मिस्टीरियस “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” के आश्चर्यजनक फायदे इन आसान तरीकों से भी मिल सकते हैं

एंशिएंट एरा (प्राचीन काल) से ही लगभग सभी मानवों की इच्छा रही है कि वे जब तक जीएं, तब तक एकदम स्वस्थ, मजबूत, जवान बने रहे और इसके लिए लोगों ने तरह – तरह के प्रयास भी किये हैं जैसे- नेक्टर (अमृत), संजीवनी वटी, आयुवर्धक दवाओं, कायाकल्प करने में सक्षम नुस्खों आदि को खोजने की कोशिश करना ! देखा जाए तो प्राचीन काल से सबसे ज्यादा मेहनत, पूरे विश्व में जिन प्रयासों पर की गयी है, उनमें से एक है मिस्टीरियस “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” (रहस्यमय “यौवन के झरने”) को खोजने की कोशिश करना !

शायद आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्राचीन काल से लेकर आज तक भी, पूरे विश्व में कई इंटेलेक्चुअल्स व आम नागरिक भी मानते हैं कि दुनिया में कहीं ना कहीं, कोई ऐसा डिवाइन फाउंटेन (दिव्य झरना) गुप्त रूप से छिपा हुआ है जिसमें पानी की जगह नेक्टर (अमृत) बहता है जिसकी वजह से उस फाउंटेन में केवल नहाने मात्र से आदमी फिर से यूथ (जवान) बन जाता है !

और इतना ही नहीं, बल्कि विश्व की कई प्राचीन सभ्यताओं में इससे संबंधित तरह – तरह की कहानियां भी प्रचलित हैं, जिन पर अब एक हाई क्लॉस हॉलीवुड मूवी “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” भी बन रही है जिसमें विश्व प्रसिद्ध एक्टर्स जॉन क्रासिंस्की व नताली पोर्टमैन आदि शामिल हैं (अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- John Krasinski, Natalie Portman Join Guy Ritchie’s ‘Fountain of Youth’) !

अतः प्राचीन भारतीय विज्ञान में बताये गए इटरनल यूथ (चिर यौवन) पाने के आसान तरीकों के बारे में जानने से पहले …….. आईये संक्षेप में उन दूसरे प्रसिद्ध तथ्यों के बारे में भी जान लेते हैं जिन्हे पिछले हजारों साल में “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” को खोजने के दौरान तत्कालीन मशहूर हस्तियों ने जाना था ! “स्वयं बनें गोपाल” समूह को ये सभी ऐतिहासिक जानकारियां, स्पेस साइंस के रिसर्चर डॉक्टर सौरभ उपाध्याय (जिन्होंने प्राचीन ब्रह्मांडीय विज्ञान को समझने के लिए विश्व की सभी मुख्य प्राचीन सभ्यताओं पर भी काफी रिसर्च की है) ने बताया है !

डॉक्टर सौरभ के अनुसार यूनान के प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोडोटस ने आज से लगभग ढाई हज़ार साल पहले अपनी एक कृति में एक ऐसे ही झरने का उल्लेख किया था जो “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” था और ये झरना “लैंड ऑफ़ मर्कोबियंस” (Land of Marcobians) नाम की एक रहस्यमय जगह पर था ! उन्होंने लिखा है कि ये झरना वहां पर रहने वाले क्षेत्रीय निवासियों को असाधारण रूप से लम्बी आयु प्रदान करता था !

इसके अलावा उपाध्याय जी ने बताया कि प्रसिद्ध धर्मयुद्ध (Crusade) के समय यानि ग्यारहवीं और बारहवीं शताब्दी के दौरान, ये बात प्रचलित थी कि उस समय के प्रसिद्ध विद्वान राजा, जॉन प्रेस्टर एक ऐसी जगह शासन करते थे जहाँ कथित रूप से “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” हुआ करता था !

पंद्रहवीं शताब्दी में जब पश्चिमी देशों के सम्राट और वहां के धनी लोग अधिक धन एवं खज़ाने की चाहत में, धरती पर स्थित नई और अनजानी जगहों की तलाश में निकलते थे, तो उस समय भी लोगों में “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” का आकर्षण कम नहीं था ! उस समय की नई दुनिया, यानि आज के अमेरिका को तब “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” की संभावित धरती के रूप में माना जाता था, विशेष रूप से कैरेबियन द्वीप समूह को माना जाता था क्योंकि बहुत सारे कैरेबियन द्वीप निवासियों ने, वहां पहली बार पहुँचने वाले अजनबियों को एक ऐसी खोई हुई धरती के बारे में बताया जो धन – धान्य से भरपूर अत्यंत समृद्ध नगरी थी !

डॉक्टर सौरभ के अनुसार उस जगह को लोग बिमिनी नाम से जानते थे ! स्पष्ट है की ये जगह जो कोई भी थी लेकिन आज की बिमिनी से अलग थी ! बाद में इस जगह के रहस्य को “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” से जोड़ दिया गया और ये जगह एक किंवदंती बन गयी ! एक स्पेनिश इतिहासकार लोपेज़ डी गोमारा (Lopez De Gomara) ने भी एक ऐसी ही जादुई नदी या झरने का उल्लेख किया था जिसके जल के प्रभाव से बूढ़ा आदमी फिर से जवान होने लगता है और अपनी युवावस्था को प्राप्त कर लेता है ! उसने इसका संभावित स्थान क्यूबा और हैती के उत्तर में स्थित एक द्वीप पर बताया था !

सौरभ जी ने बताया एक इटैलियन भूगोल-वेत्ता “पिएत्रो मार्तायार्ड डी अन्घीरा” (Pietro Martired d Anghiera) ने, जो की स्पेन में रहते थे, इसका ज़िक्र किया है ! सन 1513 में उन्होंने इस झरने के बारे में लिखा था ! उन्ही के शब्दों में – “हिस्पनिओला के उत्तर में स्थित द्वीपों में, इससे लगभग 975 मील दूर, जैसा की उसने बताया जिसने इसे खोजा था, एक लगातार कभी न रुकने वाला पानी का एक झरना है ! उसके अद्भुत, अविश्वसनीय गुणों वाले पानी पीने के बाद, शायद कुछ स्वल्पाहार के बाद, बूढ़ा आदमी भी दोबारा से जवान हो जाता है” !

अतः डॉक्टर सौरभ द्वारा ऊपर बतायी गयी जानकारियों के अनुसार, हम लोग देख सकते हैं कि वास्तव में मनुष्य हमेशा से अज्ञात की तरफ आकर्षित होता रहा है और जब से मनुष्य ने अपने आप को इस नश्वर दुनिया में पाया है, तब से उसकी ये प्रबल इच्छा रही हैं, की वो आखिर ऐसा क्या करे उसे ना कभी बूढ़ा होना पड़े और ना ही कभी मरना पड़े !

प्रतीकात्मक चित्र (Symbolic Image)

इंटरेस्टिंग बात है कि इस असम्भव लगने वाली प्रक्रिया को सम्भव कर दिखाने के लिए, आज भी मॉडर्न साइंस बेस्ड कई मल्टीनेशनल फारमास्वीटिकल्स (दवा) कम्पनीज और विश्व के नामी गिरामी रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट्स भी दिन रात मेहनत कर रहें हैं और उनकी इस मेहनत का अब तक क्या – क्या रिजल्ट्स मिलें हैं, उनमें से एक जानने के लिए कृपया इस न्यूज़ लिंक पर क्लिक करें- हार्वर्ड के वैज्ञानिकों का दावा- ढूंढ लिया है ‘बुढ़ापे को जवानी में बदलने’ का रासायनिक मिश्रण, चूहे और बंदर पर सफल रहा प्रयोग (“स्वयं बनें गोपाल” समूह भी ऐसे वैश्विक उपक्रम में सहयोग कर चुका है जिसमें हावर्ड ने भी सहयोग किया था, जिसे जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- जानिये हावर्ड, ऑक्सफ़ोर्ड, “स्वयं बनें गोपाल” समूह आदि के सहयोग द्वारा निर्मित संयुक्त राष्ट्र संघ की “नेट जीरो एमिशन्स कमिटमेंट्स” रिपोर्ट के बारे में) !

इतना ही नहीं सुनने में आया है कि दुनिया के कई सबसे धनी लोगों ने भी अपनी पर्सनल लैबोरेट्री बना रखी है हैं जहाँ दिन – रात वैज्ञानिक यही रिसर्च करते रहते है कि कैसे कोई व्यक्ति हमेशा जवान बने रहकर अमर हो सकता है !

तो देखिये यहाँ पर “स्वयं बनें गोपाल” समूह सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाहेगा कि मृत्यु तो निश्चित है क्योकि ये शाश्वत सत्य है कि “जिसने भी आकार ग्रहण किया है वो एक ना एक दिन निराकार होकर ही रहेगा” क्योकि मूलतः परमात्मा भी निराकार है (और उसकी अंश स्वरूपा हम सभी जीवात्मायें भी मूलतः निराकार ही है) इसलिए निराकार भगवान भी जब साकार रूप धारण करके पृथ्वी पर अवतार लेते हैं तो कभी ना कभी अपना शरीर त्यागकर निराकर हो जाते हैं इसलिए मृत्यु कभी ना हो ऐसी इच्छा, पूर्ण होना सम्भव नहीं है !

हां ये जरूर सम्भव है कि बहुत लम्बी आयु मिले जैसे धरती पर रहने वाले ये 7 चिंरजीव लोग जो आज भी हजारों – लाखों सालों से जिन्दा हैं- “अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च बिभीषणः ; कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः (यानी हनुमान जी, विभीषण जी, व्यास महर्षी जी, कृपाचार्य जी, अश्वत्थामा जी, परशुराम जी और राजा बली जी ये सातों चिंरजीव है जो इस कल्प के अंत तक इस पृथ्वी पर जीवित बने रहेंगे) ! कई अन्य चिरंजीव महर्षियों का नाम सुनने को भी मिलता है, जैसे- लोमश ऋषि, मार्कण्डेय ऋषि, सप्तर्षि आदि !

लम्बी आयु मिलने के अलावा ये भी सम्भव है कि जब तक आदमी जीवित रहे तब तक युवा बनकर रहे, जिसके वर्तमान सबसे बड़े उदाहरण हैं परम आदरणीय बाबा रामदेव जी जो लगभग 60 वर्ष की आयु में भी युवाओं की तरह चमकते – दमकते – ऊर्जावान व हंसमुख बने हुए हैं ! क्योकि शाश्वत यौवन पाने का जो सही जरिया है वो हमेशा से हमारे शरीर के अंदर ही मौजूद रहा है, इसलिए हमें कत्तई जरूरत नहीं है कि बहुत पैसा खर्च करके या मेहनत करके किसी “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” की खोज करने की या लैबोरेट्री में किसी नई दवा के अविष्कार में समय बर्बाद करने की !

देखिये “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने भी अपने पूर्व प्रकाशित कई आर्टिकल्स में भी उस सही कारण के बारे में बताया है जिसकी वजह से ना केवल बाबा रामदेव बल्कि हर नियमित योग का अभ्यास करने वाले व्यक्ति का भी यौवन हमेशा बरकरार रहता है और वो कारण है कि- मानव शरीर के जिन्दा होने के असली कारण यानी प्राण (यानी वायु) की साधना (यानी प्राणायाम) करने से शरीर में हमेशा प्राण ऊर्जा का भरपूर मात्रा में बने रहना जिसकी वजह से शरीर बूढ़ा नहीं होने पाता है !

मतलब आसान भाषा में समझें तो- एक जिन्दा शरीर और मुर्दा शरीर में क्या अंतर होता है ? जिन्दा शरीर सांस लेता है, जबकि मुर्दा नहीं लेता है ! इसलिए ही परम आदरणीय हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि मुर्दा शरीर से प्राण निकल गया यानी मुर्दा शरीर से सांस यानी वायु नहीं आ रही है ! तो इससे ये तो समझ में आ गया होगा कि सांस यानी वायु ही प्राण हैं !

इसलिए जब कोई आदमी सांस की वैरी साइंटिफिक एक्सरसाइज यानी प्राणायाम करता है तो उसके शरीर के अंदर स्थित करोड़ो कोशिकाओं तक शुद्ध वायु यानी प्राण पहुँच जाता है जिससे शरीर बूढ़ा होने ही नहीं पाता है क्योकि प्राण ऊर्जा ही इम्मुनिटी पॉवर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) है, प्राण ऊर्जा ही हर बीमारी की सर्वोत्तम दवा है, और प्राण ऊर्जा ही दुनिया की सबसे बढ़िया हेल्थ टॉनिक यानी साक्षात अमृत है !

इसलिए फिर से इस महान सच को समझने की जरूरत है कि शुद्ध वायु ही प्राण ऊर्जा हैं और प्राण ऊर्जा ही “अमृत” है ….. इसलिए शरीर की हर कोशिका तक शुध्द वायु पहुँचने से शरीर का कितना अकल्पनीय भला हो सकता है, इसका अंदाजा आप उन लोगों को देखकर भी लगा सकते हैं, जो कश्मीर (POK) के “हुंजा वैली” में रहते हैं और इतने ज्यादा स्वस्थ हैं कि वहां की महिलाएं 65 वर्ष तक की आयु में भी माँ और पुरुष 90 साल की आयु में भी पिता बनते हैं (अधिक जानकारी के लिए कृपया ये वीडियो देखें- 120 सालों तक जीते है, ये लोग Hunza Community) !

वास्तव में हुंजा वैली के नागरिकों के स्वास्थ्य का असली कारण वहां की शुद्ध वायु को माना जाता है क्योकि हुंजा वैली एकदम सुदूर, सूनसान, अकेले में स्थित एक घाँटी है ! वैली यानी घाँटी उस जगह को बोलते हैं जो दो पहाड़ों के बीच में गहरा या समतल स्थान होता है ! इसलिए वहां के नागरिकों को सांस लेने के लिए, बहुत शुद्ध वायु मिल जाती है !

जबकि पहाड़ों की बहुत ज्यादा उंचाई (जैसे माउंट एवेरेस्ट की ऊंचाई समुद्र तल से 8849 मीटर है) पर लोगों को ऑक्सीजन की काफ़ी कमी का सामना करना पड़ता है, लेकिन हुंजा वैली मध्यम ऊंचाई (2438 मीटर) पर है इसलिए वहां ऑक्सीजन भी पर्याप्त है, जिसकी वजह से वहां के नागरिकों का स्वास्थ्य इतना ज्यादा अच्छा है !

इसी संदर्भ में बताना चाहेंगे कि दिल्ली की समुद्र तल से ऊंचाई 216 मीटर है लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी US-AQI, हुंजा वैली की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा हानिकारक है ! शायद इन्ही सब कारणों को ध्यान में रखते हुए विश्व प्रसिद्ध डॉक्टर एलिज़ाबेथ एगन ने अपनी बेहतरीन किताब “नोट्स फ्रॉम हायर ग्राउंड्स” में बताया है कि “रहने के लिए सबसे अच्छी ऊंचाई 2100 मीटर से लेकर 2500 मीटर के बीच में है” ! और यह वही ऊंचाई है जिस पर हुंजा वैली स्थित है (अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- ऊंचाई के लाभ) !

कुछ लोग हुंजा वैली के नागरिकों के स्वास्थ्य का असली कारण वहां के शुद्ध पानी को बताते हैं जो कई तरह के मिनरल्स से भरपूर होता है लेकिन अगर सिर्फ पानी ही असली कारण होता तो वहीँ के पानी को विश्व के कई धनी लोग भी मंगवाकर पीते हैं तो वे धनी लोग क्यों नहीं 120 साल तक जिन्दा रहते हैं (वास्तव में आजकल अमीरों द्वारा ये प्रचलन हो गया है कि विश्व में जहाँ – जहाँ भी मिनरल्स से भरपूर नेचुरल वाटर उपलब्ध है उनको हजारों – लाखों रूपये प्रति लीटर के हिसाब से खरीदकर रोज पीते हैं ; अधिक जानकारी के लिए कृपया इस वीडियो को देखें- दुनिया के 3 सबसे मंहगे पानी) !

वास्तव में जिंदगी में अच्छा खाना – पीना से भी ज्यादा जरूरी है अच्छी हवा, क्योकि अगर किसी भी तरीके से शुद्ध वायु शरीर के अंदर पहुँच जा रही हो तो खराब खाना – पीना भी शरीर पर ज्यादा बुरा असर नहीं डाल पाता हैं जिसके सबसे बड़े उदाहरण हैं- मजदूर भाई – बहन लोग !

मतलब आपने गौर किया होगा कि जब कोई इंसान मजदूरी का मेहनतकश काम (जैसे- भारी सामान उठाना या ले जाना आदि) लगातार करता है तो उसकी सांस अपने आप थोड़ी तेज चलने लगती है जिसकी वजह से अनजाने में उससे, आंशिक रूप से भस्त्रिका प्राणायाम होने लगता है जिससे शरीर में अपने आप थोड़ी – थोड़ी शुद्ध वायु पहुँचने लगती है और शरीर को इतना लाभ पहुंचाती है कि अनहाइजेनिक गन्दा खाना – पीना और बीड़ी – तम्बाखू आदि का नशा करने के बावजूद भी उसको जल्दी कोई बिमारी नहीं होने पाती है, जबकि यही अनहाइजेनिक खाना – पीना कोई हमेशा ऑफिस में बैठकर काम करने वाला आदमी एक भी दिन खा पी ले तो तुरंत बीमार पड़ सकता है !

जिम में मेहनत करने से भी सांस तेज चलती है लेकिन जिम के क्लोज्ड एयरकण्डीशण्ड माहौल की वजह से प्राण ऊर्जा में इजाफा नहीं हो पाता है क्योकि ताज़ी – खुली हवा जरुरी है प्राणवर्द्धन के लिए ! इसलिए सुबह की ताज़ी स्वच्छ हवा में, अखाड़े के खुले माहौल में एक्सरसाइज करना या पार्क में तेज रफ़्तार से मॉनिंग वॉक करना बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है !

अतः अगर नौकरी/व्यापार/घर/परिवार आदि की जिम्मेदारियों की वजह से शुद्ध वायु वाले किसी जगह (जैसे- कोई गाँव) में रहना सम्भव ना हो सके तो, कम से कम रोज आधा – एक घंटा प्राणायाम तो जरूर कर लेना चाहिए क्योकि प्राणायाम ऐसा जबरदस्त फ़िल्टर, इंजेक्टर व बूस्टर है जो जबरदस्ती ठूंस – ठूंस कर शरीर के कोने – कोने तक में शुद्ध वायु यानी प्राण यानी अमृत पहुंचा देता है जिससे शरीर का इतना भला होता है कि बाबा रामदेव के अनुसार कैंसर, सफ़ेद दाग, डायबिटीज, किडनी रोग, बी. पी., गंजापन, घुटना दर्द, झुर्रिया आदि जैसे लाइलाज समझे जानी वाली समस्याएं भी पूरी तरह से ठीक हो सकती है (अधिक जानकारी के लिए ये 11 वीडियोज़ देखें- इस महिला ने तीन बार रिलैप्स कैंसर को किया योग से ठीक ; एक Cancer पीड़िता ने सुनाई अपनी दर्द भरी कहानी ; प्राणायाम से कैंसर को पूरी तरह से सामान्य किया ; डॉक्टरों ने किडनी रोगी को दिया जवाब ; योग ने कैसे (Vitiligo) सफेद दाग़ की समस्या को 80% तक ठीक किया ; अगर झड़ गए हैं सारे बाल तो करें बस एक काम ; 20 सालों पुराने बीपी और शुगर को किया योग से ठीक ; योग से 74 साल की आयु में ठीक हुआ घुटने का दर्द ; कोलेजन प्राश से करें अपने चेहरे की झुर्रियों (Wrinkles) का खात्मा ; कैसे बनाये अपने त्वचा और चेहरे को चमकदार ? Baba Ramdev Yoga Tips ; कपालभाति प्रायाणाम से 100 से ज्यादा बड़ी बीमारियां ठीक करें ) !

केवल बाबा रामदेव ही नहीं , बल्कि गोलोकवासी देवरहा बाबा जी ने भी सांस के बारे में इतनी आश्चर्यजनक रहस्यमय बात बतायी थी जिसको सुनकर समझ में आ सकता है कि जिस “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” को मानव पूरी दुनिया में खोज रहा था वो “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” इंसानो के नाक के नीचे ही स्थित है !

प्राप्त जानकारी अनुसार एक बार किसी पत्रकार ने परम दयालु देवरहा बाबा जी से उनकी लम्बी आयु का रहस्य पूछा (बाबा जी की सही आयु क्या थी ये किसी को नहीं पता था क्योकि बाबा जी को लोग कई पीढ़ियों से जिन्दा देखते चले आ रहे थे इसलिए माना जाता था कि देवरहा बाबा जी की उम्र लगभग 900 साल थी और सन 1990 में उन्होंने समाधि ले ली थी) !

तो पत्रकार के प्रश्न पर देवरहा बाबा ने कहा था,- उम्र बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है क्योकि इसका साधारण सा ये नियम है- “दिन में चलावे चंद्र और रात में चलावे सूर्य, सो योगी हो जाए” ! इसी नियम के बारे में भगवान शंकर जी ने भी “स्वर शास्त्र” में कहा है- “शशांकम वारयेद्रात्रौ दिवा वारएत्भास्करं ! इत्यभ्यासरतो नित्यं स योगी नात्र संशयः !” यानी जो रात में चंद्र नाड़ी (इड़ा) और दिन में सूर्य नाड़ी (पिंगला) को रोकने में सफल हो जाता है, वह निस्संदेह योगी है !

मतलब जिस आदमी का दिन भर बायीं नाक का स्वर (यानी चंद्र नाड़ी या इड़ा स्वर) चलता है और पूरी रात दाहिनी नाक का स्वर (यानी सूर्य नाड़ी या पिंगला स्वर) चलता है उस आदमी के सभी रोगों का नाश होकर वह चिरंजीव हो जाता है ! अब यहाँ दो मुख्य प्रश्न पैदा होते हैं कि किस नाक से कौन सा स्वर चल रहा है यह कैसे पता चलेगा ? और अगर सही स्वर नहीं चल रहा हो तो स्वर बदलने का भी कोई तरीका होता है क्या ?

अतः आईये सबसे पहले जानते हैं यह पता करना की कौन सा स्वर चल रहा है ! आम तौर पर हम इंसानो की सांस किसी एक नाक के छेद से ज्यादा आसानी से अंदर – बाहर, आती – जाती है और फिर ढ़ाई घड़ी बाद सामन्यतया बदलकर दूसरी नाक से ज्यादा आसानी सांस अंदर – बाहर, आती – जाती है ! किस नाक से सांस ज्यादा आसानी से आ – जा रही है यह पता लगाने का तरीका है कि बारी – बारी दोनों नाक के छेदों को ऊँगली से बंद करके देखा जाए तो पता चल जाएगा कि नाक के किसी एक छेद से ज्यादा आसानी से सांस आ – जा रही है और इसका मतलब उसी छेद का स्वर चल रहा है !

यानी अगर बायीं नाक से ज्यादा आसानी से सांस आ – जा रही है तो चंद्र नाड़ी (यानी इड़ा स्वर) चल रहा है और अगर दायी नाक से ज्यादा आसानी से आ – जा रही है तो सूर्य नाड़ी (यानी पिंगला) स्वर चल रहा है ! और जब नाक के दोनों छेदों से बराबर तरीके से साँस आ – जा रही हो तो इसका मतलब सुषुम्ना नाड़ी चल रही है !

अब दिन और रात में कई बार सूर्य नाड़ी व चंद्र नाड़ी आपस में, अपने – आप बदल – बदलकर चलते रहते हैं तो ये कैसे सम्भव किया जा सकता है कि दिन में सिर्फ चंद्र नाड़ी चले और रात में सिर्फ सूर्य नाड़ी ! वास्तव में स्वर बदलने के भी कई तरीके होते हैं जैसे- खेचरी मुद्रा , या जिस नाक के छेद के स्वर को शुरू करना हो उसी छेद को ऊपर करके बिस्तर पर करवट लेट जाना चाहिए, जिससे थोड़ी ही देर में वही स्वर अपने आप चलने लगता है आदि !

लेकिन वास्तव में देखा जाए तो ये आसान बात नहीं है कि 24 घंटा इस बात के लिए हमेशा सतर्क बने रहना कि दिन में बिल्कुल सूर्य नाड़ी ना चलने पाए और रात में बिल्कुल चंद्र नाड़ी ना चलने पाए ! इसलिए इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक वही योगी कर सकता है जो देश – दुनिया छोड़कर, बिना किसी डिस्टरबेंस के, अकेले एकांत में रहकर साधना करने में सक्षम हो !

अतः सिर्फ हठ योग (यानी आसन – प्राणायाम आदि) की साधनाये ही नहीं है प्राण यानी वायु से लाभ प्राप्त करने के लिए, बल्कि भक्ति योग में भी जबरदस्त तरीके हैं जिन्हे आजमाने से शरीर की वायु नियमित होकर शरीर को स्वस्थ, युवा व प्रसन्न बनाने लगती है, अतः आईये जानते हैं अब उन तरीके के बारे में-

भगवान हनुमान जी वायु देवता के पुत्र हैं (इसलिए उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है) ! अतः बजरंग बली की पूजा करने से भी शरीर की वायु अपने आप नियमित होने लगती है और शरीर के सभी रोगो में अपने – आप आराम मिलने लगता है ! श्री हनुमान चालीसा का एक महाप्रसिद्ध मंत्र है-

” नाशै रोग हरै सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत वीरा ”

यह मन्त्र रोग नाश करने के साथ – साथ हर मनोकामना पूरी करने के लिए आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी है और पहले ही दिन से थोड़ा – बहुत लाभ पहुंचाना निश्चित शुरू कर देता है !

इस मन्त्र में यही प्रार्थना की गयी है कि,- महावीर हनुमान जी का नाम लगातार जपते रहने से ना केवल सभी रोगो का बल्कि सभी पीड़ाओं (यानी तकलीफों) का भी नाश होता है ! और जाहिर सी बात है किसी भी इंसान की मन की पीड़ा तब तक शांत नहीं होती है जब तक उसके जीवन की सबसे बड़ी मनोकामनाएं पूरी नहीं हो जाती है !

भगवान हनुमान जी को कलियुग का प्रत्यक्ष अवतार इसलिए ही कहा जाता है क्योकि प्रभु श्री राम जी के आदेशानुसार हनुमान जी तब तक धरती पर ही रुके रहेंगे जब तक इस कलियुग के अंत में भगवान कल्कि जी का जन्म नहीं हो जाता है ! इसलिए इस बात को अब तक ना जाने कितने ही भक्तों ने जीवंत अनुभव किया है कि जहाँ भी श्री राम जी का सच्चे दिल से भजन होता है वहां हनुमान जी निश्चित किसी ना किसी भेष में पहुँच जाते हैं, जैसे देखें ये 6 वीडियोज़- साक्षात हनुमान जी का अवतार है ये बंदर ; Love towards Ram Katha ; Monkey Hugs Women ; बागेश्वर धाम सरकार साक्षात बालाजी के साथ ; Monkey Bala ji ke Darbar mein ; Hanumanji visits Harikatha at ISKCON Durgapur) !

इसलिए हनुमान जी के इस मंत्र का जप करने से ना केवल शरीर के सभी रोगों का नाश होने लगता है, बल्कि सभी उचित मनोकामनाएं भी निश्चित पूरी होती है ! और इतना ही नहीं इस मंत्र के जप से चिर यौवन की भी प्राप्ति होती है क्योकि इसका रोज अधिक से अधिक जप करने वाले के शरीर में स्थित जो दस तरह की वायु (यानी 5 मुख्य प्राण- प्राण, अपान, व्यान, उदान व समान और 5 उप प्राण- नाग, वृकल, कूर्म, देवदत्त व धनन्जय) हैं वे सभी अपने आप बैलेंस होने लगते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति धीरे – धीरे काफी ताकतवर, सुन्दर व युवा होने लगता है !

इसलिए बीमारी की वजह से हमेशा बिस्तर पर लेटे रहने के लिए मजबूर रोगियों, रिटायर्ड या सीनियर सिटीजन्स व घरेलु महिलाओं के लिए तो इससे ज्यादा अच्छा समय का सदुपयोग कुछ और हो ही नहीं सकता है ……. क्योकि वे घर में आराम से बैठकर, केवल इस मंत्र का रोज अधिक से अधिक जप करके ना केवल अपने आप को बल्कि पूरे परिवार को इतना अपरम्पार फायदा पहुंचा सकते हैं जिससे पूरा परिवार ख़ुशी से निहाल हो सकता है, जैसे- जप करने वाले आदमी का शरीर स्वस्थ व ताकतवर बनने लगता है, उसकी हर उचित मनोकामना भी धीरे – धीरे पूरी होने लगती है, हनुमान जी उस आदमी और उसके पूरे परिवार (यानी भाई – बहन – बीवी – बच्चों आदि) की भी हर बुरी आदतों व मुसीबतो से हमेशा रक्षा करते हैं, घर से हर तरह का वास्तु दोष या किसी भी अन्य तरह का दोष निश्चित समाप्त हो जाता है, घर से गरीबी – कर्जा – फर्जी मुकदमे आदि यथासम्भव दूर ही रहते हैं, आदमी और उसके बच्चो के बिजनेस/नौकरी में खूब उन्नति होती है, घर में किसी के दुष्ट स्वभाव की वजह से अगर रोज झगड़े हो रहें हैं तो उस दुष्ट आदमी का स्वभाव भी धीरे – धीरे अच्छा होने लगता है, और अन्ततः मरने के बाद स्वर्ग से भी अनंत गुना ज्यादा श्रेष्ठ “श्री बैकुंठ धाम” में शाश्वत निवास मिलता है आदि !

श्री बागेश्वर धाम वाले, संत श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने भी इस मन्त्र की महिमा के बारे में क्या कहा है देखिये इस वीडियो में- शरीर की हर बीमारी कटेगी उपाय।। Bageswar Dham Sarkar

हठ योग व भक्ति योग के अलावा कर्म योग की साधनाओं से भी निश्चित चिरयौवन प्राप्त किया जा सकता है, जैसे- गौ सेवा से क्योकि गाय माँ के दांतों में वायु देवता का वास माना जाता है इसलिए जो सज्जन गाय माँ को जानवर समझकर नहीं, बल्कि साक्षात् देवी समझकर पौष्टिक भोजन खिलाते हैं उनके खुद के शरीर की दसों प्रकार की वायु (यानी प्राण ऊर्जा) अपने – आप संतुलित होकर, सभी बीमारियों के नाश के साथ – साथ यौवन में भी निश्चित वृद्धि होती हैं !

आपको जानकार आश्चर्य होगा कि “स्वयं बनें गोपाल” समूह ऐसे आदरणीय सज्जनों से मिल चुका है जो वाकई में गाय माँ के सच्चे भक्त हैं और दिखने में इतने युवा लगते हैं कि अक्सर लोग उनकी असली उम्र 15 – 20 साल तक कम समझ लेते हैं ! ऐसा नहीं है कि उन्होंने अपने जीवन में कम तनाव – उतार – चढ़ाव झेले हैं लेकिन इसके बावजूद भी उनके शरीर की त्वचा की चमक व हंसमुख स्वभाव मानो घटने का नाम ही नहीं ले रहें हैं !

आपने देखा होगा कि श्री हनुमान चालीसा में एक मन्त्र है- “जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहुं गुरुदेव की नाईं” ; इस मन्त्र में हनुमान जी को “गोसाईं” कहा गया है जो एक अवधी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “गोस्वामी” मतलब गाय माँ के इष्ट भगवान ! वास्तव में केवल हनुमान जी ने ही नहीं, बल्कि भगवान् के हर अवतार ने गाय माँ का बहुत सम्मान दिया है, जैसे- भगवान श्री राम ने कहा है कि “विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार” अर्थात सभी सत्यात्माओं के साथ – साथ गाय माँ के भले के लिए ही मैंने मानव अवतार लिया है ! भगवान् शिव ने तो नंदी जी को अपना वाहन ही नियुक्त किया है और भगवान कृष्ण के तो कई नाम ही गाय माँ पर आधारित हैं जैसे- गोविन्द, गोपाल आदि !

तो इस तरह हम लोग समझ सकते हैं कि आखिर क्यों पुराणों में गाय माँ को सर्वदेवमयी व सर्वतीर्थमयी कहते हैं ! और क्यों गाय माँ को प्रेमपूर्वक भोजन कराने से हमारे शरीर के अंदर स्थित वायु रुपी प्राण बैलेंस होकर, ना केवल सभी रोगों का नाश करती है बल्कि शरीर के यौवन में भी बहुत निखार लाती है (गाय माँ से जुड़े हुए सभी जबरदस्त लाभों के बारे में जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- जगदम्बा स्वरूपा, कृष्ण माता अर्थात भारतीय देशी गाय माता के सैकड़ों आश्चर्य जनक सत्य फायदे) !

अन्ततः निष्कर्ष यही है कि “फाउंटेन ऑफ़ यूथ” दुनिया में कही हैं या नहीं है , इसका तो पता नहीं है लेकिन हम शरीर के अंदर स्थित वायु यांनी प्राणो को बैलेंस (चाहे हठ योग के अभ्यास प्राणायाम से या भक्ति योग के अभ्यास श्री हनुमान जी के मंत्र जप से या कर्म योग के अभ्यास गाय माँ को देवी मानकर सेवा करने से) करके निश्चित रूप से इटरनल यूथ (चिर यौवन) को प्राप्त कर सकते हैं !

नोट- हनुमान जी के ऊपर लिखे हुए मंत्र से संबंधित आवश्यक नियम व परहेज-

जप शुरू करने से पहले और अन्त में एक बार श्री राम – सीता जी को नमस्कार करना नही भूलना चाहिए ! हनुमान जी परम सत्व गुण के देवता हैं इसलिए जप करने वाले को खुद, तामसिक भोजन मतलब मांस, मछली, अंडा, शराब, बियर आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए !

इसके अतिरिक्त इस मन्त्र को जपते समय केवल छोटी – मोटी सावधानी बरतनी पड़ती है जैसे- शरीर पर चमड़े का कोई सामान (जैसे – बेल्ट, जूता आदि) नहीं होना चाहिए और टॉयलेट, पेशाब, रोमांस आदि समय नहीं जपना चाहिए ! बाकि हर समय, दिन – रात, सोते – बैठते, चलते – फिरते, जब भी फुर्सत मिले, जरूर अधिक से अधिक जपना चाहिए क्योंकि अधिक जप करने से अधिक फल मिलता है (संस्कृत में कहावत भी है,- “अधिकस्य अधिकम फलम” अर्थात अधिक मेहनत का अधिक फल मिलता है) !

यह भी जानना आवश्यक है कि कुछ लोगों को संदेह होता है की स्त्रियाँ, हनुमान जी की चालीसा, मन्त्र जप आदि कर सकती हैं या नहीं ? तो इसका उत्तर है की हाँ, स्त्रियाँ बिल्कुल बेधड़क हनुमान जी का मन्त्र तथा चालीसा आदि का जप कर सकती हैं ! वास्तव में शरीर की हर प्रक्रिया भगवान् के द्वारा ही बनायीं गयी है इसलिए केवल शरीर की सरंचना व कार्यप्रणाली के आधार पर कोई योग्य और अयोग्य नहीं हो सकता है ! और हनुमान जी तो शिव जी के ही अवतार है इसलिए हनुमान जी के लिए भक्त के रूप में स्त्री और पुरुष, दोनों समान रूप से स्वीकार्य हैं !

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