जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है
लम्बे समय से ब्रह्मांड से सम्बंधित सभी पहलुओं पर रिसर्च करने वाले, “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े हुए विद्वान रिसर्चर श्री डॉक्टर सौरभ उपाध्याय (Doctor Saurabh Upadhyay) के निजी विचार ही निम्नलिखित आर्टिकल में दी गयी जानकारियों के रूप में प्रस्तुत हैं-
ब्रह्मांड एक से बढ़कर एक रहस्यों से भरा पड़ा है और ये रहस्य इतने ज्यादा जटिल, कठिन व दुरूह हैं कि कई बार बड़े से बड़े वैज्ञानिकों तक को इसकी हवा तक नहीं लग पाती है मतलब इस ब्रह्मांड में जरूरी नहीं है कि जो जैसा दिख रहा है, वो वैसा ही है !
यही अवधारणा उल्कापिंडों पर भी लागू होती है ! यूँ तो “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने इससे पहले भी उल्कापिंडों, ब्रह्मांड व एलियंस के रहस्यों से सम्बंधित कई लेखों (एलियंस व ब्रह्मांड से सम्बंधित हमारे अन्य लेखों को पढ़ने के लिए, कृपया इस लेख के नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें) को प्रकाशित किया है पर अब परोक्ष जगत में घटना क्रम काफी तेजी से परिवर्तित हो रहें हैं इसलिए अब जरूरत है और ज्यादा स्पष्ट लेखों की !
प्रत्यक्ष जगत में भी, कभी कभी ऐसे पक्के सबूत देखने को मिलतें है जिससे यह साबित होता है कि एलियंस, हम मानवों पर विभिन्न तरह के अनुसंधान व प्रयोगों को करके, कुछ लगातार नया सीखने का प्रयास करने के लिए हम मानवों की अप्रत्यक्ष या कभी कभी प्रत्यक्ष तरीके से भी निगरानी करने की कोशिश करतें रहतें हैं | यह ठीक उसी तरह है जैसे हम मानव अपने से इन्फीरियर जानवरों जैसे बन्दर, चूहों आदि की शारीरिक प्रणालियों से सम्बंधित रहस्यों को समझने के लिए उन पर विभिन्न प्रयोगों को कर, उन पर निगरानी रखतें हैं (भले ही हमारे प्रयोगों व उनके अच्छे/बुरे परिणामों के बारे में ये निरीह जानवर कभी भी, कुछ भी समझ पायें या नहीं, ठीक इसी तरह हम अधिकाँश मानव भी, एलियंस के द्वारा किये गए बहुत से प्रयोगों और उनके अच्छे/बुरे परिणामों, जो कि हम मानवों के दैनिक जीवन से भी सम्बंधित हो सकतें हैं, के बारे में कभी भी, कुछ भी समझ पायें या नहीं) !
वास्तव में, इस ब्रह्मांड में ना जाने कितने नक्षत्र हैं, कितने लोक हैं और ना जाने कब किस लोक या नक्षत्र से, कौन से एलियंस, पृथ्वी की निगरानी करने पहुँच जाएँ, कौन जानता है ?
ये एलियंस दृश्य रूप में हम पर नजर रख रहें हैं या अदृश्य रूप में, यह उनकी विकसित टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है | परम आदरणीय हिन्दू धर्म के ग्रन्थों में वर्णित ‘माया’ नाम की वेरी हाई टेक्नोलॉजी यूज़ करके, एलियंस अपने आप को भरसक हमसे छुपाने की कोशिश करतें हैं !
वास्तव में माया, गूढ़ टेक्नोलॉजीस का ऐसा अथाह भण्डार है, जिसमें एक से बढ़कर एक शक्तिशाली फार्मुले हैं, जिनसे अति विचित्र व कल्पना से भी परे, उपलब्धियां व शक्तियां निश्चित अर्जित की जा सकती हैं | इस अंतहीन माया टेक्नोलॉजी की पूर्ण जानकार सिर्फ महामाया अर्थात देवी दुर्गा हैं !
माया का ही आश्रय लेकर एलियंस अपने को और अपने विमान को एकदम इन्विज्बल (अदृश्य) कर सकतें हैं या अपना और अपने विमान का मनचाहा रूप भी बदल सकतें हैं, तो क्या गारंटी है कि पृथ्वी के आस पास घूमने वाला कोई ऑब्जेक्ट, उल्कापिंड ही है या कुछ और (जैसे- उल्कापिंड के भेष में छिपा एलियन का कोई स्पेसशिप) नहीं है !
अक्सर बड़े बड़े विद्वानों को भी भ्रम हो जाता है कि इस बेतरतीब से दिखने वाले ब्रह्मांड में सिस्टम, रूल्स, रेगुलेशन नाम की कोई चीज है या नहीं पर वास्तव में सब कुछ एब्सोल्यूटिली सिस्टमेटिक है यहाँ और इसी सिस्टम के कुछ शाश्वत सिद्धांत हैं, जैसे- कौतुहल व आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है, एवं शक्तिशालियों द्वारा सदा से शक्तिहीनों पर शासन करने की तीव्र इच्छा का होना आदि | वास्तव में किसी भी जीव (चाहे वह मानव हो या एलियन) के द्वारा अपने मन में कोई बुरी इच्छा को रखने में कोई रोक टोक नहीं होती है पर बुरी इच्छा को, खासकर किसी बड़ी बुरी इच्छा को पूरा कर पाने में रोक टोक होती है क्योंकि इस ब्रह्मांड में विशुद्ध परोपकार सिद्धांत पर तैयार एक रक्षात्मक मेकनिज्म ही इसमें सबसे बड़ा बाधक बनता है | विभिन्न स्तरों व विभिन्न प्रचंड शक्तिशाली दिव्यात्माओं से बना यह मेकनिज्म ही हर छोटी बड़ी ब्रह्मांडीय गतिविधियों की प्रथम द्रष्टया अनुमति प्रदान करता है | यह ठीक उसी तरह है जैसे आप किसी दूसरे देश में प्रवेश करने से पहले उसे देश के रक्षात्मक मेकनिज्म अर्थात शासन से अनुमति अर्थात वीजा प्राप्त करतें हैं !
पर्यटन का वीजा प्राप्त करने के बाद भी आप दूसरे देश में पर्यटन ही करेंगे या पर्यटन की आड़ में कोई खुराफात करेंगे इसकी सही जानकारी तो सिर्फ आपके मन में बंद है जिसका एकदम सही सही अंदाजा वीजा देने वाले अधिकारी सिर्फ आपका बैकग्राउंड चेक करके या कुछ देर आपका इंटरव्यू लेकर नहीं लगा सकते पर हाँ, यह जरूर है कि अगर आप उस देश में कोई खुराफात करेंगे तो देर सवेर उस देश में दण्डित जरूर किये जायेंगे !
ठीक इसी तरह पर्यटन या न्यायोचित अनुसन्धान युक्त अध्ययन के नाम पर हमारे सौरमंडल में घुसने वाले एलियंस की टीम अगर अपनी लिमिट क्रॉस कर खुराफात की ओर अग्रसर हो जाती है, तो यह रक्षात्मक मेकनिज्म ऑटो स्टार्ट हो जाता है और ऊपर से प्राप्त होने वाले इंस्ट्रक्शन्स के आधार पर खुराफात के विरोध में कार्य करना शुरू कर देता है !
ब्रह्मांड में हर क्षण होने वाली ऐसी असंख्य विचित्र, अद्भुत घटनाक्रमों की पूरी पूरी जानकारी या तो स्वयं ईश्वर को है और या तो उन्ही के स्वरुप परम आदरणीय ऋषि सत्ताओं को लेकिन निष्कर्ष तौर पर, एक बात हम पृथ्वीवासियों को हमेशा याद रखने की है, कि हम मानव अनाथ या लावारिस नहीं है कि जब चाहे, कोई भी बाहरी अज्ञात आपदा (चाहे वो एलियन स्पेसशिप अटैक के रूप में हो) अचानक से आ जाए और पूरी पृथ्वी ही साफ़ हो जाए |
पूरी पृथ्वी का नाश करने की क्षमता अगर किसी में है, तो वो है सिर्फ खुद हम मानवों के ही द्वारा किये गए कुकर्मों में !
(ब्रह्माण्ड सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
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