सिर्फ 10 मिनट में ही हर तरह की शारीरिक व मानसिक कमजोरी दूर करना शुरू कर देता है यह परम आश्चर्यजनक उपाय

पश्चिमी देशों के खोखले कल्चर का अंधाधुंध अनुसरण कर अपने आप को मॉडर्न, क्लासी बनने वाले ऐसे मूर्ख भारतीय जो अपने अनंत वर्ष पुराने भारतीय सनातन धर्म को मात्र अंधविश्वास का पिटारा समझतें हैं, उनके लिए भी यह मुफ्त सुझाव है कि वे जब जब खुद के मिथ्या कर्मों से निराशा महसूस करें तब तब मात्र 10 मिनट के लिए इस उपाय को करें और तुरंत प्रत्यक्ष चमत्कार देखकर प्रसन्न हो जाएँ !

जिस जिस ने यह उपाय जब जब आजमाया, तब तब वह बिना चमत्कृत हुए नहीं रह पाया है !

यह उपाय सिर्फ 10 मिनट में ही हर तरह की शारीरिक व मानसिक कमजोरी दूर करना शुरू कर देता है और निराश व्यक्ति जितना ज्यादा इस उपाय को करता है उसे उतना ही ज्यादा लाभ निश्चित प्राप्त होता है !

इस अत्यंत आश्चर्यजनक उपाय को करने से ना केवल शारीरिक ताकत बढ़ने लगती है बल्कि सिर्फ 10 मिनट में ही हर तरह का स्ट्रेस, डिप्रेशन, फ्रस्ट्रेशन (तनाव, निराशा, हीन भावना, दुःख, सदमा) भी निश्चित दूर होने लगती है !

अतः इस परम आश्चर्यजनक व चमत्कारी उपाय को अधिक से अधिक लोगों को स्वयं करना चाहिए और साथ ही साथ अधिक से अधिक अन्य लोगों को बताकर परोपकार का बेशकीमती पुण्य भी जरूर कमाना चाहिए !

इसलिए ब्लड प्रेशर, हृदय रोगियों, विभिन्न इम्तिहान, परीक्षा, इंटरव्यू आदि की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों, सैनिकों, पुलिस अधिकारियों, कलाकारों, ईमानदार राजनीतिज्ञों आदि (blood pressure, heart diseases patients, interviewees, student doing preparations of interviews and examinations, soldiers, police officers, artists, honest politicians) सभी के लिए तो यह उपाय अति लाभकारी है !

जैसा की आज के मॉडर्न साइंस के डॉक्टर्स और वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हो चुकें हैं की लगभग हर बीमारी के मूल में कहीं ना कहीं तनाव ही कारण रहता है !

और यह तनाव होता कब है ?

ध्यान से गौर करिए, तो आप पाएंगे की आप को तनाव तभी होता है जब आप किसी ऐसी स्थिति या समस्या के बारे में सोचतें है जिसे आप अपने लिए थोड़ा या ज्यादा कठिन मानते हैं !

अब इसमें मुख्य बात यह है कि, जिसे आप कठिन मान रहें है, क्या वह स्थिति या समस्या वाकई में कठिन है ?

क्योंकि वही स्थिति या वही समस्या बहुत से दूसरे लोगों के लिए सामान्य सी बात हो सकती है !

तो इससे यही साबित होता है की असली दिक्कत उस समस्या में नहीं बल्कि आप की सोच में है जो बेवजह आप को आप की ही नजरों में दूसरों से कम आंक रही है !

यह कहावत वास्तव में 100 प्रतिशत सत्य है की दुनिया में कोई भी उचित काम किसी भी इंसान के लिए असम्भव नहीं है अगर उसका इरादा भी फौलादी हो तो !

तो आदि काल से चली आ रही यह कहावत भी यही साबित करती है की दिक्कत व्यक्ति के शरीर में नहीं बल्कि सोच में होती है !

जहाँ एक तरफ प्रचंड शक्तिशाली सोच, किसी इंसान को इतना निडर बना देती है कि वह लाखों खतरनाक भ्रष्टाचारियों के निशाने पर होने के बावजूद सिंह की तरह बेख़ौफ़ घूमता है (जैसे बेहद ईमानदार प्रधानमंत्री मोदी जी), वही कमजोर सोच किसी इंसान को इतना प्रभावहीन बना देती हैं की व्यक्ति मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी अपने फैसले, खुद नहीं कर पाता है और 5 साल काठ का उल्लू बने रहकर सिर्फ दलालों के हाथों प्रदेश को लुटने देता है !

जब बात प्रचंड मानसिक शक्ति, प्रचंड आत्मिक शक्ति, प्रचंड साहस, प्रचंड बाहुबल की आती है तो सबसे पहला नाम आता है भगवान् शिव के अवतार, श्री बजरंग बली हनुमान जी का !

भगवान् के हर अलग अलग अवतार की अलग अलग विशेषताएं होती हैं और किसी भी तरह की हीन भावना, निराशा, दुःख या डिप्रेशन, फ्रस्ट्रेशन, मानसिक कमजोरी या शारीरिक कमजोरी आदि को दूर करने के लिए अचूक उपाय है, श्री बजरंग बाण ग्रन्थ में दिया गया यह मन्त्र जिसका मात्र 10 मिनट जप करने से ही मन में अद्भुत साहस का संचार शुरू होने लगता है जिसे कोई भी आदमी तुरंत जप करके प्रत्यक्ष महसूस कर सकता है !

मन्त्र इस प्रकार है –

“ जय अंजनी कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ”

इस मन्त्र का प्रतिदिन 10 मिनट से आधा घंटा जप करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है, उसे कठिन से कठिन काम भी बेहद आसान लगने लगता है, उसे किसी भी चीज से डर लगना बंद हो जाता है, उसकी शारीरिक ताकत भी रोज बढ़ने लगती है, व्यक्ति कभी भी निराश नहीं होता और ना ही कभी तनाव में आता है, व्यक्ति खूब मेहनती होने लगता है |

कुल मिलाकर निष्कर्ष यही है कि व्यक्ति धीरे धीरे हनुमान जी के सारे गुण (अर्थात प्रचंड ताकत, प्रचंड साहस, प्रचंड आत्मविश्वास आदि) निश्चित प्राप्त करने लगता है !

गलत आदतों से नपुंसक (eunuch, impotence treatment in hindi) हो चुके स्त्री, पुरुषों के लिए तथा बुढ़ापे की वजह से कमजोर हो चुके वृद्धों के लिये तो इस मन्त्र का जप करना अत्यंत आश्चर्यजनक रूप से या यूं कहें कि साक्षात प्रत्यक्ष चमत्कार के समान फायदेमंद है क्योंकि इस मन्त्र का अधिक से अधिक जप करने से, ना केवल उनकी शारीरिक ताकत धीरे धीरे बढ़ने लगती है बल्कि उनके निराश मन में फिर से जवानी वाला प्रचंड उत्साह व ख़ुशी भी निश्चित पैदा होने लगती है, जिसे कोई भी वृद्ध सज्जन जप कर तुरंत महसूस कर सकतें हैं (इसलिए वृद्ध या रोगी व्यक्तियों के अंदर अगर सामर्थ्य हो तो उन्हें सिर्फ कुर्सी पर या बिस्तर पर बैठकर व्यर्थ समय बिताने की बजाय इस मन्त्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए जिससे उनका बूढ़ा, कमजोर या बीमार शरीर दूसरों पर बोझ बने रहने की बजाय, जल्द से जल्द खुद पर आत्मनिर्भर हो सके) !

इस मन्त्र को परेशान आदमी खुद जपे तो जल्दी और ज्यादा फायदा मिलता है पर अगर किसी मजबूरीवश परेशान आदमी खुद जपने में सक्षम ना हो तो उसकी जगह उसका कोई भी परिचित आदमी या औरत जो शुद्धता और सही उच्चारण से जपने में सक्षम हो, जप सकता है !

जप करना बहुत ही आसान है ! इसमें बस शुरू में श्री हनुमान जी से प्रार्थना करनी होती है कि भगवान् मै उस आदमी (जिसकी मानसिक या शारीरिक स्थिति मजबूत करनी हो) की स्थिति से बहुत दुखी और परेशान हूँ इसलिए कृपया उस आदमी के शरीर को जल्द से जल्द स्वस्थ और निरोगी बनाइये !

जपते समय जपने वाले की रीढ़ की हड्डी सीधी रहे तो बेहतर होता है (सीधे लेटकर भी जप किया जा सकता है), और जप जितना ज्यादा मात्रा में होगा उतना जल्दी फायदा मिलेगा पर ज्यादा जपने के चक्कर में गलत नहीं जपना चाहिए !

अगर कोई बहुत बीमार, बूढ़ा या घायल हो तो उसके ऊपर कोई नियम – परहेज आदि लागू नहीं होता और वो कभी भी जप कर सकता है ! लेकिन कोई अपेक्षाकृत ठीक शारीरिक अवस्था में हो तो उसके द्वारा इस मन्त्र को जपते समय उसके शरीर पर चमड़े का कोई सामान (जैसे – बेल्ट आदि) नहीं होना चाहिए और लैट्रिन, पेशाब व खाना खाते समय भी नहीं जपना चाहिए, बाकि हर समय जप सकते हैं !

भगवान के नाम और भगवान के मन्त्र, दोनों के जप में अन्तर होता है ! भगवान के नाम का जप कहीं भी, बिना शुद्ध अशुद्ध अवस्था का परहेज किये किया जा सकता है जबकि भगवान के मन्त्र का जप अशुद्ध जगह (जैसे – लैट्रिन, पेशाब, जूठे मुंह, चमड़े का स्पर्श, पत्नी पति के साथ रति क्रिया आदि) पर नहीं करना चाहिए ! लेकिन बहुत बीमार, बूढ़े या घायल होने पर कोई नियम – परहेज आदि लागू नहीं होता ! पर एक बात का परहेज सभी पर लागू होता है, और वो है कि भगवान के किसी भी नाम या मन्त्र का गलत उच्चारण नहीं करना चाहिए नहीं तो फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है !

जप शुरू करने से पहले और अन्त में एक बार श्री राम सीता जी को नमस्कार करना नही भूलना चाहिए !

सामान्य आदमी भी इस मन्त्र को रोज जपे तो हनुमान जी उसे हर तरह की खतरनाक बिमारियों और हर तरह की खतरनाक मुसीबतों से भी बचाते हैं !

ध्यान रहे की श्री हनुमान जी परम सत्व गुण के देवता हैं इसलिए जप करने वाले को खुद, तामसिक भोजन मतलब मांस, मछली, अंडा, शराब, बियर आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए और ना ही ऐसे मार्केट में मिलने वाले सामान जिसमें ये सब मिले होने की सम्भावना हो (जैसे – पिज्जा, बर्गर, चाकलेट, नूडल्स, कॉस्मेटिक, लिपस्टिक, डीयो आदि) का सेवन या इस्तेमाल करना चाहिए !

नोट– वैसे तो हनुमान जी के इस मन्त्र का जप, पूरी तरह से आपकी खुद की सुविधा के ऊपर निर्भर है मतलब आप जब चाहें और जितना चाहें इस मन्त्र का जप कर सकतें हैं ! लेकिन इसके बावजूद भी कई भक्त अक्सर जानना चाहतें हैं कि उन्हें इस मन्त्र का जप रोज किस समय और कितनी बार करना चाहिए !

तो ऐसे पाठको को सुझाव है कि इस मन्त्र का जप करने का सबसे अच्छा तरीका है कि कम से कम 108 बार सुबह और 108 बार रात को सोते समय करना चाहिए !

अगर आपके पास और ज्यादा समय हो तो आप यह जप संख्या 108 से ज्यादा बढ़ा सकतें हैं क्योंकि अधिक करने से अधिक फल मिलता है (संस्कृत में कहावत भी है,- “अधिकस्य अधिकम फलम” अर्थात अधिक मेहनत का अधिक फल मिलता है) !

इसके अतिरिक्त यह भी जानना अति आवश्यक है कि कुछ लोगों को संदेह होता है की स्त्रियाँ, हनुमान जी का मन्त्र जप सकती हैं या नहीं ? तो इसका उत्तर है की स्त्रियाँ बिल्कुल, बेधड़क हनुमान जी का मन्त्र तथा चालीसा आदि का जप कर सकती हैं ! हनुमान जी, शिव जी के ही अवतार है और भगवान् के लिए स्त्री और पुरुष समान रूप से स्वीकार्य हैं ! शरीर की हर प्रक्रिया भगवान् के द्वारा ही बनायीं गयी है इसलिए केवल शरीर की सरंचना के आधार पर कोई योग्य और अयोग्य नहीं हो सकता है ! हनुमान जी की आराधना में केवल एक मात्र परहेज है तामसिक भोजन को खाना, बाकि स्त्री हो या बालक, हनुमान जी की हर पूजा को बेहिचक कर सकता है !

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