Category: महान लेखकों की सामाजिक प्रेरणास्पद कहानियां, कवितायें और साहित्य का अध्ययन, प्रचार व प्रसार कर वापस दिलाइये मातृ भूमि भारतवर्ष की आदरणीय राष्ट्र भाषा हिन्दी के खोये हुए सम्मान को

कहानी – ज्योति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

विधवा हो जाने के बाद बूटी का स्वभाव बहुत कटु हो गया था। जब बहुत जी जलता तो अपने मृत पति को कोसती-आप तो सिधार गए, मेरे लिए यह जंजाल छोड़ गए । जब...

कहानी – ग्यारह वर्ष का समय – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल)

दिन-भर बैठे-बैठे मेरे सिर में पीड़ा उत्‍पन्‍न हुई : मैं अपने स्‍थान से उठा और अपने एक नए एकांतवासी मित्र के यहाँ मैंने जाना विचारा। जाकर मैंने देखा तो वे ध्‍यान-मग्‍न सिर नीचा किए...

कहानी – स्‍वामिनी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी आँखों में आँसू भरकर कहा- बहू, आज से गिरस्ती की देखभाल तुम्हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान से नहीं देखा गया,...

कहानी – मलिक मुहम्मद जायसी – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

प्रथम संस्करण का वक्तव्य – ‘पद्मावत’ हिंदी के सर्वोत्तम प्रबंधकाव्यों में है। ठेठ अवधी भाषा के माधुर्य और भावों की गंभीरता की दृष्टि से यह काव्य निराला है। पर खेद के साथ कहना पड़ता...

कहानी – आखिरी हीला – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

यद्यपि मेरी स्मरण-शक्ति पृथ्वी के इतिहास की सारी स्मरणीय तारीखें भूल गयीं, वह तारीखें जिन्हें रातों को जागकर और मस्तिष्क को खपाकर याद किया था; मगर विवाह की तिथि समतल भूमि में एक स्तंभ...

कहानी – पद्मावत की कथा – (लेखक – रामचंद्र शुक्ल )

कवि सिंहलद्वीप, उसके राजा गंधर्वसेन, राजसभा, नगर, बगीचे इत्यादि का वर्णन कर के पद्मावती के जन्म का उल्लेख करता है। राजभवन में हीरामन नाम का एक अद्भुत सुआ था जिसे पद्मावती बहुत चाहती थी...

कहानी – शिकार- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

फटे वस्त्रों वाली मुनिया ने रानी वसुधा के चाँद से मुखड़े की ओर सम्मान भरी आँखो से देखकर राजकुमार को गोद में उठाते हुए कहा, हम गरीबों का इस तरह कैसे निबाह हो सकता...

कहानी – प्रेमगाथा की परंपरा -(लेखक – रामचंद्र शुक्ल)

इस नवीन शैली की प्रेमगाथा का आविर्भाव इस बात के प्रमाणों में से है कि इतिहास में किसी राजा के कार्य सदा लोकप्रवृत्ति के प्रतिबिंब नहीं हुआ करते। इसी को ध्यान में रख कर...

कहानी – खुदाई फौजदार – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सेठ नानकचन्द को आज फिर वही लिफाफा मिला और वही लिखावट सामने आयी तो उनका चेहरा पीला पड़ गया। लिफाफा खोलते हुए हाथ और ह्रदय   दोनों काँपने लगे। खत में क्या है, यह...

कविता – जोगी खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

तजा राज, राजा भा जोगी । औ किंगरी कर गहेउ बियोगी॥ तन बिसँभर मन बाउर लटा । अरुझा पेम, परी सिर जटा॥   चंद्र बदन औ चंदन देहा । भसम चढ़ाइ कीन्ह तन खेहा॥...

कहानी – घासवाली – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखो में शंका समाई हुई थी। महावीर ने उसका तमतमाया हुआ चेहरा देखकर पूछा- क्या है...

कविता – प्रेम खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुनतहि राजा गा मुरछाई । जानौं लहरि सुरुज कै आई॥ प्रेम धााव दुख जान न कोई । जेहि लागै जानै ते सोई॥   परा सो पेम समुद्र अपारा । लहरहिं लहर होइ बिसँभारा॥  ...

कहानी – रसिक संपादक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

नवरस’ के संपादक पं. चोखेलाल शर्मा की धर्मपत्नी का जब से देहांत हुआ है, आपको स्त्रियों से विशेष अनुराग हो गया है और रसिकता की मात्रा भी कुछ बढ़ गयी है। पुरुषों के अच्छे-अच्छे...

कविता – नखशिख खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

का सिंगार ओहि बरनौं, राजा । ओहिक सिंगार ओहि पै छाजा॥ प्रथम सीस कस्तूरी केसा । बलि बासुकि, काक और नरेसा॥   भौंर केस वह मालति रानी । बिसहर लुरे लेहिं अरघानी॥   बेनी...

कहानी – कुसुम – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

साल-भर की बात है, एक दिन शाम को हवा खाने जा रहा था कि महाशय नवीन से मुलाक़ात हो गयी। मेरे पुराने दोस्त हैं, बड़े बेतकल्लुफ़ और मनचले। आगरे में मकान है, अच्छे कवि...

लेख – श्रीमती गजानंद शास्त्रिणी – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

श्रीमती गजानन्‍द शास्त्रिणी श्रीमान् पं. गजानन्‍द शास्‍त्री की धर्मपत्‍नी हैं। श्रीमान् शास्‍त्री जी ने आपके साथ यह चौथी शादी की है, धर्म की रक्षा के लिए। शास्त्रिणी के पिता को षोडशी कन्‍या के लिए...