स्वयं बने गोपाल

कविता -आखिरी कलाम – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

पहिले नावँ दैउ करलीन्हा । जेंइ जिउ दीन्ह, बोल मुख कीन्हा॥ दीन्हेसि सिर जो सँवारै पागा । दीन्हेसि कया जो पहिरै बागा॥   दीन्हेसि नयन जोति, उजियारा । दीन्हेसि देखै कहँ संसारा॥   दीन्हेसि...

कहानी – शूद्र – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मां और बेटी एक झोंपड़ी में गांव के उसे सिरे पर रहती थीं। बेटी बाग से पत्तियां बटोर लाती, मां भाड़-झोंकती। यही उनकी जीविका थी। सेर-दो सेर अनाज मिल जाता था, खाकर पड़ रहती...

लेख – अलंकार – का भाग 3

कविता पर अत्याचार भी बहुत कुछ हुआ है। लोभियों, स्वार्थियों और खुशामदियों ने उसका गला दबाकर कहीं अपात्रों की-आसमान पर चढ़ानेवाली-स्तुति कराई है, कहीं द्रव्य न देनेवालों की निराधार निंदा। ऐसी तुच्छ वृत्तिवालों का...

कहानी – डामुल का कैदी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

दस बजे रात का समय, एक विशाल भवन में एक सजा हुआ कमरा, बिजली की अँगीठी, बिजली का प्रकाश। बड़ा दिन आ गया है। सेठ खूबचन्दजी अफसरों को डालियाँ भेजने का सामान कर रहे...

कविता – जन्म खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

चंपावति जो रूप सँवारी । पदमावति चाहै औतारी॥ भै चाहै असि कथा सलोनी । मेटि न जाइ लिखी जस होनी॥   सिंघलदीप भए तब नाऊँ । जो अस दिया बरा तेहि ठाऊँ॥   प्रथम...

कहानी – गृह-नीति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब माँ, बेटे से बहू की शिकायतों का दफ्तर खोल देती है और यह सिलसिला किसी तरह खत्म होते नजर नहीं आता, तो बेटा उकता जाता है और दिन-भर की थकान के कारण कुछ...

कविता – सुआ खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

पदमावति तहँ खेल दुलारी । सुआ मँदिर महँ देखि मजारी॥ कहेसि चलौं जौलहि तन पाँखा । जिउ लै उड़ा ताकि बनडाँखा॥   जाइ परा बा खंड जिउ लीन्हें । मिले पंखि, बहु आदर कीन्हें॥...

कहानी – चमत्कार – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बी.ए. पास करने के बाद चन्द्रप्रकाश को एक टयूशन करने के सिवा और कुछ न सूझा। उसकी माता पहले ही मर चुकी थी, इसी साल पिता का भी देहान्त हो गया और प्रकाश जीवन...

कविता – सिंहलद्वीप वर्णन खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सिंघलद्वीप कथा अब गावौं। औ सो पदमिनि बरनि सुनावौं॥ निरमल दरपन भाँति बिसेखा। जो जेहि रूप सो तैसइ देखा॥   धानि सो दीप जहँ दीपक बारी। औ पदमिनि जो दई सँवारी॥   सात दीप...

कहानी – नया विवाह – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हमारी देह पुरानी है, लेकिन इसमें सदैव नया रक्त दौड़ता रहता है। नये रक्त के प्रवाह पर ही हमारे जीवन का आधार है। पृथ्वी की इस चिरन्तन व्यवस्था में यह नयापन उसके एक-एक अणु...

कविता – स्तुतिखंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुमिरौं आदि एक करतारू । जेहि जिउ दीन्ह कीन्ह संसारू॥ कीन्हेसि प्रथम जोति परकासू । कीन्हेसि तेहि पिरीत कैलासू॥   कीन्हेसि अगिनि, पवन, जल खेहा । कीन्हेसि बहुतै रंग उरेहा॥   कीन्हेसि धारती, सरग,...

कहानी – बालक – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

गंगू को लोग ब्राह्मण कहते हैं और वह अपने को ब्राह्मण समझता भी है। मेरे सईस और खिदमतगार मुझे दूर से सलाम करते हैं। गंगू मुझे कभी सलाम नहीं करता। वह शायद मुझसे पालागन...

कविता – मानसरोदक खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

एक दिवस पून्यो तिथि आई । मानसरोदक चली नहाई॥ पदमावति सब सखी बुलाई । जनु फुलवारि सबै चलि आई॥   कोइ चंपा कोइ कुंद सहेली । कोइ सु केत, करना, रस बेली॥   कोइ...

कहानी – नेऊर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आकाश में चांदी के पहाड़ भाग रहे थे, टकरा रहे थे गले मिल रहें थे, जैसे सूर्य मेघ संग्राम छिड़ा हुआ हो। कभी छाया हो जाती थी कभी तेज धूप चमक उठती थी। बरसात...

कविता – राजा-सुआ संवाद खंड – पदमावत – मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

राजै कहा सत्य कहु सूआ । बिनु सत जस सेंवर कर भूआ॥ होइ मुख रात सत्य के बाता । जहाँ सत्य तहँ धारम सँघाता॥   बाँधाो सिहिटि अहै सत केरी । लछिमी अहै सत्य...

कहानी – विश्‍वास – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

उन दिनों मिस जोशी बम्बई सभ्य-समाज की राधिका थी। थी तो वह एक छोटी-सी कन्या-पाठशाला की अध्यापिका पर उसका ठाट-बाट, मान-सम्मान बड़ी-बड़ी धन-रानियों को भी लज्जित करता था। वह एक बड़े महल में रहती...