आखिर एलियंस से सम्बन्ध स्थापित हो जाने पर कौन सा विशेष फायदा मिल जाएगा ?
इसका उत्तर अच्छी तरह से वही समझ सकता है जो मर रहा हो !
वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य
क्योंकि मरते समय 99.99 प्रतिशत व्यक्ति बहुत पछताते हैं कि, हाय इतना कीमती जीवन सिर्फ ऐसी सांसारिक चीजों के पीछे दौड़ते हुए बिता दिया जिनसे कभी मन भरा ही नहीं !
तो मरते समय होने वाले इन दुःखों को क्या एलियंस कम कर सकते हैं ? जबकि बहुत सारे एलियंस खुद भी मरकर दूसरा जन्म लेते हैं या कुछ सर्वोच्च शक्तिशाली एलियंस अनन्त वर्षों तक साकार रूप धारण करने के बाद निराकार होकर निराकार ईश्वर में ही विलीन हो जाते हैं !
क्योंकि इस सृष्टि का अटल नियम है कि जिसने जन्म लिया है वो तो मरेगा ही या जिसने कोई आकार धारण किया है एक ना एक दिन वो निराकार होगा ही !
तब फिर आखिर एलियंस से संपर्क होने का क्या फायदा है ?
इसका उत्तर यही है कि एलियंस जो कि मानवेत्तर (गैर मानवीय) प्राणी हैं उनसे सम्बन्ध हो जाने पर व्यक्ति की सोच में एक दिव्य परिवर्तन आने लगता है !
यहाँ दिव्य परिवर्तन का तात्पर्य किसी दिव्य शक्ति या दिव्य सिद्धि से नहीं हैं क्योंकि जब तक मानव के अंदर उचित पात्रता (परोपकार या निर्भीकता की भावना) ना हो उसे कोई भी दैवीय शक्ति नहीं प्राप्त हो सकती है !
यहाँ जिस दिव्य परिवर्तन की बात हो रही है, वो है इस चीज को साक्षात् प्रत्यक्ष देखना कि इस जीवन के बाद भी कोई दूसरा जीवन होता है और वो जीवन इस जीवन के अच्छे, बुरे कर्मों से ही तय होता है !
जितना ज्यादा अच्छे कर्म आदमी इस जन्म में करता है, मरने के बाद उतना ही ज्यादा उच्च लोक में जन्म लेकर उतना ही शक्तिशाली एलियन (निवासी) बनता है और जितने ज्यादा बुरे कर्म करता है, मरने के बाद आदमी उतना ही ज्यादा निकृष्ट योनि (जैसे – भूत, प्रेत, पशु, कीट पतंगे आदि) में जन्म लेकर तकलीफ झेलता है !
और जब किसी के अब तक के अनन्त जन्मो के सभी अच्छे व सभी बुरे कर्मों के फल चुकता हो जाते हैं तब वह देह छोड़ने पर साक्षात् ईश्वर स्वरुप होकर मुक्त हो जाता है !
जैसा कि हमने (अर्थात “स्वयं बने गोपाल” समूह ने) अपने पूर्व के कई लेखों में खुलासा किया है कि अनन्त वर्ष पुराने हमारे भारतीय सनातन धर्म के ग्रन्थों में वर्णित नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, किरात, विद्याधर, ऋक्ष, पितर, देवता, दिक्पाल, ईश्वर के गण आदि हमारे इस ब्रह्मांड की दिव्य प्रजातियाँ ही समय समय पर मानवों के हितार्थ अपने अलग अलग लोकों से अपने अलग अलग दिव्य विमानों से पृथ्वी पर आती जाती रहती हैं जिन्हें चश्मदीद लोग देखकर एलिएन्स और उनके विमानों को देखकर UFO (उड़न तश्तरी) समझ लेते हैं ! जबकि ग्रे एलियन जैसा कोई वास्तविक एलियन होता है नहीं, क्योंकि ग्रे एलियन मात्र एक मनगढ़न्त किरदार है जो कुछ लोगों द्वारा पूरी दुनिया में प्रचारित किया गया है !
बार बार के जन्म मरण के चक्र का प्रत्यक्ष उदाहरण व्यक्ति तभी वाकई में समझ पाता है जब हमेशा अदृश्य रहने वाले किसी एलियन से उसकी मुलाक़ात हो जाती है या ईश्वर से साक्षात्कार हो जाता है !
ईश्वर से साक्षात्कार तो जीवन की सबसे ज्यादा कठिन उपलब्धि है लेकिन एलियंस को कोई भी मानव अपने कुछ विशेष कर्मो के लगातार अभ्यास से अपेक्षाकृत आसानी से अपने पास बुला सकता है !
एलियंस से मुलाक़ात होने पर ही व्यक्ति यह समझ पाता है कि अब तक वो कितनी बड़ी मूर्खता कर रहा था कि समाज कि तुच्छ नाशवान चीजों को पाना ही अपने जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य समझ रहा था !
व्यक्ति की मुलाकात जितने ज्यादा तेजस्वी एलियन से होती है वो उतना ही बड़ा सौभाग्यवान होता है क्योंकि उन एलियन की कृपा से उसे उतना ही ज्यादा दिव्य ज्ञान आसानी से प्राप्त होता है !
जिन प्रयासों से ईश्वर प्रसन्न होते हैं उन्ही प्रयासों से अच्छे स्वभाव वाले एलियंस भी खुश होकर आकर्षित होते हैं और इस कलियुग में अच्छे स्वभाव वाले एलियंस को आकर्षित करने का सबसे तेज उपाय है, अधिक से अधिक दुखी पुरुष, स्त्री, जीव, जन्तुओं का कष्ट हरने का लगातार लम्बे समय तक प्रयास करते रहना !
जब कोई मानव, परपीड़ा शमन के महायज्ञ में लगातार अपनी आहुति देता रहता है, या जिन मानवों को भविष्य में समाज के उद्धार में अपनी ऐतिहासिक भूमिकायें अदा करनी होती हैं उनके पास, एलियंस या सर्वोच्च शक्तिशाली एलियंस (जो कि ईश्वर के ही स्वरुप होते हैं) उचित समय आने पर स्वतः प्रकट होते हैं और फिर आगे निभाए जाने वाली कठिन भूमिकाओं का मार्गदर्शन करते हैं !
किसी भी तरह के अच्छे स्वभाव वाले मानवेत्तर प्राणी (एलियंस) के संपर्क में आने से व्यक्ति का सांसारिक तुच्छ सुखों के प्रति धीरे धीरे एकदम मोह भंग होने लगता है और इन सुखों के प्रति एक आंतरिक उदासीनता व नीरसता पैदा होने लगती है !
उसे उन लोगो की लड़कपन वाली बुद्धि पर हंसी आने लगती है जो अपने शरीर को रोज मृत्यु की तरफ बढ़ता देखना छोड़ आज भी अपने सामाजिक स्टेट्स की फ़िक्र में ही लगे हुए हैं !
वो जाग चुका मानव अपने द्वारा होने वाले हर कर्म के प्रति भी बेहद सावधान हो जाता है कि उससे भूल से भी कोई गलत, भ्रष्ट या नीच कर्म ना होने पाए नहीं तो कर्म फल के अटल सिद्धांत के अनुसार उसे उस कर्म का दंड भुगतना ही पड़ेगा !
एलियंस का अनुभव कर चुके मानव अपने आप बेहद अनुशासित हो जाते हैं ! वे अपना हर काम समय से निपटाते हैं, बड़ी मेहनत करते हैं !
ऐसे सर्वोच्च शक्तिशाली एलियन अनुभव प्राप्त मानवों से अब तक उनके जीवन में जो जो भी छोटी सी छोटी गलतियां, दुष्टता, पाप, अधर्म आदि जानबूझकर या अनजाने में हो चुका होता हैं, वो सब उनको बार बार याद आता हैं जिनसे उनको बार बार अंदर ही अंदर बेहद शर्मिंदगी महसूस होती रहती है और यही आत्मग्लानि की अग्नि ही उनके मन में जमें जन्म जन्मान्तरों के कुसंस्कारों और अपवित्र विचारों को भस्म करके उन्हें एक पवित्र जीव बनाती है ! इसी को कहते हैं आत्मशोधन की दुर्लभ प्रक्रिया जो नर के अंदर से, नारायण को प्रकट होने पर मजबूर करती है !
एलियंस का संपर्क अलग अलग मानवों के साथ अलग तरीके से हो सकता है !
सर्वोच्च शक्तिशाली एलियन जो कि साक्षात् ईश्वर के ही स्वरुप, ईश्वर के गण होते है, वे अपने कृपापात्रों के सामने प्रकट होने से पहले उन्हें विकसित करते हैं जिससे उनके कृपापात्र उनकी पूर्ण कृपा, उनकी पूर्ण मेधा, उनकी पूर्ण चेतना को धारण करने में सक्षम हो सकें !
वो गुरु ही क्या जो अपने शिष्य को प्रशिक्षित कर अपने ही समान ना बना सके इसलिए दिव्य सत्ताएं (अर्थात सर्वोच्च शक्तिशाली एलियन) पहले तो जल्दी किसी मानव की मार्गदर्शक बनती नहीं, लेकिन जब किसी मानव के अच्छे और सच्चे स्वभाव पर रीझ कर उसकी मार्गदर्शक अर्थात गुरु बन जाती हैं तो धीरे धीरे उस मानव पर अपना सर्वस्व ही न्यौछावर कर देती हैं जिन्हें पाकर वह मानव इतना ज्यादा आश्चर्यमिश्रित प्रसन्न हो उठता है कि उसे समझ में ही नहीं आता है कि वो उन दिव्य सत्ता का किस तरह धन्यवाद करे !
लेकिन इस तरह की दिव्य सत्तायें हर तरह के पक्षपात से रहित होती हैं इसलिए इनसे संर्पक जुड़ने के बाद ही किसी मानव को समझ में आता है कि इन दिव्य सत्ताओं की अपने कृपापात्रों (अर्थात शिष्यों) से कितनी ज्यादा कठिन अपेक्षाएं होती हैं जिन्हें अगर साधारण आदमी को पूरा करना पड़े तो वह खून के आंसू ही रोने लगे !
भगवान् की बनायी हुई इस दुनिया में कोई भी सुविधा मुफ्त नहीं है ! जितनी ज्यादा आज की कड़ी मेहनत होती है, उतना ही ज्यादा भविष्य में सुविधा मिलती है !
इसीलिए जब तक इन दिव्य सत्ताओं को किसी मानव के अंदर उस स्तर का बाहुबल नहीं दिखता कि भविष्य में वो शिष्य, उनके बताये अनुसार उन कठिन कार्यों (जिसके लिए स्वयं ईश्वर ने उन दिव्य सत्ताओं को प्रेरणा दी है) को इस धरती पर कर पायेगा कि नहीं, तब तक वो उस मानव के मार्गदर्शक नहीं बनते अर्थात उस मानव के संपर्क में नही आते हैं !
और इतना ही नहीं ये दिव्य सत्ताएं अपने कृपापात्रों को उनके अटल भाग्यफल के अनुसार मिलने वाले किसी भी कष्ट (जैसे – बीमारी, एक्सीडेंट, गरीबी, अपमान आदि) को समाप्त भी नहीं करते क्योंकि वे ईश्वर के बनाये हुए कर्मफल सिद्धान्त का बहुत सम्मान करते हैं !
ऐसा नहीं है कि इन दिव्य सत्ताओं में किसी मानव के किसी कष्ट को हरने की ताकत नहीं होती है क्योंकि इनकी शक्ति ब्रह्माजी के ही सामान सब कुछ सम्भव कर सकने में समर्थ होती है अर्थात ये चाहें तो पूरा एक नया ब्रह्माण्ड ही बना दें या ईश्वर के बनाये हुए इस अनन्त विस्तरित ब्रह्मांड में क्या क्या घटित हो रहा है उसके बारे में बता दें, लेकिन ये वैसा कुछ करते नहीं जिससे प्रकृति अर्थात महामाया दुर्गा की कोई पूर्व योजना भंग हो !
इन सर्वोच्च शक्तिशाली एलियन्स के मार्गदर्शन से व्यक्ति पृथ्वी लोक पर ऐसे अच्छे अच्छे काम लगातार करता है कि पृथ्वी से विदा होने अर्थात मरने से पहले, सबसे बड़ा सौभाग्य अर्थात अनन्त ब्रह्मांड निर्माता ईश्वर का दर्शन तक पा सकता है !
एलियंस से सम्पर्क होने के बाद ही उसे समझ में आता है कि वो इस दुनिया में अकेला नहीं है जो एलियंस के सम्पर्क में है अलबत्ता ऐसे बहुत से और सज्जन स्त्री पुरुष हैं जो एलियंस के सम्पर्क में हैं !
वैसे दुनिया में कोई भी ऐसा स्त्री पुरुष नहीं है जो अपने जीवन में कभी भी किसी एलियन से ना मिला हो लेकिन अधिकाँश लोग उन एलियन के बदले हुए भेष की वजह से उन्हें पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि एलियंस कभी किसी विशेष स्थिति या दुर्लभ मूहूर्त में ही अपने ओरिजिनल रूप (वास्तविक दिव्य रूप) में किसी मानव के सामने आते हैं अन्यथा भेष बदल कर किसी दूसरे मानव या जीव जन्तु के रूप में भी आ सकतें हैं, जिन्हें सिर्फ कोई एलियन अनुभव प्राप्त व्यक्ति ही साधारणतया पहचान सकता है !
बुरे स्वभाव वाले एलियंस को बुरे स्वभाव वाले मानव ज्यादा पसंद आते हैं ! इस दुनिया के कुछ बड़े क्रूर नरसंहारों के पीछे बुरे स्वभाव वाले एलियंस का हाथ होने से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है !
वास्तव में इस पृथ्वी पर मानवों का एलियंस से संपर्क सदैव से रहा है और सदा ही रहेगा पर इन सम्पर्कों के बारे में बिना कुछ भी जाने ही बहुत से साधारण संसारी अपनी पूरी जिन्दगी जी कर दुनिया से निकल लेते हैं !
अच्छे सवभाव वाले सर्वोच्च शक्तिशाली एलियंस से व्यक्ति लाख चाहकर भी सम्पर्क नहीं कर सकता जब तक कि वे खुद उस व्यक्ति से ना मिलना चाहें !
इनसे संपर्क करने के ठीक वही तरीकें है जिन तरीकों से ईश्वर से सम्पर्क होता है मतलब हठ योग, राजयोग, भक्ति योग, सेवा योग आदि !
इस कलियुग में सबसे जल्दी और सबसे आसानी से जिस तरीके से ईश्वर और उन्ही के समान दिव्यसत्ताओं से सम्पर्क हो सकता है, वह है सेवा योग जिसका मतलब होता है अपने परिचित व अपरिचित अधिक से अधिक लोगों की जितना हो सके उतना अधिक उचित सहायता करना !
जब कोई सेवा योग का लम्बे समय तक निःस्वार्थ भाव से अभ्यास करता है तो ये दिव्य एलियंस अपने आप ही उस मानव से एक न एक दिन निश्चित संपर्क करते हैं और फिर उस मानव के मार्गदर्शक बन कर उसे लगातार प्रेरणा देकर ऐसे अच्छे अच्छे काम लगातार करवाते हैं कि वो अपने अंतिम अंजाम अर्थात आत्म साक्षात्कार तक पहुँच सके !
(ब्रह्माण्ड व एलियंस सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-
क्या चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम’ से सम्पर्क टूटने के पीछे एलियंस का हाथ है
“स्वयं बनें गोपाल” समूह खुलासा कर रहा है भारत में हो सकने वाले एलिएंस के वर्तमान संभावित शहर की
यू एफ ओ, एलियंस के पैरों के निशान और क्रॉस निशान मिले हमारे खोजी दल को
वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य
क्या एलियन से बातचीत कर पाना संभव है ?
ऋषि सत्ता की आत्मकथा (भाग – 1): पृथ्वी से गोलोक, गोलोक से पुनः पृथ्वी की परम आश्चर्यजनक महायात्रा
क्या वैज्ञानिक पूरा सच बोल रहें हैं बरमूडा ट्राएंगल के बारे में
एलियन्स कैसे घूमते और अचानक गायब हो जाते हैं
जानिये कौन हैं एलियन और क्या हैं उनकी विशेषताएं
यहाँ कल्पना जैसा कुछ भी नहीं, सब सत्य है
जानिये, मानवों के भेष में जन्म लेने वाले एलियंस को कैसे पहचाना जा सकता है
क्यों गिरने से पहले कुछ उल्कापिण्डो को सैटेलाईट नहीं देख पाते
सावधान, पृथ्वी के खम्भों का कांपना बढ़ता जा रहा है !
जिसे हम उल्कापिंड समझ रहें हैं, वह कुछ और भी तो हो सकता है
Our research group finds U.F.O. and Aliens’ footprints
The facts published by us are still the riddles for the scientists
Is it possible to interact with aliens?
Are Scientists telling the complete truth about Bermuda Triangle ?
What we consider as meteorites, can actually be something else as well
How aliens move and how they disappear all of sudden
Who are real aliens and what their specialties are
Why satellites can not see some meteorites before they fall down
Know how to identify the aliens who are born in human form
There is nothing imaginary here, everything is true
Eventually what do we get benefited with if the actual contact with Aliens gets established
Beware, shaking of pillars of earth is increasing !
कृपया हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे ट्विटर पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
कृपया हमारे ऐप (App) को इंस्टाल करने के लिए यहाँ क्लिक करें
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !