मृत गाय माता का पुर्नजन्म

swamiसंत अपनी योग विभूतियों को जगजाहिर नहीं करते लेकिन जरुरत पड़ने पर कृपा करने से पीछे भी नहीं हटते।

मिथिला के बनगाँव के श्री कारी खाँ ने स्वामी जी को दूध पीने के लिए एक गाय दी थी। नित्य प्रति इस गाय का दूध बाबा जी (परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी जी) को भेज दिया करते थे। एक दिन दूध नहीं पहुँचा।

बाबा जी ने निशिचत समय का अतिक्रमण देख प्राप्त वस्तुओं से अपनी क्षुधा मिटा ली। गौ को सर्प ने काट लिया था। उपचार किया गया किन्तु विफल रहा। अन्ततोगत्वा गाय मर गर्इ। श्री कारी खाँ ने आकर बाबाजी से सारा वृतान्त कह सुनाया।

बाबाजी ने चौंक कर कहा- ”क्या गाय, सर्प के काटने से मर गर्इ ? श्री कारी खाँ ने कहा – हाँ ।  बाबा जी ने उदास होकर पूछा- ”क्या कसाई उठा कर ले गया। श्री कारी खाँ ने कहा ”निशिचत कहा नहीं जा सकता।

बाबा जी ने कहा- ”शीघ्रता से जाओ और गाय को ले जाने से रोको। मैं अतिशीघ्र आता हूँ। बाबा जी पाँव में खड़ाँऊ और हाथ में लाठी लेकर पहुँच गये। कुछ काल खड़े देखते रहे और बाद में अपनी छड़ी से उठाने का उपक्रम किये। छड़ी के स्पर्श ही से गौ उठ गर्इ।

उपस्थित लोग बाबा जी की अदभुत शक्ति देखकर चकित रह गये। बाबा जी ने कारी खाँ से कहा- ”कुछ देर तक खाने नहीं देना। पहले दूध को थन से निचोड़ कर फेंक देना, कोर्इ पीने न पावेंं सब ठीक हो जायेगा। यह कह कर बाबा जी कुटी पर चले गये।

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