहानी – अनिष्ट शंका – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

चाँदनी रात, समीर के सुखद झोंके, सुरम्य उद्यान। कुँवर अमरनाथ अपनी विस्तीर्ण छत पर लेटे हुए मनोरमा से कह रहे थे- तुम घबराओ नहीं, मैं जल्द आऊँगा। मनोरमा ने उनकी ओर कातर नेत्रों से...

कविता – देशयात्रा खंड, लक्ष्मी-समुद्र खंड,चित्तौर -आगमन खंड, – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

बोहित भरे, चला लेइ रानी । दान माँगि सत देखै दानी॥ लोभ न कीजै, दीजै दानू । दान पुन्नि तें होइ कल्यानू॥   दरब दान देबै बिधिा कहा । दान मोख होइ, दु:ख न...