जानिये गाय माँ के उस आश्चर्यजनक रहस्य के बारे में जिसका आसानी से फायदा उठाकर युधिष्ठिर की ही तरह आप भी अपने जीवन के महाभारत में एक शानदार जीत पा सकतें हैं

महाभारत युद्ध दुनिया के इतिहास के सबसे खतरनाक युद्धों में से एक था ! इस युद्ध में कल्पना से भी परे ऐसे भीषण हथियारों का प्रयोग हुआ था जिनका रेडिएशन आज 5000 साल बाद भी कुरुक्षेत्र की जमीन पर वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है ! इस युद्ध में पूरे ब्रह्माण्ड के सभी लोकों से सभी बाहुबली शक्तियां (जिन्हे आज हम एलियंस; Aliens समझतें हैं) आयीं थी लड़ने के लिए ! युधिष्ठिर जी को पता था की बिना ईश्वरीय कृपा के वे ऐसी खतरनाक शक्तियों से कभी नहीं जीत सकते थे !

युधिष्ठिर जी को ये भी पता था जिस व्यक्ति से गाय माता जितना ज्यादा प्रसन्न रहती हैं उस व्यक्ति से अनंत ब्रह्माण्डों को एक क्षण में पैदा करने वाले लड्डू गोपाल उतना ही ज्यादा प्रसन्न रहतें हैं ! युधिष्ठिर जी बुद्धिमान थे इसलिए वो समझते थे कि अगर गाय माता को छोड़कर, वो सीधे गोपाल को प्रसन्न करने जाएंगे तो उन्हें ना जाने कितने सालों तक तपस्या करने में समय खर्च करना पड़ेगा जबकि परम ममतामयी गाय माँ की एक दिन की हुई दिल से सेवा भी, उन्हें गोपाल की दुर्लभ कृपा कटाक्ष प्रदान कर सकती है !

जयसंहिता ग्रंथ से प्राप्त जानकारी की व्याख्या करते हुए संतजन बतातें हैं कि इसलिए महाराज युधिष्ठिर ने अपने नए बनवाये हुए आलिशान राजमहल के शयनकक्ष (बेडरूम) के ठीक बगल में ही गोशाला बनवा दी थी ताकि रोज सुबह सोकर उठते ही आँख खोलने पर उन्हें सबसे पहले गौ माता के ही दर्शन हों ! आज के मॉडर्न साइंस के बल पर घमंड करने वाले कुछ लोगों को ये सब अंधविश्वास लग सकता है लेकिन महाभारत काल के हाइली एडवांस्ड साइंस में इस बात पर बहुत जोर दिया गया था कि सुबह सोकर उठते कोई व्यक्ति सबसे पहले उन गाय माँ का दर्शन कर लें जिनका वो रोज देवी की तरह सेवा करता हो तो गाय माँ उसके रोज के सभी दुर्भाग्यों को हर लेती हैं और साथ ही साथ उस व्यक्ति को हर तरफ से शुभ समाचार व सफलता प्राप्त होती है !

सालों तक जंगल – जंगल भिखारियों की तरह भटकने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने खांडव नाम के जंगल में जब अपना भव्य महल बनवाया तो वो अपने बेडरूम के ठीक बगल में गोशाला बनवाना इसलिए नहीं भूले क्योकि उन्हें पता था कि भविष्य में जिन दुश्मनों से उन्हें बदला लेना है उनमें से कई उनसे बहुत ज्यादा पावरफुल हैं जिसकी वजह से युद्ध में उनकी हार तय हैं पर जैसा की सर्वविदित है कि “जहाँ गाय वहां गोपाल” और जहाँ गोपाल वहां विजय निश्चित है !

गोपाल भगवान ने ना केवल युधिष्ठिर को महाभारत में विजय दिलवाई बल्कि कई अन्य दुर्भाग्यों से भी बचाया ! जैसे संत जनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार युधिष्ठिर के किसी पूर्व जन्म के बुरे कर्म की वजह से उनके भाग्य में अपने ही सगे भाई (यानी अर्जुन) के द्वारा हत्या किये जाने का भी योग बना हुआ था और अर्जुन के भी प्रारब्ध में अपने सगे भाई (यानी युधिष्ठिर) की हत्या करने और फिर अपनी आत्महत्या करने का योग बना हुआ था लेकिन भगवान कृष्ण ने बेहद बुद्धिमानी से इस हत्या व आत्महत्या के योग को मृत्यु तुल्य कष्टों में बदलकर टाल दिया था ! आईये जाने कैसे-

ये घटना इस प्रकार है कि जब कर्ण से लड़ाई में बेहोश होकर युधिष्ठिर वापस अपने महल में लौट आये तो उनका हालचाल जानने के लिए अर्जुन लड़ाई का मैदान छोड़कर तुरंत युधिष्ठिर से मिलने के लिए महल पहुचें ! कर्ण द्वारा लड़ाई में बेहोश हो जाने पर युधिष्ठिर बहुत दुखी महसूस कर रहे थे और अर्जुन को आते हुए देखकर यह सोचकर बहुत खुश हुए कि लगता है अर्जुन ने कर्ण को हराकर उनका बदला ले लिया है ! लेकिन जब उन्हें पता लगा कि अर्जुन तो केवल उनका हालचाल जानने के लिए आएं हैं तब युधिष्ठिर ने अर्जुन को बहुत डांटा कि तुम केवल मेरा हालचाल जानने के लिए अपनी सेना को लड़ाई के मैदान में अकेले छोड़कर क्यों यहाँ आ गये, धिक्कार है तुम्हारी गांडीव धनुष पर !

तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को समझाया कि युद्ध में थोड़ी देर के लिए कमजोर पड़ जाने का मतलब हार नहीं होता है क्योकि भगवान राम भी तो मेघनाद से लड़ाई के दौरान नागपाश से बेहोश हो गए थे इसलिए आप दुखी मत होईये, अंततः जीत आपकी ही होगी ! लेकिन तभी श्री कृष्ण ने देखा की अर्जुन अपने धनुष पर तीर चढ़ा रहें हैं युधिष्ठिर को मारने के लिए, तो श्री कृष्ण ने पूछा कि तुम ऐसा गलत काम क्यों कर रहे हो ! तब अर्जुन ने बताया कि उन्होंने बहुत पहले शपथ ली थी कि जब भी कोई उनके गांडीव को धिक्कारेगा तो वो उसको जान से मार डालेंगे !

तब श्री कृष्ण ने ऐसा बीच का रास्ता बताया जिससे अर्जुन की शपथ भी ना टूटे और युधिष्ठिर को जान भी ना गवानी पड़े ! श्री कृष्ण ने कहा किसी को मारने के लिए केवल हथियार ही जरिया नहीं होता है, बल्कि बेइज्जती भी होता है क्योकि अगर किसी सम्मानित व स्वाभिमानी आदमी की बड़ी बेइज्जती हो जाए तो भी उसे मृत्युतुल्य कष्ट प्राप्त होता है इसलिए तुम सभी दरबारियों के सामने अपने बड़े भाई को जितना बुरा से बुरा बोल सकते हो, बोलो (इसलिए किसी निर्दोष पर बेवजह गुस्सा करके उसे अपमानित करने पर हत्या का पाप भी लग सकता है अतः एक क्रोधी आदमी अपने इस जन्म में या अगले जन्मो में कई बार मृत्युतुल्य कष्टों को दंड स्वरुप भुगत सकता है) !

तब अर्जुन ने ना चाहते हुए भी अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने की मजबूरी में, युधिष्ठिर को खूब खरी – खोटी सुनाते हुए बोला कि आप मुझे धिक्कार रहें हैं लेकिन धिक्कार तो आपको होना चाहिए जो जुए में अपना सब कुछ हार गए ! जुआ में सब कुछ हार जाने वाली अपमानजनक घटना की आत्मग्लानि से युधिष्ठिर पहले से ही कई सालों से मन ही मन जल रहे थे लेकिन आज छोटे भाई के मुंह से भी धिक्कार सुनकर उनके मन में घोर विरक्ति छा गयी और वो सब राजपाट तुरंत छोड़कर साधू बनकर जंगल जाने को सोचने लगे !

तभी श्री कृष्ण ने देखा कि अब अर्जुन अपनी तलवार म्यान से बाहर निकाल रहें हैं तो श्री कृष्ण ने पूछा कि अब क्या दिक्क्त है अब तो तुम्हारी प्रतिज्ञा पूरी हो गयी ! तब अर्जुन ने बताया कि वो तलवार से आत्महत्या करने जा रहें हैं क्योकि उन्होंने बहुत पहले ये भी प्रतिज्ञा ले रखी थी कि उनसे जीवन में कभी भी अपने से बड़े लोगों का अपमान जैसा जघन्य पाप होगा तो वो अपने आप को जिन्दा नहीं छोड़ेंगे !

तब श्री कृष्ण ने फिर से बीच का ऐसा रास्ता निकाला जिससे अर्जुन की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाए और अर्जुन की जान भी बच जाए ! श्री कृष्ण ने कहा की शास्त्रों में कहा गया है कि अपने से बड़ों के सामने डींग हाँकना आत्महत्या के समान होता है इसलिए अब तुम युधिष्ठिर के सामने अपनी तारीफ़ करो ! तब अर्जुन ने फिर ना चाहते हुए अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने की मजबूरी में, युधिष्ठिर के सामने अपनी खूब तारीफ करते हुए कहा कि अगर युद्ध में अर्जुन साथ ना दें तो युधिष्ठिर कभी युद्ध जीत नहीं सकते आदि – आदि !

अर्जुन की फिर कड़वी बातें सुनकर बेहद दुखी – निराश हुए युधिष्ठिर जंगल जाने के लिए निकलने ही वाले थे तब तक श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर व अर्जुन दोनों को ये असलियत बता दी की उनकी किस्मत में हत्या व आत्महत्या का जो अकाट्य प्रारब्ध था उसका रूप बदलने के लिए उन्होंने ही अर्जुन से ये सब कड़वी बातें बोलने को कहा था (युधिष्ठिर व अर्जुन की ही तरह भगवान आज भी अपने भक्तों के जीवन में आने वाले आकस्मिक मृत्यु के कई अकाट्य प्रारब्धों को मृत्युतुल्य कष्टों में बदलकर टाल देतें हैं) !

तो इस तरह हम सब लोग देख सकतें हैं कि कैसे युधिष्ठिर ने परम दयालु गाय माँ को हमेशा अपने घर में अपनी आँखों के सामने रखकर देवी की तरह सेवा की, जिसकी वजह से गोपाल यानी भगवान श्री कृष्ण उनके जीवन की हर कठिन परिस्थितियों में खुद उनकी आँखों के सामने मौजूद होकर उनकी रक्षा करते थे !

यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है कि भगवान की प्रत्यक्ष कृपा को तो दुनिया में बहुत से लोगों ने महसूस किया होगा लेकिन युधिष्ठिर जैसा दुर्लभ सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिला होगा कि हर मुसीबत में गोपाल खुद ही हाजिर हो जाएँ उनकी रक्षा करने के लिए !

निष्कर्ष यही है कि जो गाय माँ को जितनी ज्यादा इज्जत देगा, उतना ही ज्यादा गोपाल की दुर्लभ कृपा प्राप्त करेगा ! अतः अगर आपको भी अपने घर से हर तरह के वास्तु दोष मिटाने हों, या अपने जीवन से हर तरह के दुर्भाग्य मिटाने हों, या अपने जीवन संग्राम में अंततः विजय प्राप्त करके महाराज युधिष्ठिर की तरह अपना नाम अमर करना हो तो अपने घर में ले आईये एक शुद्ध भारतीय नस्ल की देशी गाय माँ ! इसी संदर्भ में अगर हम बात करें वर्तमान समय की तो भारतवर्ष के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी, युधिष्ठिर की ही तरह परम गौभक्त हैं जिसकी वजह से हजारों नकारात्मक शक्तियों के प्रचंड विरोध के बावजूद भी उनके विकास कार्यों की विजय यात्रा धीमे नहीं पड़ने पा रही है !

शायद आपको सुनकर विश्वास ना हो लेकिन रोज सुबह नहाने से पहले 5 – 10 मिनट तक किसी भी स्वस्थ देशी गाय माँ के गोबर की शरीर पर मालिश करने से 3 दिन में ही त्वचा में आश्चर्यजनक सुधार आने लगता है ! गोबर की महक पसंद ना हो तो पानी में शुद्ध गुलाब जल मिलाकर नहाया जा सकता है ! आम तौर पर शहरी लोग इच्छा होने के बावजूद भी गाय माँ को जिन वजहों से पालने से हिचकते हैं उनके समाधान इस प्रकार हैं-

आप सिर्फ 3 से 7 दिन तक किसी स्वस्थ देशी गाय माँ के गोबर से नहाइये और प्रत्यक्ष चमत्कार देखिये, उसके बाद आप गोबर को समस्या नहीं, बल्कि वरदान समझेंगे ! ऐसे बहुत से सत्य उदाहरण आपको आसानी से यूट्यूब में मिल जाएंगे जिनकी कैंसर जैसी खरतनाक बीमारियां भारत के टॉप हॉस्पिटल्स से नहीं, बल्कि देशी नस्ल की गाय माँ के ताजा गोमूत्र को ब्रह्ममुहूर्त में पीने से ठीक हुयी ! गाय माँ को रोज सुबह – शाम टहलाना जरूरी होता है इसलिए अगर किसी आदमी को गाय माँ की रस्सी पकड़ कर टहलाने में शर्म महसूस होती है तो उसे वृन्दावन के गाँवों में जाकर देखना चाहिए जहाँ बहुत से करोड़पति भारतीय और विदेशी लोग भी एक साधारण गौसेवक बनकर दिन रात मेहनत किये जा रहें ताकि उन्हें सर्वोच्च सौभाग्य यानी लड्डू गोपाल का प्रत्यक्ष दर्शन हो सके !

गौ माता के खाने के लिए चारा (भूसा, घास, चोकर आदि) को आप अपने घर के आस – पास स्थित किसी गौशाला, या पशु चारा बेचने वाली दूकान, या दूध बेचने वाले ग्वाले, या सब्जी मंडी, या ऑन लाइन विक्रेता से भी खरीद सकतें हैं ! जैसा की हमने पूर्व के आर्टिकल्स में भी बताया है कि गाय माँ से मिलने वाली सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज होती है उनका “आशीर्वाद”, फिर उसके बाद नंबर दो महत्वपूर्ण चीज होती है उनका “मूत्र”, नंबर तीन महत्वपूर्ण चीज है उनका “गोबर” और नंबर चार पर है उनका “दूध” ! इसलिए गाय माँ दूध दें या ना दें लेकिन उनका आपके घर में सुखपूर्वक रहने मात्र से घर में भी सुख शान्ति बनी रहती है !

यहाँ इस बात को फिर से दोहराया जा रहा हैं कि गाय माँ को केवल दूध देने वाला जानवर मानकर उनकी ठीक तरह से देखभाल ना करने से पुण्य मिलने की जगह पाप लग सकता है इसलिए बहुत से गाय माँ का दूध बेचने वाले ग्वाले निर्धनता जैसी तकलीफे झेलते हैं ! गाय माँ को अपने घर में आप तभी रखें जब उनके खाने – पीने – रहने की ठीक से व्यवस्था कर सकें ! अपने घर में ठीक से रखने की व्यवस्था ना हो तो घर के आस – पास स्थित किसी गोशाला (जहाँ गाय माँ की ठीक से देखभाल की जाती हो) को भी हर महीने दान करके आप गौ सेवा का बेशकीमती पुण्य अर्जित कर सकतें हैं जो निश्चित तौर पर आपके व आपके परिवार की सुरक्षा व खुशहाली में अभूतपूर्व वृद्धि करेगा !

इसलिए “स्वयं बनें गौ पालक अर्थात गोपाल और अपनी संतान को भी बनाये गोपाल” !

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