स्वयं बने गोपाल

लेख – घृणा का स्थान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

निंदा, क्रोध और घृणा ये सभी दुर्गुण हैं, लेकिन मानव जीवन में से अगर इन दुर्गुणों को निकल दीजिए, तो संसार नरक हो जायेगा। यह निंदा का ही भय है, जो दुराचारियों पर अंकुश...

लेख – रामचर्चा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जन्म प्यारे बच्चो! तुमने विजयदशमी का मेला तो देखा ही होगा। कहींकहीं इसे रामलीला का मेला भी कहते हैं। इस मेले में तुमने मिट्टी या पीतल के बन्दरों और भालुओं के से चेहरे लगाये...

लेख – “सोना हिरनी ” (लेखिका – महादेवी वर्मा)

सोना की आज अचानक स्मृति हो आने का कारण है। मेरे परिचित स्वर्गीय डाक्टर धीरेन्द्र नाथ वसु की पौत्री सस्मिता ने लिखा है : ‘गत वर्ष अपने पड़ोसी से मुझे एक हिरन मिला था।...

कहानी – स्त्री सुबोधिनी (लेखिका – मन्नू भंडारी)

प्यारी बहनो, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरीपेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन...

कहानी – मुठभेड़ (लेखक – मुद्राराक्षस)

कितनी लंबी और तीखी मार होती है फिर वह चाहे मौसम की हो या सिपाही की। चौंक कर उड़ी फड़फड़ाती हुई चील की तरह रज्‍जन की तकलीफ भरी हुई एक सदा-सी सुन पड़ी… ‘ओ...

कहानी – चारा काटने की मशीन (लेखक – उपेंद्रनाथ अश्क)

जब मैं जाडों में लिहाफ ओढती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम से मेरा दिमाग बीती हुई दुनिया के पर्दों में दौड़ने-भागने...

कहानी – हाथी की फाँसी (लेखक – गणेशशंकर विद्यार्थी)

कुछ दिन से नवाब साहब के मुसाहिबों को कुछ हाथ मारने का नया अवसर नही मिला था। नवाब साहब थे पुराने ढंग के रईस। राज्‍य तो बाप-दादे खो चुके थे, अच्‍छा वसीका मिलता था।...

कहानी – डाची (लेखक – उपेंद्रनाथ अश्क)

काट (काट – दस-बीस सिरकियों के खैमों का छोटा-सा गाँव) ‘पी सिकंदर’ के मुसलमान जाट बाकर को अपने माल की ओर लालचभरी निगाहों से तकते देख कर चौधरी नंदू वृक्ष की छाँह में बैठे-बैठे...

लेख – प्रताप की नीति (लेखक – गणेशशंकर विद्यार्थी)

आज अपने हृदय में नयी-नयी आशाओं को धारण करके और अपने उद्देश्‍य पर पूर्ण विश्‍वास रखकर ‘प्रताप’ कर्मक्षेत्र में आता है। समस्‍त मानव जाति का कल्‍याण हमारा परमोद्देश्‍य है और इस उद्देश्‍य की प्राप्ति...

कहानी – जादुई किताब (लेखक – हीरालाल नागर)

राजकुमार खमवास सेतना सम्राट यूसेर मातरा के पुत्र थे। वह अपना अधिकांश समय पुरातात्विक भाषा, जादू-टोने और अतिप्राचीन वस्तुओं के संग्रह में लगाते थे। एक दिन उन्हें पता चला कि साक्षात् भगवान थोट के...

लेख – ‘अभ्युदय’ पर विपत्ति (लेखक – गणेशशंकर विद्यार्थी)

‘अभ्‍युदय’ के जीवन-मरण का प्रश्‍न हिंदी संसार इस समाचार को सुनकर चकित और खिन्‍न होगा कि उसके प्रतिष्ठित और उपयोगी पत्र ‘अभ्‍युदय’ पर इन प्रांतों की सरकार की भस्‍म कर देने वाली तीखी दृष्टि...

कहानी – अष्टावक्र का विवाह (लेखक – रांगेय राघव)

एक बार महर्षि, अष्टावक्र महर्षि वदान्य की कन्या के रूप पर मोहित हो गये। उन्होंने उसके पिता के पास जाकर उस कन्या के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की। तब महर्षि वदान्य ने...

कहानी – स्वर्ण-सूर्य (लेखक – अज्ञात)

पुरातन मिस्र के राजा रेमसेज पाँचवें के समय की मिली हुई पाण्डुलिपियों में यह कथा भी मिली थी। इसका काल 1150 ई. पू. है। बेबीलोन और इजरायली सभ्यताओं में अप्राकृतिक सम्बन्धों को प्रकृत माना...

कहानी – कैवर्तककुमार की कथा

राजगृह में मलयसिंह नाम के राजा राज्य करते थे। उनके मायावती नाम की अप्रतिम रूपवती एक कन्या थी। एक बार वह राजोद्यान में खेल रही थी तभी एक कैवर्तककुमार (मछुआरे के बेटे) की दृष्टि...

अधूरी कथा

उत्पलदेव ने कहा, मेरी बेटी का विवाह उज्जयिनी के राजकुमार से हो, इससे बढ़कर मेरे लिए प्रसन्नता की और क्या बात हो सकती है, पर मैंने भी बेटी के विवाह के विषय में एक...

कहानी – भाग्य का फेर

गुणाढ्य राजा सातवाहन का मन्त्री था। भाग्य का ऐसा फेर कि उसने संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश तीनों भाषाओं का प्रयोग न करने की प्रतिज्ञा कर ली थी और विरक्त होकर वह विन्ध्यवासिनी के दर्शन...