एक क्षण में सब कुछ कर सकने में सक्षम ममता की महासागर देवी से सब कुछ पाने का दुर्लभ समय है “नवरात्रि”

durga_faceशारदीय नवरात्रि वो महान दिन है जिसमें अम्बे देवी की थोड़ी सी भी शुद्धता पूर्वक भक्ति करने वाला बिना निहाल हुए नहीं रह सकता !

ये नौ दिन वही है जिसमे अति बलशाली भयानक राक्षस महिषासुर की अत्यंत दुःखदायी यातना से मुक्ति दिलाने के लिए महा देवी ने अपने महा रौद्र रूप में प्रकट होकर राक्षस महिषासुर को चीर फाड़ दिया था और अपने डरे हुए भक्तों को झोली भर भर के वरदान और आशीर्वाद दिया था !

दुनिया में बस एक माँ का रिश्ता ऐसा है जो कभी कमजोर नहीं पड़ा ! बेटा कितना भी नालायक हो माँ उसकी चिंता करना नहीं छोड़ती ! कभी कभी बेटे की गलत आदत सुधारने के लिए माँ उसे डाटती या मारती भी है पर उस डांट या मार का कई गुना दर्द बेटे से ज्यादा माँ को ही होता है !

उसी तरह देवी दुर्गा को तो पुराणों में महा माता कहा गया है क्योंकि ये अनन्त ममता मयी है !

हो सकता हो हमारे किसी पूर्व जन्म या इस जन्म के पाप की वजह से हम इस समय तकलीफ में हों पर अगर हम माँ को लगातार पुकारेंगे तो माँ कब तक अपने आप को रोक पायेगी ?

अब आज यही देखने का समय आ गया है आखिर जीत होती किसकी है, हमारे पुकारने की या दुर्गा माँ की अपनी ममता छुपाने के नाटक करने की !

नवरात्रि में अपना भला चाहने वाले हर भक्त को अपने अंतर्मन में बारम्बार यही पुकारना चाहिए कि- हे देवी जगदम्बा, हम जो आपके असंख्य पाप किये हुए परम निकृष्ट कोटि के पुत्र हैं, आज अपने जन्म – जन्म के पापों को धोयेंगे और आपको अपनी आखिरी सांस तक पुकारते ही रहेंगे, अब देखना यह है कि कब तक आप नाटक कर सकतीं हैं हमें अनदेखा करने की और हमें यह जताने कि हम जिए या मरे, हँसे या रोयें आपको कोई फर्क ही नहीं पड़ता !

बोलिए सिंह वाहिनी माँ जगदम्बा की…….”जय” !

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अगर आडम्बरपूर्ण भक्ति से मन भर गया हो तो देवी की आवाज सुनने की कोशिश करनी चाहिए

प्रथमं शैलपुत्रीं

3000 सालों तक सिर्फ पेड़ की सूखी पत्तियां खाकर की घोर तपस्या माँ ब्रह्मचारिणी ने

देवी चंद्रघंटा के घंटे की ध्वनि से प्रेत पिशाच भूत राक्षसों में खलबली मच जाती है

अपने पेट में अंडे के रूप में ब्रह्माण्ड को धारण करने वाली श्री कूष्मांडा

एक क्षण भी बहुत ज्यादा है प्रसन्न स्कंदमाता के लिए महा दरिद्र को महा धनी बनाने में

अगर पाप ना करे तो माँ कात्यायनी का भक्त पूरी दुनिया में अपराजित है

हर सांस से भयंकर ज्वाला निःसृत करने वाली माँ कालरात्रि प्रलय काल में पूरे ब्रह्माण्ड को अपने में ही समेट लेती है

महा मातृ भक्त, अथाह संपत्ति दाता श्री गणेश अनायास परम प्रसन्न हो जाते है अपनी माँ गौरी के भक्त से

बस एक बार श्री सिद्धिदात्री का कृपा कटाक्ष, और तत्क्षण सर्व मनोरथ सिद्धि

श्री शिव शक्ति कथायें

जब हाथ में कटार लेकर दौड़े परम शक्ति तो पूरा ब्रह्माण्ड हाहाकार कर उठे

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