क्यों नहीं पहनते तुलसी और रुद्राक्ष साथ साथ
जब तुलसी जी कृष्ण प्रिया है और रुद्राक्ष में भगवान शिव का वास है, तो फिर इनकी मालाओ को गले में साथ – साथ क्यों नहीं पहना जा सकता !
हमारे धर्म ग्रंथो में लिखी और संतो के मुह से सुनी इस बात को अगर थोडा आधुनिक भाषा में समझा जाय तो इस प्रकार है की रुद्राक्ष से निकलने वाली उर्जा को मल्टी डायमेंशनल और तुलसीजी की माला से निकलने वाली उर्जा को यूनी डायमेंशनल माना जा सकता है, मतलब अगर कोई आदमी शुद्ध, एकदम असली और बिना जरा सी भी टूटा – फूटा रुद्राक्ष अपने गले में धारण करे तो वह रुद्राक्ष उसे हर क्षेत्र में लाभ पहुचायेगा जैसे धन, विद्या, बीमारी, फर्जी मुकदमे, दुष्टों से रक्षा, भगवान् की भक्ति आदि – आदि |
और वही तुलसीजी की लकडियो से निकलने वाली यूनी डायमेंशनल उर्जा सिर्फ एक ही क्षेत्र में अपना लाभ पहुचाती है पर उस क्षेत्र में कई गुना लाभ पहुचाती है जैसे कोई वैरागी संत अगर तुलसी जी की माला को धारण करे तो उसका वैराग्य धीरे – धीरे कई गुना बढ़ जायेगा और संसार के प्रति उसका आकर्षण कम हो जायेगा |
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