Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

कहानी – मर्यादा की वेदी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

यह वह समय था जब चित्तौड़ में मृदुभाषिणी मीरा प्यारी आत्माओं को ईश्वर-प्रेम के प्याले पिलाती थी। रणछोड़ जी के मंदिर में जब भक्ति से विह्वल हो कर वह अपने मधुर स्वरों में अपने...

कहानी – पछतावा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पंडित दुर्गानाथ जब कालेज से निकले तो उन्हें जीवन-निर्वाह की चिंता उपस्थित हुई। वे दयालु और धार्मिक थे। इच्छा थी कि ऐसा काम करना चाहिए जिससे अपना जीवन भी साधारणतः सुखपूर्वक व्यतीत हो और...

कहानी – सज्जनता का दंड- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

साधारण मनुष्य की तरह शाहजहाँपुर के डिस्ट्रिक्ट इंजीनियर सरदार शिवसिंह में भी भलाइयाँ और बुराइयाँ दोनों ही वर्तमान थीं। भलाई यह थी कि उनके यहाँ न्याय और दया में कोई अंतर न था। बुराई...

कहानी – परीक्षा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हुए तो परमात्मा की याद आयी। जा कर महाराज से विनय की कि दीनबंधु ! दास ने श्रीमान् की सेवा चालीस साल तक की, अब मेरी...

कहानी – ममता – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बाबू रामरक्षादास दिल्ली के एक ऐश्वर्यशाली खत्री थे, बहुत ही ठाठ-बाट से रहनेवाले। बड़े-बड़े अमीर उनके यहाँ नित्य आते-आते थे। वे आयें हुओं का आदर-सत्कार ऐसे अच्छे ढंग से करते थे कि इस बात...

कहानी – मृत्यु के पीछे – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बाबू ईश्वरचंद्र को समाचारपत्रों में लेख लिखने की चाट उन्हीं दिनों पड़ी जब वे विद्याभ्यास कर रहे थे। नित्य नये विषयों की चिंता में लीन रहते। पत्रों में अपना नाम देख कर उन्हें उससे...

कहानी – नमक का दारोगा- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वरप्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। अनेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपात हुआ, कोई घूस से काम...

कहानी – पूस की रात – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे । मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो...

कहानी – माँ – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आज बन्दी छूटकर घर आ रहा है। करुणा ने एक दिन पहले ही घर लीप-पोत रखा था। इन तीन वर्षों में उसने कठिन तपस्या करके जो दस-पाँच रूपये जमा कर रखे थे, वह सब...

लेख – घृणा का स्थान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश...

लेख – रामचर्चा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जन्म प्यारे बच्चो! तुमने विजयदशमी का मेला तो देखा ही होगा। कहींकहीं इसे रामलीला का मेला भी कहते हैं। इस मेले में तुमने मिट्टी या पीतल के बन्दरों और भालुओं के से चेहरे लगाये...

लेख – “सोना हिरनी ” (लेखिका – महादेवी वर्मा)

सोना की आज अचानक स्मृति हो आने का कारण है। मेरे परिचित स्वर्गीय डाक्टर धीरेन्द्र नाथ वसु की पौत्री सस्मिता ने लिखा है : ‘गत वर्ष अपने पड़ोसी से मुझे एक हिरन मिला था।...

कहानी – स्त्री सुबोधिनी (लेखिका – मन्नू भंडारी)

प्यारी बहनो, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरीपेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन...

कहानी – मुठभेड़ (लेखक – मुद्राराक्षस)

कितनी लंबी और तीखी मार होती है फिर वह चाहे मौसम की हो या सिपाही की। चौंक कर उड़ी फड़फड़ाती हुई चील की तरह रज्‍जन की तकलीफ भरी हुई एक सदा-सी सुन पड़ी… ‘ओ...

कहानी – चारा काटने की मशीन (लेखक – उपेंद्रनाथ अश्क)

जब मैं जाडों में लिहाफ ओढती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम से मेरा दिमाग बीती हुई दुनिया के पर्दों में दौड़ने-भागने...

कहानी – हाथी की फाँसी (लेखक – गणेशशंकर विद्यार्थी)

कुछ दिन से नवाब साहब के मुसाहिबों को कुछ हाथ मारने का नया अवसर नही मिला था। नवाब साहब थे पुराने ढंग के रईस। राज्‍य तो बाप-दादे खो चुके थे, अच्‍छा वसीका मिलता था।...