लाइफ पार्टनर को दुःख दिया तो शुक्र ग्रह इस तरह छीन लेंगे सुख – चैन

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भगवान् ने हर ग्रह को कण्ट्रोल करने की चाभी, घर – परिवार के रिश्तो में ही दी है इसलिए बिना कोई पूजा – पाठ किये हुए या बिना कोई महंगा रत्न धारण किये हुए, सिर्फ रिश्तों को ठीक तरीके से निभाने मात्र से सभी ग्रह अपने आप शुभ फल देने लगते हैं (अधिक जानकारी के लिए कृपया “स्वयं बनें गोपाल” समूह के इस पूर्व प्रकाशित आर्टिकल को पढ़े- अपार सफलता पाईये दिनचर्या के इन आसान कामों से सभी ग्रहों के अशुभ प्रभावों को समाप्त करके) !

आज हम लोग यहाँ बात कर रहें है “शुक्र ग्रह” की जिनकी स्थिति अगर जन्म कुंडली में ठीक ना हो तो तो व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे- जीवन में सुख – सुविधा – विलासिता – धन – ऐश्वर्य – समृद्धि आदि की कमी होना, प्रेम – रोमांस की कमी होना, शादी तय ना हो पाना या शादी हो चुकी हो तो दाम्पत्य जीवन में रोज कलह – झगड़ा होना , संसार के प्रति मोह – आकर्षण महसूस ना होना यानी वैराग्य की भावना पैदा होना, संतान पैदा ना होना, किडनी या आँखों के रोग पैदा होना, शरीर की सुंदरता बिगड़ जाना, बाल झड़ना, त्वचा रोग होना, बेवजह दुखी – निराश रहना, आर्थिक तंगी होना या पैसा होने के बावजूद शरीर में रोगो या किसी अन्य मजबूरीवश मनपसंद खाना – पीना – रहना से वंचित होना, असमय बुढ़ापा आना आदि !

जहां एक तरफ शुक्र ग्रह खराब होने पर ऊपर लिखी हुई समस्याएं झेलनी पड़ती हैं, वही दूसरी तरफ शुक्र ग्रह अच्छे होने पर ऐसे जबरदस्त फायदे मिलते हैं जिन्हे हर व्यक्ति पाना चाहता है, जैसे- चिर यौवन मतलब हमेशा युवा महसूस करना, चेहरे व शरीर पर चमक होना, अधिक आयु तक भी बाल काले बने रहना, हंसमुख स्वभाव होना, बिना मेकअप के भी सुन्दर दिखना, हष्ट – पुष्ट – मांसल – आकर्षक शरीर वाला होना, सबसे प्रेम से बात करना, शरीर से हमेशा पॉजिटिव वाइब्स (ऊर्जा) निकलने की वजह से लोगो का चहेता होना, हर परिस्थिति में खुद उत्साहित रहना और दूसरों को भी मदद करके उत्साहित रखना, बहुत दयालु जिसकी वजह से ज्यादा देर तक किसी से नाराज ना रह पाना (मतलब खुद से दूसरों की गलतियों को माफ़ कर देना), ज्यादा देर तक किसी मुद्दे पर दुखी ना रह पाना और जल्द ही अपने आप खुश हो जाना, बढ़िया घर – वाहन – धन – खाने पीने के समान की कमी कभी ना झेलना, बहुत अच्छा लाइफ पार्टनर साबित होना, झगड़े – झंझट आदि से दूर रहना आदि !

अब बात करते हैं कि शुक्र ग्रह को ठीक कैसे किया जा सकता है ! शुक्र ग्रह को ठीक करने के कई तरीके हैं लेकिन उसमें से किस तरीके से किस आदमी को ज्यादा फायदा मिलेगा यह बारी – बारी आजमाने से ही पता चलेगा, जैसे- महाभारत काल में जरासंध नामके राजा की लड़ाई, अनगिनत राजाओं से हुई थी और यहाँ तक की खुद भगवान् कृष्ण और शेषनाग के अवतार बलराम जी से भी हुई थी लेकिन कोई जरासंध को मार नहीं पाया था क्योकि किस्मत में जरासंध की मृत्यु भीम जी के हाथों ही लिखी हुई थी इसलिए कृष्ण जी खुद भगवान् होने के बावजूद भी जरासंध से 17 बार युद्ध करने के बाद भी उसे नहीं मार पाए थे !

इसलिए किसी आदमी के, किसी ग्रह को ठीक करने के लिए, कौन सा उपाय ज्यादा फायदा करेगा ये उन उपायों को बारी – बारी आजमाने से ही पता चल सकेगा या उन सभी उपायों को एक साथ आजमाने से भी जल्दी फायदा मिल सकता है ! शुक्र ग्रह को ठीक करने के उपायों के बारे में जानने से पहले शुक्र ग्रह से संबंधित कुछ सर्वप्रचलित भ्रांतियों का निवारण जरूरी है !

आम तौर पर लगभग सभी ज्योतिषियों का मानना है कि शुक्र ग्रह (जो कि राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य हैं), बृहस्पति ग्रह (जो कि देवताओं के गुरु हैं) से दुश्मनी रखते हैं (क्योकि राक्षस और देवता एक दूसरे के जानी दुश्मन है) ! लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” समूह के स्पेस साइंस के विद्वान रिसर्चर डॉक्टर सौरभ उपाध्याय की इस बारे में आश्चर्यजनक खोज, दुनिया के बाकी एस्ट्रोलॉजर्स (ज्योतिषियों) से एकदम अलग है !

डॉक्टर सौरभ के वर्षों के रिसर्च के अनुसार, ये बात पूरी तरह से गलत व अफवाह है कि शुक्र ग्रह और बृहस्पति ग्रह एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं क्योकि अगर ऐसा होता तो धर्म ग्रंथों में शुक्र देव की पूजा करने के लिए कभी नहीं कहा जाता (क्योकि महान वैदिक धर्म में कभी भी ऐसे शख्स को पूजा के योग्य नहीं माना जा सकता है जो महान दैवीय गुणों वाले देवताओं का आदर ना करता हो) !

डॉक्टर सौरभ के अनुसार भारतवर्ष की हजार साल की गुलामी के दौरान, सनातन धर्म के कई महत्वपूर्ण गंथों में कई गलत बातें जानबूझकर जोड़ दी गयी थी, जिन्हे आज तक कई ज्योतिषी व धर्माचार्य लकीर के फ़कीर की तरह (मतलब बिना अपने कॉमनसेन्स का इस्तेमाल किये हुए) दूसरों को उपदेश देते आ रहें हैं, इसी वजह से ज्योतिषियों की बहुत ही कम भविष्यवाणियां सही साबित हो पाती है !

अतः इस मामले में डॉक्टर सौरभ का सारांश रूप में यही कहना है कि, हाँ ये जरूर है कि राक्षस, देवताओं को बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं, लेकिन इसका ये कत्तई मतलब नहीं है कि राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य भी, देवताओं और उनके गुरु बृहस्पति देव को पसंद नहीं करते हैं !

संभवतः पूरे विश्व में डॉक्टर सौरभ उपाध्याय ने ही पहली बार उस सही कारण को फिर से खोज निकाला है जिसकी वजह से शुक्राचार्य, दुष्ट स्वभाव वाले राक्षसों की मदद करते हैं ! उस कारण के बारे में डॉक्टर सौरभ इस प्रकार बताते हैं कि- …… जब शुक्राचार्य ने भगवान् शंकर की हजारों साल तपस्या करके उनसे अमृत विद्या का वरदान प्राप्त कर लिया तब उन्होंने देखा की इस ब्रह्माण्ड में देवताओं की सहायता के लिए तो गुरु बृहस्पति के अलावा भगवान के कई दिव्य अवतार भी मौजूद हैं, लेकिन बेचारे राक्षसों की मदद करने वाला कोई भी नहीं है (क्योकि अच्छे लोगों का साथ तो सभी लोग देते हैं लेकिन दुष्टो से सभी लोग दूरी बनाकर रखते हैं) !

शुक्राचार्य ने सोचा की राक्षस लोग जन्मजात दुष्ट होते हैं तो इसमें राक्षसों की क्या गलती है क्योकि भगवान ने ही उन्हें ऐसा बनाया है (ठीक उसी तरह जैसे सांप सबको जहर से डंस लेता है तो इसमें सांप की क्या गलती है क्योकि भगवान् ने ही सांप को ऐसा करने के लिए ही बनाया है) ! इसलिए देवताओं की तरह राक्षस भी अधिकारी है स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए, इसलिए तब से शुक्राचार्य ने राक्षसों को ही स्वास्थ्य – सुख – समृद्धि व सुविधाओं को उपलब्ध कराने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है !

तो इस तरह हम लोग देख सकते हैं कि इस पूरी सृष्टि में शुक्राचार्य से ज्यादा दयालु शायद ही कोई और हो, क्योकि शुक्राचार्य ऐसे प्राणियों (यानी राक्षसों) की निःस्वार्थ मदद कर रहें हैं जिन्हे कोई भी अपनाना नहीं चाहता है !

यहाँ पर एक और महत्वपूर्ण प्रश्न बनता है कि अगर शुक्राचार्य राक्षसों की मदद करते हैं तो इससे हम इंसानो का क्या लेना – देना है ? तो डॉक्टर सौरभ के अनुसार हम इंसानो को इससे बिल्कुल लेना – देना है क्योकि देवता और राक्षस कहीं बाहर नहीं रहते, बल्कि हमारे मानवीय शरीर में ही बसते हैं क्योकि “यत पिंडे तत ब्रह्मांडे” यानी जो ब्रह्माण्ड में हैं वही हमारे शरीर में भी हैं, इसलिए देवलोक, राक्षसलोक कहीं बाहर नहीं है बल्कि हम मानवो के शरीर में ही है और ये सृष्टि सिर्फ सत्व गुण (यानी देव गुण) से ही नहीं बनी है, बल्कि इसमें रज गुण और तम गुण (यानी राक्षसी गुण) का भी महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए शुक्राचार्य राक्षसों की मदद करके, अप्रत्यक्ष रूप से हमारे शरीर की ही मदद कर रहें हैं, आईये जानते हैं कैसे-

डॉक्टर सौरभ के अनुसार हम मानवों को अपने जीवन की सबसे छोटी उपलब्धियों से लेकर सबसे बड़ी उपलब्धि यानी मोक्ष तक की प्राप्ति के लिए भी कई राक्षसी गुणों (जैसे- काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, मत्सर, अहंकार आदि) की जरूरत होती है अन्यथा हमें ये उपलधियाँ नहीं प्राप्त हों सकेंगी, जैसे- जब हमें जीवन में ज्यादा सुख पाने का लोभ (यानी लालच) होता है तो हम ज्यादा मेहनत करते हैं, जब हमें मरने के बाद भी सुख पाने का लालच होता है तो हम देवताओं की भक्ति/पूजा/पाठ आदि करते हैं, जब हम अपने लोगो से मोह करते हैं तभी हम अपने लोगों को भी गलत रास्ते पर आगे बढ़ने से रोकते हैं ताकि उन्हें भविष्य में कष्ट ना भोगना पड़ें, जब हम अपनी गलतियों पर क्रोध व घृणा करते हैं तब हम अपने अंदर सुधार लाने की सच्ची कोशिश करते हैं, जब हमें ईर्ष्या दूसरों की आध्यात्मिक उन्नति देखकर होती है तभी हम खुद ज्यादा आध्यात्मिक मेहनत करना शुरू कर देते हैं, जब हमें अहंकार इस बात का हो जाता है कि मैं उसी अविनाशी ईश्वर का साक्षात् अंश रूप हूँ तो मुझे किसी भी बात से अनावश्यक डरने की क्या जरूरत है तो फिर हमें सर्वत्र ईश्वर की अनूभूति होने लगती है, आदि !

तो इस तरह हम लोग देख सकते हैं कि राक्षसी (यानी तमो) गुण के बिना हम मानवों का काम नहीं चलने वाला है इसलिए जब तक तमो गुण अपनी लिमिट (मर्यादा) ना पार कर दे तब तक तमो गुण हम कलियुगी मानवों की उन्नति के लिए प्रेरणा का काम करता है ! अतः किसी मानव के अंदर राक्षसी गुणों के नियंत्रक है शुक्राचार्य और देव गुणों के नियंत्रक है बृहस्पति देव !

देव गुण भी जरूरत से ज्यादा हो जाए तब भी ठीक नहीं होता है जैसे- ब्रह्मा जी ने सृष्टि के शुरुआत में जिन लाखों मानस पुत्रो की रचना की थी वे सभी शादी करके परिवार बसाने की जगह तपस्या करने चले गए क्योकि उनके हिसाब से शादी मोक्ष प्राप्ति में बाधक है, तब ब्रह्मा जी ने शिव – पार्वती जी की तपस्या करके ऐसे मानवो को पैदा करने की शक्ति प्राप्त की जिनके अंदर रज गुण (यानी शिव – पार्वती जी की ही तरह शादी करने की इच्छा) थी, तब जाकर सृष्टि आगे बढ़ पायी ! तो इस तरह हम लोग देख सकते हैं कि इस सृष्टि की ख़ुशीहाली के लिए देव गुण, रज गुण व तम गुण सबकी आवश्यकता है !

चूंकि यह आर्टिकल मुख्यतः शुक्र ग्रह से संबंधित है इसलिए डॉक्टर सौरभ के अनुसार कुंडली में शुक्र ग्रह खराब अवस्था में बैठे हों तो उन्हें ठीक करने के लिए शुक्राचार्य का सबसे मुख्य गुण यानी “दया” को अपनाने से अच्छा कोई और उपाय नहीं हो सकता है ! मतलब जो आदमी जितना ज्यादा दयालु होगा, शुक्र देव उस पर उतनी ज्यादा कृपा करेंगे !

अगर शुक्र ग्रह के लिए पूजा पाठ से संबंधित उपाय की बात करें तो शुक्र ग्रह खुद पूजा करते हैं माँ लक्ष्मी की, क्योकि माँ लक्ष्मी भी इतनी चरम स्तर की दयालु है कि एक सबसे भोंदू माने जाने वाले प्राणी उल्लू पर भी मेहरबान हो सकती हैं ! इसीलिए अक्सर लोग महसूस करते हैं कि इस दुनिया में अमीर होने के लिए “टैलेंट” से ज्यादा “अच्छी किस्मत” की जरूरत होती है (माँ लक्ष्मी कैसे साधारण प्रयासों से किसी भी मानव पर मेहरबान हो सकती हैं जानने के लिए कृपया इस आर्टिकल के लिंक पर क्लिक करें- खून के आंसू रुलाने वाली गरीबी को भस्म करने के प्रचण्ड उपाय)

तो इस तरह हम लोग देख सकते है कि क्यों शुक्र ग्रह के ठीक होते ही घर में लक्ष्मी माँ यानी धन का आगमन बढ़ने लगता है ! इन उपायों के अलावा शुक्र ग्रह को ठीक करने का एक जबरदस्त तरीका है अपने लाइफ पार्टनर (यानी जीवन साथी पति/पत्नी) से संबंध बढ़िया रखना ! आपने ये कहावत सुनी होगी कि “जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना ; जहाँ कुमति तहाँ विपत्ति निदाना” मतलब जिस घर में आपसी प्रेम व सद्भाव रहता है वहां सारे सुख व संपत्ति होती है और जहाँ आपस में द्वेष व वैमनष्य होता है उस घर के वासी दुखी व विपन्न होते हैं !

कभी – कभी तो लगभग हर पति – पत्नी में झगड़े हो जातें है लेकिन जहाँ रोज झगड़े होते हों, तो फिर वो घर नर्क के समान ही है और ऐसे नर्क में सिर्फ नारकीय प्राणी ही आएंगे ना कि माँ लक्ष्मी ! वास्तव में लोग इन्ही झगड़ों से बचने के लिए जन्म कुंडली मिलवाकर शादी करते हैं, लेकिन जब ज्योतिषी खुद गलत जानकारी वाली ज्योतिषीय ग्रंथों को पढ़कर भविष्यवाणियां करेंगे तब कहाँ से उनका कुंडली मिलान सही साबित हो पायेगा !

इन्ही त्रुटिपूर्ण कुंडली मिलान वाले तरीको के आधार पर शादी कर लेने के बाद पछताने वाले पति – पत्नी, अब दूसरे लोगों को सलाह दे रहें हैं कि सिर्फ कॉमन सेंस बेस्ड तरीका ही सर्वोत्त्तम होता है, यानी शादी करने से पहले दोनों परिवारों की आपसी बातचीत से ही लड़का – लड़की की कम्पैटिबिलिटी (अनुकूलता) को समझने की कोशिश करना चाहिए और अगर बातचीत से भी स्पष्ट ना हो पाए तो किसी प्रोफेशनल कॉउंसलर (भावनात्मक सलाहकार) की मदद लेना चाहिए और अब ये प्रचलन कितना ज्यादा पसंद किया जाने लगा है जानने के लिए कृपया इस न्यूज़ के लिंक पर क्लीक करें- शादी से पहले फोटोशूट की तरह कपल्स अब करा रहे है प्री-मैरिज काउंसिलिंग, जानें इसके फायदे) !

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कुंडली मिलान जैसे बेहद कठिन प्रक्रिया में हो सकता है कि ऐस्ट्रॉलजर कुछ चीजे समझ ना पाए लेकिन लड़का – लड़की की विस्तार पूर्वक आपसी बातचीत और बुद्धिमान काउंसलर की मदद से कम से कम इतना तो पता चल सकता है कि लड़का – लड़की के नेचर (स्वभाव) में कोई बड़ी प्रॉब्लम तो नहीं है ! वैसे तो किसी को पूरी तरह से समझने में, पूरी जिंदगी कम पड़ सकती है (क्योकि मानव मन की गहराई अनंत है) लेकिन ज्यादातर केसेस में देखा गया है कि प्रोफेशनल कॉउंसलर काफी मदद कर पाते हैं मानव के असली स्वभाव को समझ पाने में !

असल में पत्नी (यानी बहू) को ही गृह लक्ष्मी बोला गया है इसलिए शादी होने से पहले जितना समझना – बूझना हो कर लेना चाहिए, लेकिन जब एक बार शादी हो गयी तो फिर पत्नी को अकारण कष्ट पहुंचाना यानी साक्षात् माँ लक्ष्मी को तकलीफ देने के समान है इसलिए बद्तमीज किस्म के पतियों को अपने पत्नी के अपमान को बहुत हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए क्योकि रोज – रोज पत्नी को दुःख देना, पति को इतना कंगाल बना सकता है कि हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगने की नौबत भी आ सकती है !

इसी तरह पत्नियों को भी बेवजह हमेशा अपने पति से झगड़ा नहीं करते रहना चाहिए ! वास्तव में कई भावनात्मक सलाहकारों के अनुसार, भगवान ने महिलाओ को ये विशेष खूबी दी है कि उनका मन, पुरुषो की तुलना में कई गुना ज्यादा तेज गति से काम कर सकता है इसलिए इस विशेष क्षमता का प्रॉपर यूटिलाइजेशन (उचित उपयोग) करना जरूरी है, नहीं तो ये विशेष क्षमता, किसी भी नकारात्मक भावना (जैसे- डिप्रेशन, आत्मघाती भावना या बेवजह बहुत गुस्सा आना आदि) में भी बदल सकती है, इसलिए परम आदरणीय हिन्दू धर्म में घरेलु स्त्रियों को दिनचर्या में कई तरह के सकारात्मक कामों (जैसे- पूजा – पाठ, व्रत, रसोई कार्य आदि) में लगातार व्यस्त रहने का सुझाव दिया गया है !

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जो महिलाये घरेलु कामों को छोटा काम या नौकरो वाला काम समझती हैं उनको समझना चाहिए कि आज विश्व के सबसे बड़े धनी लोग (जैसे- बिल गेट्स, जेफ़ बेजोस आदि) भी रोज अपने हाथों से बर्तन मांजना नही भूलते हैं क्योकि साइंटिस्ट्स द्वारा लेटेस्ट रिसर्च से पता चला है कि बर्तन मांजना दिमाग को रिलैक्स करने के लिए एक बहुत अच्छी एक्सरसाइज है जिससे दिमाग का फोकस और याद्दाश्त बढ़ती है (अधिक जानकारी के लिए इस न्यूज़ पर क्लिक करें- Why Jeff Bezos, Bill Gates Wash Dishes Every Night Before Going to Bed) !

तो इस तरह हम लोग देख सकते हैं कि सनातन धर्म की जिन बातों को बहुत से भारतीयों ने बिलो स्टेटस (छोटा) कहकर छोड़ दिया था, अब झक मारकर वापस उन्ही कामो को अपनाना पड़ रहा है क्योकि मॉडर्न साइंस भले ही सो कॉल्ड तरक्की कर ले, लेकिन हम मानवो का शरीर हमेशा रहेगा 5 तत्वों (मिट्टी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना हुआ केवल एक पुतला जिसे स्वस्थ रहने का एकमात्र तरीका है कि सनातन धर्म में दी गयी छोटी – बड़ी बातों को ही अपनाना (इसी तरह देखिये, विदेशों में खड़े होकर लम्बे झाड़ू से सफाई करने की जगह, सनातन धर्म के अनुसार रोज सुबह महिलाओं द्वारा जमीन पर बैठकर झाड़ू से सफाई करने के आश्चर्यजनक फायदे- SCIENCE found a MAGICAL posture ) !

श्री बागेश्वर धाम वाले, संत श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने भी महिलाओं द्वारा पति को सम्मान देने से कैसे शुक्र ग्रह बढियाँ हो जाते हैं वो इस वीडियो में बताया है- समझदार स्त्री करती है ये काम .

कई लोग शुक्र ग्रह के लिए हीरा रत्न को अंगूठी में धारण करने की सलाह देते हैं लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” समूह हमेशा से रत्नो को अंतिम विकल्प के रूप में अपनाने की सलाह देता है क्योकि रत्नो को एकदम शुद्ध और निर्दोष रूप में प्राप्त करना बहुत ही मुश्किल काम है !

अतः जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह को शुभ करने के लिए लाइफ पार्टनर से संबंध बढ़िया रखने और लक्ष्मी माँ की पूजा करने के अलावा कुछ और भी आसान उपाय हैं, जैसे- अधिकतर दिनों में (खासकर शुक्रवार व सोमवार को) सफ़ेद कपड़ा पहनना (कपड़ा सम्भव ना हो तो कम से कम कपड़े के अंदर सफ़ेद बनयान – गंजी पहनना), सुबह सोकर उठते ही एक चुटकी कोई सफ़ेद खाद्य पदार्थ (जैसे- बताशे, चीनी आदि) खा लेना, रोज भोजन में किसी ना किसी सफ़ेद खाद्य पदार्थ (जैसे- चावल, दही, दूध, लस्सी, रायता, खीर आदि) का सेवन करना, सफ़ेद गाय माँ पालना या चारा खिलाना, सफ़ेद चीजों का दान करना (जैसे- आटा, दूध, दही) आदि, जिन्हे करने से भी शुक्र ग्रह शुभ फल देना शुरू कर देते हैं !

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