जानिये क्यों विटामिन B -12 की कमी भी अघोषित महामारी का रूप पकड़ रही है और क्या हैं इसके उपाय

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जैसा की आपको पता होगा कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने 2 वर्ष पूर्व अपनी इस वेबसाइट पर विटामिन D से संबंधित एक आर्टिकल प्रकाशित किया था (जिसे पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- अघोषित वैश्विक महामारी बन चुकी “विटामिन डी की कमी” का आसान समाधान जानिये इस आयुर्वेद दिवस पर) और इस आर्टिकल को आप सभी आदरणीय पाठको ने बहुत पसंद किया था, अतः इसी क्रम में आज “स्वयं बनें गोपाल” समूह विटामिन B -12 की कमी से भी संबंधित आर्टिकल प्रकाशित कर रहा है क्योकि अब सर्वत्र देखने को मिल रहा है कि विटामिन B -12 की कमी भी अघोषित महामारी का रूप पकड़ रही है !

मतलब आजकल अक्सर देखने को मिल रहा है कि जो कोई भी आदमी/औरत अपने ब्लड सैंपल से अपना फुल बॉडी चेकअप करवा रहा है, तो उसे पता चल रहा है कि उसके अंदर विटामिन D के साथ – साथ विटामिन B -12 की भी कमी है ! विटामिन B -12 शरीर को स्वस्थ रहने के लिए कितना महत्वपूर्ण है और इसकी कमी से शरीर में क्या छोटी – बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, आईये जानते हैं सबसे पहले उनके बारे में-

• बाल सफ़ेद होने लगते हैं या बाल तेजी से झड़ सकते हैं !

• मोटापा बढ़ सकता है क्योकि मेटाबोलिज्म धीमे पड़ने लगता है !

• भूख में कमी, कब्ज व गैस की दिक्कत भी हो सकती है ! मुंह की समस्याएं भी हो सकती हैं जिससे मुंह में अक्सर छाले, घाव, सूजन आदि हो सकता है !

• आँखों की रोशनी में कमी आ सकती है या नेत्र सबंधित विकार आ सकते हैं !

• मांसपेशियों में कमज़ोरी, हर समय थकान, कमजोरी महसूस हो सकती है, और कमर व पीठ में दर्द (हड्डी से संबंधित रोग) भी हो सकता है !

• त्वचा की कई समस्याएं हो सकती है, जैसे- त्वचा में संक्रमण हो सकता है और घावों को भरने में देरी हो सकती है ! ज्यादा कमी होने से नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे त्वचा में स्पर्श कम महसूस होना, हाथों और पैरों में झनझनाहट होना आदि जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं !

• एनीमिया (रक्त अल्पता) हो सकता है और अगर ज्यादा कमी हो तो सांस की तकलीफ और चक्कर आने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं !

• विटामिन B – 12 की मात्रा अगर शरीर में ठीक हो तो आम तौर पर मन खुश रहता है लेकिन जिनमें ज्यादा कमी होती है वे स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में तनाव/चिंता से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं या घबरा सकते हैं और दिल की धड़कन भी बढ़ सकती है !

• अगर लम्बे समय से विटामिन B -12 की कमी है तो भूलने की बिमारी, डिमेंशिया, याद्दाश्त की कमजोरी आदि भी हो सकती है ! मतलब ठीक से सोचने – समझने की क्षमता कम हो सकती है क्योकि नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) सही से काम नहीं करता है जिसकी वजह से दिमाग किसी एक बात पर केंद्रित नहीं हो पाता है और कोई छोटा सा भी काम पूरा करने में दिक्कत आती है ! यहाँ तक की पैदल चलते समय बैलेंस (संतुलन) बनाने में भी दिक़्क़त आ सकती है !

• कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि लम्बे समय तक विटामिन B -12 की कमी महिलाओं में अस्थायी बांझपन की समस्या पैदा कर सकती है (बांझपन के कई अन्य कारण भी हो सकतें है, इसलिए सही जांच करवाना जरूरी है) ! गर्भकाल के दौरान भी B -12 की जांच जरूर करानी चाहिए क्योकि इसकी कमी से गर्भवती महिलाएं को स्वास्थ्य से संबंधित कई परेशानियां हो सकती हैं !

प्रतीकात्मक चित्र (Symbolic Image)

विटामिन B -12 की कमी होने पर आम तौर पर एलोपैथिक चिकित्सक न्यूरोबियान (NEUROBION) आदि जैसी दवाएं खाने की सलाह देते हैं और अगर ज्यादा कमी हो तो मेथाईकोबालामिन (Methylcobalamin) आदि की गोलियां खाने या इंजेक्शन लगाने की सलाह देते हैं ! वैसे श्री बाबा रामदेव जी की कंपनी पतंजली भी अब विटामिन D के साथ – साथ विटामिन B -12 और विटामिन E आदि की भी आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध कराने लगी है ! लेकिन किस विटामिन की कमी के लिए, कौन सी दवा, कितने दिनों तक खानी चाहिए ये सब अपने मन से ही तय करके नहीं खाना चाहिए क्योकि ये खतरनाक हो सकता है, इसलिए हमेशा सिर्फ योग्य डॉक्टर से मिलकर उनकी सलाह पर ही कोई दवा खानी चाहिए !

आईये अब हम बात करते हैं उन उपायों के बारे में जिनसे हम अपने शरीर में विटामिन B -12 का लेवल आसानी से बढ़ा सकतें हैं ! हम सबसे पहले बात करेंगे कुछ सामान्य तरीकों के बारे में जिनका प्रयोग लोग आदिकाल से करते आ रहें हैं और उनके अलावा हम बात करेंगे परम आदरणीय ऋषि सत्ता द्वारा प्रदत्त कुछ विशेष जानकारियों की जो इस समस्या के समाधान में अत्यन्त लाभकारी साबित हो सकती हैं (चूंकि विटामिन B -12 की कमी की समस्या भी अब विश्व स्तर पर व्याप्त हो चुकी है इसलिए “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने इसके समाधान के लिए, परम आदरणीय ऋषि सत्ता का भी मार्गदर्शन प्राप्त करने का प्रयास किया और हर बार की तरह हमें सर्वकल्याणार्थ उनका आशीर्वाद स्वरुप ज्ञान सहज ही प्राप्त हुआ जिसके लिए हम उनके अत्यंत आभारी है) !

कई लोगों ने संभावना व्यक्त की है कि घरों में लगे हुए कुछ वॉटर प्यूरीफायर्स (Water Filters & Purifiers) पानी को बहुत ज्यादा साफ़ करने के चक्कर में पानी से गन्दगी के साथ – साथ कई आवश्यक पोषक तत्वों को भी बाहर निकाल देते हैं जिसकी वजह से वह पानी शरीर में विटामिन डी के साथ – साथ विटामिन B -12 की आपूर्ति में सहायक सिद्ध नहीं हो पाता है ! जैसा कि आपको पता होगा ही कि हम सभी मानवों के शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है जिसमें मस्तिष्क में 85 प्रतिशत जल होता है, ब्लड में 79 प्रतिशत जल होता है और फेफड़ों में 80 प्रतिशत जल होता है; इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि “जल जो की जीवन है, उसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करना, जीवन के साथ छेड़छाड़ करने के समान हो सकता है” ! अधिक जानकारी के लिए कृपया मीडिया में प्रकाशित ये न्यूज़ देखें-

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आमतौर पर ये भी माना जाता है कि विटामिन B -12 की कमी ज्यादातर शाकाहारी लोगों में होती है क्योकि मांसाहार में विटामिन B -12 पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है ! लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि जिस शाकाहार का आयुर्वेद जैसा महान ग्रंथ में मुक्त कंठ से प्रशंसा की गयी है उसको खाने से शरीर में विटामिन B -12 की कमी हो जाये ? निश्चित रूप से ये गलत बात है और पूरी तरह से अफवाह है कि शाकाहार शरीर के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी तरह के विटामिन्स, प्रोटीन, खनिज तत्वों को देने में सक्षम नहीं हैं !

असल में सच्चाई यह है कि व्यक्ति चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी हो लेकिन उसके शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी जरूर हो जायेगी अगर वो रोज एक ही तरह के अनाज या मांस को खायेगा ! मतलब ज्यादातर शाकाहारी लोग खाने में इन चार चीजों (रोटी, सब्जी, दाल व चावल) में एक ही तरह के अनाज का प्रयोग आजीवन करते हैं, जैसे- रोटी के लिए सिर्फ गेंहू का आटा, सब्जी में भी केवल 5 – 6 तरह की ही सब्जियां, दाल में सिर्फ अरहर (तुअर), और चावल में भी बासमती या काला नमक जैसी कुछ प्रजातियां !

बड़े आश्चर्य की बात है कि लोग ये क्यों नहीं समझते कि अगर कुछ ही तरह के अनाजों को रोज खाने से शरीर स्वस्थ रहता तो भगवान् को क्या जरूरत थी सैकड़ों किस्म के अनाज, फलों, सब्जियों को पैदा करने की ! और अगर कोई ये चालाकी सोचे कि एक ही तरह के शाकाहारी भोजन को रोज खाने से शरीर को सभी आवश्यक तत्व नहीं मिल पाते हों तो कभी – कभी मांसाहार खाने में कोई बुराई नहीं है, तो ऐसे लोगों को ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि मांसाहार खाने से हो सकता है कि कुछ आवश्यक तत्व ज्यादा मिल जाएँ, लेकिन मांसाहार के साथ जो सबसे बड़ा नुकसान (यानी निर्दोष जानवरों की हत्या में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने का श्राप) वो जब बिमारी (या किसी अन्य कठिन समस्या) के रूप में जीवन में आता है तो शरीर में चाहे किसी भी आवश्यक तत्व की कमी ना हो, तब भी आदमी को असहनीय तकलीफों को भोगने से कोई नहीं बचा सकता है (देखिये इस विषय में वृन्दावन के विश्व प्रसिध्द संत श्री प्रेमानंद जी क्या कहना है- सबसे बड़ा पाप जीव हत्या। जानिए क्या कठोर सजा मिलती है) ! इसलिए जानबूझकर या अनजाने में भी मांस – मछली – अंडे आदि से बने किसी भी खाद्य पदार्थों को खाने से यथासम्भव बचना चाहिए ताकि उस निर्दोष जीव की हत्या में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने के महापाप में भागीदार ना बन सकें !

अतः सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम अपने भोजन में रोज बदल – बदल कर नए – नए अनाजों व सब्जियों को खाएं या थोड़ा – थोड़ा सभी अनाज/सब्जी/दाल आपस में मिलाकर रोज खाएं ताकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक किसी पोषक तत्व {विटामिन्स व मिनरल्स जैसे- Biotin (vitamin B7), Folic acid (folate, vitamin B9), Niacin (vitamin B3), Pantothenic acid (vitamin B5), Riboflavin (vitamin B2), Thiamin (vitamin B1), Vitamin B6, Vitamin B12, Vitamin C, Vitamin A, Vitamin D, Vitamin E, Vitamin K, Calcium, Chloride, Magnesium, Phosphorus, Potassium, Sodium, Sulfur, Chromium, Copper, Fluoride, Iodine, Iron, Manganese, Molybdenum, Selenium, Zinc आदि} की कभी कमी ना पड़ने पाए !

मल्टी ग्रेन आटा का एक श्रेष्ठ विकल्प है श्री बाबा रामदेव के पतंजलि स्टोर पर मिलने वाला “नवरत्न आटा” जिसमें गेहूं, जौ, चौलाई, मक्का, ज्वार, चना, सिंघाड़ा, सोयाबीन व बाजरा का मिश्रण होने की वजह से ये बेहद पोषक है ! दालों के लिए आप अरहर, चना, मसूर, मूंग, उड़द आदि को मिक्स करके रोज खाएंगे तो मुफ्त में कई बीमारियों का नाश हो जाएगा और आपके शरीर में कभी प्रोटीन की कमी नहीं पड़ेगी ! हर अलग – अलग मौसम में मिलने वाली सब्जियों व फलों का ही सिर्फ सेवन करना चाहिए (ना की बेमौसम मिलने वाली फ्रोजेन सब्जियों व फलों का) ! डाइटिंग के नाम पर लम्बे समय तक बहुत कम खाने से बुढ़ापा तेजी से आता है !

सिर्फ एक ही तरह के अनाज व सब्जियों का रोज सेवन करने से भी शरीर में कुछ विटामिन्स व मिनरल्स की कमी पड़ सकती है इसलिए करोड़ो वर्ष पुराने आयुर्वेद में भारतीय गाय माँ के दूध – दही – छाछ – घी – मक्खन आदि का भी रोज सेवन करना कम्पलसरी (अनिवार्य) बोला गया है ताकि शरीर में कभी भी, किसी भी विटामिन्स व मिनरल्स की कमी ना पड़ सके (कोशिश करिये सिर्फ देशी गाय माँ का दूध का ही सेवन करने की लेकिन अगर ना मिल सके तो, भैंस के दूध का भी सेवन किया जा सकता है, किन्तु जर्सी गाय के दूध का सेवन बिल्कुल ना करें) !

ड्राई फ्रूट्स व नट्स (काजू, बादाम, मूंगफली, अखरोट, खजूर, पिस्ता आदि) भी बहुत अच्छे स्रोत हैं विभिन्न जीवनोपयोगी विटामिन्स, प्रोटीन व मिनरल्स के ! इसके अलावा पतंजलि कंपनी का च्यवनप्राश (गर्मियों के लिए अमृत रसायन), बादाम पाक आदि जैसे भी कई अच्छे प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं जो ना केवल शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी दूर करते हैं बल्कि दवा की तरह इम्युनिटी भी बढ़ाते हैं ! अगर रोज अंकुरित अनाज (जैसे अंकुरित चना, मूंग, गेंहू, मेथी आदि) के साथ – साथ तुलसी की 7 ताज़ी पत्ती को भी खाया जाए तो कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक लाभ मिलता है (मूंग और तुलसी खाने के आधा घंटा आगे पीछे दूध का कोई सामान जैसे चाय वगैरह नहीं लेना चाहिए अन्यथा चर्म रोग हो सकता है) !

सब्जियों में आलू में बहुत ज्यादा विटामिन B -12 पाया जाता है इसलिए भारतीय खाद्य परम्परा में लगभग हर सब्जी में आलू जरूर मिलाया जाता है (खासकर उत्तर भारत में) ! लेकिन कई डॉक्टर्स ने आजकल सलाह दे रखी है कि आलू से मोटापा बढ़ता है इसलिए बहुत से लोग आलू नहीं खाते हैं ! ऐसे लोगो को समझना चाहिए कि मोटापा आलू से नहीं, बल्कि मेटाबोलिज्म के धीमे काम करने से बढ़ता है और मेटाबोलिज्म धीमे हो तो ये कहावत भी सही लगती है कि पानी भी घी की तरह मोटापा बढ़ा सकता है (सब्जियों में आलू कितना महत्वपूर्ण है इसके लिए “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने इससे पूर्व भी 2 आर्टिकल प्रकाशित किये हैं जिन्हे पढ़ने के लिए कृपया इन लिंक्स पर क्लिक करें- क्या आलू में नर का अंश व मूंगफली में स्वयं नारायण का अंश हैं ? और जब इतना फायदा है तो कोई क्यों ना खाए आलू) !

अब बात करते हैं परम आदरणीय ऋषि सत्ता द्वारा प्रदत्त विशेष जानकारी की-

परम आदरणीय ऋषि सत्तानुसार मुख्यतः मेटाबोलिज्म ठीक से ना काम करने की वजह से ही मानवों के अंदर विटामिन B -12 की कमी पैदा होती है और अगर एलोपैथिक दवा की मदद से विटामिन B -12 को बढ़ा भी दिया जाये तो भी कुछ महीनो बाद फिर से शरीर में विटामिन B -12 की कमी पैदा हो सकती है अगर मेटाबोलिज्म ठीक से काम नहीं कर रहा हो तो !

इसलिए सबसे जरूरी है अपने मेटाबोलिज्म को ठीक करना ताकि जो कुछ भी खाया पीया जाए उसमें से अधिक से अधिक प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स को शरीर द्वारा शोषित किया जा सके (मेटाबोलिज्म ठीक से काम ना कर रहा हो तो अच्छी क़्वालिटी का पौष्टिक भोजन खाने के बावजूद भी शरीर को मामूली पोषक तत्व ही प्राप्त हो पाते हैं और अधिकाँश बेशकीमती तत्व बिना अवशोषित हुए, मल – मूत्र से बाहर निकल जाते हैं) !

परम आदरणीय ऋषि सत्तानुसार मेटाबोलिज्म को ठीक करने के लिए एक बहुत बढ़िया उपाय है “सर्पासन” करना क्योकि सर्प (यानी सांप) लगभग अपने आकार के बराबर के जानवर को भी खाकर पचा सकता है (और सांप के जहर को भी पचा सकता है मोर पक्षी लेकिन मयूरासन जैसे बेहद कठिन आसन को कर पाना सबके बस की बात नहीं है) इसलिए सर्पासन (जिसे भुजंगासन या मॉडर्न भाषा में कोबरा पोज़ भी कहते हैं) सबको करना चाहिए क्योकि ये बहुत आसान है और इसके अनगिनत फायदे हैं (जिनमे से कुछ जबरदस्त फायदों के बारे में “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपने इस आर्टिकल में भी बताया है- सर्प बदले केचुल तो सर्पासन क्या करे ?) !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता ने बताया कि सर्पासन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसको विधिवत करने से रीढ़ की हड्डी में (नाभि व इससे नीचे) अदृश्य रूप से स्थित परम शक्तिशाली “स्वाधिष्ठान चक्र” (व मणिपूरक आदि) जागते हैं ! स्वाधिष्ठान चक्र ही वो जगह हैं जहाँ चेतना खुद वास करती है (क्योकि ” स्व ” का अर्थ होता है “स्वयं” और “अधिष्ठान” का अर्थ होता है “स्थापित” होना) इसलिए जब स्वाधिष्ठान चक्र जागने लगता है तब शरीर अमरत्व की तरफ बढ़ने लगता है क्योकि चेतना को स्पष्ट महसूस होने लगता है कि वो कुछ और नहीं, बल्कि खुद मृत्युंजय शिव ही है ! इसलिए केवल अकेले सर्पासन का रोज नियम से अभ्यास करके सभी बीमारियों से बचा जा सकता है !

सर्पासन के अतिरिक्त परम आदरणीय ऋषि सत्ता ने विटामिन B -12 के साथ – साथ सभी अन्य तरह के प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स की कमी को दूर करने के लिए “ध्वनि चिकित्सा” को बहुत लाभकारी बताया है ! “ध्वनि चिकित्सा” के बारे में ठीक से समझने के लिए पहले हमे इस रहस्य को समझना होगा कि वास्तव में जिन पांच तत्वों से हमारा शरीर बना हुआ है उनका निर्माण इस प्रकार से हुआ है-

इस सृष्टि में सबसे अंत में पृथ्वी तत्व बना है और इसी पृथ्वी तत्व से सभी प्रकार के अन्न, औषधियां व भोजन सामग्रियां बनती है जिन्हे हम सभी जीव खाते हैं ! वास्तव में परम आदरणीय हिन्दू धर्म के अनुसार यह पृथ्वी तत्व बना हुआ है जल तत्व से ! जबकि जल तत्व बना हुआ है अग्नि तत्व से ! और अग्नि तत्व बना हुआ है वायु तत्व से ! और वायु तत्व बना हुआ है आकाश तत्व से ! तो इस तरह से हम लोग समझ सकते हैं कि आकाश तत्व से ही चारों तत्व बाहर निकले हैं इसलिए जो जीव जितना ज्यादा खुले आकाश के नीचे रहता है वो उतना ही ज्यादा स्वस्थ रहता है !

मतलब खुले आसमान के नीचे (कम से कम कपड़ो को पहनकर) अधिक देर तक रहने की वजह से जीवो को आकाश तत्व के साथ साथ बाकी चारों तत्व (पृथ्वी, जल, अग्नि व वायु) भी भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं, इसलिए उन्हें जल्दी कोई बिमारी नहीं होने पाती है जिसके लाखो उदाहरण हैं जैसे गाँवों में खुले आसमान के नीचे खेती करने वाले किसान आदि ! एक उदाहरण तो इतना विचित्र है जिससे वैज्ञानिक भी हैरान रह गए कि आखिर कैसे कोई आदमी बिना घर – बार के अकेले सुनसान में खुले आसमान के नीचे 67 साल से रहकर, सड़ा – गला खाना खाकर, बिना कभी नहाये हुए गन्दगी में रहकर, खूब धूम्रपान करने के बावजूद भी स्वस्थ रह सकता था (अधिक जानकारी के लिए यह न्यूज़ पढ़ें- 67 साल से नहीं नहाया है 87 साल का यह बुजुर्ग, रहने का ढंग है अनोखा) !

उम्मीद है अब लोगों को खुले आसमान के नीचे रहने से मिलने वाले आश्चर्यजनक लाभों के बारे में समझ में आ गया होगा और ये भी समझ में आ गया होगा कि हमेशा बंद ए. सी. वाले कमरे में रहने वाले लोग कितने दुर्भाग्यशाली हैं (एयर कंडीशनर की वजह से स्वास्थ को होने वाले नुकसान के बारे में अधिक जानने लिय कृपया इस न्यूज़ को पढ़ें- एयर कंडीशनर के 7 नुकसान, आपको पता होना चाहिए ) ! तो हमने आकाश तत्व की महिमा इसलिए इतने विस्तार से बताई क्योकि परम आदरणीय ऋषि सत्ता द्वारा बताई गयी “ध्वनि चिकित्सा” आकाश तत्व पर ही आधारित है और आकाश तत्व का निर्माण हुआ है “ध्वनि अक्षर तत्व” से !

जी हाँ, इस दुर्लभ जानकारी को संभवतः विश्व में पहली बार खोजा गया है “स्वयं बनें गोपाल” समूह के विद्वान शोधकर्ता डॉक्टर सौरभ उपाध्याय द्वारा (और ये जानकारी अब तक के वैज्ञानिको द्वारा खोजी गयी जानकारी से एकदम अलग है) क्योकि डॉक्टर सौरभ उपाध्याय के अनुसार- “ध्वनि” कोई ऊर्जा नहीं है बल्कि एक “अक्षर तत्व” (यानी अविनाशी तत्व) है क्योकि ऊर्जा का तो रूपांतरण होता रहता है (जैसे किसी केमिकल रिएक्शन से आग पैदा हो जाना यानी रासायनिक ऊर्जा का उष्मीय ऊर्जा में बदल जाना) लेकिन ध्वनि अविनाशी है मतलब ध्वनि कभी नष्ट नहीं होती है और इस ब्रह्माण्ड में हमेशा विद्यमान रहती है इसलिए परम आदरणीय हिन्दू धर्म में “शब्द” को “ब्रह्म” यानी अविनाशी ईश्वर कहा गया है !

और इसी “ध्वनि अविनाशी तत्व” से निकला है “आकाश तत्व”, जबकि “ध्वनि तत्व” खुद निकला है “निराकार ब्रह्म” से, इसलिए ही कहा जाता है कि ईश्वर के मंत्र व नाम साक्षात् ईश्वर के ही रूप होते हैं क्योकि ध्यान से समझिये कि जब निराकार ईश्वर अपना आकार ग्रहण करतें हैं तो वो आकार ईश्वरीय मन्त्र या नाम रूप में भी होता है (इसलिए कहा गया है कि “मननात त्रायते यस्मात्तस्मान्मंत्र उदाहृतः’” यानी जिसके मनन, चिंतन एवं ध्यान करने से सभी दुखों से रक्षा, मुक्ति एवं परम आनंद प्राप्त होता है, वही मंत्र है; और जाहिर सी बात है कि परम आनंद यानी मोक्ष सिवाय भगवान के कोई और नहीं दे सकता है इसलिए मन्त्र और भगवान में कोई अंतर नहीं होता है) !

अतः जो व्यक्ति “ध्वनि चिकित्सा” (यानी भगवान् का मंत्र या नाम जप) का रोज अधिक से अधिक अभ्यास करता हैं उसके शरीर में अपने आप आकाश तत्व बढ़ने लगता है जिसकी वजह से बाकी चारो तत्व (यानी पृथ्वी, वायु, अग्नि व जल) भी बढ़ने लगते हैं, जिससे उसकी इम्मुनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) इतनी ज्यादा स्ट्रांग (मजबूत) होने लगती है कि उसकी लगभग सभी बीमारियों में अपने आप आराम मिलने लगता है ! मन्त्र/नाम जप के इन्ही स्वास्थवर्धक प्रभावों की वजह से ही ना जाने कितने ही साधू, योगी गहरी घाटियों, खाईयों आदि में स्थित ऐसी बंद गुफाओं में वर्षों तक बिना बीमार हुए तपस्या कर पाते हैं, जहाँ सूरज की रोशनी, खाना, पीना आदि कुछ नहीं मिल पाता है !

देखिये दुनिया की सबसे रहस्यमय चीज है हमारा मानव शरीर क्योकि जहाँ इसके मूलाधार चक्र में खुद महामाया दुर्गा कुण्डलिनी शक्ति के रूप में विराजमान है वही सहस्रार चक्र में अनंत ब्रह्मांडो के निर्माता भगवान् शिव विराजमान है और इन्ही दोनों चक्रों के बीच में जो अदृश्य रास्ता (जिसे योग की भाषा में सुषुम्ना नाड़ी कहते हैं) रीढ़ की हड्डी से होकर गुजरता है उसी में अंतहीन राज छिपे हुए है इसलिए आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आज भी हर वर्ष बिलियंस डॉलर्स धन खर्च करने के बावजूद भी वैज्ञानिक किसी छोटी से छोटी बिमारी होने का अंतिम कारण व शर्तिया निदान नहीं खोज सके हैं !

इसलिए बेहतर यही है कि अपनी बड़ी समस्याओं के समाधान में ईश्वरीय सहायता यानी ध्वनि चिकित्सा की भी मदद जरूर ली जाए ! भगवान के हर मन्त्र व नाम में शक्ति बराबर होती है इसलिए कोई भी व्यक्ति अपने किसी भी मनपसंद भगवान का मन्त्र या नाम जप करके अपने शरीर के पांचो तत्वों को संतुलित करके आरोग्य लाभ पा सकता है !

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