कोई तरीका है कि भूत प्रेत से डर लगना बन्द हो जाय

नास्तिक लोग भगवान् और भूत आदि बातों पर अविश्वास करते हैं और कहते हैं आज के साइंस के जमाने में भूत (Ghost) या भगवान् जैसी किसी सुपरनैचुरल चीज के अस्तित्व के बारे में बात करना ही बेवकूफी है !

नास्तिक लोगों का सारा कॉन्फिडेंस आज के मॉडर्न साइंस के आधार पर होता है पर उनको ये पता ही नहीं की ये मॉडर्न साइंस अपनी किसी थ्योरी पर लम्बा टिकता ही नहीं क्योंकि इस में सबसे मुख्य तत्व “चेतना” का अभाव है !

चेतना कितनी रहस्यमय चीज है कि इसे सिर्फ परिभाषा से नहीं समझा जा सकता है !

वास्तव में चेतना से सम्बंधित जानकारियों के बारे में हमारे दुर्लभ हिन्दू ग्रन्थ भरे पड़े हैं !

यहाँ हम बात कर रहे हैं कि भूत प्रेत पिशाच (Ghost, Bhoot, Pret, Devil, pishach) होते हैं कि नहीं और अगर होते हैं तो क्या ये किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं !

तो इसका जवाब हमारे ग्रंथों में हैं दिया है की भूत प्रेत पिशाच होते हैं !

वास्तव में भगवान् द्वारा बनायीं गयी 84 लाख योनियों में से एक है प्रेत योनि जिसमें ऐसे इन्सान जो इन्सानियत (परोपकार, दया, क्षमा, सच्चाई, मेहनत) के बिना जिन्दगी जीते हैं वो मरने के बाद जन्म लेते हैं !

प्रेत योनि में जन्म लेने वाली आत्मा तरह तरह के कष्ट लगातार भोगती रहती है जब तक कि उसके अधिकांश पापों का प्रायश्चित ना हो जाय !

नास्तिक लोग जो एयर कंडीशन्ड रूम में बैठकर भूत प्रेत, भगवान आदि चीजों को हाईपोथेटीकल क्रैप (काल्पनिक बकवास) बताकर बुद्धजीवी बनते हैं, उन्हें अगर एक रात एकदम अकेले श्मशान में बिताना हो तो उनकी सारी बुद्धिजीवता और बहादुरी एक सेकेंड में दुम दबाकर भाग जाती है !

पर एक असली आस्तिक आदमी (बनावटी, ढोंगी या आडम्बरी आस्तिक नहीं) को हर समय अपने साथ ईश्वर का अनुभव होता रहता है और उसे सुख दुःख हर अवस्था में ईश्वर की कृपा का ही अनुभव होता है तो ऐसे व्यक्ति को कभी भी भूत प्रेत आदि से डर नहीं लगता और ना ही उसे कोई भूत प्रेत परेशान भी कर सकते हैं !

क्योंकि ऐसे आस्तिक लोगों का मानना हैं की उन्हें जो भी तकलीफ मिली है या मिलेगी, वो सिर्फ और सिर्फ सब उन्ही के पूर्व के बुरे कर्मों का परिणाम है जो ईश्वरीय प्रेरणा या इच्छा से उनके सामने इन तकलीफों के स्वरुप में प्रकट हुई है और ईश्वर की इच्छा या प्रेरणा को बदलने की ताकत किसी और में नहीं सिर्फ और सिर्फ ईश्वर में हैं इसलिए बड़ी से बड़ी विपत्ति पड़ने पर भी इनके चेहरे की मुस्कान बिना कम हुए यही कहती है,- जैसी प्रभु की इच्छा !

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