Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

कहानी – रियासत का दीवान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

महाशय मेहता उन अभागों में थे, जो अपने स्वामी को प्रसन्न नहीं रख सकते थे। वह दिल से अपना काम करते थे और चाहते थे कि उनकी प्रशंसा हो। वह यह भूल जाते थे...

लेख – मनोरंजन – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

प्राय: सुनने में आता है कि कविता का उद्देश्य मनोरंजन है। पर जैसा कि हम पहले कह आए हैं कविता का अंतिम लक्ष्य जगत् के मार्मिक पक्षों का प्रत्यक्षीकरण करके उनके साथ मनुष्य हृदय...

कहानी – जीवन का शाप – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कावसजी ने पत्र निकाला और यश कमाने लगे। शापूरजी ने रुई की दलाली शुरू की और धन कमाने लगे ? कमाई दोनों ही कर रहे थे, पर शापूरजी प्रसन्न थे; कावसजी विरक्त। शापूरजी को...

लेख – अलंकार – भाग 2

कविता में भाषा की सब शक्तियों से काम लेना पड़ता है। वस्तु या व्यापार की भावना चटकीली करने और भाव को अधिक उत्कर्ष पर पहुँचाने के लिए कभी किसी वस्तु का आकार या गुण...

कहानी – बासी भात में खुदा का साझा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

शाम को जब दीनानाथ ने घर आकर गौरी से कहा, कि मुझे एक कार्यालय में पचास रुपये की नौकरी मिल गई है, तो गौरी खिल उठी। देवताओं में उसकी आस्था और भी दृढ़ हो...

लेख – काव्य की भाषा – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

कविता में कही गई बात चित्र रूप में हमारे सामने आनी चाहिए। यह हम पहले कह आए हैं। अत: उसमें गोचर रूपों का विधान अधिक होता है। वह प्राय: ऐसे रूपों और व्यापारों को...

कहानी – लॉटरी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जल्‍दी से मालदार हो जाने की हवस किसे नहीं होती ? उन दिनों जब लॉटरी के टिकट आये, तो मेरे दोस्त, विक्रम के पिता, चचा, अम्मा, और भाई,सभी ने एक-एक टिकट खरीद लिया। कौन...

लेख – चमत्कारवाद – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

काव्य के संबंध में ‘चमत्कार’, ‘अनूठापन’ आदि शब्द बहुत दिनों से लाए जाते हैं। चमत्कार मनोरंजन की सामग्री है, इसमें संदेह नहीं। इससे जो लोग मनोरंजन को ही काव्य का लक्ष्य समझते हैं वे...

कहानी – कानूनी कुमार – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मि. कानूनी कुमार, एम.एल.ए. अपने आँफिस में समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और रिपोर्टों का एक ढेर लिए बैठे हैं। देश की चिन्ताओं से उनकी देह स्थूल हो गयी है; सदैव देशोद्धार की फिक्र में पड़े रहते...

कविता -आखिरी कलाम – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

पहिले नावँ दैउ करलीन्हा । जेंइ जिउ दीन्ह, बोल मुख कीन्हा॥ दीन्हेसि सिर जो सँवारै पागा । दीन्हेसि कया जो पहिरै बागा॥   दीन्हेसि नयन जोति, उजियारा । दीन्हेसि देखै कहँ संसारा॥   दीन्हेसि...

कहानी – शूद्र – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मां और बेटी एक झोंपड़ी में गांव के उसे सिरे पर रहती थीं। बेटी बाग से पत्तियां बटोर लाती, मां भाड़-झोंकती। यही उनकी जीविका थी। सेर-दो सेर अनाज मिल जाता था, खाकर पड़ रहती...

लेख – अलंकार – का भाग 3

कविता पर अत्याचार भी बहुत कुछ हुआ है। लोभियों, स्वार्थियों और खुशामदियों ने उसका गला दबाकर कहीं अपात्रों की-आसमान पर चढ़ानेवाली-स्तुति कराई है, कहीं द्रव्य न देनेवालों की निराधार निंदा। ऐसी तुच्छ वृत्तिवालों का...

कहानी – डामुल का कैदी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

दस बजे रात का समय, एक विशाल भवन में एक सजा हुआ कमरा, बिजली की अँगीठी, बिजली का प्रकाश। बड़ा दिन आ गया है। सेठ खूबचन्दजी अफसरों को डालियाँ भेजने का सामान कर रहे...

कविता – जन्म खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

चंपावति जो रूप सँवारी । पदमावति चाहै औतारी॥ भै चाहै असि कथा सलोनी । मेटि न जाइ लिखी जस होनी॥   सिंघलदीप भए तब नाऊँ । जो अस दिया बरा तेहि ठाऊँ॥   प्रथम...

कहानी – गृह-नीति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब माँ, बेटे से बहू की शिकायतों का दफ्तर खोल देती है और यह सिलसिला किसी तरह खत्म होते नजर नहीं आता, तो बेटा उकता जाता है और दिन-भर की थकान के कारण कुछ...

कविता – सुआ खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

पदमावति तहँ खेल दुलारी । सुआ मँदिर महँ देखि मजारी॥ कहेसि चलौं जौलहि तन पाँखा । जिउ लै उड़ा ताकि बनडाँखा॥   जाइ परा बा खंड जिउ लीन्हें । मिले पंखि, बहु आदर कीन्हें॥...