वर्किंग कपल्स, क्यों रोज होते झगड़े ?

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रिश्तों सम्बन्धों से जुड़ी कई समस्याओं में से एक विकट समस्या है पति पत्नी के बीच होते रोज के झगड़े, खासकर वर्किंग कपल्स में !

आखिर ऐसा हो क्या गया हमारे भारत वर्ष को, कि जॉइंट फैमिली (संयुक्त परिवार) अब छोटी होती होती सिर्फ पति पत्नी तक आ कर रुक गयी फिर भी रोज रोज के झगड़े कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं !

इन झगड़ों की एक नहीं हजार वजहें हो सकती हैं पर उनमे कुछ वजहें प्रमुख हैं जो लगभग हर वर्किंग कपल्स में देखने को मिलती हैं !

सबसे प्रमुख वजह है ईगो प्रॉब्लम !

क्योंकि संसार का ये शाश्वत नियम है कि जहाँ भी, जब भी दो या दो से ज्यादा लोग आपस में साथ साथ रहते हैं तो थोड़े दिनों बाद उसमें से कोई एक (जो मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत है) धीरे धीरे बाकी लोगों को लीड (नेतृत्व) करने लगता है !

पर ये लीडरशिप हमेशा सफल साबित हो, यह जरूरी नहीं हैं क्योंकि इसकी भी एक नहीं हजार वजहें हो सकती हैं !

पति पत्नी के ज्यादातर केसेस में ये लीडरशिप तब फेल होने लगती है जब लीडर के एक्टिविटीज से फॉलोवर का ईगो हर्ट होने लगता है !

मतलब अगर पति डोमिनेटिंग नेचर का है तो उसके नेचर से पत्नी का इगो हर्ट होना या पत्नी डोमिनेटिंग नेचर की है तो उसके नेचर से पति का इगो हर्ट होना !

यहाँ पर एक बेहद जरूरी मुद्दा यह भी है कि आज के बहुत से पतियों और पत्नियों को ईगो का सही मतलब पता ही नहीं है ! वे अपनी गलत आदतों और गलत सोच को ही अपना ईगो मान लेते हैं और उनकी गलत आदतों या सोच के खिलाफ अगर उनका लाइफ पार्टनर बोलता है तो वे इतना ज्यादा नाराज हो जाते हैं कि बात तलाक तक भी पहुच जाती हैं !

आज के जमाने में अधिकाँश लोगों में जो उपभोगवाद का प्रचलन बढ़ा है जिसके चलते पति पत्नी दोनों नौकरी/व्यापार करके अधिक से अधिक पैसा कमाकर जिंदगी के अधिक से अधिक मजे लूटना चाहते हैं उसी से समस्या ज्यादा बढ़ रही है !

जैसा कि पुराना रिवाज रहा है कि पति घर से बाहर जा कर पैसा कमाता था और घर का हेड ऑफ़ द फैमिली भी होता था और पत्नी अन्नपूर्णा होती थी और सेवा भाव से घर को सुन्दर और पवित्र रखती थी जिसकी वजह से पत्नी अपने पति की नजरों में पति के खुद के प्राणों से भी ज्यादा प्रिय व आदरणीय होती थी, अब ऐसा नहीं रहा !

कुछ बड़ी गलतियाँ कुछ दुष्ट पुरुषों से हुई, जिसकी वजह से सभी सभ्य पुरुष भी मुफ्त में बदनाम हो गए और यह रिवाज बहुत बुरी तरह से छिन्न भिन्न हो गया !

मतलब पैसा कमाने और हेड ऑफ़ द फैमिली कि आड़ में कुछ भ्रष्ट किस्म के पुरुषों ने अपनी पत्नियों के साथ भयानक अत्याचार किया, जो अखबारों और न्यूज़ चैनल्स कि हेड लाइन्स भी बना तथा जिसकी वजह से लगभग पूरे नारी जगत के अचेतन मन में लगभग सभी पुरुषों के खिलाफ एक ऐसा भ्रामक नकारात्मक माहौल बन गया कि शादी के बाद पुरुषों का क्या भरोसा, इसलिए शादी से पहले अपने पैर पर खड़ा होना बेहद जरूरी है !

आज के इस कठिन दौर में जबकि पैसा कमाना बहुत कठिन हो चुका है उसके बावजूद बहुत सी ऐसी हाउस वाइव्स (घर में रहने वाली पत्नियां) हैं जो अपनी साधारण शिक्षा व साधारण आई क्यू लेवल के बाद भी, सिर्फ अपने पति की मेहनत के दम पर रोज राजभोग जैसा आराम और सुख उठा रही हैं पर कुछ महिलाओं का इंटरेस्ट इस बात की तारीफ़ और क्रेडिट उन पतियों को देने से ज्यादा उन पतियों की निंदा करने में है जो अपनी पत्नियों के द्वारा बार बार की जाने वाली बेढंगी हरकतों से नाराज होकर उन पर अक्सर गुस्सा करते हैं !

इस कलियुग का यही मूल स्वभाव है कि लोगों को किसी की तारीफ करने की तुलना में बहुत ज्यादा मजा दूसरों की बुराई करने में आता है ! तारीफ़ या निन्दा कभी सिर्फ एक तरफ़ा नहीं होना चाहिए नहीं तो वो पक्षपात कहलाती है !

अपनी हाउस वाइव्स के विचित्र जिद्दी स्वभाव से आखिरी परेशान कुछ पति तो यहाँ तक अपना दुःख बयान करते हैं कि ना जाने उनकी पत्नी को उनके मायके वालों ने क्या शिक्षा दीक्षा देकर बड़ा किया है कि वो दिन रात मुझे इतना ज्यादा मेंटली टार्चर करती है कि भरी जवानी में ही मुझे हर्ट डिसीज, माइग्रेन सब कुछ हो गया है ! मुझे चैन से एक रोटी भी नहीं खाने देती ! हम पुरुष हैं इसलिए थोड़ा सा भी गुस्सा करेंगे तो अत्याचारी कहलायेंगे और वो महिला है इसलिए मुंह से जितने चाहे चुभने वाले बाण मारे लेकिन समाज की नजर में हमेशा वो बेचारी और निरीह ही कहलाएगी !

जब उसके मायके वालों को पता था कि उनकी लड़की नार्मल नहीं, बल्कि गजब की साईको, झगडालू, झूठी, स्वार्थी और परम कामचोर है तो क्यों यह बातें छुपाकर, धोखे से मुझसे शादी करा दी ! मायकें वालों को दामाद चाहिए अधिक से अधिक होनहार, कमाने वाला पर लड़की इतनी कामचोर दी, कि थोड़ा सा काम करना हो तो तबियत ख़राब का सदियों पुराना बहाना शुरू हो जाता है और अगर पति उसके तबियत खराब होने के नाटक के झांसे में आने की बजाय उस पर गुस्सा करे तो पत्नी इतना बड़ा झगड़े का तूफ़ान खड़ा कर दे कि उस तूफ़ान में पति समेत ससुराल का हर सदस्य बिखर जाय !

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ऐसे पति बार बार मन में अंतर विलाप करते हैं कि अरे हम तो लड़की के खानदान की प्रसिद्धि और लड़की की सुन्दरता में ही फसकर ठग लिए गए ! शादी के वक्त मुझे नहीं पता था कि इस मासूम चेहरे के पीछे एक साईको किलर बैठी है जो स्लो पॉइजन की तरह धीरे धीरे मेरा नाश कर देगी ! शादी ना हो गयी, एक ऐसा अँधा कुंआ हो गया जिसमे से बाहर निकल कर सुख की एक किरण पाने को तरस गए !

ठीक यही हालत उन पत्नियों की भी होती है जिनकी शादी किसी भ्रष्ट आदत के शिकार पुरुषों (जैसे – व्यभिचारी, शराबी, जुआरी, क्रिमिनल, आतंकवादी आदि) से हो जाती है ! दुष्ट – राक्षसी स्वभाव के पुरुष, भी अपनी सभ्य पत्नियों की कोमल व पवित्र भावनाओं की कोई कदर नहीं करते हैं और पत्नी को मुफ्त के नौकर की तरह जबरदस्ती इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से पत्नियों को लगता है कि जैसे वे किसी बंद जेल में घुट – घुट कर रोज मर रहीं हैं !

वर्किंग कपल्स में ज्यादातर देखा गया है कि अगर पति अपनी पत्नी की किसी गलती पर गुस्सा कर कुछ कहता है तो पत्नी को बहुत बुरा लग जाता है कि मैं क्यों अपने पति का गुस्सा सहूँ ! आखिर मुझे किसी का भी एटीट्युड सहने की जरूरत ही क्या है ! मै अपनी जिंदगी अपने स्टाइल से जी सकती हूँ ! मुझे किसी के सहारे की जरूरत नहीं हैं ! वर्किंग कपल्स में कई पत्नियों के मन में यह मिथ्या संशय लगातार बना रहता है कि कहीं मेरा पति मुझे अपने पाँव की जूती तो नहीं समझता ! इसलिए वे अक्सर अपने पतियों के द्वारा कही जाने वाली बातों पर ओवर रियेक्ट करते हुए चिढ़ कर गुस्से में जवाब देती हैं जिससे भी बिना बात के झगड़े कि शुरुवात हो जाती है ! ऐसी पत्नियों को यह भी लगता है कि जब मै और मेरे पति दोनों नौकरी से बराबर रूप से थक के घर आते हैं तो घर आने के बाद मै ही क्यों खाना बनाऊ ! मेरे पति क्यों आराम से बैठ कर टी वी देखें और मैं ही क्यों अकेले रसोईं में जलूं मरूं !

वर्किंग कपल्स में ज्यादातर पति, अपनी पत्नी की सैलरी पर अपना पूर्ण हक़ समझते हैं और वे चाहते हैं कि उनकी पत्नी की सैलरी भी वहीँ खर्च हो जहाँ वे चाहें, पर वास्तविकता में ऐसा लम्बा चल नहीं पाता क्योंकि शुरू में पत्नी भले ही संकोच में कुछ महीने बर्दाश्त कर ले पर देर सवेर उसके मन में यह बात आना तय है कि जिस सैलरी के लिए वो पूरे महीने कठिन परिश्रम करती है, उस सैलरी पर पहला हक़ उसका है ना कि उसके पति का ! और हाँ जब वो अपने पति से उनकी सैलरी नहीं मांगती तो आखिर उसके पति को क्या हक़ है हर महीने उसकी सैलरी हथियाने की !

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ऐसी पत्नियों को अपने पति को अपनी सैलरी तब और देने का मन नहीं करता जब उनके पति उनकी मेहनत की कमाई को किसी ऐसी जगह इन्वेस्ट कर देतें हैं जहाँ से उन्हें फायदे की बजाय घाटा मिलता है और उनका पैसा डूब जाता है ! ऐसी परिस्थितियों में वर्किंग बीवी को अपने पति के पैसा सँभालने की काबिलियत पर ही संदेह होने लगता है ! ऐसे में पत्नी द्वारा अपनी सैलरी को अपने पति को अचानक से देने से मना करने पर पति का ईगो हर्ट होता है जिससे भी झगड़े की शुरुवात होती है !

देखा जाय तो वर्किंग कपल्स की बहुत सी पत्नियों द्वारा दिए जाने वाले इनमें से कई तर्क, तार्किक रूप से सही भी हैं (हालाँकि पति पत्नी का रिश्ता तर्क से नहीं, समर्पण से चलता है लेकिन इन बातों को आज के मॉडर्न एजुकेशन में पढ़े लिखे ज्यादातर स्त्री पुरुष आत्मसात नहीं कर पाते) !

वास्तव में आजकल कई वर्किंग कपल्स में पैसों को लेकर आपस में विवाद हो ही जा रहा है और कई बार यह विवाद इतना उग्र हो जाता है कि नौबत तलाक तक पहुच जाती है ! तो ऐसे में वर्किंग महिला और वर्किंग पुरुषों को विवाह करने से पहले ये अच्छे से समझ लेना चाहिए कि भविष्य में आने वाले इन टकराव के मुद्दों को वो कैसे संभालेंगे, और संभाल पायेंगे भी कि नहीं !

असल में इन झगड़ों में एक बड़ी वजह यह भी है कि लड़के और लड़की जो भविष्य में किसी के पति या पत्नी बनेंगे, उनकी बचपन में परवरिश कैसे हुई है !

मतलब माँ बाप द्वारा, बेटों के मन में यह बात बचपन से यह भरना कि बड़े होकर अधिक से अधिक पैसा कमाना ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है तथा माँ बाप द्वारा बेटियों को खूब लाड प्यार देकर उनके मन में यह भरना कि वे बेहद स्पेशल हैं जिसकी वजह से वे हमेशा सभी लोगों से स्पेशल ट्रीटमेंट पाना ही डिजर्व करती हैं, बहुत घातक है !

ऐसे लड़के जब बड़े होते हैं तो वे अपनी पत्नी को भी पैसा कमाने का जरिया समझने लगते हैं इसलिए कई बार जाने अनजाने पत्नियों के साथ ज्यादती कर देते हैं !

और ऐसी लड़कियां जब बड़ी होती हैं तो उनके अन्दर सहन शक्ति बहुत कम विकसित हो पाती है जिससे वे शार्ट टेम्पर्ड (तुनक मिजाज) हो जाती हैं ! ऑफिस में भले ही लड़की होने के नाते उनके बॉस और कोलीग्स उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट देतें हों पर पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा परेशान पति उन्हें रोज रोज स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दे सकता जिससे ऐसी पत्नियों को यह भी ग़लतफ़हमी हो जाती है कि उनका पति स्वभाव से बद्तमीज, क्रूर, अत्याचारी किस्म का है जबकि उनके ऑफिस के लोग, यार दोस्त और मायके के सभी लोग सभ्य व अच्छे स्वभाव के हैं क्योंकि वे उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट देते हैं !

अगर कोई वर्किंग कपल नहीं हैं मतलब सिर्फ पति कमाता है और अच्छा पैसा कमाता है और उसकी पत्नी घरेलू कामों को नौकरानी के भरोसे छोड़ कर दिन भर सिर्फ अनप्रोडक्टिव कामों में अपने पति के कमाए हुए पैसे को खर्च करके अपने आप को बड़े आदमी की बीवी दिखाने का प्रपंच रचती है तो निश्चित ही उन पति पत्नी की लाइफ जल्द ही दुखमय होने वाली है ! क्योंकि कलियुग अब इतना घोर हो चुका है कि जगत पिता ईश्वर के द्वारा बनाये हुए कीमती और लिमिटेड रिसोर्सेस (जैसे पैसा, खाना आदि) की फिजूल बर्बादी करने वालों को जल्द ही कोई ऐसी कठिन शारीरिक या मानसिक बिमारी लगना 100 प्रतिशत तय हैं जिसमें आदमी के पास सब रुपया पैसा होने के बावजूद वो उसका सुख नहीं उठा पाता और सिर्फ अपनी गलतियों को याद कर अन्दर ही अन्दर कुढ़ता रहता है !

हालाँकि अपवाद हर जगह होते हैं, अतः कुछ ऐसे भी वर्किंग कपल्स हैं जो बिना किसी विवाद के सालों से एक सुखमय व प्रेममय जिंदगी जी रहें हैं !

पर वर्किंग लाइफ में एक दौर ऐसा भी आता है जब वर्किंग वुमन को अपनी जॉब रिजाइन करनी ही पड़ती है, जैसे प्रेगनेंसी पीरियड में ! प्रेगनेंसी पीरियड के बाद बच्चे की उचित परवरिश के लिए माँ को कितना वक्त जॉब छोड़ कर बच्चे के साथ रहना है, इसका कोई निश्चित मानक नहीं हैं पर ये तय बात है कि हर बच्चे की पहली और सबसे बड़ी टीचर माँ ही होती है और एक कोरे कागज के रूप में जन्म लेने वाले बच्चे को अगर कम से कम किशोरावस्था तक उसकी माँ का भरपूर प्यार और मार्गदर्शन मिल जाय तो बहुत कम ही उम्मीद होती है कि वो लड़का बड़ा होकर कभी भी किसी गलत रास्ते को अपने कैरियर की तरह अपनाएगा !

स्वस्थ परवरिश से ही स्वस्थ मानसिकता वाले नौजवान तैयार होते हैं और यही स्वस्थ मानसिकता वाले नौजवान अपने माता पिता के साथ पूरे देश का भी नाम रोशन करते हैं !

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