वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य
(लम्बे समय से ब्रह्मांड सम्बंधित सभी पहलुओं पर रिसर्च करने वाले “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े कुछ शोधकर्ताओं के निजी विचार)-
आज से 6 महीने पहले (अर्थात 30 जून 2017 को), “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपनी इस वेबसाइट पर, “स्वयं बनें गोपाल” से जुड़े कुछ ब्रह्मांड शोधकर्ताओं द्वारा लिखित एक आर्टिकल (जिसे आप इस लिंक पर क्लिक कर ओपेन कर सकतें है,- जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है ) प्रकाशित किया था, जिसका गैर हिंदी भाषी पाठकों के लिए हमने इंग्लिश अनुवाद भी 9 दिसम्बर 2017 को इसी वेबसाइट पर प्रकाशित किया था (जिसे आप इस लिंक पर क्लिक कर ओपेन कर सकतें है,- What we consider as meteorites, can actually be something else as well ) !
इस आर्टिकल के प्रकाशित होने के बाद कुछ क्षिद्रान्वेशी किस्म के लोगों ने हम पर व्यंग किया था कि, आप लोगों को तो बस हर चीज में एलियन ही नजर आतें हैं !
“स्वयं बनें गोपाल” समूह ने ऐसे लोगों को तत्काल में कोई जवाब देना उचित नहीं समझा क्योंकि “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े स्वयं सेवी मूर्धन्य शोधकर्ता इस व्यवहारिक सच को अच्छे से जानतें हैं कि, “यह जरूरी नहीं कि हर गोपनीय सत्य का सबूत तुरंत प्रत्यक्ष उपलब्ध हो, पर यह जरूर है कि अगर सत्य है तो देर सवेर सभी सबूतों के साथ निर्विवाद रूप से साबित होकर ही रहेगा !”
ओमुआमुआ नामकी एक स्पेस रॉक का पता चला है, जिसकी विचित्र करैक्टरिस्टिक ने आज के बहुत से वैज्ञानिकों के कांसेप्ट को बुरी तरह से हिला कर रख दिया है क्योंकि यह ना तो कॉमेट से मिलती जुलती है और ना ही एस्टेरोइड से !
इसी वजह से वैज्ञानिकों से लेकर मीडिया सभी एहतियात बरतते हुए इसके बारे में बयानबाजी कर रहें हैं !
इस स्पेस रॉक के बारे में विस्तृत जानकारी इण्डिया टाइम्स ने अभी हाल ही में अपने इस लेख में छापी है- Oumuamua Is 1st Ever Alien Traveler Detected In Solar System, & Its Mystery Is Baffling Experts
अभी यह स्पेस रॉक पृथ्वी से दूर जाती जा रही है और जल्द ही इसे टेलिस्कोप से देख पाना संभव नहीं हो पायेगा !
एस्टीरोइड में रॉक व मेटल होता है जबकि कॉमेट में रॉक, आइस, गैस व डस्ट भी होतें है लेकिन ओमुआमुआ सिर्फ रॉक व आइस से ही बना हुआ प्रतीत होता है इसलिए यह ना तो एस्टीरोइड लगता है और ना ही कॉमेट लगता है, और यही बात वैज्ञानिकों को बार बार परेशान कर रही है कि आखिर यह है क्या चीज ?
पृथ्वी के शक्तिशाली गुरुत्व से बाहर निकल पाना आसान काम नहीं है, खासकर जब कोई स्पेस ऑब्जेक्ट पृथ्वी के नजदीक से होकर गुजरे !
ऐसा पॉवर और ऐसी असामान्य करैक्टरिस्टिक निश्चित रूप से किसी भी समझदार वैज्ञानिक को किसी भी स्पेस ऑब्जेक्ट के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दे कि, आखिर यह है क्या चीज ?
जैसा कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने पूर्व के लेख में खुलासा किया है कि इन्ही उच्च टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर एलियंस की कई प्रजातियां अपने स्पेसशिप (अर्थात यू.ऍफ़.ओ./उड़नतश्तरी) को उल्कापिंड में बदल कर पृथ्वी के इर्द गिर्द घूमकर नजर रखतें हैं !
इसमें एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि अगर उल्कापिंड के भेष में छिपे इन्ही में से किसी स्पेसशिप को, पृथ्वी स्थित कुछ नामचीन स्पेस पर रिसर्च करने वाली एजेंसीज के मानव वैज्ञानिकों (जो अब तक एलियंस के मामले पर गोल मोल जवाब देते आ रहें हैं) द्वारा जाने अनजाने छेड़ दिए जाने पर, एलियंस के विरोध व क्रोध का सामना करना पड़ सकता है ! तब ऐसे मौके पर इन पृथ्वी स्थित स्पेस पर रिसर्च करने वाली एजेंसीज के वैज्ञानिकों द्वारा मजबूरी में आम जनता को भी, उनके द्वारा अब तक ज्ञात एलियंस के रहस्यों से भी पर्दा उठाना पड़ सकता है !
हमारे सौरमंडल में ना जाने कितने अननोन अनडिफाइंड स्पेस रॉक्स घूम रहीं हैं और इसमें से ना जाने कितने वाकई में स्पेस रॉक्स हैं और कितने एलियन स्पेसशिप, इसकी पूरी पूरी जानकारी तो सिर्फ स्वयं ईश्वर को है या ईश्वर के ही प्रतिरूप दिव्य ऋषि सत्ताओं को !
परम आदरणीय व दिव्य दृष्टि धारी ऋषि सत्ता अनुसार यह मात्र वैश्विक परिवर्तन का ही नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय महा परिवर्तन का समय भी चल रहा है जिसे पूरी तरह से मूर्त रूप लेने में कई साल लग सकतें हैं, पर यह पूरा परिवर्तन सफलता पूर्वक हो पाना केवल अकेले अल्पसामर्थ्यवान मानवों के ही वश की बात नहीं है, क्योंकि इसमें ना जाने कितने गैर मानवीय दिव्य सत्ताओं के बहुमूल्य योगदान की नितांत आवश्यकता है, जिसके लिए पृथ्वी पर ना जाने कहाँ कहाँ दिव्य सत्ताएं अवतरित भी हो चुकी हैं, जिनमे से कई मानव रूप में ही जन्म लेकर कर्म योग, हठ योग, राज योग, भक्तियोग का प्रचार प्रसार कर रही हैं तो कई अपने परम दिव्य रूप में ही पृथ्वी पर निवास करके पृथ्वी को मानवजनित पाप कर्मों से निरंतर शुद्ध कर रही हैं !
इन्ही परम दिव्य सत्ताओं की अथक मेहनत का ही नतीजा था कि अगस्त 2016 के प्रथम सप्ताह में हजारों साल बाद उदित हुए महा विनाशकारी नक्षत्र की वजह से पैदा हुए कई भयंकर दुर्योग अभी तक टलते आ रहें है, लेकिन ये दुर्योग आगे कब तक निष्प्रभावी रह पायेंगे, कहना मुश्किल है क्योंकि अगर प्रकृति सर्वत्र फैले असंख्य किस्म के घृणित पापों (जैसे- स्वाद के लिए रोज करोड़ो निर्दोष जानवरों का निर्दयता पूर्वक क़त्ल, अपने फायदे के लिए रोज ना जाने कितने हरे पेड़ों को काटना, भ्रष्टाचार, बलात्कार, चोरी डकैती हत्या, माता पिता का अपमान, बार बार झूठ बोलने की आदत, नशा आदि) से नाराज होकर, ममतामयी माँ गौरी का रूप त्यागकर रक्तलोचना काली का रूप धर लेगी तो स्वयं भगवान् शिव को भी समझ में नहीं आएगा कि कैसे उन्हें शांत किया जाए, जैसा कि एक बार पहले भी हो चुका है जब तत्व दर्शन अनुसार भगवान् गणेश अर्थात संसार से शुभ कर्म लगभग समाप्ततुल्य हो गये थे, तब माँ गौरी ने जो भयंकर काली का रूप धर कर विनाश शुरू कर दिया था कि स्वयं भगवान् शिव को भी समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे उन्हें शांत किया जाए और अंततः कुछ ना समझ में आने पर सृष्टि को बचाने के लिए स्वयं महादेव, काली जी के चरणों के नीचे ही लेट गए थे !
आज जहाँ एक तरफ संसार में बहुत से मानवों द्वारा रोज जाने अनजाने होने वाले छोटे मोटे पापों से लेकर महाघोर पापों की वजह से प्रकृति के गुस्से की आग रोज उबाल मारती है, वही दूसरी तरफ दिव्य देहधारी ऋषिसत्ता गण रोज अथक मेहनत करके अपने परम पवित्र विभिन्न तरह के योग अनुसंधानों द्वारा प्रकृति की उस क्रोध अग्नि पर एक तरह से पानी डालकर रोज ठंडा करने का प्रयास करतें रहतें हैं, जिसकी वजह से आज के इस घोर कलियुगी माहौल में भी पृथ्वी पर मानव जीवन का अस्तित्व अभी तक बचा हुआ है अन्यथा इस ब्रह्मांड में बहुत से ऐसे ग्रह हैं जो वहां के निवासियों के कुकर्मों की वजह से अब पूरी तरह से वीरान उजाड़ हो चुके हैं ! श्रीमद्भागवत महापुराण में भी लिखा है कि जब कोई योगी पूर्ण रूप से ध्यानस्थ अर्थात योगमय हो जाता है तो वह उस समय सिर्फ इस धरा से ही नहीं बल्कि सभी लोकों से भी पाप हरने लगता है ! निश्चित रूप से आज का सम्पूर्ण मानव समाज, ऐसे मानव शरीर धारण करने वाले योगियों और गोलोक आदि से पृथ्वी पर आकर विराजमान दिव्य देहधारी ऋषि सताओं का परम आभारी व ऋणी है !
वैसे देखा जाए तो पूरे ब्रह्मांड की तुलना में पृथ्वी का आकार ना के बराबर है, पर परम आदरणीय ऋषि सत्तानुसार स्वर्गलोक से लेकर पाताल लोक तक जितने भी नश्वर लोक हैं, उन सबमे पृथ्वी सर्वश्रेष्ठ है और यह पूरे ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु भी है इसलिए सभी लोकों में वास करने वाले सभी निवासियों (जिन्हें आज की मॉडर्न भाषा में एलियन भी कहा जा सकता है) के लिए पृथ्वी का विशेष महत्व है और वे सभी पृथ्वी पर बार बार आना चाहतें हैं (इन एलियंस की कुछ प्रजातियों के नाम, प्रकार के बारे में जानने के लिए, कृपया नीचे दिए गए “स्वयं बनें गोपाल” समूह के अन्य एलियंस सम्बन्धित लेख पढ़ें) !
एलियंस का पृथ्वी पर आने का एक विशेष कारण यह भी है कि पृथ्वी पर जगह जगह स्वयं अनंत ब्रह्मांडों के निर्माता ईश्वर खुद ही वास करतें हैं, खासकर भारत भूमि में ! वास्तव में यह बात आज के बहुत से मानवों को पता ही नहीं कि जो ईश्वर उन्हें इतनी आसानी से किसी मंदिर में लड्डू गोपाल के रूप में तो किसी मंदिर में माँ दुर्गा के रूप में, किसी मंदिर में भोले नाथ के रूप में तो किसी मंदिर में हनुमान बाबा के रूप में मिल जातें हैं, वही ईश्वर इतनी आसानी से दिव्य शक्ति प्राप्त एलियंस को नहीं मिल पाते !
मतलब एकतरफ ईश्वर ने इन एलियंस को हम मानवों की तुलना में इतनी ज्यादा असम्भव तुल्य शक्ति दी है, तो वहीँ दूसरी तरफ उनके लिए अपना अस्तित्व ही इतना ज्यादा जटिल बना दिया कि वे एलियंस भी बार बार हैरान परेशान होतें रहतें हैं कि आखिर वो कौन सी सर्वोच्च शक्ति हैं जो अनंत ब्रह्मांडों को चला रही है !
अगर आसान भाषा में कहें तो ईश्वर के ऊपर यह साधारण कहानी बिल्कुल फिट बैठती है जिसे लगभग हर मानव ने अपने बचपन में सुन रखी होगी कि, चार जन्मजात अंधे पहली बार एक हाथी को अलग अलग जगह से छू रहे थे और हाथी के बारे में अलग अलग निष्कर्ष निकाल रहे थे ! मतलब जिस अंधे ने हाथी के पैर को छूया उसने कहा हाथी खम्बे जैसा होता है, जिसने पूँछ को छूया उसने कहा हाथी रस्सी जैसा होता है, जिसने कान को छूया उसने कहा कि हाथी सूंप जैसा होता है, और जिसने दांत को छूया उसने कहा कि हाथी तलवार जैसा होता है ! ठीक इसी तरह माया के पर्दे से आबद्ध सभी अंधे, चाहे वे मानव हों या कोई उच्च शक्ति प्राप्त एलियन तब तक सर्वोच्च शक्ति अर्थात ईश्वर के बारे में सिर्फ अनुमान ही लगाते रहतें है जब तक कि माया हट नहीं जाती और माया के हटते ही आत्मा, परमात्मा का ही रूप प्राप्त कर लेती है, और इसी को बोलतें हैं सारूप्य मोक्ष !
उच्च शक्ति प्राप्त एलियंस को पृथ्वी इसलिए भी बहुत रोचक लगती है क्योंकि यहाँ भगवान् के साथ साथ मानव भी रहतें है ! अब मानवों में ऐसी क्या ख़ास बात है जो खुद अधिकाँश मानवों को ही नहीं पता है ! वो खासियत है कुण्डलिनी महा शक्ति ! वास्तव में कुण्डलिनी शक्ति ही ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति है, जिसके जागने के बाद मानव, स्वयं ईश्वर के ही समान शक्तिशाली हो जाता है, इसलिए भी कुछ गलत स्वभाव के एलियन मानव शरीर के कुण्डलिनी शक्ति का रहस्य समझने के लिए मानवों का अपहरण कर लेतें हैं !
अधिकाँश मानव भले ही शक्ति की दृष्टिकोण से कई एलियंस से काफी कमजोर होंते हों पर उसके बावजूद भी, सभी एलियंस पृथ्वी के मानवों को इसीलिए विशेष नजर से देखतें हैं क्योंकि सर्वोच्च उपलब्धी पाने की सुविधा अर्थात कुण्डलिनी जागरण की सुविधा सिर्फ और सिर्फ मानव शरीर में ही उपलब्ध है (इसलिए हिन्दू धर्म में कहा गया है कि, “बड़े भाग मानुष तन पावा”, लेकिन अत्यंत दुःख की बात है कि आज के अधिकाँश मानव इस दुर्लभ जानकारी से एकदम अनजान हैं और सिर्फ रोटी, कपड़ा, मकान की दौड़ में दौड़ते हुए अपना बेशकीमती मानव जीवन समाप्त कर देतें हैं) !
इसलिए भी कई एलियंस पृथ्वी के मानवों के शरीर व कार्यकलापों को अधिक से अधिक समझने के लिए विभिन्न माध्यमों से मानवों के सम्पर्क में रहने की कोशिश करतें हैं, जैसे- कुछ एलियन, मानवों की अपने स्पेसशिप (उड़नतश्तरी) में रहकर निगरानी करते रहतें हैं, तो कोई दुस्साहस कर मानवों का सीधे अपहरण ही कर लेतें हैं, कोई एलियन मानव का ही भेष बदलकर मानवों के ही बीच में रहकर मानवों से मित्रता कर लेतें हैं तो कोई एलियन अपने वास्तविक रूप में ही मानव के सामने आकर मानव शरीर पर प्रयोग शुरू कर देते हैं !
जहाँ तक बात एलियंस की है तो एलियंस की संख्या व प्रकार अनंत है क्योंकि आयाम अनंत है इसलिये एलियंस की संख्या की तुलना में मानवों की संख्या बहुत ही थोड़ी सी है और हर अलग अलग आयामों के निवासी (जिन्हें हम मानव, एलियंस समझतें हैं) अलग अलग हैं जिसमें से बहुत से निवासी अपने विभिन्न अनुसन्धानों के लिए एक – दूसरे आयामों में बार बार आते जाते रहतें हैं ! एक आयाम से दूसरे आयाम में कैसे आते जातें हैं यह बहुत जटिल प्रकिया है जिसे जानने के लिए उचित पात्रता विकसित करना जरूरी है !
ये तो अब तक श्री कृष्ण का ही महाभारतकाल में दिया गया आदेश था जिसकी वजह से एलियंस खुल कर मानवों के सामने आने से हिचक रहे थे (इस आदेश व इसके पीछे की वजह का भी वर्णन “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने अपने पूर्व के लेखों में किया है) लेकिन यह आदेश परिवर्तित भी हो सकता है अगर श्री कृष्ण खुद ही पुनः प्रकट होकर अनुमति प्रदान कर दें (श्री कृष्ण पुनः कभी भी, कहीं भी, किसी भी रूप में प्रकट हो सकतें हैं; जिसका संक्षिप्त कारण “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने पूर्व के लेखों में उद्धृत किया है) ! आदेश परिवर्तित होने के पीछे का कारण कुछ भी हो सकता है, जैसे भविष्य में मानवीय दुर्बुद्धि व महामूर्खता की वजह से उत्पन्न भीषण युद्धों या प्राकृतिक आपदाओं से पृथ्वी के वातावरण का इतना ज्यादा प्रदूषित हो जाना कि मानवों का प्राण बचाने के लिए एलियंस की मदद से समुद्र के पानी के अंदर ही एक नए संसार की स्थापना करने का प्रयास करना या कुछ और !
जहाँ तक वर्तमान ब्रह्मांडीय महा परिवर्तन की बात है तो परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार, इसकी अध्यक्षता स्वयं प्रत्यक्ष शिव अर्थात भगवान् सूर्य ही कर रहें और उन्हें बराबर का सहयोग है श्री दक्ष प्रजापति, सप्तर्षि व उन्ही के तुल्य अन्य दिव्य ऋषि सत्ताओं का और जब कभी स्वयं प्रत्यक्ष शिव अर्थात भगवान् सूर्य परिवर्तन की बागडोर संभालते हैं तो थोड़ी बहुत तपिश अर्थात तकलीफ तो सभी को झेलनी ही पड़ती है !
(ब्रह्माण्ड व एलियंस सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
क्या चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम’ से सम्पर्क टूटने के पीछे एलियंस का हाथ है
“स्वयं बनें गोपाल” समूह खुलासा कर रहा है भारत में हो सकने वाले एलिएंस के वर्तमान संभावित शहर की
यू एफ ओ, एलियंस के पैरों के निशान और क्रॉस निशान मिले हमारे खोजी दल को
क्या एलियन से बातचीत कर पाना संभव है ?
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 1): पृथ्वी से गोलोक, गोलोक से पुनः पृथ्वी की परम आश्चर्यजनक महायात्रा
क्या वैज्ञानिक पूरा सच बोल रहें हैं बरमूडा ट्राएंगल के बारे में
एलियन्स कैसे घूमते और अचानक गायब हो जाते हैं
जानिये कौन हैं एलियन और क्या हैं उनकी विशेषताएं
यहाँ कल्पना जैसा कुछ भी नहीं, सब सत्य है
जानिये, मानवों के भेष में जन्म लेने वाले एलियंस को कैसे पहचाना जा सकता है
क्यों गिरने से पहले कुछ उल्कापिण्डो को सैटेलाईट नहीं देख पाते
आखिर एलियंस से सम्बन्ध स्थापित हो जाने पर कौन सा विशेष फायदा मिल जाएगा ?
सावधान, पृथ्वी के खम्भों का कांपना बढ़ता जा रहा है !
जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है
Our research group finds U.F.O. and Aliens’ footprints
The facts published by us are still the riddles for the scientists
Is it possible to interact with aliens?
Are Scientists telling the complete truth about Bermuda Triangle ?
What we consider as meteorites, can actually be something else as well
How aliens move and how they disappear all of sudden
Who are real aliens and what their specialties are
Why satellites can not see some meteorites before they fall down
Know how to identify the aliens who are born in human form
There is nothing imaginary here, everything is true
Eventually what do we get benefited with if the actual contact with Aliens gets established
Beware, shaking of pillars of earth is increasing !
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