सिर्फ एक गाय माता के गोबर से भी 10 हजार/महीने कमाइए
कहने को समाज बहुत ज्यादा पढ़ लिख गया है पर आज भी बहुत सी चीजों के बारे में लोगों को मामूली सी भी जानकारी नहीं है जिसका एक बड़ा उदाहरण है गाय माता से होने वाले जबरदस्त आर्थिक लाभों के बारे में आज भी बहुत से लोगों का पूर्ण अनजान होना !
सिर्फ भारतीय देशी गाय माता में ही अकेले इतनी ताकत है कि वे पूरे भारत से नहीं बल्कि पूरे विश्व से ही भुखमरी, कुपोषण, रोगनाश के साथ साथ बेरोजगारी का भी पूर्ण नाश निश्चित कर दें (कृपया संक्षिप्त जानकारी के लिए, इस वेबसाइट की गाय माता सम्बन्धित केटेगरी में जाकर अन्य लेखों को पढ़ें) !
इसलिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान पूरी गंभीरता से गाय माता की अद्भुत आध्यात्मिक महिमा के साथ – साथ आश्चर्यजनक आर्थिक व सामजिक महत्व को भी अधिक से अधिक आम जनमानस के बीच पहुचाने का निरंतर प्रयत्न कर रहा है (कृपया संक्षिप्त विवरण के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- About Us / Contact Us ) !
इस विषय की नित्य प्रतिदिन बढती डिमांड की वजह से आज “स्वयं बनें गोपाल” समूह इससे सम्बन्धित एक और लेख प्रकाशित कर रहा है जिसमें गोबर से होने वाले व्यवसायिक उपक्रमों व लाभों की संक्षिप्त जानकारी दी गयी है ताकि इस लेख को पढ़कर पाठकों के अधिक से अधिक प्रश्नों व शंकाओं का समाधान हो सके !
अतः आईये आज हम बात करते हैं गाय माता के गोबर से बनने वाले ऐसे उत्पादों कि जिनकी लोकप्रियता इस समय मार्केट में तेजी से बढ़ती जा रही है क्योंकि ये इको फ्रेंडली होने के साथ साथ काफी सस्ते भी हैं !
इन दिनों गोबर में लाख के प्रयोग से, ना केवल गमले बल्कि कई अन्य मूल्यवान वस्तुएं बनाई जा रही हैं, जैसे- विभिन्न मूर्तियां, मच्छर भगाने वाले क्वाइल व स्प्रे, सुगन्धित धूपबत्ती व अगरबती, मोमबत्ती व अगरबत्ती स्टैंड, कलमदान, कूड़ादान, विभिन्न शोपीस व गिफ्ट आइटम्स, पुरस्कार में दी जाने वाली ट्रोफियाँ, विभिन्न आयुर्वेदिक दवाएं, विभिन्न कृषि सम्बन्धित उत्पाद, विभिन्न सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री आदि !
आईये जानते हैं कि कैसे हर घर, हर ऑफिस में इस्तेमाल होने वाले गमले को गोबर से बनाया जा सकता है-
आजकल गोबर का गमला काफी लोकप्रिय हो रहा है ! गोबर से गमला बनाने के बाद उस पर लाख की कोटिंग की जाती है !
साधारणतः कोई भी पौधा नर्सरी से प्लास्टिक की थैली में दिया जाता है जिसकी वजह से थैली हटाने में थोड़ी सी भी लापरवाही अगर हो जाए तो पौधे की जड़ें खराब हो जाती हैं जिससे मिट्टी में लगाने पर पौधा पनप नहीं पाता है ! इस स्थिति से बचने के लिए गोबर का गमला अत्यंत उपयोगी है !
गोबर के गमले में मिट्टी भरकर पौधा लगाइए और जब भी उस पौधे को जमीन में लगाना हो तो गड्ढा कर उस गमले को ही मिट्टी में दबा दीजिए ! इससे पौधा खराब नहीं होगा और पौधा आसानी से पनप जाएगा क्योंकि पौधे को गोबर की खाद भी मिल जाएगी !
गाय के गोबर को सुखाकर उसकी पिसाई कर, बुरादा तैयार कर गमला व मूर्ति आदि बनाए जाते हैं ! एक किलोग्राम गोबर के बुरादे से तैयार होने वाली गमलों की मार्केट वैल्यू अच्छी है !
आठ किलो गोबर को सुखाने से करीब डेढ़ – दो किलोग्राम तक का बुरादा तैयार हो सकता है ! इसमें 250 से 300 ग्राम मैदा लकड़ी पाउडर, 150 ग्राम गोंद (या फेविकोल) मिलाकर गमले के सांचे के जरिए उसे आकार दिया जा सकता है ! इस तरह के गमले आकर्षक लगते हैं और इनकी बाजार में काफी अच्छी डिमांड है !
आईये जानते हैं कि कैसे हर मंदिर, हर घर में इस्तेमाल होने वाली धूपबत्ती को गोबर से बना सकते हैं-
एक गाय के दिनभर में जमा होने वाले आठ से दस किलो गोबर में पांच किलोग्राम लकड़ी का बुरादा, आधा किलोग्राम बाजार में मिलने वाला चंदन पाउडर, आधा लीटर नीम का रस, 10 टिकिया कपूर, 250 ग्राम सरसों – जौ का आटा तथा 250 ग्राम गौमूत्र (तीन बार उबाला हुआ) मिक्स कर लें !
इंजेक्शन की सीरिंज (जिसके आगे का हिस्सा काट कर निकाल दिया गया हो) के जरिए गोबर के इस मिश्रण को सांचे से निकालकर धूपबत्ती तैयार की जा सकती है ! इस तरह रोज 500 पीस बत्ती तैयार कर बाजार में बेची जा सकती है !
यह एक बहुत बढ़िया गृह लघु उद्योग है जिसका खुद लाभ उठाने के अतिरिक्त, आप अधिक से अधिक अन्य बेरोजगार लोगों को बताकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का पुण्य कमा सकते हैं !
आईये जानते हैं कि कैसे हर मंदिर, हर घर में इस्तेमाल होने वाली अगरबत्ती को गोबर से बनाया जा सकता है-
अगरबत्ती को जलाने पर सुगंधित धुँआ निकलता है ! अगरबत्ती का उपयोग लगभग प्रत्येक भारतीय घर, दुकान तथा पूजा-अर्चना के स्थान पर अनिवार्य रूप से किया जाता है ! अगरबत्तियां विभिन्न सुगंधों जैसे चंदन, केवड़ा, गुलाब आदि में बनाई जाती हैं !
अगरबत्ती बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियां हैं,- मैदा लकड़ी (1 किलो), कोयला पाउडर (100 ग्राम), बॉस की तीलियाँ व सुगंधि व वाइटेल (स्पिंडल ऑइल) आवश्यकतानुसार ले लें !
इसे बनाने के लिए मैदा लकड़ी में कोयला पाउडर (कपड़छन) मिलाकर आटे की तरह लेईनुमा बनाईये ! इस लेई को लकड़ी के पाटे पर फैलाकर, इस पर बॉस की तीलियों को रगड़े, ताकि तीलियों में लेई चिपक जाए !
ऊपर से अतिरिक्त कोयला पाउडर लगाते जाईये ! सुखाने के बाद वाइटेल में सुगंध मिलाकर तीलियों पर छिड़ककर, 24 घंटे के लिए एअरटाईट बंद रखे फिर पैक करें !
आईये जानते हैं कि कैसे हर मंदिर, हर घर में इस्तेमाल होने वाली मूर्तियों को गोबर से बनाया जा सकता है-
गोबर को सुखाकर तैयार किया एक – डेढ़ किलोग्राम बुरादा, आधा किलो मैदा लकड़ी, सौ ग्राम कोई मजबूत गोंद (गोंद ना मिले तो फेविकोल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है) को आपस में मिक्स कर उसे चार-पांच दिन के लिए, बाजार में मिलने वाले मूर्तियों के सांचे में भरकर कर रखा जाए तो मूर्ति तैयार हो जाती है (जिसे बाद में अपनी इच्छानुसार कलर या पॉलिश भी किया जा सकता है) !
इस तरह की लगभग एक 15 इंच की मूर्ति डेढ़ सौ रुपए तक में तैयार होती है ! इको फ्रेंडली होने की वजह से ऐसी मूर्तियों की भी मार्केट में (खासकर धनी लोगों में) काफी डिमांड बढ़ रही है !
आईये जानते हैं कि कैसे हर घर में इस्तेमाल होने वाली मच्छर भगाने की दवा गोबर से बनायी जा सकती है-
मच्छर भगाने के लिए अब हानिकारक केमिकल वाली क्वाइल, स्प्रे या लिक्विड की जरूरत नहीं, क्योंकि अब गोबर और जड़ी बूटियों से बनी क्वाइल, स्प्रे और लिक्विड ज्यादा पॉपुलर हो रहे हैं !
चरक संहिता में गाय के गोबर से निर्मित धूपबत्ती का महत्व बताया गया है, जिसके अनुसार ये प्रोडक्ट मच्छर सम्बन्धित विभिन्न रोगों (जैसे- डेंगू, मलेरिया आदि) को फैलने से रोकने में जबरदस्त कारगर है !
ये बत्तियां मच्छर भगाने के साथ साथ रोगी को ज्वर मुक्त करने में भी समर्थ है ! घर की महिलायें भी चाहें तो अपने घर पर यह उत्पाद आसानी से तैयार कर सकती है !
एक लीटर गौमूत्र से, 50 मिली के 20 पैकेट मच्छर मारने की दवा तैयार हो सकती है और इससे प्रति लीटर गौपालक को 200 रुपये तक की कमाई हो सकती है ! मच्छर भगाने के ये उत्पाद पूरी तरह आयुर्वेदिक व प्राकृतिक तरीके से बनाए जाते हैं ! इसमें कोई भी हानिकारक कैमिकल नहीं है !
इनमें गोबर व गोमूत्र के अलावा देसी पंचगव्य, नीम, बेल, मिशिन्दा, तुलसी, शैफाली, बसाक, आम, चंदन, हवन सामग्री, कपूर, लकड़ी का बुरादा, अक्षत, पलाश, पीपल, जटामासी, नखला, लोबान, कस्तूरी, शिलाजीत, केवांच, गुड, दूर्बा, मैदा, गेरू आदि जड़ी बूटी मिलायी जाती है !
खुशबू के लिए इसमें इत्र भी मिलाया जाता है ! ये सभी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक हैं जबकि मार्केट में बिकने वाले केमिकल युक्त स्प्रे व क्वाईल को लगातार सूंघने से कैंसर, अस्थमा आदि सैकड़ों खतरनाक बीमारियों पैदा हो सकती हैं ! इन सभी द्रव्यों को अपनी इच्छानुसार लिक्विड (स्प्रे) या ठोस रूप (क्वाईल या धूपबत्ती) में परिवर्तित करके बेचा जा सकता है !
अगर आप गोबर से बड़ी कमाई करना चाहतें हैं तो खोलिए एक एकदम नया कांसेप्ट, गोबर बॉयो सीएनजी प्लांट-
आपने अभी तक गोबर से खाद या फिर बॉयो गैस बनते देखा होगा ! लेकिन पिछले कुछ वर्षों में गोबर से बॉयो सीएनजी भी बनाई जाने लगी है ! ये ठीक वैसे ही काम करती है, जैसे हमारे घरों में काम आने वाली एलपीजी ! लेकिन ये उससे काफी सस्ती पड़ती है और पर्यावरण के लिए भी काफी फायदेमंद होती है !
बॉयो सीएनजी को गाय, भैंस समेत दूसरे पशुओं के गोबर के अलावा सड़ी-गली सब्जियों और फलों से भी बना सकते हैं ! ये प्लांट गोबर गैस की तर्ज पर ही काम करता है, लेकिन प्लांट से निकली गैस को बॉयो सीएनजी बनाने के लिए अलग से मशीनें लगाई जाती हैं, जिससे लागत थोड़ी बढ़ जाती है लेकिन ये आज के समय को देखते हुए काफी कमाई देने वाला कारोबार है ! महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में ऐसे व्यसायिक प्लांट शुरु हो चुके हैं !
इन प्लांट्स की न सिर्फ सीएनजी हाथो हाथ बिक जाती है, बल्कि अपशिष्ट के तौर पर निकलने वाली स्लरी (अर्थात बचा हुआ गोबर) ताकतवर खाद का काम करता है, जिसे किसान आसानी से खरीदकर ले जाते हैं ! ये प्लांट्स साधारणतः शहर के हॉस्टल्स, फैक्ट्रियों को कम दामों पर गैस को उपलब्ध कराते हैं !
देश में ऐसे कई प्लांट चल रहे है ! अब तक शहर की बहुत सी ऐसी डेयरियां थीं, जो गोबर को नाली में बहा देते थे लेकिन अब ये प्लांट्स उन्हें पैसे देकर गोबर खरीद ले रहे हैं ! गांव वाले भी गोबर दे जाते हैं जिससे उन्हें नगद कमाई का जरिया मिल गया है ! ये ऐसा काम है, जिसमें किसान, डेयरी संचालक और प्लांट मालिक समेत कई लोगों का लाभ होता है !
आईये जानते हैं कि गोबर से अन्य क्या – क्या बहुउपयोगी वस्तुएं बनाई जा सकती है-
इसी तरह से गोबर से एनर्जी केक (गोबर की लकड़ी, गोकाष्ठ) बनाया जाता है, जो अंगीठी में तीन-चार घंटे तक आसानी से जल जाता है ! ये ज्यादा समय तक जलती है !
इसी तरह गाय माता के पंचगव्य (अर्थात गोबर, गोमूत्र, दूध, दही व घी) के विभिन्न कॉम्बिनेशन्स (समायोजन) से कई अन्य मूल्यवर्धित वस्तुएं बनाई जा रही हैं, जैसे- विभिन्न सौन्दर्य प्रसाधन साबुन, जेल, हैण्ड वाश, फेसवाश, फेशियल, फ्लोर क्लीनर, शैम्पू, टूथपेस्ट, कपड़े धोने का साबुन, तेल, मानवों की विभिन्न असाध्य बिमारियों के लिए आयुर्वेदिक दवाएं, विभिन्न जैव रसायनों का निर्माण, कृषि उपयोग हेतु विभिन्न कीटनाशक व उर्वरक, आदि !
इन सभी उत्पादों को बनाने के लिए विभिन्न कंपनियां अपने विभिन्न निजी फोर्मुले को इस्तेमाल करती हैं इसलिए इनका यहाँ विस्तृत वर्णन नहीं किया जा रहा है !
[नोट – यहाँ पर दिए गए सारे फायदे सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय माता से प्राप्त होने वाले सभी अमृत तुल्य वस्तुओं (जैसे- गोबर, मूत्र, दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि) के हैं, ना कि भैंस के या वैज्ञानिकों द्वारा सूअर के जीन्स से तैयार जर्सी गाय से प्राप्त होने वाली वस्तुओं के]
(गाय माता से सम्बन्धित कुछ अन्य महत्वपूर्ण आर्टिकल्स को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
जानिये सोना फसल उगाने वाली आयुर्वेदिक खाद व कीटनाशक का जबरदस्त फार्मूला
एक वर्ष में कोई भी उचित मनोकामना पूर्ण करने का अमोघ तरीका
6000 से 10,000 रूपए हर महीने गोमूत्र से कमाई करवा सकती हैं सिर्फ 1 गाय माता
सबसे रहस्यमय व सबसे कीमती दवा जो हर बीमारी में लाभ पहुँचाती है
बाहुबली बना सकता है, भारतीय देशी गाय माता का छाछ
जब कैंसर हो जाएगा, तभी गाय माता की याद आएगी ?
भारतवर्ष में पायी जाने वाली गाय माता की प्रमुख नस्लें
सिर्फ एक ही दिन में लड्डू को खुश करना हो तो गोपाष्टमी ही है वो दिन
कल्पना से भी परे फायदे, गाय माता के अमृत स्वरुप दूध के
जवानी खो चुके व्यक्ति के अन्दर भी फिर से फौलादी जोश भरने लगे श्यामा गाय माता का घी
जैसे सागर रत्नों का भण्डार है वैसे दही पौष्टिकता का भण्डार है
सैकड़ो कठिन बीमारियों का करे इलाज भारतीय देशी गाय माता का मक्खन
बिजली बनाने, कार चलाने और खाना पकाने के लिए जबरदस्त उपयोगी गोबर से पैदा होने वाली बायो गैस
औषधीय घी, जो मालिश करने पर करे कठिन बुखार, पीलिया और बवासीर का नाश
ज्यादातर गुजराती मोटे नहीं होते, क्यों ?
आखिर क्यों कई शास्त्रज्ञ गौ को ही साक्षात कृष्ण मानते हैं ?
(ब्रह्माण्ड व एलियंस सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स में कुछ के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
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क्या अमेरिकी वैज्ञानिक पूरा सच बोल रहें हैं बरमूडा ट्राएंगल के बारे में
जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है
एलियन्स कैसे घूमते और अचानक गायब हो जाते हैं
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क्यों गिरने से पहले कुछ उल्कापिण्डो को सैटेलाईट नहीं देख पाते
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 1): पृथ्वी से गोलोक, गोलोक से पुनः पृथ्वी की परम आश्चर्यजनक महायात्रा
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सावधान, पृथ्वी के खम्भों का कांपना बढ़ता जा रहा है !
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Is it possible to interact with aliens?
Are American Scientists telling the complete truth about Bermuda Triangle ?
What we consider as meteorites, can actually be something else as well
Our research group finds U.F.O. and Aliens’ footprints
How aliens move and how they disappear all of sudden
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