स्वयं बने गोपाल

रत्नसेन जन्म खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी की कविता

चितउरगढ़ कर एक बनिजारा । सिंघलदीप चला बैपारा॥ बाम्हन हुत एक निपट भिखारी । सो पुनि चला चलत बैपारी॥   ऋन काहू सन लीन्हेसि काढ़ी । मकु तहँ गए होइ किछु बाढ़ी॥   मारग...

कहानी – मिस पद्मा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कानून में अच्छी सफलता प्राप्त कर लेने के बाद मिस पद्मा को एक नया अनुभव हुआ, वह था जीवन का सूनापन। विवाह को उसने एक अप्राकृतिक बंधन समझा था और निश्चय कर लिया था...

कविता – नागमती सुआ संवाद खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

दिन दस पाँच तहाँ जो भए । राजा कतहुँ अहेरै गए॥ नागमती रुपवंती रानी । सब रनिवास पाट परधाानी॥   कै सिँगार कर दरपन लीन्हा । दरसन देखि गरब जिउ कीन्हा॥   बोलहु सुआ...

कहानी – विद्रोही – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आज दस साल से जब्त कर रहा हूँ। अपने इस नन्हे-से ह्रदय में अग्नि का दहकता हुआ कुण्ड छिपाये बैठा हूँ। संसार में कहीं शान्ति होगी, कहीं सैर-तमाशे होंगे, कहीं मनोरंजन की वस्तुएँ होंगी;...

कहानी – एक जीवी, एक रत्नी, एक सपना – (लेखिका – अमृता प्रीतम)

पालक एक आने गठ्ठी, टमाटर छह आने रत्तल और हरी मिर्चें एक आने की ढेरी “पता नहीं तरकारी बेचनेवाली स्त्री का मुख कैसा था कि मुझे लगा पालक के पत्तों की सारी कोमलता, टमाटरों...

कहानी – मनोवृत्ति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

एक सुंदर युवती, प्रात:काल, गाँधी-पार्क में बिल्लौर के बेंच पर गहरी नींद में सोयी पायी जाय, यह चौंका देनेवाली बात है। सुंदरियाँ पार्कों में हवा खाने आती हैं, हँसती हैं, दौड़ती हैं, फूल-पौधों से...

उपन्यास – आँख की किरकिरी – भाग-1 (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

विनोद की माँ हरिमती महेंद्र की माँ राजलक्ष्मी के पास जा कर धरना देने लगी। दोनों एक ही गाँव की थीं, छुटपन में साथ खेली थीं। राजलक्ष्मी महेंद्र के पीछे पड़ गईं – ‘बेटा...

कहानी – नशा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं एक गरीब क्लर्क का, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती रहती थीं। मैं जमींदारी की...

उपन्यास – आँख की किरकिरी- भाग- 2 (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

विनोदिनी जब बिलकुल ही पकड़ में न आई, तो आशा को एक तरकीब सूझी। बोली, ‘भई आँख की किरकिरी, तुम मेरे पति के सामने क्यों नहीं आती, भागती क्यों फिरती हो?’ विनोदिनी ने बड़े...

कहानी – घर जमाई – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा। घर में से धुआँ उठता नजर आता था। छन-छन की आवाज भी आ रही थी। उसके दोनों साले उसके बाद...

उपन्यास – आँख की किरकिरी- भाग- 3 (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

उस दिन फागुन की पहली बसंती बयार बह आई। बड़े दिनों के बाद आशा शाम को छत पर चटाई बिछा कर बैठी। मद्धिम रोशनी में एक मासिक पत्रिका में छपी हुई एक धारावाहिक कहानी...

कहानी – झाँकी- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कई दिनों से घर में कलह मचा हुआ था। माँ अलग मुँह फुलाये बैठी थी, स्त्री अलग। घर की वायु में जैसे विष भरा हुआ था। रात को भोजन नहीं बना, दिन को मैंने...

उपन्यास – आँख की किरकिरी- भाग- 4 (लेखक – रवींद्रनाथ टैगोर)

रात के अँधेरे में बिहारी कभी अकेले ध्यान नहीं लगाता। अपने लिए अपने को उसने कभी भी आलोच्य नहीं बनाया। वह पढ़ाई-लिखाई, काम-काज, हित-मित्रों में ही मशगूल रहता। अपने बजाय अपने चारों तरफ की...

कहानी – दिल की रानी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जिन वीर तुर्कों के प्रखर प्रताप से ईसाई-दुनिया काँप रही थी, उन्हीं का रक्त आज कुस्तुन्तुनिया की गलियों में बह रहा है। वही कुस्तुन्तुनिया जो सौ साल पहले तुर्कों के आतंक से आहत हो...

कहानी – जहाँआरा (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

यमुना के किनारेवाले शाही महल में एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ है, केवल बार-बार तोपों की गड़गड़ाहट और अस्त्रों की झनकार सुनाई दे रही है। वृद्ध शाहजहाँ मसनद के सहारे लेटा हुआ है, और...

कहानी – कायर- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

युवक का नाम केशव था, युवती का प्रेमा। दोनों एक ही कालेज के और एक ही क्लास के विद्यार्थी थे। केशव नये विचारों का युवक था, जात-पाँत के बन्धनों का विरोधी। प्रेमा पुराने संस्कारों...