महिलाओं की समस्याओं के आयुर्वेदिक इलाज

16954469683_7567896b67_zमासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ –

मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधी है, अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी।

हाँ एक बात याद रखे आशोक का पेड़ दो तरह का है एक तो सीधा है बिलकुल लंबा, ज़्यादातर लोग उसे ही अशोक समझते है जबकि वो नहीं है, दूसरा होता है पूरा गोल और फैला हुआ होता है वही असली अशोक का पेड़ है जिसकी छाया मे माता सीता ठहरी थी।

तो इस असली अशोक के 5-6 पत्ते तोड़िए उसे पीस कर चटनी बनाईये अब इसे एक से डेढ़ गिलास पानी मे कुछ देर तक उबाले। इतना उबाले की पानी आधा से पौन गिलास रह जाए। फिर उसे बिलकुल ठंडा होने के लिए छोड़ दीजिये और फिर उसको बिना छाने हुए पीये ! सबसे अच्छा है सुबह खाली पेट पीना ।

30 दिन तक लगातार पीना उससे मासिक धर्म से सबन्धित सभी तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। ये बहुत ही लाभकारी दवा है। जिसका नुकसान कुछ नहीं है और अगर कुछ माताओ-बहनो को 30 दिन लेने से आराम थोड़ा ही मिलता है ज्यादा नहीं मिलता तो वो अगले 30 दिन तक और ले सकती है वैसे सामन्यतया मात्र 30 दिन पीने से ही समस्या ठीक हो जाती है।

कई बार माताओ – बहनो को पीरियड्स के दौरान शरीर मे अलग अलग जगह दर्द होता है जैसे कमर दर्द होना, सिर दर्द होना, पेट दर्द, पीठ दर्द, जंघों मे दर्द , चक्कर आना, नींद ना आना, बेचैनी होना आदि। तो ऐसे मे pain killer लेने से बचे क्योंकि इनके बहुत अधिक side effects है , एक बीमारी ठीक करेंगे 10 साथ हो जाएगी और बहुत से pain killer तो विदेशो मे 20 वर्षो से ban है जो भारत मे बिकती है।

तो आयुर्वेद मे भी इस तरह के दर्दों की तत्कालिक (instant relief ) दवाये है जिसका कोई side effect नहीं है ! पीरियडस के दौरान होने वाले दर्दों की सबसे अच्छी दवा है गाय का घी अर्थात देशी गाय का घी। एक चम्मच देशी गाय का घी को एक गिलास गर्म पानी मे डालकर पीना। पहले एक गिलास पानी खूब गर्म करना जैसे चाय के लिए गर्म करते है बिलकुल उबलता हुआ !

फिर उसमे एक चम्मच देशी गाय का घी डालना फिर चाय की तरह से बिलकुल गर्म – गर्म घूट – घूट करके पीना। तात्कालिक (instant relief ) एक दम आराम आपको मिलेगा और ये लगातार 4 -5 दिन, जितने दिन पीरियड्स रहते है, पीना है, उससे ज्यादा दिन नहीं पीना। ये पीरियडस के दौरान होने वाले सब तरह के दर्दों में तुरंत आराम देता है।

एक बात जरूर याद रखे घी, देशी गाय का ही होना चाहिए, विदेशी जर्सी, होलेस्टियन, फिजिशियन गाय भैंस का नहीं। देशी गाय की पहचान है की उसकी पीठ पर गोल सा, मोटा सा हम्प होता है। कोशिश करे, घर के आस पास पता करे देशी गाय का। उसका दूध लाकर खुद घी बना लीजिये। बाजारो मे बिक रहे कंपनियो के घी पर भरोसा ना करें। भारत की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम पथमेड़ा गौशाला है जो राजस्थान मे है यहाँ 2 लाख से ज्यादा देशी गाय है उनका घी खरीद लीजिये ये पूरी तरह से देशी गाय के दूध से ही बना है।

इसके अतिरिक्त आप जंक फूड खाने से बचे, नियमित सैर व योग (morning walk, Yoga, Yogasana, Pranayama, Asana) करे | नियमित योग, प्राणायाम व व्यायाम को करने से महिलाओं की लगभग सभी बीमारियाँ स्वतः बिना किसी इलाज (दवाईयों) के निश्चित ठीक हो सकतीं हैं |

अतः अपनी दिनचर्या में योग, प्राणायाम व व्यायाम को जरूर शामिल करें | योग, प्राणायाम व व्यायाम के बारे में सभी विस्तृत जानकारियों को पाने के लिए, कृपया इसी वेबसाइट के योग व प्राणायाम (Yog, Pranayam) की केटेगरी को ओपेन करें !

फटी एड़ियो का उपचार-

एड़िया फटने के कई कारण हो सकते है जैसे – शरीर में उष्णता या खुश्की बढ़ जाना, नंगे पैर चलने-फिरने, खून की कमी, तेज ठंड के प्रभाव से तथा धूल-मिट्टी से पैर की एड़ियां फट जाती हैं। यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। एक कहावत शायद इसलिए प्रसिद्ध है – जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई। प्रस्तुत है इसके घरेलू इलाज –

– अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। इन सबको अच्छे से मिलाकर शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएं। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।

– त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां दूर हो जाती हैं।

– चावल को पीसकर नारियल में छेद करके भर दें और छेद बन्द करके रख दें। 10-15 दिन में चावल सड़ जाएगा, तब निकालकर चावल को पीसकर बिवाइयों में रोज रात को भर दिया करें। इस प्रयोग से भी बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।

– गुड़, गुग्गल, राल, सेंधा नमक, शहद, सरसों, मुलहटी व घी सब 10-10 ग्राम लें। घी व शहद को छोड़ सब द्रव्यों को कूटकर महीन चूर्ण कर लें, घी व शहद मिलाकर मल्हम बना लें। इस मल्हम को रोज रात को बिवाइयों पर लगाने से ये कुछ ही दिन में ठीक हो जाती हैं।

– रात को सोते समय चित्त लेट जाएं, हाथ की अंगुली लगभग डेढ़ इंच सरसों के तेल में भिगोकर नाभि में लगाकर 2-3 मिनट तक रगड़ते हुए मालिश करें और तेल को सुखा दें। जब तक तेल नाभि में जज्ब न हो जाए, रगड़ते रहें। यह प्रयोग सिर्फ एक सप्ताह करने पर बिवाइयां ठीक हो जाती हैं और एड़ियां साफ, चिकनी व मुलायम हो जाती हैं। एड़ी पर कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं।

होठों का खुश्की से बचाव –

– नाभी में रोजाना सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।

– सरसों का तेल कनपटी में मलिए, कान में डालिए, नाक में सुड़किए, नाभि में लगाइए – इससे नेत्र-ज्योति तथा मस्तिष्क – शक्ति बढ़ती है। जुकाम कभी नहीं होता। सर्दी के दिनों में प्रतिदिन सरसों का तेल नाभि पर लगाने से हाथ पांव भी नहीं फटते और हाथ पैरों की चमड़ी खुरदरी नहीं होती।

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