Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

लेख – जायसी की भाषा – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

जायसी की भाषा ठेठ अवधी है और पूरबी हिंदी के अंतर्गत है। इससे उसमें ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों से कई बातों में विभिन्नता है। जायसी को अच्छी तरह समझने के लिए अवधी की...

कहानी – मैकू – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कादिर और मैकू ताड़ीखाने के सामने पहुँचे, तो वहाँ कांग्रेस के वालंटियर झंडा लिये खड़े नजर आये। दरवाजे के इधर-उधर हजारों दर्शक खड़े थे। शाम का वक्त था। इस वक्त गली में पियक्कड़ों के...

लेख – काव्य की साधना- (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

मनुष्य अपने भावों, विचारों और व्यापारों को लिए दिए दूसरों के भावों, विचारों और व्यापारों के साथ कहीं मिलाता और कहीं लड़ाता हुआ अंत तक चला चलता है और इसी को जीना कहता है।...

कहानी – समर-यात्रा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आज सवेरे ही से गाँव में हलचल मची हुई थी। कच्ची झोंपड़ियाँ हँसती हुई जान पड़ती थीं। आज सत्याग्रहियों का जत्था गाँव में आयेगा। कोदई चौधरी के द्वार पर चँदोवा तना हुआ है। आटा,...

लेख – संक्षिप्त समीक्षा – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

अब तक जो कुछ लिखा गया उसमें जायसी की इन विशेषताओं और गुणों की ओर मुख्यत: ध्यान गया होगा – (1) विशुद्ध प्रेममार्ग का विस्तृत प्रत्यक्षीकरण – लौकिक प्रेमपथ के त्याग, कष्टसहिष्णुता तथा विघ्नबाधाओं...

कहानी – शान्ति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब मैं ससुराल आयी, तो बिलकुल फूहड़ थी। न पहनने-ओढ़ने का सलीका, न बातचीत करने का ढंग। सिर उठा कर किसी से बातचीत न कर सकती थी। आँखें अपने आप झपक जाती थीं। किसी...

लेख – परिशिष्ट : मलिक मुहम्मद जायसी – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

ये प्रसिद्ध सूफी फकीर शेख मोहिदी (मुहीउद्दीन) के शिष्य थे और जायस में रहते थे। इनकी एक छोटी सी पुस्तक ‘आखिरी कलाम’ के नाम से फारसी अक्षरों में छपी मिलती है। यह सन् 936...

कहानी – बैंक का दिवाला – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

लखनऊ नेशनल बैंक के दफ्तर में लाला साईंदास आरामकुर्सी पर लेटे हुए शेयरों का भाव देख रहे थे और सोच रहे थे कि इस बार हिस्सेदारों को मुनाफा कहाँ से दिया जायगा। चाय, कोयला...

कहानी – ‘पद्मावत’ की प्रेमपद्धति – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

‘पद्मावत’ की जो आख्यायिका ऊपर दी जा चुकी है उससे स्पष्ट है कि वह एक प्रेम कहानी है। अब संक्षेप में यह देखना चाहिए कि कवियों में दांपत्य प्रेम का आविर्भाव वर्णन करने की...

कहानी – शंखनाद – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

भानु चौधरी अपने गाँव के मुखिया थे। गाँव में उनका बड़ा मान था। दारोगा जी उन्हें टाट बिना जमीन पर न बैठने देते। मुखिया साहब की ऐसी धाक बँधी हुई थी कि उनकी मरजी...

लेख – मत और सिद्धांत – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल)

यह आरंभ में ही कहा जा चुका है कि मुसलमान फकीरों की एक प्रसिद्ध गद्दी की शिष्यपरंपरा में होते हुए भी, तत्त्वदृष्टिसंपन्न होने के कारण, जायसी के भाव अत्यंत उदार थे। पर विधि विरोध,...

कहानी – पंच-परमेश्‍वर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब...

लेख – जायसी की जानकारी – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

साहित्य की दृष्टि से जायसी की रचना की जो थोड़ी बहुत समीक्षा हुई उससे यह तो प्रकट ही है कि उन्हें भारतीय काव्यपद्धति और भाषासाहित्य का अच्छा परिचय था। भिन्न-भिन्न अलंकारों की योजना, काव्यसिद्ध...

कहानी – बड़े घर की बेटी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं की कीर्ति-स्तंभ थे। कहते...

लेख – प्रेमतत्त्व – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

प्रेम के स्वरूप का दिग्दर्शन जायसी ने स्थान-स्थान पर किया है। कहीं तो यह स्वरूप लौकिक ही दिखाई पड़ता है और कहीं लोकबंधन से परे। पिछले रूप में प्रेम इस लोक के भीतर अपने...

कहानी – आत्माराम – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रातः से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता था। यह लगातार ध्वनि सुनने के लोग इतने अभ्यस्त हो...