स्वयं बने गोपाल

कविता – जोगी खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

तजा राज, राजा भा जोगी । औ किंगरी कर गहेउ बियोगी॥ तन बिसँभर मन बाउर लटा । अरुझा पेम, परी सिर जटा॥   चंद्र बदन औ चंदन देहा । भसम चढ़ाइ कीन्ह तन खेहा॥...

कहानी – घासवाली – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखो में शंका समाई हुई थी। महावीर ने उसका तमतमाया हुआ चेहरा देखकर पूछा- क्या है...

कविता – प्रेम खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुनतहि राजा गा मुरछाई । जानौं लहरि सुरुज कै आई॥ प्रेम धााव दुख जान न कोई । जेहि लागै जानै ते सोई॥   परा सो पेम समुद्र अपारा । लहरहिं लहर होइ बिसँभारा॥  ...

कहानी – रसिक संपादक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

नवरस’ के संपादक पं. चोखेलाल शर्मा की धर्मपत्नी का जब से देहांत हुआ है, आपको स्त्रियों से विशेष अनुराग हो गया है और रसिकता की मात्रा भी कुछ बढ़ गयी है। पुरुषों के अच्छे-अच्छे...

कविता – नखशिख खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

का सिंगार ओहि बरनौं, राजा । ओहिक सिंगार ओहि पै छाजा॥ प्रथम सीस कस्तूरी केसा । बलि बासुकि, काक और नरेसा॥   भौंर केस वह मालति रानी । बिसहर लुरे लेहिं अरघानी॥   बेनी...

कहानी – कुसुम – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

साल-भर की बात है, एक दिन शाम को हवा खाने जा रहा था कि महाशय नवीन से मुलाक़ात हो गयी। मेरे पुराने दोस्त हैं, बड़े बेतकल्लुफ़ और मनचले। आगरे में मकान है, अच्छे कवि...

लेख – श्रीमती गजानंद शास्त्रिणी – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

श्रीमती गजानन्‍द शास्त्रिणी श्रीमान् पं. गजानन्‍द शास्‍त्री की धर्मपत्‍नी हैं। श्रीमान् शास्‍त्री जी ने आपके साथ यह चौथी शादी की है, धर्म की रक्षा के लिए। शास्त्रिणी के पिता को षोडशी कन्‍या के लिए...

कहानी – सुभागी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

और लोगों के यहाँ चाहे जो होता हो, तुलसी महतो अपनी लड़की सुभागी को लड़के रामू से जौ-भर भी कम प्यार न करते थे। रामू जवान होकर भी काठ का उल्लू था। सुभागी ग्यारह...

कविताये – तुम हमारे हो – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते । उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते ।   ताब बेताब हु‌ई हठ भी हटी नाम अभिमान का...

कहानी – तावान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

छकौड़ीलाल ने दुकान खोली और कपड़े के थानों को निकाल-निकाल रखने लगा कि एक महिला, दो स्वयंसेवकों के साथ उसकी दुकान छेकने आ पहुँची। छकौड़ी के प्राण निकल गये। महिला ने तिरस्कार करके कहा-...

कविताये – प्राप्ति – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

तुम्हें खोजता था मैं, पा नहीं सका, हवा बन बहीं तुम, जब मैं थका, रुका ।   मुझे भर लिया तुमने गोद में, कितने चुम्बन दिये, मेरे मानव-मनोविनोद में नैसर्गिकता लिये;   सूखे श्रम-सीकर...

कहानी – गिला – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जीवन का बड़ा भाग इसी घर में गुजर गया, पर कभी आराम न नसीब हुआ। मेरे पति संसार की दृष्टि में बड़े सज्जन, बड़े शिष्ट, बड़े उदार, बड़े सौम्य होंगे; लेकिन जिस पर गुजरती...

कहानी – सयानी बुआ (लेखिका – मन्नू भंडारी)

सब पर मानो बुआजी का व्यक्तित्व हावी है। सारा काम वहाँ इतनी व्यवस्था से होता जैसे सब मशीनें हों, जो कायदे में बँधीं, बिना रुकावट अपना काम किए चली जा रही हैं। ठीक पाँच...

उपन्यास – अलंकार-1 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

उन दिनों नील नदी के तट पर बहुतसे तपस्वी रहा करते थे। दोनों ही किनारों पर कितनी ही झोंपड़ियां थोड़ीथोड़ी दूर पर बनी हुई थीं। तपस्वी लोग इन्हीं में एकान्तवास करते थे और जरूरत...

उपन्यास – अलंकार-2 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

थायस ने स्वाधीन, लेकिन निर्धन और मूर्तिपूजक मातापिता के घर जन्म लिया था। जब वह बहुत छोटीसी लड़की थी तो उसका बाप एक सराय का भटियारा था। उस सराय में परायः मल्लाह बहुत आते...

उपन्यास – अलंकार-3 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब थायस ने पापनाशी के साथ भोजशाला में पदार्पण किया तो मेहमान लोग पहले ही से आ चुके थे। वह गद्देदार कुरसियों पर तकिया लगाये, एक अर्द्धचन्द्राकार मेज के सामने बैठे हुए थे। मेज...