एच.आई.वी/एड्स व कैंसर जैसी घातक बीमारियों में अति लाभकारी हो सकती है ये प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति


एच.आई.वी/एड्स (human immunodeficiency virus, acquired immune deficiency syndrome) व कैंसर जैसी घातक बीमारियों के उपचार के सम्बन्ध में मूर्धन्य योग व अन्य विशेषज्ञों की बेशकीमती सलाह, के अतिरिक्त परम आदरणीय दिव्य दृष्टिधारी ऋषि सत्ता के अनुग्रह से प्राप्त जानकारी निम्नवत है-

अगाध ममता युक्त ऋषि सत्ता के सौजन्य से प्राप्त जानकारी अनुसार, एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के विषाणुओं को पूर्ण रूप से ख़त्म करने की क्षमता अगर किसी में है तो वह है भगवान् सूर्य में !

उन्होंने “स्वयं बनें गोपाल” समूह को बताया कि भगवान् भास्कर के होते हुए ऐसे किसी भी मरीज को घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, बस जरूरत है तो भगवान् सूर्य की कृपा प्राप्त करने की !

यह कृपा जितनी ज्यादा होगी, एड्स के विषाणु शरीर में उतना ही जल्दी मरेंगे और इस स्तर की विशाल कृपा, सिर्फ भगवान् सूर्य को जल देकर या अंगूठी में कोई रत्न आदि धारण करके नहीं प्राप्त की जा सकती है !

इस स्तर की कृपा प्राप्त करने के लिए एक ऐसी महान वैज्ञानिक क्रिया का अभ्यास करना होता है जो दिखने में तो अति साधारण है पर इसका पूर्ण फल अकल्पनीय है !

इस वैज्ञानिक क्रिया के बारे में सबसे पहले स्वयं भगवान् सूर्य ने ही पतंजलि ऋषि को बताया था, इस क्रिया का नाम है, “सूर्य नमस्कार” !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार सिर्फ पहुचे हुए योगियों को ही पता है कि सूर्य नमस्कार का प्रतिदिन प्रातः काल कम से कम 13 बार से लेकर अधिकतम 52 बार तक अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी में स्थित अदृश्य स्वाधिष्ठान चक्र में, दिव्य उर्जा का विस्फोट होने लगता है और यह विस्फोट धीरे धीरे इतना ज्यादा प्रबल होने लगता है कि एड्स व कैंसर आदि जैसे खतरनाक बिमारी के कीटाणु भी जल कर भस्म होने लगतें हैं !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता ने हमें बताया कि पूर्ण परहेजों के साथ इस योग का प्रतिदिन नीचे बताई गयी विशेष विधि के अनुसार अक्षरशः पालन करने वाले मरीज बहुत संभव है कि सिर्फ 1 वर्ष में ही इस बिमारी से हमेशा के लिए मुक्ति पा सकतें हैं (अगर एक वर्ष में पूर्ण लाभ नहीं मिल पाये, तो तब तक इस विधि का अक्षरशः पालन करते रहना चाहिए, जब तक कि पूर्ण लाभ ना मिल जाए) !

प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से पहले, कम से कम 2 हजार बार कपालभाती प्राणायाम करना चाहिए ! दो हजार बार कपालभाति प्राणायाम लगातार करने में मात्र 20 मिनट समय लगता हैं ! पर पहले ही दिन 2 हजार बार कपालभाती प्राणायाम करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, नहीं तो गले में खिचाव आ सकता है इसलिए अभ्यास को सुविधानुसार धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए !

कपालभाति प्राणायाम करने के बाद सूर्य नमस्कार करना चाहिए ! हर बार सूर्य नमस्कार शुरू करते समय भगवान् सूर्य के मन्त्र का एक बार जप करना चाहिए ! भगवान् सूर्य के तेरह मन्त्र होतें हैं उन्हें बारी बारी हर बार सूर्य नमस्कार शुरू करते समय जपना चाहिए ! जब तेरह बार सूर्य नमस्कार समाप्त हो जाए तो चौदहवीं बार सूर्य नमस्कार करते समय फिर से पहले मन्त्र से जप शुरू करना चाहिए ! इस तरह सत्ताईसवी बार और चालीसवी बार से सूर्य नमस्कार करते समय भी मन्त्रों की पुनरावृत्ति होगी ! सूर्य नमस्कार के वे तेरह मन्त्र निम्नवत हैं-

1- ॐ मित्राय नमः 2- ॐ रवायै नमः 3- ॐ सूर्याय नमः 4- ॐ भानवे नमः 5- ॐ खगाय नमः 6- ॐ पूष्णे नमः 7- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः 8- ॐ मरीचये नमः 9- ॐ आदित्याय नमः 10- ॐ सावित्रे नमः 11- ॐ अर्काय नमः 12- ॐ भास्कराय नमः 13- ॐ श्री सावित्रसूर्यनारायणाय नमः (पूर्ण लाभ पाने के लिए इन सभी मन्त्रों का उच्चारण, सदा एकदम शुद्धता पूर्वक ही करना चाहिए)

परम आदरणीय ऋषि सत्ता ने हमें बताया कि वास्तव में भगवान् सूर्य की किरणें तेरह किस्म की होतीं हैं जिनमे प्रचंड ताकत होती है शरीर की हर बड़ी से बड़ी बीमारी का निश्चित नाश करने की !
अतः इन तेरह मंत्रो को जपकर सूर्य नमस्कार करने से, सूर्य की वे तेरह किरणें शरीर में स्थित हर तरह की बीमारी के कारणों को भस्म करने लगतीं हैं !

मन्त्र जपने के बाद मन में एक बार यह प्रार्थना भी करनी चाहिए कि, हे प्रत्यक्ष भगवान् सूर्य, कृपया मेरे द्वारा जाने अनजाने हुए सभी पापों के लिए मुझे क्षमा करें तथा कृपया मेरे सभी कष्टों को हर लें !

सूर्य नमस्कार का अभ्यास शुरुआत के 6 महीने इस प्रकार करना चाहिए कि पहले सप्ताह प्रतिदिन 13 बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए, दूसरे सप्ताह 26 बार, तीसरे सप्ताह 39 बार और चौथे सप्ताह 52 बार करना चाहिए ! इस तरह 4 सप्ताह अर्थात 28 दिनों तक करना चाहिए !

फिर 4 सप्ताह के बाद पुनः इसी प्रक्रिया को दोहराना चाहिए अर्थात 4 सप्ताह के बाद पहले सप्ताह 13 बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए, दूसरे सप्ताह 26 बार, तीसरे सप्ताह 39 बार और चौथे सप्ताह 52 बार करना चाहिए !

इस तरह लगातार 168 दिन (लगभग 6 महीने) तक करना चाहिए !

फिर इसके बाद इस क्रम को ठीक उल्टा कर देना चाहिए अर्थात अब पहले सप्ताह 52 बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए, दूसरे सप्ताह 39 बार, तीसरे सप्ताह 26 बार और चौथे सप्ताह 13 बार करना चाहिए ! फिर इसी नए क्रम में अगले 6 महीने तक लगातार सूर्य नमस्कार करना चाहिए !

परम आदरणीय ऋषि सत्तानुसार, यदि एक वर्ष में एड्स पूरी तरह से समाप्त ना हो पाया हो, तो ऊपर दी गयी विधि को बार बार तब तक दोहराना चाहिए जब तक कि एड्स का पूरी तरह से खात्मा ना हो जाए !

सूर्य नमस्कार बहुत जल्दी जल्दी नहीं करना चाहिए बल्कि इसको करते समय हर स्टेप में कम से कम 3 से 4 सेकंड्स तक रुकना ही चाहिए, नहीं तो अपेक्षित लाभ नहीं मिलेगा ! इस तरह 52 बार सूर्य नमस्कार करने में लगभग दो से तीन घंटे समय लग सकता है ! शुरुआत में इस तरह सूर्य नमस्कार करने वाले को यह समय बहुत ज्यादा लग सकता है पर कुछ ही महीनो बाद इस क्रिया के बदले में मिलने वाले बेहद आश्चर्यजनक लाभों को देखकर, उसे निश्चित महान ख़ुशी प्राप्त होगी कि मैंने रोज इतना ज्यादा समय सूर्य नमस्कार करने में खर्च करके कोई बेवकूफी नहीं बल्कि बहुत ही बुद्धिमानी का काम किया है !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता के अनुसार, पूर्ण परहेजों के साथ इस तरह सूर्य नमस्कार करने वाला, निश्चित रूप से अपने अंदर स्थित एड्स के कीटाणुओं को जलाने लगता है जिससे उसका शरीर धीरे धीरे स्वस्थ, मजबूत व ताकतवर बनने लगता है !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता के अनुसार, इस तरह सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करने से, ना केवल एड्स बल्कि दुनिया की कोई भी ऐसी बड़ी से बड़ी व खतरनाक से खतरनाक बीमारी (जैसे किसी भी अंग का कैंसर लास्ट स्टेज, ट्यूबरक्लोसिस, दमा, नपुंसकता, शीघ्रपतन, सफ़ेद दाग, कोढ, लकवा, पागलपन डिप्रेशन स्ट्रेस जैसे सभी मानसिक रोग, अत्यधिक बढ़ी हुई डायबिटीज, मोटापा, हाई या लो ब्लड प्रेशर, हार्ट ब्लोकेज, हृदय की अनियमित धड़कन, किडनी की खराबी, गंजापन, असमय सफदे बाल, नेत्र रोशनी में कमी, ग्लूकोमा, पीलिया, त्वचा की झुर्रियाँ व ग्लो की कमी, त्वचा का ढीलापन, शरीर में ताकत की कमी, सुस्ती, जोश उत्साह की कमी, गठिया, स्याटिका, सरवाईकल स्पोन्डिलाइटिस, अल्सर, बहुमूत्र, पथरी, बवासीर, भगन्दर, गिल्टी, कमजोर पाचन शक्ति, कमजोर मसूढ़े व दांत, पुरानी कब्ज, दस्त, गैस, एसिडिटी, पुराना नजला जुकाम, पुरानी खांसी, किसी भी क़िस्म की एलर्जी, पेट दर्द, फाइलेरिया, खुजली, हड्डी की कमजोरी आदि) नहीं है जिसका सम्पूर्ण इलाज ना किया जा सके !

अति आदरणीय ऋषि सत्तानुसार यह पूरी एक साल की प्रक्रिया, एक अति दिव्य कायाकल्प की प्रक्रिया है, जिससे पूरे शरीर का नवीनीकरण होने लगता है ! अतः शरीर में कोई बड़ी बीमारी हो या ना हो, लेकिन जीवन में एक बार इस क्रिया का सभी स्त्री पुरुषों को अभ्यास जरूर करना चाहिए !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार इस क्रिया में इतना महा सामर्थ्य इसलिए है क्योंकि यह क्रिया भगवान् सूर्य से सम्बंधित एक अति दुर्लभ व गुप्त वैज्ञानिक अनुसंधान है जिसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को है !

अति सम्माननीय ऋषि सत्तानुसार अगर नौकरी व्यापार की व्यस्तता की वजह से इस क्रिया को पूरी तरह से करने का समय ना मिल पाता हो, तो पूर्ण परहेजों के साथ प्रतिदिन केवल 13 बार सूर्य नमस्कार करने से भी देर सवेर लगभग सारे लाभ मिल सकतें हैं !

इस प्रक्रिया का पूरा फायदा सिर्फ तभी मिलेगा जब सूर्य नमस्कार सुबह सूर्योदय के समय पूरब दिशा की ओर मुंह करके करना शुरू किया जाए ! यहाँ इस बात को फिर से दोहराया जा रहा है कि प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार शुरू करना कंपल्सरी (अनिवार्य) है क्योंकि तभी पूर्ण लाभ मिल पायेगा ! सबसे बेहतर है कि सूर्य नमस्कार खुले आकाश के नीचे किया जाए पर खुले आकाश के नीचे कर पाना संभव नहीं हो तो ऐसे स्वच्छ, खुले व हवादार कमरे में करना चाहिए जिसमें अधिक से अधिक सूर्य प्रकाश आता हो ! पर सूर्य नमस्कार धूप में नहीं करना चाहिए !

सूर्य नमस्कार या कोई भी योगासन नंगी जमीन पर नहीं करना चाहिए, बल्कि कोई सूती मोटी चादर या भेड़ के बाल से बना कम्बल बिछाकर करना चाहिए ! सिर्फ समतल जमीन पर करना चाहिए और जूता पहन कर नहीं करना चाहिए, अगर ठण्ड ज्यादा हो तो मोज़े पहना जा सकता है, बाकी शरीर पर ढीला ढाला कपड़ा ही पहनना चाहिए ! सूर्य नमस्कार केवल दिन में करना चाहिए, ना कि रात में !

ए. सी. (एयर कंडीशनर, Air Conditioners) जैसे कृत्रिम वातावरण में योगासन व प्राणायाम करने से अपेक्षित लाभ नहीं मिलता है इसलिए ए. सी. को बंद करके खिड़की दरवाजे खोलकर योग करना चाहिए (कुछ महीने पहले सर्जरी करवा चुके मरीजों को इसे करने से पहले एक बार चिकित्सक की सलाह भी ले लेना चाहिए परन्तु गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए ! हृदय रोगियों को कोई भी योग, आसन, प्राणायाम या अन्य कोई एक्सरसाइज धीरे धीरे शुरू करके बढ़ाना चाहिए) !

सूर्य नमस्कार सुबह खाली पेट करना चाहिए ! अगर सुबह कोई लिक्विड (जैसे – पानी, चाय, काफी आदि) पिया हो तो एक से डेढ़ घंटे बाद सूर्य नमस्कार करना चाहिए पर कुछ सॉलिड सामान खाया हो तो कम से कम 3 से 4 घंटे बाद ही सूर्य नमस्कार कर सकतें हैं ! सूर्य नमस्कार करने के आधे घंटे बाद ही कुछ खाना या पीना चाहिए पर अगर बहुत प्यास लगे तो बीच में भी या करने के तुरंत बाद सिर्फ एक दो घूँट पानी पीया जा सकता है !

सूर्य नमस्कार को करने के तुरंत बाद 8 – 10 तुलसी पत्ती खाकर, लगभग आधा कप शुद्ध भारतीय देशी नस्ल की गाय माता का गोमूत्र पी लेना चाहिए और फिर आधे घंटे तक कुछ भी नहीं खाना पीना चाहिए ! यहाँ फिर से ध्यान देने की आवश्यकता है कि गोमूत्र सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी नस्ल की गाय माता का ही होना चाहिए !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता ने हमें इस विधि के बारे में बताते समय ही यह आगाह किया था कि यह मत सोचना कि इस विधि के बारे में खूब प्रचार प्रसार करके इस दुनिया से एड्स बीमारी का नामोनिशान मिटा दोगे क्योंकि यह जो समय चल रहा है उसका नाम है कलियुग, और इस कलियुग की ताकत प्रचंड घातक है क्योंकि यह सबसे पहले आदमी की सही सोचने समझने की क्षमता अर्थात बुद्धि को ही भ्रष्ट कर देता है इसलिए भले ही किसी बीमारी का इलाज ठीक सामने ही रखा रहा हो, लेकिन कोई मरीज तब तक सही इलाज की तलाश में इधर उधर भटकता रहेगा जब तक कि उसके किसी अच्छे कर्म के फलस्वरुप उसकी समझ पर से मूर्खता का पर्दा हटकर उसे शुद्ध तार्किक बुद्धि ना प्राप्त हो जाए !

परम आदरणीय ऋषि सत्ता द्वारा दिया यह तर्क कितना ज्यादा सही है यह इस बेहद आश्चर्यजनक पहलू को देखकर भी समझ में आता है कि जो एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान मात्र कुछ सौ वर्ष ही पुराना है और जो किसी भी बीमारी को परमानेंट ठीक करने का कभी भी दावा नही करता है (और साथ में ना जाने कितने ज्यादा खतरनाक साइड इफेक्ट्स भी मुफ्त में प्रदान करता है), उससे इलाज करवाने के लिए लोगों की भीड़ मची रहती है जबकि अनन्त वर्ष पुराने योग – आयुर्वेद से कठिन से कठिन बीमारियों को भी पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, इस पर किसी को विश्वास ही नहीं होता है खासकर तब, जब कोई अपनी बीमारी से बहुत ज्यादा डरा हुआ हो !

अंत में हम निवेदन करना चाहेंगे उन सभी एड्स के मरीजों को जो इस लेख को पढ़ रहें हैं कि आप पूर्ण विश्वास के साथ, ऊपर दिए गए इस प्रयोग के अक्षरशः अभ्यास को कृपया कम से कम 4 महीने तक निश्चित करके देखें तो हमें पूरी उम्मीद है कि दिव्यदृष्टिधारी व अगाध ममता युक्त ऋषि सत्ता द्वारा बताये गए इस अति दुर्लभ व पूर्ण वैज्ञानिक सूर्य चिकित्सा पद्धति से आपको जरूर लाभ प्राप्त होगा और साथ ही साथ अगर आप जीवन के प्रति निराश हो चुके दूसरे एड्स के मरीजों को, इस विधि से आपको मिलने वाले सत्य लाभों के बारें में बताकर, उन्हें अपार सांत्वना व ख़ुशी प्रदान करने वाले महापुण्य के भागीदार भी बनना चाहतें हों तो इस विधि के बारे में उन्हें भी बताना ना भूलें !

साथ ही इस लेख को पढ़ने वाले अन्य सभी स्वस्थ नागरिकों से भी प्रार्थना है कि कृपया वे इस लेख को फेसबुक/ट्विटर आदि पर अधिक से अधिक शेयर करें ताकि यह लेख किसी जरूरतमन्द एड्स के मरीज के पास आसानी से पहुँच सके, क्योंकि आज भी एड्स के अधिकाँश मरीज लोक लाज की डर की वजह से अपनी बीमारी की अधिक से अधिक जानकारी इन्टरनेट पर ही खोजना ज्यादा सुरक्षित समझतें हैं !

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