अलग – अलग जड़ीबूटियों के सर्वविदित फायदे
तुलसी के अनंत फायदे (Benefits of Green Basil Seeds, Holy Basil Seeds, Tulsi Seeds ke labh, Ocimum Basilicum Seed) –
प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवन भर उनसे उऋण नहीं हो सकता है । तुलसी भी ऐसा ही एक अनमोल पौधा है जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं !
तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है विशेषकर सर्दी खांसी व बुखार में यह अचूक दवा का काम करती है । इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में इसे रसायन (अर्थात बीमारी और वृद्धावस्था को दूर रखने वाली) कहा गया है । आइये जाने कि तुलसी जी का पौधा हमारे किस किस काम आ सकता है –
– शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है । इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है । एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है । यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।
– तुलसी जी के पौधा की तेज खुशबू मच्छरों को परेशान कर देती है और वे भाग जाते हैं।
– तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है ।
– चाय ( बिना दूध की ) बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है
– 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है ।
– तुलसी के काढ़े में थोड़ा सा सेंधा नमक एवं पिसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है ।
– इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है । यह दुर्गंध भी दूर करती है ।
– तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली, दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है ।
– तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली, कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है । तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे । शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है । सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है ।
– तुलसी की मुख्य जातियां – तुलसी की मुख्यत: 2 प्रजातियां अधिकांश घरों में लगाई जाती हैं । इन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है । रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है । इसलिए इसे गौरी कहा जाता है । श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है । इसमें कफनाशक गुण होते हैं । यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है । तुलसी की एक जाति वन तुलसी भी होती है । इसमें जबरदस्त जहर नाशक प्रभाव पाया जाता है । लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है । आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी समस्याओं में यह रामबाण दवा है । एक अन्य जाति मरूवक है जो कम ही पाई जाती है । राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम करता है ।
– मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी एक कारगर औषधि है । तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है । जुकाम के कारण आने वाले बुखार में भी तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए । इससे बुखार में आराम मिलता है । शरीर टूट रहा हो या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है तो पुदीने का रस और तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर सेवन करें , आराम मिलेगा ।
– साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है ।
– तुलसी के रस में मुलहठी व थोड़ा सा शहद मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है ।
– 1-2 लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है ।
– शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है ।
– किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है ।
– फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है ।
– तुलसी थकान मिटाने वाली औषधि है । बहुत थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है ।
– प्रतिदिन तुलसी की 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है ।
– तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है ।
– तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है ।
– तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें । कम से कम 1 सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें । यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं ।
– दिल की बीमारी में यह अमृत है । यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है । दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए ।
– दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है ।
– 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 2 ग्राम पिसी काली मिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है ।
– दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है ।
मेंहदी के फायदे (Lawsonia inermis, herbal advantage of mehndi or mehendi, henna plant)-
– लगभग 5 ग्राम मेंहदी के पत्ते लेकर रात को मिटटी के बर्तन में भिगो दें और प्रातःकाल इन पत्तियों को मसलकर तथा छानकर रोगी को पिला दें | एक सप्ताह के सेवन से पुराने पीलिया रोग में अत्यंत लाभ होता है |
– मेंहदी और एरंड के पत्तों को समभाग पीसकर थोड़ा गर्म करे घुटनों पर लेप करने से घुटनों की पीड़ा में लाभ होता है |
– लगभग 4.5 ग्राम मेंहदी के फूलों को पानी में पीसकर कपड़े से छान लें, इसमें ७ ग्राम शहद मिलाकर कुछ दिन पीने से गर्मी से उत्पन्न सिरदर्द शीघ्र ही ठीक हो जाता है |
– मेंहदी में दही और आंवला चूर्ण मिलाकर २- ३ घंटे बालों में लगाने से बल घने, मुलायम, काले और लम्बे होते हैं |
– दस ग्राम मेंहदी के पत्तों को २०० मिली पानी में भिगोकर रख दें, थोड़ी देर बाद छानकर इस पानी से गरारे करने से मुँह के छाले शीघ्र शांत हो जाते हैं |
– मेंहदी के बीजों को बारीक पीसकर, घी मिलाकर ५०० मिग्रा की गोलियां बना लें | इन गोलियों को सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से खूनी दस्तों में लाभ होता है |
– अग्नि से जले हुए स्थान पर मेंहदी की छाल या पत्तों को पीसकर गाढ़ा लेप करने से लाभ होता है |
हल्दी के फायदे (ayurvedic benefits of turmeric powder, Curcuma longa, haldi powder ke gun)-
– अगर त्वचा पर अनचाहे बाल उग आए हों तो इन बालों को हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएं। ऐसा करने से शरीर के अनचाहे बालों से निजात मिलती है।
– धूप में जाने के कारण त्वचा अक्सर टैन्ड हो जाती है। टैन्ड त्वचा से निजात पाने के लिए हल्दी पाउडर, बादाम चूर्ण और दही मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाइए। इससे त्वचा का रंग निखर जाता है और सनबर्न की वजह से काली पड़ी त्वचा भी ठीक हो जाती है। यह एक तरह से सनस्क्रीन लोशन की तरह काम करता है।
– दाग, धब्बे व झाइंया मिटाने के लिए हल्दी बहुत फायदेमंद है। चेहरे पर दाग या झाइंया हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं।
– हल्दी को दूध में मिलाकर इसका पेस्ट बना लीजिए। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला दिखेगा।
– लीवर संबंधी समस्याओं में भी इसे बहुत उपयोगी माना जाता है।
– सर्दी-खांसी होने पर दूध में कच्ची हल्दी पाउडर डालकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
– पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी पाउडर में थोडा सा नमक मिलाकर रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजा पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो जाते हैं।
– खांसी होने पर हल्दी का इस्तेमाल कीजिए। अगर खांसी आने लगे तो हल्दी की एक छोटी सी गांठ मुंह में रख कर चूसें, इससे खांसी नहीं आती।
– मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में हल्दी पाउडर मिलाकर कुल्ला करें या हलका गर्म हल्दी पाउडर छालों पर लगाएं। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
– चोट लगने या मोच होने पर हल्दी बहुत फायदा करती है। मांसपेशियों में खिंचाव या अंदरूनी चोट लगने पर हल्दी का लेप लगाएं या गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर पीजिए।
– हल्दी का प्रयोग करने से खून साफ होता है जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है।
– अनियमित माहवारी को नियमित करने के लिए महिलाएं हल्दी का इस्तेमाल कर सकती हैं।
– हल्दी का सेवन करने से खून साफ होता है । इससे रक्त संचार बढ़ता है और लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी होता है। हल्दी से लीवर भी संतुलित रहता है। घावों को भरने में भी सहायक होती है और ऊतकों का नवीनीकरण भी कर देती है।
– हल्दी त्वचा के लिए भी फायदेमंद होती है। इससे मुहासे की समस्या दूर होती है और त्वचा चिकनी तथा मुलायम होती है।
– हल्दी कैंसर में भी लाभदायक है। यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकती है। इस बात के प्रमाण भी मिले हैं कि हल्दी के सेवन से त्वचा, स्तन, आँत और प्रोस्टेट कैंसर को भी बढ़ने से रोका जा सकता है।
– गठिया के रोगियों को भी हल्दी का सेवन करना चाहिए। हल्दी की गाँठों का सेवन अपच में लाभदायक होता है। हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए भी गुणकारी है। इससे रक्त में शर्करा का स्तर संतुलित रहता है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से ग्रसित लोगों को भी हल्दी का सेवन करना चाहिए। हल्दी के सेवन से पेट की गड़बड़ी दूर होती है। इससे हृदय रोगों की संभावना भी कम होती है।
आंवले का सेवन करने के फायदे (herbal characteristic of amla, Phyllanthus emblica, amla ke labh)–
– आंवला विटामिन ‘सी’ का अनूठा भण्डार है। जितना विटामिन ‘सी’ आंवले में होता है उतना किसी अन्य फल में नहीं होता। आंवले में विटामीन ‘सी’ नारंगी और मौसम्बी की तुलना में बीस गुना होता है। ध्यान देने योग्य बात तो यह है कि इसमें विटामिन ‘सी’ किसी भी सूरत में नष्ट नहीं होता।
– आंवला खाने से लीवर को शक्ति मिलती है, जिससे हमारे शरीर में विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकलते हैं।
– आंवला विटामिन-सी का अच्छा स्रोत होता है। एक आंवले में 3 संतरे के बराबर विटामिन सी की मात्रा होती है।
– आंवला का सेवन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
– आवंले का जूस भी पिया जा सकता है। आंवला का जूस पीने से खून साफ होता है।
– आंवला खाने से आंखों की रोशनी बढती है।
– आंवला शरीर की त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
– सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने आपका शरीर स्वस्थ बना रहता है।
– डायबिटीज के मरीजों के लिए आंवला बहुत फायदेमंद होता है। मधुमेह के मरीज हल्दी के चूर्ण के साथ आंवले का सेवन करे। इससे मधुमेह रोगियों को फायदा होगा ।
– बवासीर के मरीज सूखे आंवले को महीन या बारीक करके सुबह-शाम गाय के दूध के साथ हर रोज सेवन करे। इससे बवासीर में फायदा होगा।
– यदि नाक से खून निकल रहा है तो आंवले को बारीक पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर सिर और मस्तिक पर लेप लगाइए। इससे नाक से खून निकलना बंद हो जाएगा।
– आंवला खाने से दिल मजबूत होता है। दिल के मरीज हर रोज कम से कम तीन आंवले का सेवन करें। इससे दिल की बीमारी दूर होगी। दिल के मरीज मुरब्बा भी खा सकते हैं।
– खांसी आने पर दिन में तीन बार आंवले का मुरब्बा गाय के दूध के साथ खाएं। अगर ज्यादा तेज खांसी आ रही हो तो आंवले को शहद में मिलाकर खाने से खांसी ठीक हो जाती है।
– यदि पेशाब करने में जलन हो तो हरे आंवले का रस शहद में मिलाकर सेवन कीजिए। इससे जलन समाप्त होगी ओर पेशाब साफ आएगा।
– पथरी की शिकायत होने पर सूखे आंवले के चूर्ण को मूली के रस में मिलाकर 40 दिन तक सेवन कीजिए। इससे पथरी समाप्त हो जाएगी।
– आंवले के सेवन से कई रोग मिटाये जा सकते हैं। आंवले में स्थित विटामीन ‘सी’ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति में बेहद वृद्धि करता है । आवंला रक्तशुद्धि करता है, साथ ही नया रक्त उत्पन्न करने में बहुत उपयोगी है। आंवले में पाया जाने वाला विटामिन ‘सी’ नेत्र ज्योति, केश, बहरापन दूर करने, मधुमेह मिटाने, रक्त बुद्धि, मसूढ़े व दांत, फैफड़े व त्वचा के लिये बहुत उपयोगी है।
– सौंदर्य सजग महिलाओं के लिये यह वरदान है। आंवले का चूर्ण और पिसी मेहंदी मिलाकर लगाने से बाल पकते नहीं हैं और काले बने रहते हैं । आंवले के उपयोग से सुंदर नेत्र, कान्तिपूर्ण स्वच्छ त्वचा और तेजस्वी मुख आपके रूप लावण्य को और बढ़ाते हैं यह शरीर को स्फूर्तिवान एवं बलवान रखकर वृद्धावस्था को दूर रखने के लिये अत्यंत गुणकारी है।
– आंवले का स्वाद पूर्णत: रूचिकर नहीं है, अत: इसका सेवन खाकर न करके इसके रस का सेवन कर अपेक्षित लाभ उठा सकते हैं। वैसे भी आंवले के मूल्यवान तत्वों का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिये उसका रसपान करना चाहिए। प्रात: काल खाली पेट आंवले का रसपान विशेष गुणकारी है। इसका रस आसानी से निकाला जा सकता है । 3-4 आंवलों का रस सुबह शाम लेना चाहिए। यदि थोड़ा बहुत जी मिचलाता है तो घबराना नहीं चाहिए । आंवला चटनी, मुरब्बा , आचार, चूर्ण आदि के रूप में भी गुणकारी बना रहता है।
पुदीना या पिपरमिंट के फायदे (peppermint, Mentha arvensis, Pudina ke Achuk Fayde )-
– मुंह की दुर्गध दूर करने के लिए पुदीने की सूखी पत्तियों को पीसकर उसका चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को मंजन की तरह दांतों पर रगड़ें। मुंह की दुर्गन्ध तो दूर हो ही जाएगी, मसूड़े भी मजबूत होंगी।
– एक गिलास पानी में 8-10 पुदीने की पत्तियां, थोड़ी-सी काली मिर्च और जरा सा काला नमक डालकर उबालें। 5-7 मिनट उबालने के बाद पानी को छानकर पीएं, खांसी, जुकाम और बुखार से राहत मिलेगी।
– हाजमा खराब हो तो एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ें, उसमें थोड़ा-सा काला नमक डालें और पुदीने की 8-10 पत्तियां पीसकर मिलाएं। अब पीड़ित व्यक्ति को इसे पिलाएं, तुरंत लाभ मिलेगा।
– हिचकियां न रुकें तो पुदीने की कुछ पत्तियां लेकर उन्हें पीसें और उनका रस निकालकर पिलाएं, हिचकी आनी बंद हो जाएगी।
– गर्मी के मौसम में लू लगने से बचने के लिए पुदीने की चटनी को प्याज डालकर बनाएं। अगर इसका सेवन नियमित रूप से किया जाए तो लू लगने की आशंका खत्म हो जाती है।
– मुंहासे दूर करने के लिए पुदीने की कुछ पत्तियां लेकर पीस लें। अब उसमें 2-3 बूंदे नींबू का रस डालकर इसे चेहरे पर कुछ देर के लिए लगाएं। फिर चेहरा ठंडे पानी से धो लें। कुछ दिन ऐसा करने से मुंहासे तो ठीक हो ही जाएंगे, चेहरे पर चमक भी आ जाएगी।
– पुदीने को सूखाकर पीस लें। अब इसे कपड़े से छानकर बारीक पाउडर बनाकर एक शीशे में रख लें। सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ लें। यह फेफड़ों में जमे हुए कफ के कारण होने वाली खांसी और दमा की समस्या को दूर करता है।
– अगर नमक के पानी के साथ पुदीने के रस को मिलाकर कुल्ला करें तो गले की खराश और आवाज में भारीपन दूर हो जाते हैं। आवाज साफ हो जाती है।
हरण के फायदे (Benefis of Terminalia chebula, haran ke sabhi faayde)-
– हरड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दो किशमिश के साथ लेने से अम्लपित्त (एसिडिटी ) ठीक हो जाती है |
– हरीतकी चूर्ण सुबह शाम काले नमक के साथ खाने से कफ ख़त्म हो जाता है |
– हरड़ को पीसकर उसमे शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आनी बंद हो जाती है|
– हरड़ के टुकड़ों को चबाकर खाने से भूख बढ़ती है |
– छोटी हरड़ को पानी में घिसकर छालों पर प्रतिदिन 3 बार लगाने से मुहं के छाले नष्ट हो जाते हैं | इसको आप रात को भोजन के बाद भी चूंस सकते हैं |
– छोटी हरड़ को पानी में भिगो दें | रात को खाना खाने के बाद चबा चबा कर खाने से पेट साफ़ हो जाता है और गैस कम हो जाती है |
– कच्चे हरड़ के फलों को पीसकर चटनी बना लें | एक -एक चम्मच की मात्रा में तीन बार इस चटनी के सेवन से पतले दस्त बंद हो जाते हैं |
पपीता के फायदे (Benefits of Papaya in Hindi, papita ke aushadhiya gun)-
– कच्चा पपीता एक मल रोधक तथा कफ, और वात को कुपित करने वाला होता है । किंतु पका फल खाने में मीठा, रुचिकर और पित्तनाशक भारी तथा सुस्वादिष्ट होता हैं। प्रकृतिक रूप से पके पपीते को खाने से पेट का दर्द, पेट के कीड़े भोजन के प्रति अरुचि, उदर शूल, आँतों में मल जमना, अजीर्ण (कब्ज) आदि रोग दूर हो जाते है। पपीते में आँतों में जमें मल को खरोंचकर बाहर निकालने की शक्ति होती है। पपीता आँखों की रोशनी को बढ़ाता है। जिन लोगों को रतौंधी की बीमारी हो उन्हें पपीता जरूर सेवन करना चाहिए। पपीता पाचन शक्ति मजबूत कर भूख बढ़ाता है।
– पपीते में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की शक्ति हैं। पपीता मूत्र संबंधी विकारों को निकालकर गुर्दें की सफाई करता है। इसके खाने से गुर्दें में विषैले तत्व इकट्ठे ही नहीं हो पाते हैं।
अनार के फायदे (Health Benefits Of Pomegranate, anar ke laabh)-
– दाँतों के मसूड़ों से खून आता हो तो अनार के फूलों के चूर्ण से मंजन करने से आराम मिलता है।
– सूखा अनारदाना पानी में भिगो दें, तीन—चार घंटे बाद इस जल को थोड़ा—थोड़ा मिश्री मिलाकर कई बार पीने से उल्टी, जलन, अधिक प्यास आदि रोग नष्ट होते हैं।
– अधिक प्यास लगने, जी मचलाने आदि में अनार के रस में आधा नींबू निचोड़कर पीयें।
– अनारदाना, सौंफ, धनिया तीनों बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, दो ग्राम चूर्ण में एक ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में चार बार सेवन करने से खूनी दस्त, खूनी आँव में आराम मिलता है।
– अनार के छिलके को उबालकर उसके पानी से घावों को धोने से घाव जल्दी भरता है।
आम के फायदे (Mangifera indica, mango health benefits in hindi, aam se fayda) –
आम का फल सबका बहुत प्रिय होता है और छोटे बड़े सभी इसे बहुत मन से खाते है। प्रस्तुत है आम के सभी औषधीय गुणों का वर्णन-
– अच्छे पके हुए मीठे देशी आमों का ताजा रस 250 से 350 मिलीलीटर तक, गाय का ताजा दूध 50 मिलीलीटर, अदरक का रस 1 चम्मच- तीनों को कांसे की थाली में अच्छी तरह फेट लें, लस्सी जैसा हो जाने पर धीरे-धीरे पी लें। 2-3 सप्ताह सेवन करने से मस्तिष्क की दुर्बलता, सिर पीड़ा, सिर का भारी होना, आंखों के आगे अंधेरा हो जाना आदि दूर होता है। यह गुर्दे के लिए भी लाभदायक है।
– पके आम को गर्म राख में भूनकर खाने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।
– दूध के साथ पका आम खाने से अच्छी नींद आती है।
– आम के रस में सेंधानमक तथा चीनी मिलाकर पीने से भूख बढ़ती है।
– 300 मिलीलीटर आम का जूस प्रतिदिन पीने से खून की कमी दूर होती है।
– आम की गुठली की गिरी (गुठली के अंदर का बीज) पीसकर मंजन करने से दांत के रोग तथा मसूढ़ों के रोग दूर हो जाते हैं।
– बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली का चूर्ण ताजे पानी से देना लाभदायक है। गुठली को सेंककर सुपारी की तरह खाने से भी मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है।
– मकड़ी के जहर पर कच्चे आम के अमचूर को पानी में मिलाकर लगाने से जहर का असर दूर हो जाता है।
– गुठली को पीसकर लगाने से अथवा अमचूर को पानी में पीसकर लगाने से छाले मिट जाते है।
– आम की गुठली की गिरी का एक चम्मच चूर्ण बवासीर तथा रक्तस्राव होने पर दिन में 3 बार प्रयोग करें।
– आम के पत्तों को जलाकर इसकी राख को जले हुए अंग पर लगायें। इससे जला हुआ अंग ठीक हो जाता है।
– गुठली की गिरी को थोड़े पानी के साथ पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लगाने से तुरन्त शांति प्राप्त होती है।
– आम के बौर (आम के फूल) को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच दूध के साथ नियमित रूप से लें। इससे धातु की पुष्टि (गाढ़ा) होती है।
– आम की बौर (फल लगने से पहले निकलने वाले फूल) को रगड़ने से हाथों और पैरों की जलन समाप्त हो जाती है।
– 15 ग्राम शहद में लगभग 70 मिलीलीटर आम का रस रोजाना 3 हफ्ते तक पीने से तिल्ली की सूजन और घाव में लाभ मिलता है। इस दवा को सेवन करने वाले दिन में खटाई न खायें।
– जिस आम में रेशे हो वह भारी होता है। रेशेदार आम अधिक सुपाच्य, गुणकारी और कब्ज को दूर करने वाला होता है। आम चूसने के बाद दूध पीने से आंतों को बल मिलता है। आम पेट साफ करता है। इसमें पोषक और रुचिकारक दोनों गुण होते हैं। यह यकृत की निर्बलता तथा रक्ताल्पता (खून की कमी) को ठीक करता है। 70 मिलीलीटर मीठे आम का रस, 2 ग्राम सोंठ में मिलाकर सुबह पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
– आम के कोमल पत्तों का छाया में सुखाया हुआ चूर्ण 25 ग्राम की मात्रा में सेवन करना मधुमेह में उपयोगी है।
– छाया में सुखाए हुए आम के 1-1 ग्राम पत्तों को आधा किलो पानी में उबालें, चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पिलाने से कुछ ही दिनों में मधुमेह दूर हो जाता है।
– आम के 8-10 नये पत्तों को चबाकर खाने से मधुमेह पर नियंत्रण होता है।
– कच्चे आम के अमचूर को भिगोकर उसमें 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे 1 चम्मच दिन में 2 बार लेने से सूखा रोग में आराम मिलता है।
– लगभग 10-15 ग्राम आम की चटनी को अजीर्ण रोग में रोगी को दिन में दो बार खाने को दें।
– 3-6 ग्राम आम की गुठली का चूर्ण अजीर्ण में दिन में 2 बार दें।
– आम की अन्त:छाल का रस दिन में 20-40 मिलीलीटर तक दो बार पिलायें। इससे बवासीर, रक्तप्रदर या खूनी दस्त में आराम होता है।
– गुठली की गिरी के 50-60 मिलीलीटर काढ़े में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है।
– आम के फल को पानी में उबालकर या भूनकर इसका लेप बना लें और शरीर पर लेप करें इससे जलन में ठंडक मिलती है।
– आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं। इससे बाल झड़ना व रूसी में भी लाभ होता है।
– आम के 50 ग्राम पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर चौथाई भाग शेष काढ़े में मधु मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है।
– लीवर की कमजोरी में (जब पतले दस्त आते हो, भूख न लगती हो) 6 ग्राम आम के छाया में सूखे पत्तों को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें। 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर छानकर थोड़ा दूध मिलाकर सुबह पीने से लाभ होता है।
– गुठली की गिरी 10 ग्राम, बेलगिरी 10 ग्राम तथा मिश्री 10 ग्राम तीनों का चूर्णकर 3-6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है। गुठली की गिरी व आम का गोंद समभाग लेकर 1 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से अतिसार मिटता है।
– 25 ग्राम आम के मुलायम पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न हो जाये और छानकर गर्म-गर्म दिन में दो बार पिलाने से अथवा कच्चे आम 20 ग्राम कूट कर दही के साथ सेवन करने से हैजा खत्म हो जाता है।
– नरम टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े व काले होते हैं। पत्तों के साथ कच्चे आम के छिलकों को पीसकर तेल मिलाकर धूप में रख दें। इस तेल के लगाने से बालों का झड़ना रुक जाता है व बाल काले हो जाते हैं।
– आम के ताजे कोमल 10 पत्ते और 2-3 कालीमिर्च दोनों को पानी में पीसकर गोलियां बना लें। किसी भी दवा से बंद न होने वाले, उल्टी-दस्त इससे बंद हो जाते हैं।
– ताजे मीठे आमों के 50 मिलीलीटर ताजे रस में 20-25 ग्राम मीठा दही तथा 1 चम्मच शुंठी चूर्ण बुरककर दिन में 2-3 बार देने से कुछ ही दिन में पुरानी संग्रहणी (पेचिश) दूर होती है।
– कच्चे आम की गुठली (जिसमें जाली न पड़ी हो) का चूर्ण 60 ग्राम, जीरा, कालीमिर्च व सोंठ का चूर्ण 20-20 ग्राम, आम के पेड़ के गोंद का चूर्ण 5 ग्राम तथा अफीम का चूर्ण एक ग्राम इनको खरलकर, वस्त्र में छानकर बोतल में डॉट बंद कर सुरक्षित करें। 3-6 ग्राम तक आवश्यकतानुसार दिन में 3-4 बार सेवन करने से संग्रहणी, आम अतिसार, रक्तस्राव (खून का बहना) आदि का नाश होता है।
– आम के फूलों (बौर) का काढ़ा या चूर्ण सेवन करने से अथवा इनके चूर्ण में चौथाई भाग मिश्री मिलाकर सेवन करने से अतिसार, प्रमेह, भूख बढ़ाने में लाभदायक है।
– आम के फूलों के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम खांड मिलाकर सेवन करने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।
– आम के ताजे कोमल पत्ते तोड़ने से एक प्रकार का द्रव पदार्थ निकलता है इस द्रव पदार्थ को एंड़ी के फटे हिस्से में भर देने से तुरन्त लाभ होता है।
– आम के 10 पत्ते, जो पेड़ पर ही पककर पीले रंग के हो गये हो, लेकर 1 लीटर पानी में 1-2 ग्राम इलायची डालकर उबालें, जब पानी आधा शेष रह जाये तो उतारकर शक्कर और दूध मिलाकर चाय की तरह पिया करें। यह चाय शरीर के समस्त अवयवों को शक्ति प्रदान करती है।
– आम के फूलों के चूर्ण (5-10 ग्राम) को दूध के साथ लेने से स्तम्भन और कामशक्ति की वृद्धि होती है।
– कच्चे आम की गुठली का चूर्ण 250 से 500 मिलीग्राम तक दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सूत जैसे कृमि नष्ट हो जाते हैं।
– रोज सुबह मीठे आम चूसकर, ऊपर से सौंठ व छुहारे डालकर पकाये हुए दूध को पीने से पुरुषार्थ वृद्धि और शरीर पुष्ट होती है।
– आम को तोड़ते समय, आमफल की पीठ में जो गोंदयुक्त रस (चोपी) निकलती है, उसे दाद पर खुजलाकर लगा देने से फौरन छाला पड़ जाता है और फूटकर पानी निकल जाता है। इसे 2-3 बार लगाने से रोग से छुटकारा मिल जाता है।
– गरमी के दिनों में शरीर पर पसीने के कारण छोटी-छोटी फुन्सियां हो जाती हैं, इन पर कच्चे आम को धीमी अग्नि में भूनकर, गूदे का लेप करने से लाभ होता है।
– आम के ताजे पत्ते खूब चबायें और थूकते जायें। थोड़े दिन के निरंतर प्रयोग से हिलते दांत मजबूत हो जायेंगे तथा मसूढ़ों से रक्त गिरना बंद हो जायेगा।
शंखपुष्पी के फायदे (Convolvulus pluricaulis or shankhpushpi ke fayde)-
– शंखपुष्पी की पत्ती और तना बुद्धिवर्धक माने जाते हैं सो, परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों को सदैव शंखपुष्पी को प्रयोग में लेते हुए अपनी बुद्धि का अधिकाधिक विकास करना चाहिए।
सफेद मूसली के फायदे (What are the advantages of Safed Musli: Safed Musli reinforces semen, white musli, chlorophytum borivilianum)-
– बलिष्ठ बनाये रखने हेतु मूसली अति आवश्यक समझी जाती है । चिकित्सकों की राय में, मूसली की जड़ यौनवर्धक, वीर्यवर्धक तथा शक्तिवर्धक होती है जिससे व्यक्ति का शारीरिक कष्ट भी छूमंतर हो जाता है।
छुहारा के फायदे (Health Benefits of Dates, Chhuhara ke ayurvedic labh)-
– लकवा और सीने के दर्द की शिकायत को दूर करने में भी सहायता करता है।
– भूख बढ़ाने के लिये छुहारे का गुदा निकाल कर दूध में पकाएं, उसे थोड़ी देर पकने के बाद ठंडा करके पीस लें वह दूध बहुत पौष्टिक होता है।
– छुहारा आमाशय को बल प्रदान करता है।
– छुहारे का सेवन नाड़ी के दर्द में भी आराम देता है।
– छुहारा के प्रयोग से शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है। शरीर को शक्ति देने के लिये मेवों के साथ छुहारे का प्रयोग खासतौर पर किया जाता है।
– छुहारे दिल को शक्ति प्रदान करते हैं। यह शरीर में रक्त वृद्धि करते हैं।
– साइटिका रोग से पीड़ित लोगों को इससे विशेष लाभ होता है।
– इसके सेवन से दमे के रोगियों के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकल जाता है।
सेंधा नमक के फायदे (herbal benefits of Rock Salt, Sendha Namak ke ayurvedic gun)-
– हम रोजाना जो सब्जियाँ या दालें खाते हैं उनमें आजकल भरपूर मात्रा में DA, REA के रूप में रासायनिक खाद, कीटनाशक डाले जाते हैं। जिसके कारण यह विष हमारे शरीर में जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार हम साल भर में लगभग ७० ग्राम विष खा लेते हैं। सेंधा नमक जहर को कम करता है और थाइराइड, लकवा, मिर्गी आदि बीमारियों को रोकता है।
बथुआ का साग के फायदे (Health Benefits Of Bathua or Goosefoot, bathua saag in ayurveda)-
– बथुआ का साग स्त्रियों के रूप सौन्दर्य को निखारने में अमृत के समान होता है।एक नवीनतम शोध के अनुसार बथुआ के साग में वैरोटीन नामक तैल तथा जीवशक्ति पाया जाता है। यह मूत्रल विकारों को दूर करके स्त्रियों के सौन्दर्य में निखार लाता है, फिगर को सुन्दर रूप देता है। प्रतिदिन एक कप बथुआ साग (जो कि बिना कीटनाशक का हो) के सूप को पीते रहने से स्त्रियों की सुन्दरता अस्सी वर्ष की आयु तक बनी रहती है।
सरसों का तेल के फायदे (sarso ke tel ke fayde in hindi, mustard seeds oil benefits) –
– सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर के अन्दर से हानिकारक जीवाणुओं का नाश होता है और त्वचा के अन्दर रक्त संचार भी ठीक रहता है । तेल की मालिश करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और इससे थकान और आलस्य भी दूर होता है। शरीर में चुस्ती—फुर्ती और तरोताजगी महसूस होती है।
– अधिक थकान होने पर पैरों के तलवों में भी तेल की मालिश करने से थकान दूर होती है तथा नींद अच्छी आती है । पैरों का फटना, और आंखों की रोशनी भी तेल मालिश से बढ़ती है।
सिंघाड़ा के फायदे (Trapa natans herbal benefits, Singhara Fruit Benefits In Hindi) –
– सिंघाड़ा थायराइड के लिए बहुत अच्छा है, सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स थायरॉइड और घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
– मान्यता है कि जिन महिलाओं का गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गर्भ गिर जाता है उन्हें खूब सिंघाड़ा खाना चाहिए। इससे भ्रूण को पोषण मिलता है और मां की सेहत भी अच्छी रहती है जिससे गर्भपात नहीं होता है। गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिंघाड़ा खाना चाहिए। खासतौर पर जिनका गर्भ सात महीने का हो चुका है उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद होता है। इसे खाने से ल्यूकोरिया नामक रोग भी ठीक हो जाता है। (सावधानियां:-एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े न खाएं)
– इसके सेवन से भ्रूण को पोषण मिलता है और वह स्थिर रहता है। सात महीने की गर्भवती महिला को दूध के साथ या सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है। सिंघाड़े के नियमित और उपयुक्त मात्र में सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ व सुंदर होता है।
– सिंघाड़े में विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा की सेहत और खूबसूरती बरकरार रखने में बेहद मददगार है। इसे सलाद के रूप में सर्दियों में नियमित खाने से आपकी त्वचा निखरेगी और ड्राइनेस की समस्या नहीं होगी।
– लू लगने पर सिंघाड़े का चूर्ण ताजे पानी से लें।
– गर्मी के रोगी भी इसके चूर्ण को खाकर राहत पाते हैं।
– कच्चे सिंघाड़े में बहुत गुण रहते हैं। कुछ लोग इसे उबालकर खाते हैं। दोनों रूपों में यह स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है। सुपाच्य भी तो होता है।
– सूजन और दर्द में राहतः सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है।
– यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है।
– पेशाब के रोगियों के लिए सिंघाड़े का क्वाथ बहुत फायदा देता है।
– सिंघाड़ा की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मी से जुड़े रोगों में लाभकर होता है।
– प्रमेह के रोग में भी सिंघाड़ा आराम देने वाला है।
– सिंघाड़े को ग्रंथों में श्रृंगारक नाम दिया जाता है।
– यह विसर्प रोग में लेने पर हमें रोग मुक्त कर देता है।
– प्यास बुझाने का इसका गुण रोगों में बहुत राहत देता है।
– प्रमेह के रोगी भी सिंघाड़ा या श्रृंगारक से आराम पा लेते हैं।
– टांसिल्स होने पर भी सिंघाड़े का ताजा फल या बाद में चूर्ण के रूप में खाना ठीक रहता है। साथ ही गले के दूसरे रोग जैसे- घेंघा, तालुमूल प्रदाह, तुतलाहट आदि ठीक होता है।
– नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को दाद पर घिसकर लगाएँ। पहले तो कुछ जलन लगेगी, फिर ठंडक पड़ जाएगी। कुछ दिन इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
– वजन बढ़ाने में सहायकः सिंघाड़े के पाउडर में मौजूद स्टार्च पतले लोगों के लिए वरदान साबित होती है। इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
– सिंघाड़े की रोटी खाने से रक्त- प्रदर ठीक हो जाता है।
– खून की कमी वाले रोगियों को सिंघाड़े के फल का सेवन खूब करना चाहिए।
– सिघांड़े के आटे को घी में सेंक ले | आटे के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है | गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी |
तिल के फायदे (Sesame Seed Botanical Name Sesamum indicum, Til tilkut ke aushadhiya fayde )-
– मस्तिष्क के लिए लाजवाब है। इसमें लैसीथिन नामक पदार्थ होता है जो कि मस्तिष्क के लिए आवश्यक है । तिल का सेवन मस्तिष्क और स्नायुतंत्र के लिए बहुत लाभकारी है।
– कब्ज से निजात पाने के लिए काले तिल में गुड़ मिलाकर सुबह शाम 25 —25 ग्राम सेवन करें।
– यदि गठिया का दर्द सताए तो 150 ग्राम काले तिल में 1० ग्राम सौंठ, 25 ग्राम अखरोट की गिरी तथा 1०० ग्राम गुड़ मिलाकर रख लें। सुबह शाम 2०—2० ग्राम सेवन करें।
– यदि बच्चा बिस्तर गीला करता हो तो काले तिल से बने लडडू खिलाना चाहिए।
– शारीरिक कमजोरी महसूस होने पर 5०—5० ग्राम काला तिल और दालचीनी मिलाकर चूर्ण बना लें तथा एक—एक चम्मच सुबह शाम दूध से सेवन करें।
– हड्डियों से जुड़ी तमाम बीमारियों में तिल का सेवन हितकारी है।
– तिल का सेवन उच्च रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल में लाभदायक है।
– तिल का सेवन रक्त नलिकाआें को मजबूती तथा लचीलापन भी प्रदान करता है।
– अस्थमा के रोगियों के लिए तो यह विशेष लाभदायक है और उन्हें दौरे से राहत दिलाती है।
– यदि माइग्रेन की शिकायत हो तो नियमित रूप से तिल का सेवन करना चाहिए।
– तिल का तेल एक प्राकृतिक सनस्क्रीन का काम करता है त्वचा में जख्म या कटे होने पर तिल का तेल ठीक करने में मदद करता है । त्वचा की टैनिंग कम करने में मदद करता है।
शहतूत के फायदे (Surprising Benefits Of Mulberries, Shahtoot ke fayde, shahtut fruit) –
– अधिक ताप के कारण गाढ़ा, पीला मूत्र आने लगे तो शहतूत के रस में मिश्री घोलकर पीने से राहत महसूस होती है। अधिक प्यास लगने पर शहतूत खाना और उसका रस पीना दोनों लाभ पहुंचाते हैं। शहतूत का शरबत ज्वर में पथ्य के रूप में दिया जाता है । यह शांति प्रदान करता है। शहतूत का शरबत खांसी, गले की खराश तथा टांसिल्स में भी लाभदायक होता है ।
– कमजोरी महसूस होने पर शहतूत का रस और चुटकी भर प्रवाल भस्म लेने से ताकत आती है। शहतूत के पत्ते और जड़ की छाल को पीसकर प्रतिदिन एक चाय का मिश्री की चाशनी के साथ चाटने से पेट के कीड़े समाप्त होने लगते हैं। बच्चों के दांत पीसने की बीमारी में भी यह लाभदायक होता है।
लौंग के फायदे (Clove Live Plant, Syzygium Aromaticum, Labongo, laung ke gun) –
– तेज सिर दर्द हो तो लौंग को पीसकर थोडा पानी मिलाकर माथे पर लगाएं। सिर दर्द कम हो जाएगा। दांतों के दर्द में लौंग पाउडर से मालिश फायदेमंद है।
– 1 लौंग को हल्का भून लें और चूसते रहें। खांसी नजदीक फटकेगी तक नहीं।
– शरीर में कहीं भी फोडा फुंसी, नासूर हो गया हो तो लौंग- हल्दी पीसकर लगाएं।
– हिचकी आ रही है तो इलायची-लौंग को पानी में उबाल कर पी लें। यदि आराम न मिले तो प्रयोग को दो तीन बार दोहरा लें। निश्चित ही हिचकी आनी बंद हो जाएगी।
नीम के फायदे (Neem ke gun, Azadirachta indica, nim ke fayde)-
– नीम का उपयोग विषम ज्वर में भी किया जाता है। इसके पानी का उपयोग एनिमा व स्पंज बाथ में किया गया है। बुखार में एक काढ़ा तैयार किया जा सकता है। ज्वर उतारने के लिये नीम के इस काढ़े काे आयुर्वेदाचार्यों ने अमृत कहा है। काढ़ा तैयार करने के लिए 251 ग्राम पानी, तुलसी 1० पत्ते, काली मिर्च के 1० पत्ते, नींबू एक, नीम की पांच पत्तियां प्रयोग में लायी जाती हैं।
– नीम कुष्ठरोग, वात रोग, विष दोष, खांसी, ज्वर, रुधिर दोष, टी. बी. खुजली आदि दूर करने में सहायक है। प्राकृतिक चिकित्सा में इसका उपयोग प्रमेह, मधुमेह, नेत्र रोग में भी किया जाता है। नीम में साधारण रूप से कीटाणुनाशक शक्ति है। नयी कोपलों का नित्य प्रति सेवन करने से शरीर स्वस्थ व प्रसन्न रहता है। नीम के तेल में मार्गेसिन नामक उड़नशील तत्व पाया जाता है।
– इस तेल की मालिश करने से गठिया व लकवा रोग में लाभ होता है। इसके बीज में 31 प्रतिशत तक एक तेल रहता है जो गहरे पीले रंग का कड़वा, तीखा व दुर्गन्धयुक्त होता है। इस तेल में ओलिड एसिड रहता है।
– सबसे पहले काली मिर्च को पीसकर 250 ग्राम पानी में डालकर नींबू का रस व नीम की पत्तियाँ डालकर अच्छी तरह उबाला जाता है। पानी आधा रहने पर उसको छानकर उस काढ़े को पीकर सो जाते हैं जिससे शरीर में पसीना निकलता है। इससे बुखार, खांसी व सिरदर्द में लाभ होता है। चर्म रोग में नीम का मरहम उपयोग किया जाता है। शरीर में घाव, चोट आदि ठीक हो जाते हैं।
– नीम के मरहम में नीम का रस व घी समान मात्रा में मिलाकर नीम का रस छीजकर केवल घी बचा रहता है और मरहम तैयार हो जाता है। महिलाओं के श्वेत प्रदर रोग में भी नीम लाभकारी है। इस रोग में नीम व बबूल की छाल का काढ़ा तैयार करके श्वेत प्रदर में उपयोग करने से अच्छा लाभ मिलता है।
– नीम की सूखी पत्तियां कपड़ों व अनाज में रखने से कपड़ा व अनाज खराब नहीं होता। नीम का वृक्ष आक्सीजन भी अधिक बनाता है अत: इससे पर्यावरण शुद्ध होता है तथा कुष्ठ, टी.बी. जैसे रोगी भी स्वस्थ हो जाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में नीम बहुत उपयोगी वृक्ष माना जाता है।
जीरा के फायदे (Cuminum cyminum herbal advantage, Jeera ke fayde, jira) –
– जीरे के पानी का सीधा असर श्वास प्रणाली पर भी पड़ता है। चूकि जीरा प्राकृतिक तौर पर श्वास प्रणाली की जकडन दूर करता है इसलिए छाती में बलगम भी काफी मात्रा में बाहर निकल जाता है। खंखारने पर बलगम फैफड़ों और श्वास नलिका में अटकता नहीं है।
– जीरे में एंटीसेप्टिक प्रोपर्टी होने के कारण जुकाम और बुखार के लिए जिम्मेदार माइक्रोऑग्रेनिज्म को मार देता है। जीरे का पानी अनिद्रा दूर करता है और नियमित रूप से लेने वाले को गहरी नींद आती है । इससे मस्तिष्क की ताकत बढ़ती है।
– जीरा रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह इसके पानी से धो लें। इससे बाल पुष्ट तो होंगे ही साथ ही जीरे में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स जड़ों को खोखला होने से बचाएंगे। बालों में रेशम सी चमक आ जाएगी जो किसी हेअर सीरम से या लोशन से हासिल नहीं हो पाएगी।
– किसी भी इन्सान को स्वस्थ रहने के लिए शरीर में लौह तत्व की उपस्थिति निहायत जरूरी है। इसलिए रक्तअल्पता के मरीजों को इसका उपयोग करना चाहिए।
– गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए जीरें का पानी एक वरदान के रूप मे सामने आता है इससे गर्भवती महिला एवं स्तनपान कराने वाली महिला को लौह तत्व की पर्याप्त आपूर्ति होती है। गर्भस्थ शिशु की वृद्धि सहज होती है।
ईख / गन्ने के फायदे (Health Benefits Of Sugarcane Juice, Ganne Ka Ras ke labh, ikh or eekh) –
– पीलिया रोग के लिए इसका रस रामबाण है। इसे लेने से पीलिया रोगी को बहुतायत से पेशाब होता है और पीलिया रोग को शीघ्र नष्ट कर देता है।
– पुरानी ईख बल वीर्यवर्धक, रक्तपित्त और क्षय रोग नष्ट करने वाली होती है।
– ईख को रात में खुली जगह अथवा छत पर रखकर सुबह दांतों द्वारा चूसने से पीलिया रोग चार दिनों में ही लाभ होना प्रारंभ हो जाता है।
– गर्मी के दिनों में इसके रस में नमक और नींबू का रस मिलाकर ठंड़े के रूप में पीने से शरीर को पोष्टिकता प्रदान होती है। यह सर्वोत्तम पेय है।
– मूत्रावरोध को दूर कर देता है। दांतो के द्वारा इसको चूसने से सूखी खांसी, दमा, यक्ष्मा , कब्ज, दस्त, पेशाब, छाती की जलन, पसली का दर्द, तिल्ली, जिगर की सूजन, फैफड़ों में पुराने चिपके हुए कफ को बाहर निकालने वाली, रक्त—पित्त, पथरी, शरीर की थकावट, हाथ—पैर के तलुओं, आखों व पूरे शरीर में होने वाली जलन आदि रोगों को ठीक कर देता है।
पालक के फायदे (green vegetable Spinach benefits, palak ke ayurvedic fayde) –
– पालक में लोहा काफी अधिक मात्रा में होता है अत: इसके सेवन से रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। शरीर में खून की कमी पालक के सेवन से दूर हो जाती है। (नोट -पालक में आजकल बहुत ज्यादे कीटनाशक का प्रयोग होता है)
– रक्त शुद्ध होता है तथा हड्डियां मजबूत बन जाती हैं। पालक कैल्शियम और क्षारीय पदार्थों का जाना—माना स्त्रोत है। अत: इससे पेट से अम्लता दूर होती है और रक्त की क्षारीयता का स्तर बना रहता है।
– गर्भावस्था में पालक का प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। इसमें लोहे की बहुतायत होने के कारण बच्चा और मां दोनों की लोहे की आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
– विटामिन ए की बहुतायत से मां, बच्चा दोनों को ही लाभ होता है। पालक के सेवन से मां का दूध भी बढ़ता है।
– पालक का पतला रस गोले के रस के साथ मिलाकर पीने से मूत्र खुलकर आता है। इसका सेवन दिन में दो बार करना चाहिए।
दालचीनी के फायदे (Health Benefits of Dalchini in Hindi, cinnamomum verum, dalchini ke labh) –
– वायरस जन्य रोगों का आक्रमण इसके प्रयोग से नहीं हो पाता। मौसमी बीमारियां— एन्फ्लुएन्जा, मलेरिया, गला बैठना आदि में दालचीनी को पानी में उबालकर उसमे चुटकी भर कालीमिर्च व मिश्री मिलाकर पीने से ठीक हो जाता है।
– इसकी प्रकृति गर्म होती है। इसलिए गर्मी के दिनों में ज्यादा सेवन नहीं किया जाता।
– दालचीनी एंटीसेप्टिक, एंटीफगल, और एंटीवायरल होती है। यह पाचक रसों के स्राव को भी उत्तेजित करती है। दालचीनी वात, पित्तशामक है तथा जीवनी शक्तिवर्धक है।
– बार बार होने वाले अपच और बुखार के कारण थोड़ी थोड़ी देर में मुंह सूखता हो तो दालचीनी मुंह में रखकर चूसने से प्यास मिटती है।
– रात में एक गिलास दूध में पिसी दालचीनी मिलाकर पीने से शक्ति बढ़ती है। रक्त के सफेद कण बढ़ते हैं।
– दालचीनी से कोलेस्ट्राल की मात्रा कम होती है। जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
– दालचीनी पाउडर से मंजन करना व पानी में इसे उबालकर कुल्ले करने से दांत के हर प्रकार के रोगों को दूर करता है। कहीं भी दर्द हो शरीर में, सिर में, सूजन, पेट दर्द, जोड़ों का दर्द हो तो आधा चम्मच दालचीनी, और पानी मिलाकर मालिश करना, लेप करना और एक कप गर्म पानी में चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर नित्य लेने से ठीक हो जाता है।
– इसी प्रकार ज्वर, टाईफाईड, मोतीझारा, डायबिटीज, कब्ज, स्मरणशक्ति व मानसिक तनाव आदि बिमारियों में भी दालचीनी काफी लाभकारी औषधी है।
दाल के फायदे (ayurvedic advantages of pulses, daal, dal ke faayde) –
– अरहर के उबले हुए पत्तों को घाव पर बाँधने से घाव भरने में मदद मिलती है। खाने में छिलका रहित दाल का प्रयोग किया जाता है, जिससे कफ और खांसी में आराम मिलता है।
– दालों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, फास्फोरस और खनिज तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है ।
– अरहर: यह पित्त, कफ और खून के विकार को समाप्त करती है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, विटामिन ए तथा बी तत्व पाए जाते हैं। इसका छिलका पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
– उड़द: इसमें फास्फोरिस एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी होता है। इसकी चूनी का इस्तेमाल कई रोगों से उपचार के लिए किया जाता है।
– उड़द की दाल वात, कब्जनाशक और बलवर्धक होती है।
– फोड़ा होने पर उड़द की दाल की पीठी रखने से फायदा होता है।
– हड्डी में दर्द होने पर इसे पीस कर लेप लगाने से फायदा होता है।
– मूंग: इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा रेशे जैसे तत्व पाए जाते हैं ।
–यह कफ और पित्त के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। खाने के बाद यह आसानी से पच जाती है।
– मूंग की दाल आंखों की रोशनी बढ़ाती है। बुखार होने पर मूंग की दाल खाने से फायदा होता है। चावल के साथ तैयार खिचड़ी मरीजों के लिए पौष्टिक और सुपाच्य होती है।
चने के फायदे (CHICKPEAS herbal advantages of GRAM, chana or channa kabuli chana ke labh) –
– मोटापा घटाने के लिए रोजाना नाश्ते में चना लें। अंकुरित चना 3 साल तक खाते रहने से कुष्ट रोग में लाभ होता है।
– गर्भवती को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू पिलाएं।
– चना और चने की दाल दोनों के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। चना खाने से अनेक रोगों का इलाज हो जाता है। रोजाना 5० ग्राम चना खाना शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं। चना बहुत सस्ता होता है, लेकिन इसी सस्ती चीज में कई बड़ी बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। चने के सेवन से सुंदरता बढ़ती है। साथ ही, दिमाग भी तेज हो जाता है।
– चना पाचन शक्ति को संतुलित करता है। यह दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है।
– रोज चने खाने से खून साफ होता है । इससे त्वचा निखरती है, चेहरा चमकने लगता है।
– चने के आटे का अलवा कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। यह हलवा वात से होने वाले रोगों में और अस्थमा में फायदेमंद होता है।
– चने के आटे की बिना नमक की रोटी ४० से ६० दिनों तक खाने से त्वचा संबंधित बीमारियां जैसे— दाद, खाज, खुजली आदि नहीं होती है।
– 25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से डायबिटीज दूर हो जाती है। समान मात्रा में जौं व चने का आटा मिलाकर रोटी बनाकर खाने से भी लाभ होता है।
– रात को चने की दाल भिगों दें। सुबह पीसकर चीनी व पानी मिलाकर पिएं। इससे मानसिक तनाव व उन्माद की स्थिति में राहत मिलती है।
– हिचकी की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हों तो चने के पौधो के सूखे पत्तों का ध्रूमपान करें। इससे कफ के कारण आने वाली हिचकी और आमाशय की बीमारियों में लाभ होता है।
– चने की 1०० ग्राम दाल को दो गिलास पानी में भिगो दें। कुछ देर बाद दाल पानी में से निकालकर 1०० ग्राम गुड़ मिलाकर तक खाने से पीलिया के रोगी को राहत मिलती है।
– 25—3० ग्राम देसी काले चनों में 1० ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला लें। चने को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगो दें। उसके बाद किसी कपड़े में बांध कर अंकुरित कर लें। सुबह नाश्ते के रूप में इन्हें खूब चबा चबाकर खाएं। इससे कब्ज दूर हो जाएगी और खून बढ़ेगा।
– बुखार में ज्यादा पसीना आए तो भूने चने पीसकर उसे अजवाइन के तेल में मिलाएं। इस मिश्रण में थोड़ा वच पाउडर मिलाकर मालिश करने से आराम मिलता है।
– गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।
– बार—बार पेशाब जाने की बीमारी में भुने हुए चनों का सेवन करना चाहिए।
– गुड़ व चना खाने से भी मूत्र से जुड़ी समस्या में राहत मिलती है । रोजाना भुने चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाता है।
– 5० ग्राम चने पानी में उबालकर मसल लें। यह पानी गर्म—गर्म पिएं। लगभग एक महिने तक सेवन करने से जलोदर रोग दूर हो जाता है।
– भीगे हुए चने खाकर दूध पीते रहने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है ।
– चने को पानी में भिगो दें । उसके बाद चना निकालकर पानी को पी जाएं कमजोरी की समस्या दूर हो जाती है।
– दस ग्राम चने की भीगी दाल और 10 ग्राम शक्कर दोनों मिलाकर 40 दिनोंं तक खाने से पुरूषों की कमजोरी दूर हो जाती है।
तरबूज के फायदे (Watermelon Benefits, tarbooj or Tarbuj khane ke fayde) –
– उन्माद या पागलपन में— इसके गूदे का रस और गौदुग्ध 250 ग्राम लेकर मिश्री 2० ग्राम मिला, श्वेत—बोतल में भर, चन्द्र के प्रकाश में रातभर किसी खूंटी पर लटकाकर प्रात: निराहार पिलावें। इस प्रकार 21 दिन पिलाने से लाभ होता है।
– खांसी पर— फल का पानी 1० ग्राम सोंठ—चूर्ण 3 ग्राम और मिश्री 1० ग्राम एकत्र कर थोड़े गरम कर पिलावें।
– कच्चा तरबूज फल— ग्राही, गुरु, शीतल, पित्त, शुक्र और दृष्टि शक्तिनाशक है।
– पका फल— उष्ण, क्षारयुक्त, पित्तकारक, कफवात नाशक, वृक्कश्मरी, कामला, पांडु, पित्तज अतिसार, आंत्रशोथ आदि में उपयोगी है।
– रक्तोद्वेग, पित्ताधिक्य, अम्लपित्त, तृष्णाधिक्य, पित्तज ज्वर, आंत्रिकसन्निपात—ज्वर आदि में पके फल का रस (पानी) पिलाते हैं।
– मूत्र—दाह, सुजाक आदि पर— पके फल के ऊपर चाकू से चोकोर गहरा चीर एक छोटा टुकड़ा निकाल, उसके भीतर शक्कर या मिश्री भरकर फिर उसमें वह निकाला हुआ टुक़ड़ा पूर्ववत् जमाकर रात को बाहर ओस में ऊपर खूंटी आदि में टांग देवें। प्रात: उसके अन्दर से गूदे को मसलकर छानकर पीने से मूत्रकृच्छ् दाह दूर होकर मूत्र साफ होता है। शिश्न के ऊपर हुए चट्टे , फुसिया दूर होती है।
– यदि सुजाक हो तो फल के पानी २५० ग्राम में जीरा और मिश्री का चूर्ण मिलाकर पिलाते रहें। अथवा—उक्तविधि से फल के भीतर शक्कर के स्थान में सोरा ४ ग्राम और मिश्री ५० ग्राम चूर्ण कर भर दें, और उसके बाद छिद्र को उसके काटे हुए टुकड़े से ही बन्द कर, रात को ओस में रख , प्रात: छानकर नित्य १ बार ७ दिन तक पिलावें । इससे अश्मरी में भी लाभ होता है।
– शिर:शूल (विशेषत: पैत्तिक हो) आदि पर— इसके गूदे को निचोड़, छानकर (कांच के पात्र में) उसमें थोड़ी मिश्री मिला पिलावें। उष्णता से होने वाले सिर दर्द, लू लगने, हृदय की धड़कन, मूच्र्छा आदि में दिन में 2-3 बार पिलाते हैं।
– दाद, छाजन (उकौत या चम्बल) और व्रण पर— फलों के ऊपर के हरे, मोटे छिलकों को सुखाकर आग में राख कर लें। यदि दाद या चम्बल गीली हो तो उस पर इसे बुरकते रहें, सूखी हो तो प्रथम उस पर कडुवा तेल चुपड़ कर इस राख को लगाया करें।
– व्रणों को पकाने के लिये—उक्त छिलकों को पानी में उबाल कर बांध देने से वे शीघ्र पक जाते हैं। सुपारी के अधिक खाने से कभी—कभी नशा सा चढ़ता व चक्कर आते हैं, ऐसी दशा में इसके खाने से लाभ होता है। नोट— फल का सेवन कफज या शीतप्रकृति वालों को, जिन्हें बार—बार जुखाम होता हो, तथा श्वास, हिक्का के रोगी को एवं मधुमेही , कुष्ठी या रक्तविकृति वाले को हानिकारक होता है। विशेषत: सायंकाल या रात्रि में इसे नहीं खाना चाहिए। इसकी हानि निवारणार्थ गुलकन्द का सेवन कराते हैं। इसका प्रतिनिधि पेठा है।
– बीज— शीतवीर्य, स्नेहन, पौष्टिक, मूत्रल, पित्तशमन, कृमिघ्न, मस्तिष्क शक्तिवर्धक है, और कृशता, रक्तोद्वेग, पित्ताधिक्य, वृक्कदौर्बल्य, आमाशयशोथ, पित्तज कास एवं पित्तज ज्वर, उर:क्षत यक्ष्मा, मूत्रकृच्छ आदि में उपयोगी है। उक्त विकारों पर प्राय: बीजों की गिरी को ठंडाई की भाँति पीस छानकर पिलाते हैं। अनिद्रा, मस्तिक दौर्बल्य एवं दाह प्रशमनार्थ भी इन्हें पीसकर पिलाते लेप करते या नस्य देते हैं। पुष्टि के लिए— बीजों की गिरी 5० ग्राम और 5 ग्राम एकत्र पीसकर, हलुवा जैसा बना या केवल ठंडाई की भांति पीस छान कर नित्य सेवन करते हैं।
– उन्माद या मस्तिष्क विकृति पर —इसकी गिरी 1० ग्राम रात को पानी में भिगोंएँ, प्रात: पीसकर 2० ग्राम मिश्री, छोटी इलायची 4 नग के दानों का चूर्ण एकत्रकर मिलाकर गाय के मक्खन के साथ खिलाये।
– मूत्रकृच्छ् , अश्मरी पर—बीज १० ग्राम को पीसकर ठंडाई की भांति आधा सेर जल में घोल छानकर मिश्री मिला, पिलाते रहने से लाभ होता है। साधारण पथरी भर मूत्र द्वारा निकल जाती है। कृमि, सिरदर्द और ओष्ठ— पर— बीजों को थोड़ा आग पर सेंककर, मींगी निकाल कर खाने से उदर—कृमि नष्ट होते हैं। इसकी गिरी को खरल में खूब घोटकर सिर—दर्द पर लेप करते हैं।
– शीतकाल में या वात—प्रकोप से ओष्ठ फटकर कष्ट देते हों, तो गिरी को पानी में पीसकर रात्रि के समय लेप करने से लाभ होता है। रक्तचाप में वृद्धि पर नित्य 1०—2० ग्राम इसके बीजों को भुनकर खाते रहने से ब्लडप्रेशर घट जाता है। अथवा उत्तम गुड़ की चाशनी बना, उसमें भुने हुए बीज मिला लड्डू, बनाकर खाने से स्वाद के साथ—साथ लाभ की प्राप्ति भी होती है। नोट— बीज गिरी की मात्रा 5 ग्राम से 1० ग्राम तक।
जायफल के फायदे (Nutmeg, Myristica fragrans, Jayfal Laabhkari Hai)-
– जायफल तथा सौंठ बराबर मात्रा में लेकर जल में घिसकर सेवन करने से शीघ्र ही दस्त बंद हो जाते हैं |
– जायफल को पानी में घिसकर पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है |
– जायफल को पानी में घिसकर मस्तक पर लगाने से सर का दर्द ठीक होता है |
– जायफल को पीसकर कान के पीछे लेप करने से कान की सूजन में आराम मिलता है |
– जायफल के तेल में भिगोई हुई रुई के फाहे को दांतों में रखकर दबाने से दांत के दर्द में लाभ होता है |
– 5०० मिलीग्राम जायफल चूर्ण में मधु मिलकर सेवन करने से खांसी, सांस फूलना, भूख न लगना, क्षय रोग एवं सर्दी से होने वाले जुकाम में लाभ होता है |
– एक से दो बूँद जायफल तेल को बताशे में डालकर खिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है |
– जायफल तथा जावित्री के बारीक चूर्ण को जल में घोलकर लेप करने से झाइयाँ दूर होती हैं |
जामुन के फायदे (Syzygium cumini, health benefits of jamun, jamun ke labh)-
– जामुन शरीर की पाचन शक्ति को मजबूत करता है और पेट से संबंधित विकार कम करता है। जामुन को भुने हुए चूर्ण और काला नमक के साथ सेवन करने से एसिडिटी समाप्त होती है।
– मधुमेह के रोगी जामुन की गुठलियों को सुखाकर, पीसकर उनका सेवन करें। इससे शुगर का स्तर ठीक रहता है।
अजवाइन के फायदे (Trachyspermum ammi, Benefits Of Ajwain In Hindi, ajwain ka fayda)-
– आधा चम्मच अजवाइन में दो काली मिर्च और एक चुटकी खाने वाला सोडा मिलाकर भोजन के बाद पानी के साथ लेने से वायु विकार दूर होता है। अजवाइन का चूर्ण नमक मिले गुनगुने जल में घोल कर उससे गरारे करें। गले की सूजन में लाभ होगा।
– सूखी खांसी से परेशान हों, तो अजवाइन को चबाने के बाद गर्म पानी पिएं। तेजपत्ते के साथ भी इसे सोने से पहले ले सकती हैं।
– पेट में किसी कारण से दर्द हो, तो गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच अजवाइन दो या तीन चुटकी नमक के साथ ले सकती हैं।
– कोल्ड हो या माइग्रेन से सिर में दर्द हो, तो अजवायन को पोटली में बांधकर बार — बार सूंघें।
– अजवाइन को गुड़ में मिलाकर सेवन करने से पित्त से छुटकारा मिलता है।
– दांतो में दर्द हो तो अजवाइन को पानी में डालकर कुछ देर उबालें । इस पानी से दिन में दो या तीन बार गार्गल करें।
– अजवाइन का बफारा देने से बच्चे को सर्दी और जुकाम से छुटकारा मिलता है।
– देशी खांड में अजवाइन के तेल की 5-6 बूंदें डालकर खाने से वमन, अजीर्ण और थकान में लाभ होता है।
– कब्ज , कफ, पेट दर्द, वायुगोला, सुखी खांसी, हैजा, अस्थमा तथा पथरी आदि अधिकांश रोगोपचार में अपनी अहम भूमिका निभाता है।
भैंस का दूध (Milk indian buffalo, fluid Nutrition Facts Calories advantages harms, bhains ka doodh ke fayde aur nuksan)-
– अनिद्रा को दूर करने में श्रेष्ठतम होता है।
– यह अधिक चिकनाई युक्त होता है अत: मोटापा बढ़ाने में उपयोगी होता है।
– नेत्रों के लिए हानिकारक होता है ।
गुडहल (फूल) के फायदे (Hibiscus flower Uses & Benefits, gudhal ka phool ke fayde and upyog)-
– गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
– अगर गुडहल को गरम पानी के साथ या फिर उबाल कर फिर हर्बल टी के जैसे पिया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करेगा और बढे कोलेस्ट्रॉल को घटाएगा क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।
– कई गुडहल के फूल हैं जो कि अलग-अलग रंगों में पाये जाते हैं जैसे, लाल, सफेद , गुलाबी, पीला और बैगनी आदि। यह लाल फूल की बात हो रही है जिसका इस्तेमाल खाने- पीने या दवाओं लिए किया जाता है।
– इससे कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और गले के संक्रमण जैसे रोगों का इलाज किया जाता है। यह विटामिन सी, कैल्शियम, वसा, फाइबर, आयरन का बढिया स्रोत है। गुडहल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग सुंदर हो जाता है।
– मुंह के छाले में गुडहल के पते चबाने से लाभ होता है। डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
– गुडहल की चाय भी बनती है। जी हां, गुडहल की चाय एक स्वास्थ्य हर्बल टी है। गुडहल से बनी चाय को प्रयोग सर्दी-जुखाम और बुखार आदि को ठीक करने के लिये प्रयोग की जाती है।
– गुड़हल के फूल का अर्क दिल के लिए फायदेमंद है ।
– विज्ञानियों के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुड़हल का अर्क कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। इसलिए यह इनसानों पर भी कारगर होगा।
– गुडहल का फूल काफी पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह पौष्टिक तत्व सांस संबन्धी तकलीफों को दूर करते हैं। यहां तक की गले के दर्द को और कफ को भी हर्बल टी सही कर देती है।
– गुडहल के फूलों का असर बालों को स्वस्थ्य बनाने के लिये भी होता है। इसे पानी में उबाला जाता है और फिर लगाया जाता है जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। यह एक आयुर्वेद उपचार है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने मे भी किया जाता है।
– गुडहल के पत्ते तथा फूलों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर की एक चम्मच मात्रा को एक चम्मच मिश्री के साथ पानी से लेते रहने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढाती है।
– गुडहल के फूलों को सुखाकर बनाया गया पावडर दूध के साथ एक एक चम्मच लेते रहने से रक्त की कमी दूर होती है | यदि चेहरे पर बहुत मुंहसे हो गए हैं तो लाल गुडहल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाए |
खरबूजा के फायदे (Health Benefits of Muskmelons, Kharbuja khane ke fayde, Cantaloupe is commonly known as muskmelon or kharbooja in India) –
इसमें मौजूद द्रव से शरीर को ठंडक तो मिलती ही है, हृदय में जलन जैसी शिकायत भी दूर हो जाती हैं। नियमित रूप से खरबूजे का सेवन करने वालों की किडनी स्वस्थ बनी रहती है. साथ ही, यह शरीर का वजन कम करने में भी मददगार है।
– खरबूजा एंटी ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है इसलिए खरबूजा खाने वालों को दिल की बीमारियां और कैंसर होने की आशंका कम रहती है।
– सरल शब्दों में कह दिया जाता है कि खरबूजे में तो पानी ही होता है लेकिन 95 फीसद पानी समेटे हुए खरबूजे में वे विटामिन और मिनरल्स भी मौजूद होते हैं जिनके चलते खरबूजे से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं।
– वजह यह है कि खरबूजे में शुगर और कैलोरी की मात्रा ज्यादा नहीं पायी जाती. यह एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में विटामिन का अच्छा स्रोत है इसलिए खरबूजा खाने वालों को दिल की बीमारियां और कैंसर होने की आशंका कम रहती है।
– इसमें विटामिन ए मौजूद रहने के चलते यह हमारी त्वचा को सेहतमंद रखने में भी सहायक है।
– खरबूजा लंग कैंसर से हमारे शरीर की रक्षा करने में मदद कर सकता है. साथ ही, इसमें मौजूद विटामिन सी और बिटा- कैरोटेन मिलकर कैंसर रोकने में सहायक हो सकते हैं।
– इसे गर्मी के मौसम का परफेक्ट फ्रूट माना गया है। इसमें मौजूद पानी की ज्यादा मात्रा शरीर में पानी की कमी की भरपाई करता है इसी वजह से हमारा शरीर गर्मियों में पसीने के रूप में शरीर से निकले पानी की भरपाई तुरंत कर लेता है।
– इस मौसम में खरबूजा शरीर की गर्मी और उससे जुड़ी बीमारियों को रोक देता है अगर आप नियमित रूप से अपने शरीर में मौजूद कैलोरी को जानने के आदी हैं तो रोज खरबूजे खाइए। वजन कम करने की इच्छा वालों के लिए खरबूजा बहुत अनुकूल फल है क्योंकि इसमें काफी मात्रा में कैलोरी या शुगर मौजूद होती है इसलिए खरबूजे को काफी उम्दा फल समझना चाहिए।
– इसके गूदे में मौजूद नारंगी रंग के रेशे या फाइबर काफी मुलायम होते हैं। जिन्हें कब्जियत की शिकायत रहती है, वे खरबूजा खाएं, तो इससे फायदा होता है।
– खरबूजे में उच्च स्तर का बेटाकैरोटेन, फोलिक एसिड, पोटैशियम, विटामिन सी और ए मौजूद होते हैं इसलिए अगर आप सेहतमंद और जवां दिखना चाहते हैं तो अपने दैनिक आहार में खरबूजे को शामिल करना मत भूलिएगा।
– खरबूजे में मौजूद पोटैशियम शरीर से सोडियम को निकालने का काम करता है जिससे हाई ब्लडप्रेशर को लो करने में मदद मिलती है। पीरियड के दौरान महिलाओं को खरबूजा खाते रहना चाहिए क्योंकि यह हेवी फ्लो और क्लॉट्स को कम कर देता है। थकान में भी यह राहत देता है साथ ही, यह नींद ना आने की बीमारी को भी भगाता है।
काली मिर्च के फायदे (Black Pepper herbal advantages, Piper nigrum, Kali mirch ke gun)-
– आधा चम्मच घी, आधा चम्मच पिसी हुई कालीमिर्च और आधा चम्मच मिश्री इन तीनों को मिलाकर सुबह घोट लें। आंखों की कमजोरी दूर होती है और नेत्र ज्योति बढ़ती है।
– कालीमिर्च को उबालकर उसके पानी से कुल्ला करने से मसूडों का फूलना रुक जाता है । मसूड़े स्वस्थ तथा मजबूत होते हैं।
– मक्खियों के बचाव के लिए किसी बर्तन में एक चम्मच मलाई व आधा चम्मच काली मिर्च मिलाकर रख देने से मक्खियां भागने लगेंगी।
– रात को आधा चम्मच पिसी काली मिर्च एक कप दूध में डालकर उबालें। इस तरह तीन दिन तक बनाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
– मिश्री और काली मिर्च चबाने व चूसने से बैठा गला ठीक हो जाता है।
– काली मिर्च को पानी में घिसकर बालतोड़ वाले स्थान पर लगाने से बालतोड़ ठीक हो जाता है।
– पाचन क्रिया को ठीक करने के लिए काली मिर्च व सेंधा नमक पीस कर भूनी अदरक के बारीक टुकड़ों के साथ मिलाकर खाएं।
– काली मिर्च व तुलसी की पत्तियों को बराबर पीसकर दांतों के नीचे दबाने से व मंजन की तरह मलने से दांतों में लाभ होता है।
– गैस की शिकायत होने पर एक प्याले पानी में आधा चम्मच नींबू का रस डालकर आधी चम्मच काली मिर्च का चूर्ण और काला नमक मिलाकर नियमित कुछ दिनों तक पियें।
बादाम के फायदे (Badam Ke Benefits, Almond Benefits, Urban Platter Softshell Almonds, Kagazi Badaam)-
– बादाम हृदय रोगियों की आरटरीज को स्वस्थ रखता है। यह एलडीएल को कम कर एचडीएल को बढ़ाता है। बादाम का फाइवर घुलनशील होने के कारण कोलेस्ट्रोल को कम करता है। बादाम में निहित कैल्शियम और मैग्नीशियम हृदय की धड़कन को नियन्त्रित कर हमारे कार्डियोवास्कुलर सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
– बादाम रोगन त्वचा तथा बालों के लिए उत्तम टानिक होता है। इसके नियमित प्रयोग से बाल काले और चमकदार रहते हैं तथा त्वचा में निखार आता है।
– यह प्रोटीन, विटामिन ए, बी काम्पलेक्स, ई, फौलिक एसिड, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, कपूर,फाइवर, मैग्नीशियम, पोटाशियम अनेको न्यूट्रिएटस से भरपूर है। इसमे सेचुरेटिड वसा अधिक होती है जो हमारे शरीर के लिये लाभप्रद मानी जाती है। बादाम के नियमित सेवन से मस्तिष्क के स्नायु चुस्त बने रहते हैं और शरीर में यह एन्टी आक्सीडेन्ट का काम करता है। बादाम बच्चों, जवान और बड़ों के लिये उत्तम खाद्य पदार्थ है।
– बादाम में निहित प्रोटीन की तुलना सोयाबीन से की जाती है इसलिए यह बढ़ते बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक शक्ति के लिए बहुत उचित होता है। बच्चों को शहद में भीगे बादाम दिए जा सकते हैं जो बच्चों में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं।
– जवां आदमी के लिए नियमित बादाम का सेवन उसकी मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाता है और शारीरिक सहनशक्ति को भी बढ़ाता है।
– बादाम को छिलके के साथ खाने से कब्ज होती है और छिलका उतार कर खाने से कब्ज दूर होती है। पुरानी कब्ज होने पर गर्म दूध में थोड़ा बादाम रोगन मिलाकर पीना चाहिए।
– बादाम में उचित आयरन होने के कारण यह मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों में रक्त संचार को बढ़ाता है जिससे बुढ़ापे में कई रोगों से दूर रहते हैं। रात को सोते समय चार छिलका उतरे बादाम, काली मिर्च और शहद का सर्दियों में नियमित सेवन करने से सर्दी के कई रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
– बादाम के नियमित सेवन से मस्तिष्क में रक्त संचार सुचारु रूप से कार्य करता है। बादाम का केल्शियम दिमागी नसों को सहनशील बनाता है। इसमें निहित विटामिन बी—1, बी—12, और ई मस्तिष्क की कोशिकाओं और स्नायु तंत्र को शक्ति प्रदान करता है।
– बादाम उच्च कैलोरी खाद्य होने के कारण इसका प्रयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। बहुत अधिक सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है।
– बादाम का छिलका उतार कर ही लेना चाहिए। सेवन करने से पहले इसे पानी में तीन चार घंटे भिगो कर रखना चाहिए।
– बादाम को अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए ताकि पचने में आसानी रहे।
– एक दिन में 1० बादाम से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए वैसे प्रतिदिन 4—5 बादाम की गिरी लेना ही हितकर होता है।
मेथी दाना के फायदे (health benefits of ORGANIC FENUGREEK SEED or METHI DANA VENDAYADM SEED, methi dana ke gun)-
– मेथी के प्रयोग से गले की खरास भी दूर होती है एवं मेथी से तैयार काफी में केफीन के हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं जिस प्रकार हम फ्लश सिस्टम को लेट्रीन ब्रुश से रगड़कर साफ करते हैं ठीक उसी प्रकार मेथीदाना हमारे पेट में जाकर गलेगा, फूलेगा एवं चिकनाई के कारण हमारे पेट की आँतों को रगड़—रगड़कर जमे हुए मल को निकालेगा एवं मल गुठलियाँ भी नहीं बनने देगा। मेथी दाना हमारे पेट को साफ करके कब्ज को दूर करेगा।
– मेथी दाना एक पौष्टिक खाद्य, स्फूर्तिप्रदायक एवं रक्त शोधक टॉनिक है। मेथीदाना पाचन क्रिया में लाभदायक है। मेथी की चाय तेज बुखार में राहत देती है ताजी मेथी के बने पेस्ट को लगाने से मुहाँसे दूर होते हैं एवं फोड़े—फुन्सी पर पुल्टिश बाँधने से लाभ होता है। मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर सिर पर लगाने से बाल मुलायम होते हैं। रात को सोने के पूर्व पत्तों का पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे का रंग साफ होता है।
– मेथी में फॉस्फोरस, लेसोटिन एवं एलबुमिन, आयरन व कैल्सियम पाया जाता है। मेथी में कैल्सियम के कारण इसके सेवन से महिलाओं के स्तन में दूध की मात्रा बढ़ती है।
मेथीदाना हमारे शरीर के अन्दर के किसी भी भाग की टूटी हुई हड्डी तक को जोड़ने की सामर्थ्य रखता है एवं हाथ—पैर के एक—एक जोड़ ठीक करता है।
मेथीदाना का नित्य प्रतिदिन सेवन करने वाले व्यक्ति को सौ साल तक भी निम्न प्रकार के रोग नहीं होंगे- लकवा, पोलियो, निम्न एवं उच्च रक्तचाप, शुगर, गठियावात, गैस की बीमारी, हड्डी के बुखार, बवासीर एवं जोड़ों का दर्द इत्यादि ।
– तेल मूंगफली, सरसों का जितना तेल लें उसका चौथाई उसमें मेथीदाना मिलाकर कढ़ाई में डालकर आग के ऊपर गर्म करें मेथीदाने काले हो जाने पर उसे नीचे उतार लें। मेथीदाना बाहर निकालकर तेल को छानकर रखें। इस तेल की नियमित मालिश करने से शरीर की बादी में बहुत लाभ होगा।
– रात को ठीक सोने से पहले एक चाय का चम्मच (मीडियम साइज) कच्चा साबुत मेथीदाना मुँह में रखकर पानी से निगल जाइये ठीक उसी प्रकार सुबह शौच आदि स्नान, मंजन से निपटकर पुन: एक चम्मच मेथी का प्रयोग करें इसके बाद अपने दैनिक कार्य करें। मेथीदाना अन्न नहीं होता।
मिट्टी के फायदे (ayurvedic benefits of soil multani mitti clay earth, mitti ke aushadhiya labh)-
– तेज ज्वर होने पर पेट एवं सिर पर मिट्टी बांधने से तेज बुखार एक दो घण्टे में कम हो जाता है।
– जोड़ों के दर्द पर मिट्टी लगाने से आराम मिलता है।
– काली मिट्टी घाव, दाह, रक्त विकार, प्रदर— (सफेद पानी) कफ एवं पित्त को मिटाती है। मिट्टी कई प्रकार के रोगों का उपचार करने में प्रयुक्त की जाती है। यह अतिसार, सिरदर्द , आंखों में दर्द, कब्ज, ज्वर, पेट दर्द, पेचिश, बवासीर, जोड़ों के दर्द, प्रदर, प्रमेह आदि रोगों में हितकारी है।
– शरीर में कहीं भी पेट, छाती, गला, कान, कनपटी, मूत्राशय, जिगर आदि में दर्द या सूजन होने पर मिट्टी को गीला करके रोेटी सी बनाकर रख देना चाहिए। इससे आशातीत लाभ होता है। इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी ठीक दर्द वाले स्थान पर ही रखी जाए। रोगी की दशा के अनुसार 2-4 घन्टे तक इस प्रकार की पुल्टिस बांधे रख सकते हैं। यदि लगातार रखने से मिट्टी गरम हो जाए तो उसे बदल देना चाहिए।
– फोड़े, फुन्सी, घाव, जलने आदि पर या शरीर का कोई हिस्सा जल गया हो तो सादी, चिकनी मिट्टी को गीली करके घाव पर रोटी सी बनाकर रख देनी चाहिए। यदि घाव गहरा हो तो घाव में मिट्टी लगाकर उस पर कपड़ा बांध देना चाहिए। इसे ‘पुल्टिस’ बांधना कहते हैं। इस से घाव तेजी से भरने लगता है। मिट्टी को बांधने से पहले बारीक छलनी से छान लें तो यथोचित होगा। छलनी से छानी हुई बारीक साफ मिट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर आटे की तरह गूंथकर मरहम सा गाढ़ा बना लेना चाहिए। तत्पश्चात् ही घाव आदि में भरकर पुल्टिस बांध देनी चाहिए।
– चर्म रोगों में भी उपरोक्तानुसार मिट्टी की पुल्टिस दिन में दो बार दो—दो घण्टे तक बांधने से लाभ होता है। जलने पर भी मिट्टी बांधने से जलन कम हो जाती है। फोड़े – फुन्सियों, खुजली, दाद आदि सभी में मिट्टी बांधने से लाभ होता है।
– दांत का दर्द हो तो बाहर दुखती जगह पर गाल या जबड़े पर मिट्टी की पुल्टिस बांधनी चाहिए। इस प्रकार मिट्टी एक प्रकार से मानव के लिए प्रकृति की अनुपम देन है। मिट्टी में शरीर में गर्मी उत्पन्न करने वाले रोगों को शान्त करने की अपूर्ण क्षमता है। शरीर को निरोगी एवं स्वस्थ रखने के लिए मिट्टी से स्नान करना बेहद बढ़िया है। मिट्टी को विषहरण रखने की शक्ति से परिपूर्ण माना गया है।
अखरोट के फायदे (herbal benefits of Kashmir Organic Walnut Kernels Akhrot Without Shell vacuumpack, Juglans regia, Akhrot se labh)-
– अखरोट के साथ कुछ बादाम भूनकर खाने व इसके ऊपर दूध पीने से वृद्धों को बहुत फायदा मिलता है।
– अखरोट कफ बढ़ाता है। इसलिए अखरोट चार से ज्यादा न खाएं।
– बच्चे को बहुत ज्यादा कृमि हो गई हो तो उसे रोज एक अखरोट की गिरी खिलाएं। इससे कृमि बाहर आ जाते हैं।
– अखरोट की गिरी को बारीक पीस लें। रोज सुबह शाम ठंडे पानी के साथ लगातार 15 दिनों तक एक—एक चम्मच लें पथरी मूत्र मार्ग से बाहर आ जाती है।
– अखरोट नर्वस सिस्टम को फायदा व दिमाग को तरावट पहुँचाता है।
सेब के फायदे (बिना कीटनाशक वाला) (Amazing Benefits of Apple, seb ke fayde hindi me)-
– यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाचुएट्स लावेल में किये गये एक अध्ययन के अनुसार सेब या सेब का जूस बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहतर आहार साबित हो सकता है ।
– अध्ययन में यह पता चला है कि स्नायु अंतरण से प्रभावित याददाश्त के लिए सेब का जूस काफी लाभदायक होता है। सेब के जूस का सेवन करने से मस्तिष्क में आवश्यक स्नायु अंतरण ‘एसेटाइलकोलाइन’ के उत्पादन में वृद्धि हो जाती है।
हींग के फायदे (Ferula assa foetida, health benefits of asafoetida, hing ke laabh heeng)-
– हींग पेट की अग्नि बढ़ाने वाली, पित्तवर्धक, मल बाँधने वाली, खाँसी, कफ, अफरा मिटाने वाली एवं हृदय से संबंधित छाती के दर्द, पेट दर्द को मिटाने वाली औषधि है। भोजन में रोज (सरसो के दाने के बराबर) इसका प्रयोग करना चाहिए ।
– बच्चों के पेट में कृमि हो जाए तो हींग पानी में घोलकर पिलाते हैं। बहुत छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर एकदम थोड़ी—सी हींग, पानी में घोलकर पेट पर हल्के से मालिश करने से लाभ होता है। (सरसो के दाने से ज्यादा हींग रोज खाने से नुकसान होता है)
इमली के फायदे (Tamarindus indica, Health Benefits Of Tamarind, imli Ke Benefits & Fayde in Hindi)-
– 1० ग्राम इमली को 1 लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे 1० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर, छानकर, कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है
– इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को 4०० मिलीलीटर पानी में पकाकर, एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है |
– इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है |
– इसके फल में शर्करा, टार्टरिक अम्ल, पेक्टिन, ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन, वसा, कार्बोहायड्रेट खनिज लवण प्राप्त होते हैं | यह कैल्शियम, लौह तत्व, विटामिन B, C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है |
– 1० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर, मसल-छानकर, शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है |
– इमली को पानी में डालकर, अच्छी तरह मसल- छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है|
– इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है |
– गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं, अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं |
(नोट – हर मरीज की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग अलग हो सकतीं हैं इसलिए इस वेबसाइट में दिए हुए किसी भी यौगिक, आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपायों को आजमाने से पहले किसी योग्य योगाचार्य, वैद्य व चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें)
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !