क्या मोटापा तेजी से कम हो सकता है सिर पर रोज पगड़ी या पल्लू रखने से

“स्वयं बनें गोपाल” समूह की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यही रहा है कि चाहे कितनी भी मेहनत व समय खर्च करना पड़े लेकिन हम हमेशा ऐसी नयी बेशकीमती जानकारियों को खोज कर निकालतें हैं जिनसे अधिक से अधिक आमजनमानस का भला हो सके !

आज हम आपको मानव सिर पर स्थित कुछ ऐसे एक्यूप्रेशर पॉइंट्स के बारे में बताने जा रहें हैं जिनसे मोटापा घटाने में बहुत मदद मिलती है ! वैसे तो शरीर में वेट लॉस के कई और भी एक्यूप्रेशर पॉइंट्स हैं लेकिन हमने गौर किया है कि सिर में स्थित ये पॉइंट्स (चित्र में दिखाए गए पॉइंट्स) बहुत शक्तिशाली हैं जिन पर सही तरीके से, सही समय तक दबाव देने से मोटापा तेजी से घट सकता है ! बिना विशेष परहेज व एक्सरसाइज के बावजूद भी सिर्फ इन पॉइंट्स की मदद से एक सप्ताह में 2 से 3 किलो तक वजन कम किया जा सकता है !

वैसे तो भगवान की बनाई हुई इस विचित्र दुनिया में हर आदमी के अंतहीन पूर्वजन्मो और इस जन्म के कर्मो से बना हुआ प्रारब्ध अलग – अलग होता है इसलिए ये जरूरी नहीं है कि अलग – अलग प्रारब्धो की वजह से अलग – अलग इंसानों में पैदा हुई एक ही तरह की बिमारी का परमानेंट इलाज, एक ही तरह की पद्धति से सम्भव हो सके ! जैसे- मान लीजिये किसी आदमी के हाथों में तेज दर्द हो रहा था तो उसने चिकित्सक से लेकर कुछ दिनों तक दवा खा ली जिसकी वजह से उसका दर्द हमेशा के लिए ठीक हो गया ! अब मान लीजिये आपके हाथों में तेज दर्द हो रहा हो लेकिन आपको किसी भी दवा से परमानेंट आराम नही मिल पा रहा हो और ऐसे में कोई आपसे कहे की आपका दर्द हमेशा के लिए तभी ठीक हो पायेगा जब आप एक नया लेख लिखेंगे तो क्या आपको उसकी बात पर भरोसा होगा ! आपने तो अपने जीवन के अब तक अनुभव से यही जाना है कि कोई बिमारी ठीक करने के लिए सिर्फ दवा खाना जरूरी होता है लेकिन साथ ही साथ आपने अपने अनुभव से यह भी जाना की बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो महंगी से महँगी दवा खाने के बावजूद भी ठीक नही हो पातें हैं, इसलिए हाथ दर्द दूर करने के एक बार लेख लिखने वाला एक्सपेरिमेंट करने में भी कोई दिक्कत नही है !

किसी एक ही बिमारी से ग्रसित सभी लोगों को, एक ही इलाज पद्धति से समान रूप से फायदा ना मिल पाने की व्यवहारिक सच्चाई को साबित करने के लिए, ऊपर दिया हुआ उदाहरण थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन ठीक ऐसा ही कुछ हुआ था परम आदरणीय श्री गोस्वामी तुलसीदास जी के साथ जिन्हें अपनी बांह यानी हाथों के तेज दर्द मे योग – आयुर्वेद की किसी भी चिकित्सा से विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा था ! पर अंततः श्री तुलसीदास जी को उनके बाहों के दर्द में परमानेंट फायदा मिला जब उन्होंने “हनुमान बाहुक” नाम के एक नए स्तोत्र की रचना की ! दुनिया में अब तक ना जाने कितने ही लोगों ने आयुर्वेद व योग से अपने हाथों का दर्द ठीक किया होगा लेकिन श्री तुलसीदास जी के प्रारब्ध में लिखा था कि वो अपने हाथों के दर्द से तब तक मुक्ति नहीं पा सकेंगे जब तक वो “हनुमान बाहुक” नाम के ऐसे स्तोत्र की रचना नही कर लेंगे जिसकी मदद से आने वाली पीढियां अपने कई रोगों का नाश कर सकेंगी !

ऐसा नही है कि श्री तुलसीदास जी को भगवान का दर्शन हो चुका था इसलिए जब उनके हाथ में दर्द शुरू हुआ, तभी उन्हें तुरंत पता चल गया कि उनके हाथ का दर्द “हनुमान बाहुक” की रचना करने पर ठीक हो पाएगा ! श्री तुलसीदास जी अपने हाथ के असहनीय दर्द से काफी समय तक परेशान हुए थे और उन्हें जब कही से कोई लाभ नही मिल रहा था तब अंत में उन्होंने भगवान से ही पूछा कि अब आप ही समाधान बताएं तब भगवान ने ही उन्हें इलाज के तौर पर “हनुमान बाहुक” लिखने की प्रेरणा दी थी ! जैसा तुलसीदास जी के साथ हुआ वैसा ही हम सभी लोगो के साथ भी हो रहा है मतलब हम अपनी समस्याओं का सही इलाज या तो जान नही पा रहें हैं या जानते हुए भी ठीक से आजमा नही रहें है ! इसी को बोलतें है प्रारब्ध का खेल जिससे सदियों से ये दुनिया भ्रमित होती आ रही है !

खैर अभी तक “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने जिन – जिन लोगों पर भी इन एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को आजमाया है उन सभी को मोटापा घटाने में जबरदस्त लाभ मिलते हुए देखा गया है ! वास्तव में ये पॉइंट्स इतने महत्वपूर्ण हैं कि मात्र 1 से 2 दिन के अंदर ही वजन में फर्क महसूस होना शुरू हो सकता है !

चित्र में दिखाए गए अनुसार ये पॉइंट्स सिर के अगल – बगल, ऊपर व पीछे स्थित हैं ! आप रोज 2 से 5 बार तक खुद अपनी उंगलियों से ही खाली पेट (या खाने के 1 घंटे बाद) इन पॉइंट्स पर 2 से 3 मिनट्स तक दबाव दे सकतें हैं !

या आप रोज कई बार थोड़ी – थोड़ी देर के लिए सिर पर पगड़ी या पल्लू (घूँघट टाइप) जैसा कोई कपड़ा बाधकर भी इन पॉइंट्स पर दबाव बना सकतें हैं ! पर ध्यान रखियेगा कि सिर पर जिस भी कपड़े को बाधियेगा वो पूरी तरह से सूती व पतला हो ताकि सिर के बालों की जड़ों तक ताज़ी हवा पहुचती रहे !

सिर का बहुत देर तक ताज़ी हवा व सूर्य प्रकाश से सम्पर्क ना होने से बालों की जड़ें कमजोर हो सकतीं हैं (इसलिए एयर कंडीशनर में रोज ज्यादा देर तक रहने वाले लोगों को बालों की समस्या होना तय हैं) इसलिए संस्कारी परिवार की बहुओं को भी सिर पर पल्लू तभी रखने के लिए बोला गया है जब उन्हें आदरणीय लोगों व स्थानों (जैसे- घर के बड़े, बुजुर्ग या भगवान की कथा, मंदिर आदि) के सम्मुख जाना पड़ता है ! चूंकि एक संस्कारी संयुक्त परिवार में बहुओं को दिन भर में कई बार बड़े – बुजुर्गों (जैसे- ससुर, जेठ आदि) को खाने – पीने का सामान देने के लिए और भगवान की सुबह – शाम आरती आदि करने के लिए सिर पर पल्लू को थोड़ी – थोड़ी देर के लिए रखना पड़ता है इसलिए अनजाने में ही संयुक्त परिवार की बहुओं का वजन प्रायः संतुलित होते हुए देखा गया है !

अगर शरीर में कोई दूसरी बड़ी समस्या ना हो तो सिर पर पगड़ी बाधने या पल्लू रखने से शरीर का मेटाबोलिज्म वाकई में काफी सक्रिय हो सकता है जिससे आश्चर्यजनक रूप से मोटापा अपने आप धीरे – धीरे घटने लग सकता है या ज्यादा घी – तेल का बना हुआ खाना खाने के बावजूद भी वजन ज्यादा बढ़ने नही पा सकता है इसलिए आपने देखा होगा कि पूरे विश्व में कई धर्म – सम्प्रदाय में सिर पर पगड़ी, टोपी या हैट (Cap, Hat) आदि को बाधने की प्रथा है जिसका नियमित रूप से पालन करने वाले लोगों में मोटापे के शिकार व्यक्ति बहुत कम देखने को मिलतें हैं ! प्राचीन काल में भारतीय राजा – महाराजा भी अपने दरबार में बैठते समय सिर पर मुकुट को धारण करते थें और यहाँ तक की हमारे सारे देवी – देवताओं के सैकड़ों साल पहले बने हुए प्राचीन मन्दिरों की मूर्तियों पर भी मुकुट को देखा जा सकता है !

अभी कोरोना की दूसरी लहर के बाद हर जगह सुनने को मिल रहा है कि ना केवल पुरुषों के बल्कि महिलाओं के भी बाल बहुत तेजी से झड़ रहें हैं (जिसका इलाज जानने के लिए कृपया इस आर्टिकल के लिंक पर क्लिक करें- गंजे सिर पर बाल उगाने और सफ़ेद बालों का काला कर सकने में सक्षम) इसलिए बेहतर है कि बालों को छोटा करवाकर ही बालों पर कपड़ा बाधने का प्रयोग करें ! आप सूती कपड़े को सिर पर अपनी सुविधानुसार ऐसे किसी भी तरह से बाँध सकतें हैं जिससे आपके सिर के अगल – बगल, उपर व पीछे स्थित सारे पॉइंट्स पर एक हल्का उचित दबाव बना रहे ! मेटाबोलिज्म (उपापचय, metabolism) सक्रिय होने से भूख भी थोड़ा खुलकर लग सकती है इसलिए जो लोग बेहद दुबले – पतले हैं उनका भी वजन बढ़कर संतुलित होने लगता है !

तो इस तरह आप देख सकतें हैं कि अनंत वर्ष पुराने हिन्दू धर्म की सभी परम्पराओं (जैसे- कान में झुमके पहनने से भूख कण्ट्रोल करना, गले में रुद्राक्ष पहनने से हार्ट अटैक का खतरा कम करना, जनेऊ पहनने से प्रोस्टेट की तकलीफ कम करना आदि) का आधार कोई मनगढ़ंत सनकपन नहीं, बल्कि साइंस था लेकिन विडम्बना यह है कि चाहे लाख सबूत मौजूद हों तब भी आज के कई भारतीय लोगों को अमेरिका – यूरोप की लाइफ स्टाइल फॉलो करने में ही गर्व महसूस होता हैं !

कहा जाता है कि रंगमंच किसी समाज का आईना होता है इसलिए आप अमेरिका, यूरोप में बनने वाली आजकल की फिल्मों को देखेंगे तो पायेंगे कि ज्यादातर मूवीज में कोई ना कोई किरदार मानसिक रोगी या पागल होता है और वो दवाईओं के भरोसे नार्मल लाइफ जीने की असफल कोशिश कर रहा होता है ! आखिर ऐसा क्या हो गया है कि अमेरिका, यूरोप में मानसिक रोगों से पीड़ित स्त्री/पुरुषों की संख्या धीरे – धीरे इतनी ज्यादा हो गयी है !

इसका सबसे मुख्य कारण है (जिसका हमने पूर्व के आर्टिकल्स में भी वर्णन किया है) “बेलगाम आजादी” यानी अधिकाँश कामों को अपनी वक्ती तौर की इच्छा, जरूरत, स्वार्थ के अनुसार करना, जिसकी वजह से जीवन में अक्सर झेलना पड़ता है मानसिक अकेलापन (मतलब भीड़ में घिरे होने के बावजूद भी अंदर से एकदम अकेला महसूस करना) !

जैसे प्राप्त जानकारी अनुसार एक समाजशास्त्री ने इंटरव्यू में एक उदाहरण दिया था जो इस प्रकार है कि एक बार एक काफी पढ़ी – लिखी व अच्छे पद पर काम करने वाली सुंदर महिला को पुरुषो से ज्यादा अटेंशन वाली तारीफ़ पाने की इच्छा हुई तो वो बेहद छोटे कपड़े पहन कर मार्केट में शॉपिंग करने चली गयी ! देखते ही देखते वहां उस महिला के कई पुरुष मित्र बन गये जिसमें से एक पुरुष ने तो उस महिला के साथ जीने – मरने की कसम तक खा ली !

उस महिला को भी वो आदमी पसंद आया क्योकि वो आदमी एक बड़े पद पर था और अच्छा कमाता भी था ! लेकिन उस महिला ने उस पुरुष से शुरू में ही साफ़ – साफ़ कह दिया था कि वो मॉडर्न और खुले विचारों वाली लड़की है इसलिए वो शादी के बाद भी अपनी फ्री लाइफ स्टाइल जैसे शॉर्ट्स (छोटे कपड़े) पहनना नही छोड़ेगी और ना ही अपने ढेर सारे पुरुष मित्रों से मिलना व बात करना छोड़ेगी !

महिला की ये बात सुनकर उस पुरुष ने कहा कि वो भी काफी मॉडर्न और खुले विचारों का लड़का है इसलिए वो पुराने दकियानूसी नियमों पर विश्वास नही रखता अतः वो लड़की शादी के बाद भी जो मर्जी चाहे पहन सकती है और जिससे चाहे बात कर सकती है ! वो लड़का एक अच्छे होने वाले हसबैंड के रूप में अपने आप को साबित करने के लिए यथासंभव लड़की की हर बातों का समर्थन करता रहता जिसकी वजह से लड़की को भी लगने लगा था कि उसे आख़िरकार उसका सोलमेट (आदर्श जीवनसाथी) मिल ही गया !

अंततः शादी धूमधाम से हो गयी और शादी के बाद के कुछ दिन तो एक सुनहरे सपने की तरह बहुत अच्छे से बीते ! लेकिन अब उस लड़की ने गौर किया की उस लड़के का उसके प्रति व्यवहार क्रोधपूर्ण होता जा रहा है ! अब वो लड़का उसके छोटे ड्रेस पहन कर बाहर जाने से टोकता था और दूसरे पुरुष मित्रों से फोन से हमेशा बात करने पर भी नाराज होता था ! तो एक दिन उस लड़की ने उस लड़के से पूछ ही लिया कि आखिर तुम बदल क्यों गये !

तो उस लड़के ने उल्टा आश्चर्य से पूछा कि, मै बदल गया या तुम नही बदली ! उस लड़के ने कहा कि, तुम अब कोई छोटी सी बच्ची नही रही जो तुम्हे इतना कॉमन सेंस नही है कि शादी के बाद कैसे रहतें हैं ! अरे दुनिया का कौन सा ऐसा स्वाभिमानी मर्द नही होगा जिसे इस बात से बुरा ना लगता हो कि उसकी बीवी के छोटे कपड़े वाली शरीर को लोग रोज गन्दी निगाह से घूरतें हों या उसकी बीवी आये दिन किसी ना किसी गैर मर्द से उसी तरह प्यार से बात करती हो जैसे अपने हसबैंड से ! लड़के के मुंह से अचानक उल्टी बात सुनकर वो लड़की अवाक रह गयी और गुस्से में तुरंत उसका घर छोड़कर, अपने माँ – बाप के घर चली गयी !

जब उस लड़की के माँ को पता चला कि उसका हसबैंड उसके कपड़ों के लिए टोकता है और दोस्तों से बात करने पर नाराज होता है तो लड़की की माँ (जो लड़की की ही तरह गुस्सैल स्वभाव की थी) ने भी फोन करके अपने दामाद को खूब खरी – खोटी सुनाई और कहा कि आज के बाद दुबारा कभी उसकी लड़की से सम्पर्क करने की हिम्मत की तो वो पुलिस बुला लेगी और परेशान करने का आरोप लगा देगी !

लड़की का पिता शांत स्वभाव का व्यक्ति था लेकिन उसकी तो कोई सुनता ही नही था इसलिए वो ज्यादातर इन्ट्रोवर्ट (चुपचाप) ही रहता था ! पर जब उसके पिता को लगा की लड़की की नादानी की वजह से उसकी फैमिली लाइफ तबाह हो जायेगी तो उसने कई बार अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की लेकिन हर बार उसकी बेटी और उसकी पत्नी चिल्लाकर उसे ही चुप करा देते थे !

कुछ सालों बाद लड़की के पिता और फिर माता का देहांत हो गया और वो रह गयी अकेली ! अकेले रहने के दौरान उस लड़की ने महसूस किया कि उस दिन लडकें ने जो बात कही थी वो व्यवहारिक रूप से गलत तो नही थी, बल्कि वो तो एक अच्छी बात थी जो यह दिखाती थी कि वो लड़का वाकई में उस लड़की से कितना ज्यादा प्यार करता था और इसी वजह से उस लडकी के लिए इतना पजेसिव (अपनेपन का भाव रखने वाला) था ! बहुत सोचने – विचारने के बाद उस लड़की ने वापस उसी लड़के के साथ जुड़ना चाहा तो पता चला कि वह लड़का बहुत पहले ही किसी दूसरे स्टेट में शिफ्ट हो चुका था और वहां पर दूसरी शादी करके एक हैप्पी मैरीड लाइफ जी रहा था !

लड़की फिर रह गयी एकदम अकेली ! उस लड़की ने उसके बाद खुद कई बार कोशिश की दूसरे लड़कों के साथ एक नया जीवन शुरू करने की, लेकिन उसके क्रोधी स्वभाव की वजह से कोई भी लड़का उसके साथ लम्बा रह ही नही पाता था ! उसके अकेलेपन ने अंततः उसे एक मानसिक रोगी बना दिया ! उस लड़की का मूड स्विंग रोज कई बार होता जिसकी वजह से वो लड़की दूसरों को कभी बहुत रिस्पेक्ट देकर बात करती थी तो कभी दो मिनट में ही किसी को भी घनघोर बेइज्जत कर देती थी !

हालात इतने बुरे हो गये कि उसके बढ़ते हुए झक्कीपन से त्रस्त होकर उसके साथ कोई मेड (आया), किरायेदार या कोई दूसरा भी रहने से घबराता था ! ऑफिस में भी रोज झगड़ा व हंगामा खड़ा करने की वजह से उसे नौकरी से बहुत पहले ही निकाल दिया गया था, इसलिए उसका आगे का जीवन दुख, गरीबी व नशे की लत में बीता ! किसी जमाने में उस महिला की अद्भुत सुन्दरता की तुलना किसी फेरी (परी, अप्सरा) से की जाती थी लेकिन अब उसके मोहल्ले के शरारती बच्चे उसे साईको कहकर चिढाते थे ! क्रोध व जिद्द को अपने स्वभाव की कमी नही, बल्कि खूबी समझने वाली उस महिला की कुछ ही वर्षों में क्या से क्या दुर्गति हो गयी थी !

उन समाजशास्त्री की इस घटना से कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले जा सकतें है जैसे- क्षणिक क्रोध में लिया गया निर्णय और अपने उस निर्णय पर कायम रहने की ज़िद्द अपना ही सर्वनाश कर सकती है ! दूसरा निष्कर्ष- कभी भी एक क्रोधी आदमी को दूसरे क्रोधी आदमी (चाहे दूसरा कितना भी सगा हो) की सलाह मानकर कोई बड़ा निर्णय नही लेना चाहिए ! तीसरा निष्कर्ष- कहा जाता है कि व्यक्ति के 3 सबसे महत्वपूर्ण संस्कार (जन्म, विवाह व मरण) भगवान द्वारा पहले से ही फिक्स होतें हैं (जिनमें से विवाह के बारे में दूसरे धर्म के लोग भी इस कहावत के रूप में जानते हैं कि “जोड़ियां आसमान में बनती हैं”) इसलिए बहुत चाहकर भी इनमें कुछ फेरबदल नही किया जा सकता है लेकिन अगर तब भी संभव हो सके तो शादी हमेशा किसी वास्तविक मृदुभाषी (मतलब बनावटी मृदुभाषी नहीं) जीवनसाथी से ही करना चाहिए क्योकि क्रोधी जीवनसाथी ना खुद कभी सुखी रह सकता और ना दूसरों को सुखी रहने दे सकता है !

वैसे तो क्रोध मानव मन की भावनाओं का अनिवार्य हिस्सा है इसलिए थोड़ा – बहुत क्रोध सभी को आता है लेकिन आज के कलियुगी जमाने में हर जगह कई ऐसे स्त्री/पुरुष देखने को मिल जातें हैं जिन्हें हर बात पर क्रोध आता है इसलिए यथासंभव ऐसे क्रोधी लोगों से कोई भी सम्बन्ध रखने से बचना चाहिए क्योकि ये दोधारी तलवार की तरह होतें हैं और गुस्से में आने पर अपने इगो को सैटिस्फाई करने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकतें हैं, यहाँ तक कि अपने सगे लोगों का भी नुकसान करने से बाज नही आते ! क्रोध के साथ – साथ हर बात पर झूठ बोलने की भी आदत हो तो ऐसा व्यक्ति और ज्यादा खतरनाक हो जाता है क्योकि ऐसे झूठे लोग बार – बार अपनी बातों से पलट जातें हैं और कभी भी किसी के ऊपर कोई भी फर्जी आरोप लगा सकतें है साथ ही साथ अपनी रोजमर्रा की अधिकाँश जिम्मेदारियों को ठीक से ना निभाकर हमेशा अनर्गल बहाने बनाते रहतें हैं ! शास्त्रों में झूठ को सभी पापों का मूल (जड़) कहा गया है इसलिए यथासंभव ऐसे लोगों से सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए !

लेकिन जैसा कि सभी ने महसूस किया होगा कि जिंदगी हमें अक्सर नये – नये आश्चर्यजनक झटके देती रहती है खासकर विवाह जैसे अकाट्य प्रारब्ध के मामले में जिस पर किसी का कोई वश नही रहता इसलिए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी अच्छे स्वभाव वाले स्त्री/पुरुष की शादी किसी बुरे स्वभाव वाले पुरुष/स्त्री से हो जाए जैसा कि हुआ था प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात के साथ जिनकी पत्नी के बारे में सुना गया था कि वो बेहद कर्कशा थी ! खैर ऐसी किसी स्थिति हो जाने पर भी घबराना नहीं चाहिए क्योकि बुरे से बुरे स्त्री/पुरुष को मात्र 3 साल में अच्छा से अच्छा इंसान बनाने की क्षमता रखता है माँ सरस्वती का नाम जप, जिसके बारे में अधिक जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- सभी बिमारियों, सभी मनोकामनाओं व सभी समस्याओं का निश्चित उपाय है ये

चौथा और अंतिम निष्कर्ष- दुनिया चाहे लाख मॉडर्न और खुले विचारों वाली हो जाए लेकिन कोई शादी लम्बी तभी निभ पाएगी जब व्यवहार में मर्यादा हो और ऐसे सभी मर्यादित, साइंटिफिक व लाभकारी व्यवहारों का सबसे बड़ा उद्गम केंद्र हैं परम आदरणीय हिन्दू धर्म जिसकी प्रथम नीव व पाठशाला है “संस्कारी संयुक्त परिवार” जिसके विघटन का वर्तमान समय में एक बड़ा कारण है माँ – बाप का अपनी बेटियों को ये स्वार्थपूर्ण शिक्षा बचपन से ही देना कि जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम्हारी शादी तुम्हारे मनपसंद लड़के से करवा देंगे जिसके साथ तुम अकेले आराम से रहना, लेकिन ऐसे माँ – बाप अपनी बेटी को ये बताना भूल जाते हैं कि उसके मनपसंद लड़के के साथ अकेले रहने के दौरान, लड़के के जन्मदाता माता – पिता और बचपन से साथ निभाने वाले लड़के के भाई – बहन कहाँ गायब हो जायेंगे !

इसलिए अक्सर देखा जाता है कि ऐसी बेटियां, शादी के बाद बहू बनते ही रोज कोई ना कोई हंगामा खड़ा करके अपने पति को ससुराल से अलग रहने के लिए मजबूर करतीं रहतीं हैं ! ये भी देखा गया है कि अगर बेटी किसी तरह मन मारकर ससुराल में ही एडजस्ट करने की कोशिश करती भी है तो उसके मायके वाले (माँ, बाप, भाई, बहन आदि) ही उसे रोज भड़काते हैं कि आखिर तुम्हे जरूरत क्या है बूढ़े सास – ससुर, देवर – जेठ आदि के लिए भी खाना पीना बनाने की ! ऐसी बेटियों के माँ – बाप भूल जातें हैं कि कल को अगर उनके खुद के बेटे की बहू ठीक उनके साथ वही स्वार्थपूर्ण बर्ताव करे जैसा की उनकी बेटी अपने ससुराल में कर रही है तो उनका बुढ़ापा कितना मुश्किल हो जाएगा !

इसे खुशफहमी की पराकाष्ठा ही कहेंगे ऐसे स्वार्थी माँ – बाप खुद के बेटे के लिए तो ऐसी समर्पित बहू चाहते हैं जो बेटे के साथ – साथ उनके पूरे परिवार का भी बिना भेदभाव के ख्याल रखे, लेकिन वही दूसरी तरफ अपनी बेटी के लिए ऐसा ससुराल चाहतें हैं जहाँ पति के अलावा दूसरे लोगों (जैसे- सास, ससुर, देवर, जेठ आदि) आदि का ख्याल रखने का फालतू झंझट ना हो ! कुछ तो दुर्लभ किस्म के स्वार्थी माँ – बाप अपनी बेटी की शादी तय करते समय इस बात को सुनकर बहुत खुश हो जातें हैं कि लड़के के माँ – बाप तो पहले ही स्वर्गवासी हो चुके हैं इसलिए उनकी बेटी को सास – ससुर का हर समय ख्याल रखने के झंझट से मुक्ति रहेगी और जहाँ तक बात लड़के के भाई – बहन आदि से मुक्ति पाने की है तो उन्हें अपनी बेटी की चालाकी पर पूरा भरोसा होता है कि उनकी बेटी जल्द ही अपने पति का जन्म से जुड़े हुए सभी रिश्तों से नाता तुड़वाकर, अलग घर में पति के साथ अकेले आराम से रहने के लिए पति को तैयार कर लेगी !

अतः सारांशतः कहा जाए कि अगर पत्नी व उसके मायके वाले स्वार्थी हों या पति व ससुराल वाले अत्याचारी हों या उनमे कोई और दुर्गुण हो, तब भी हर बुरी से बुरी स्थिति में पति, पत्नी के साथ – साथ मायके व ससुराल के अधिक से अधिक लोग माँ सरस्वती का नाम जप (जय माँ सरस्वती) करें तो ना केवल संयुक्त परिवार टूटने से बच सकता है बल्कि दोनों परिवारों में हर तरफ से सुख – समृद्धि की वर्षा निश्चित हो सकती है ! ये हमेशा याद रखने की जरूरत है कि एक सुखी राष्ट्र का निर्माण, बिना सुखी परिवारों के संभव नही है !

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