गिर के सिंह का योजनाबद्ध सिर्फ एक भीषण वार, काला धन व जातिगत पार्टियां अन्त की ओर अग्रसर
पिछले कई सालों से कई सफेदपोश राजनैतिक पार्टियां जो वास्तव में भेड़ की खाल में छिपे भेड़ियों से भरी पड़ी हैं उनका यही ट्रेंड बार बार रहा है कि जब जब सत्ता मिले तब तब जम कर आखिरी लूटो खसोटो निचोड़ो और जब चुनाव पास आ जाए तो पहले जातिगत हिंसा भड़का दो फिर अपने द्वारा लूटे गए माल में से थोड़ी सी भीख, महंगाई गरीबी भूख से त्रस्त जनता पर छिड़क कर उनका बेशकीमती वोट हथियाने की कोशिश करो !
पर अब ऐसी भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियों और उनसे जुड़े कई नेताओं के लिए यह महा आपदा आ गयी है कि आखिर अब वो कैसे इस बार चुनाव जीत पायेंगे क्योंकि इस बार तो वे सिर्फ जाति वाला कार्ड ही खेल सकते हैं बाकि पैसे से वोट खरीदने वाली बात जहाँ तक है, वो तो पूरा मामला ही मोदी जी ने अचानक अपने एक भीषण वार से “द एंड” कर दिया !
इन भ्रष्ट राजनेताओं का पहला सुख, चैन, नीद हराम करने वाला दर्द यह है कि उनका अब तक का बड़ी मेहनत और बड़े जोखिम से कमाया हुआ अकूत हराम का पैसा या तो कूड़ा होने वाला है या तो उनके जेल जाने का कारण बनने वाला है क्योंकि अगर वे अपने काले धन को घर में ही रखे रहे तो वो धन कुछ दिनों बाद रद्दी के ढेर में बदल जाएगा, और अगर वे अपने काले धन को जमा कराने बैंक ले गए तो वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को क्या जवाब देंगे कि इतनी अकूत दौलत उन्होंने कैसे, कब, कहाँ से कमाई !
बड़ा रोचक होगा अब यह देखना कि इन जातिगत राजनीति करने वालों का आखिर चुनाव में हश्र क्या होने वाला है !
कोई पिछले कई सालों से जाति विशेष का रहनुमा बन कर अपनी तिजोरी भर रहा था, तो कोई वर्ग विशेष की सहानुभूति पर नोटों की माला पहन रहा था ! कोई हिन्दू मुसलमान के अंदर असुरक्षा की भावना पैदा कर उनके वोटों पर शासन की रबड़ी मलाई खा रहा था तो कोई वर्ण विशेष को पटाने की फिराक में था !
“यथा राजा तथा प्रजा” मतलब जैसा राजा होता है वैसे ही जनता में भी कई लोग होने लगतें हैं | अगर राजा यानी मुख्यमंत्री अप्रत्यक्ष तरीके से जातिवाद को बढ़ावा देगा तो जनता में भी अपने आप जातिवाद के नाम पर फूट पड़ जायेगी !
इसी का सबसे बड़ा प्रमाण है जनता में मौजूद कुछ मूर्ख लोगों का यह सोच कर बार बार धोखा खाना कि मुख्यमंत्री की जाति से ही उनके अगले 5 साल का भविष्य तय होता है पर वास्तव में ऐसा कुछ होता है नहीं क्योंकि ऐसे भ्रष्ट नेता जब एक बार अपनी जाति/मजहब वालों का वोट पाने के बाद चुनाव जीत जाते हैं तो ये अपने करीबियों तक को पहचानते हैं नहीं तो अपने जाति/मजहब वालों को क्या पहचानेंगे !
पहले जिस बी. जे. पी. पर आरोप लगता था कि यह पार्टी विकास के कामों को करने की बजाय सिर्फ चुनावों के दौरान राम मंदिर का मुद्दा उठाकर वोट पाना जानती है, आज उसी बी. जे. पी. के प्रति पढ़े लिखे और बिना पढ़े लिखे दोनों तरह के लोगों की राय तेजी से बदल रही है क्योंकि मोदी जी के द्वारा केंद्र में किये गए सैकड़ों एकदम नए अभूतपूर्व विकास कार्यों का असर अब आम जनता को प्रत्यक्ष दिखने लगा है (हालंकि मोदीजी अर्थात केंद्र के अच्छे कार्यों को कैसे कोई प्रदेश सरकार अपने प्रदेश में इरादतन या गैर इरादतन तरीके से मटियामेट कर सकती है जानने के लिए क्लिक करें, नीचे दिए गए आर्टिकल का लिंक) !
पर वास्तव में उत्तर प्रदेश जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े प्रदेश में जाति की राजनीति से ऊपर उठकर कितने लोग विकास का साथ देंगे इसका सही आकलन तो इलेक्शन का रिजल्ट आने पर ही पता चलेगा !
इस सच्चाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कोई प्रदेश अगर विकास की दौड़ में अन्य प्रदेशों की तुलना में पिछड़ा हुआ होता है तो उसके पीछे कही ना कहीं उस प्रदेश की बहुसंख्यक जनता की मानसिकता भी कारण होती है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है बिहार प्रदेश जहाँ जात – पात, छुआछूत, अंधविश्वास, आडम्बर, अशिक्षा आदि चरम पर थी और अभी भी काफी है जिसकी वजह से जाति की आड़ में कुछ भयंकर घोटालेबाज नेताओं ने वहां दसियों साल तक राजभोग का सुख प्राप्त किया और ना जाने कितनी अपार निजी संपत्ति खड़ा की, कि उसका सही अंदाजा लगा पाना खुद उनके लिए भी मुश्किल है !
अगर हम बात करें आज के उत्तर प्रदेश की उन अधिकांश आम जनता कि जो किसी भी तरह के जात पात में ना पड़ कर सिर्फ हाड़ तोड़ मेहनत से पैसा कमाना जानती है, उसे भी वास्तव में अन्य प्रदेशो की जनता की तरह किसी भी सरकार से मुख्यतः सिर्फ दो ही चीज चाहिए होती है और वो दो चीजें है अवसर (अधिक से अधिक आर्थिक उन्नति करने आदि के अवसर) और सुरक्षा (क़ानून से लेकर हेल्थ तक की सुरक्षा) !
पर उत्तर प्रदेश की बहुत सी जनता पूरी तरह से हैरान, परेशान और कन्फ्यूज्ड है जिसका कारण उनमे से कई लोगों ने हमसे जुड़े समाज शास्त्रियों से बताया कि प्रदेश में विकास का काम तो कुछ हो रहा है नहीं, बल्कि जाति मजहब के नाम पर बढती हिंसा की वजह से प्रदेश छोड़ कर भागना जरूर पड़ रहा है !
सिर्फ विकास को ही वोट देने वाले उत्तर प्रदेश के एक सामन्य पर प्रचण्ड देशभक्त नागरिक ने हमारी संस्था के माध्यम से उन जाति के नाम पर वोट देने वाली मूर्ख जनता से प्रार्थना की है कि चार बेटे पैदा करो और एक को यादव बना दो, दूसरे को दलित, तीसरे को मुसलमान और चौथे को ईसाई बना दो और फिर बैठ कर तमाशा देखो कि क्या अगले 10 – 20 सालों में तुम्हारी आर्थिक दशा सुधरती है ? मतलब क्या यादव, दलित, मुसलमान या ईसाई बनाने से तुम्हारी गरीबी दूर हो गयी ?
नहीं, कदापि नहीं !
क्योंकि मुख्यमंत्री कि जाति से जनता की जाति मैच करने पर अगर वाकई में कोई फायदा मिलता तो आज उत्तर प्रदेश में लाखों यादव, दलित, मुसलमान और इसाई गरीबी रेखा से नीचे, अँधेरे और निराशा युक्त माहौल में दुखद जिंदगी ना जी रहे होते !
वास्तविक सच्चाई यही है कि जैसे चूहे को फ़साने के लिए रोटी का टुकड़ा फेका जाता है ठीक उसी तरह इलेक्शन टाइम में अपनी जाति और मजहब के लोगों का वोट पाने के लिए, बहुत से नेता जाति और मजहब से सम्बंधित कई किस्म के शिगूफे, अफवाहें, ड्रामा और नौटंकी आदि जनता के बीच में बिकाऊ मीडिया के माध्यम से फैलाते है और आश्चर्यजनक रूप से इन नौटंकी के झांसे में बहुत से लोग आ भी जाते हैं और अपनी जाति के नेता द्वारा विकास के नाम पर अपनी तिजोरी भरने वाली बात भूलकर, वोट दे आतें हैं !
अरे बार बार धोखा खाने की भी एक लिमिट होती है !
दुनिया का सबसे मूर्ख जानवर, भैंस भी कुछ बार डंडे की चोट खाकर समझ जाती है कि किधर जाना है और किधर नहीं जाना है, पर वाह रे जनता के बीच मौजूद, भैंस से भी गए गुजरे दिमाग के वे लोग, जो बार बार अपनी जाति के ऐसे नेताओं द्वारा ठगे जाते हैं जो एक बार वोट पाने के बाद 5 साल झांकने भी नहीं जाते कि उनको वोट देने वाला जी रहा है कि मर गया !
आज कि डेट में बिजनेस करने के लिए पूरे भारत कि सबसे बढ़िया जगह गुजरात मानी जाने लगी है और इसीलिए वहां छोटे से छोटा आदमी भी नौकरी नहीं, सिर्फ बिजनेस करना चाहता है !
ठीक इसी तरह अगर उत्तर प्रदेश जैसे पिछड़े प्रदेश में विकास होगा तो रोजगार, बिजनेस बढेगा जिससे पैसा कमाने के सैकड़ों नए नए जरिया पैदा होंगे तब फिर क्या जरूरत रहेगी अपने किसी काम के लिए अपने जाति के परिचय का सहारा लेकर किसी नेता की कृपा की भीख मांगने की !
पैसा ही शक्ति है ! पैसा नहीं है तो अपनी जाति के नेता लोग भी दुत्कार देते हैं भले ही इलेक्शन टाइम में वोट उन्ही को दिया गया हो और अगर पैसा है तो किसी भी नेता के सामने हाथ फ़ैलाने की जरूरत ही क्या है !
जाति/मजहब के नाम पर वर्षो से सत्ता सुख भोगने वाली अन्य पार्टियों की ही तरह खानदान विशेष की पार्टी जो अपने एक से बढकर एक महान भ्रष्टाचारी कीर्तिमानों के लिए देश विख्यात है, उसके युवराज अर्थात पप्पू भी अन्दर ही अन्दर आजकल बौखलायें हुए हैं क्योंकि उन्हें अब यह सीरियसली डर सताने लगा है कि इससे पहले की उनकी पार्टी का कोई नामलेवा पूरे देश में ना बचे उन्हें भी कुछ ऐसा नया चमत्कारी कदम उठाना चाहिए जिससे उनकी पार्टी का शानदार कम बैक हो सके !
अपनी पार्टी को जनता की नजर में भ्रष्ट की जगह विकास की पार्टी के रूप में प्रदर्शित करने के लिए, आगामी इलेक्शन में पप्पू के द्वारा अति उत्साह में ऐसे नौसिखियों को टिकट देने की बात सुनने को मिल रही है जिनके बारे में पप्पू के ही पार्टी के कई सीनियर लीडर्स का कहना है कि अबकी लगता है पप्पू पूरे प्रदेश में ही पार्टी की भद्द पिटवाकर ही मानेगा !
ये सीनियर लीडर्स बार बार प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तरीके से पप्पू को समझाने की कोशिश कर रहें कि बेटा यह गलतफहमी त्याग दो कि जुए के रेस के मैदान की ही तरह अगर चुनाव में भी तुम लंगड़े घोड़ों पर दांव लगाओगे तो बड़ी जीत पाओगे क्योंकि जब ये नौसिखिये घोड़े चार कदम दौड़ने के बाद ही थककर दौड़ना छोड़, अचानक से घास चरने के लिए निकल लेंगे, तब तो तुम्हारी खानदानी पार्टी के राजशाही रुतबे का एकदम दही ही हो जाएगा आखिर पार्टी की इज्जत का अब और किस हद तक कबाड़ा बना कर ही मानोगे तुम ??
पर पप्पू है कि किसी समझदार सीनियर्स की सलाह सुनने की बजाय, बेवजह इतना उत्साह में भरा हुआ है कि जब तक वो पूरी पार्टी ही को अपने आखिरी अंजाम तक नहीं पंहुचा देगा, तब तक उटपटांग एक्सपेरिमेंट करना कत्तई नहीं छोड़ेगा !
ऐसे में इन सीनियर लीडर्स के पास बार बार अंतर विलाप करने के अलावा और कोई चारा नहीं है कि काश हम भी वक्त रहते इस दिन ब दिन पतनोन्मुख होती पार्टी से निकल कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गये होते तो आज कम से कम अपने ही यार रिश्तेदारों की नजर में हंसी के पात्र तो नहीं बने होते !
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