क्यों गिरने से पहले कुछ उल्कापिण्डो को सैटेलाईट नहीं देख पाते
2 तरह के उल्का पिण्ड होते हैं, एक जो अंतरिक्ष में भटकते हुए ऐसे पिण्ड होते हैं जो पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र में फसकर व आकर्षित होकर पृथ्वी पर गिर जाते है !
वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य
और दूसरे उल्का पिण्ड वे होते हैं जो अचानक से क्रिएट (पैदा) होते हैं !
गुरुत्व क्षेत्र में फसने वाला उल्का पिण्ड जैसे जैसे पृथ्वी के नजदीक बढ़ता जाता हैं वैसे वैसे सैटेलाईट उस उल्कापिंड के बारे में ज्यादा जानकारी इकठ्ठा करता जाता है अतः ऐसे उल्का पिण्ड के गिरने और उससे होने वाले नुकसान का कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है !
पर जो उल्का पिण्ड अचानक से पैदा होते हैं उनके बारे में आज के मॉडर्न साइंस को फॉलो करने वाले वैज्ञानिक कुछ भी अनुमान नहीं लगा पाते क्योंकि उनके बारे में पूर्वानुमान लगाने के लिए चाहिए दिव्य दृष्टि जो कि सिर्फ ईश्वर विशिष्ट कृपा प्राप्त ऋषि सत्ता में होती है !
कई लोगों को सुनने में ये कोरी कल्पना लगेगी कि अचानक से पैदा होने वाले उल्का पिण्ड, अंतर्ग्रहीय युद्ध के वजह से पैदा होते हैं !
अब ये अंतर्ग्रहीय युद्ध होता क्या है ?
असल में हमारे हिन्दू धर्म में वर्णित जो मानवों से उच्च स्तर कि प्रजातिया हैं (नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, किरात, विद्याधर, ऋक्ष, पितर, देवता, प्रजापति, दिक्पाल आदि, जिन्हें देख लेने वाले विदेशी लोग एलियंस समझते हैं) उनका विभिन्न ग्रहों पर वास होता है और इन उच्च स्तर कि प्रजातियों में कई बार कई मुद्दों पर युद्ध होता रहता है !
पर ये युद्ध सूक्ष्म संसार में होता है इसलिए यौगिक शक्ति रहित स्थूल संसार में रहने वाले साधारण मानव लोग इन युद्धों को नहीं देख पाते हैं !
अगर इन विशिष्ट प्रजातियों के बीच होने वाले युद्ध बड़े स्तर पर होता है तो कभी कभार उसकी थोड़ी बहुत प्रतिक्रिया इस हमारे स्थूल संसार में भी दिखाई देती हैं जैसे अचानक से बिजली कडकना, तूफ़ान आना, धरती पर विचित्र निशान या गड्ढे पड़ना आदि !
इन विशिष्ट प्रजातियों से सम्बंधित अगर बुरी शक्तियां कुछ नाश करने के लिए आतुर होती हैं तो बिना किसी स्वार्थ के अच्छी शक्तियां उनका विरोध करने के लिए उनसे लड़ने को तैयार हो जाती है !
केवल मानवो में ही यह स्वार्थ पूर्ण सोच ज्यादातर देखने को मिलती है कि अच्छे लोग उन बुरे लोगों का विरोध नहीं करते जिनसे उनको पर्सनली कोई नुकसान ना हो !
तो ऐसे अंतर्ग्रहीय युद्ध के परिणाम स्वरुप अचानक से पैदा होने वाला उल्कापिंड के बारे में आज के वैज्ञानिकों को जानने समझने का ज्यादा समय नहीं मिल पाता है और उनके कुछ कर पाने से पहले ही उल्कापिंड धरती पर गिर जाता है !
ऐसे अचानक से पैदा हुए उल्कापिण्ड के बारे में भले ही वैज्ञानिक उसके गिरने के बाद, लाख विज्ञान के फ़ॉर्मूले लगाते रहें पर उन्हें ज्यादा कुछ समझ में आता नहीं है !
कुछ वैज्ञानिक जो एलियंस के संपर्क में हैं, वे वैज्ञानिक उन एलियंस की मदद से ऐसे खगोलीय घटनाओं का रहस्य समझने कि कोशिश करते हैं तो वे भी कई बार ज्यादा सफल नहीं हो पाते हैं खासकर तब, जब परम सत्ता खुद कुछ विशिष्ट कार्य का सूत्र पात्र कर रही हो !
अतः ऐसे रहस्यों को सिर्फ परमसत्ता खुद या उनके द्वारा भेजे हुए उन्ही के स्वरुप ऋषि सत्ता ही सुलझा या समझा सकती है !
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