क्या कोरोना की हर बार नयी लहर आती है या कोरोना खुद ही नए रूप में बदल जाता है (Corona virus; covid-19)
जैसा की हम सभी लोग मीडिया के माध्यम से सुन रहें हैं कि भारत में इस अगस्त – सितम्बर (2021) तक कोरोना (third wave of Corona Virus; Covid-19) की तीसरी लहर आ सकती है (मीडिया अनुसार वर्तमान में ब्रिटेन व जापान आदि देश तीसरी लहर से बुरी तरह से जूझ रहें हैं) जिसकी वजह से लोग चिंतित भी है कि क्या इस बार ठण्ड के मौसम में भी हमें फिर से लॉक डाउन (Lock down) जैसी तकलीफदायक परिस्थितियों को झेलना पड़ सकता है ! चूंकि आम तौर पर माना जाता है कि ठण्ड के मौसम में कोरोना ज्यादा तेजी से फैलता है इसलिए अगर लॉक डाउन लगा तो इसका बुरा असर ऐसे लोगों पर ज्यादा होता है जिनके पास कोई ख़ास जमापूँजी नहीं होती है और इसके अलावा कई अन्य आवश्यक कार्य जैसे बच्चों की पढ़ाई लिखाई, अन्य शारीरिक बीमारियों का इलाज, शादी ब्याह आदि जैसे कार्य भी नहीं होने पाते हैं !
अब यहाँ पर देखने की बात यह है कि क्या वाकई में हर बार कोरोना की कोई नयी लहर कही बाहर से आ जाती है ! इसे समझने के लिए विश्व भर के वैज्ञानिक अपने स्तर पर पुरजोर रिसर्च कर रहे हैं लेकिन अभी भी कोरोना की कैरेक्टरिस्टिक व इससे सम्बन्धित अन्य आवश्यक जानकारियों के बारे में एकमत नहीं हो पाए हैं जिसकी वजह अक्सर कोई नयी थ्योरी मीडिया के माध्यम से सुनने को मिल सकती है !
चूंकि यह विषय वर्तमान में पूरे विश्व के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है इसलिए इस बारे में “स्वयं बनें गोपाल” समूह ने परम आदरणीय ऋषि सत्ता से भी पुनः मार्गदर्शन प्राप्त करने का प्रयास किया और हर बार की तरह हमें विश्व कल्याणार्थ, परम आदरणीय ऋषि सत्ता की कृपा सहज ही प्राप्त हो गयी !
परम आदरणीय ऋषि सत्ता से प्राप्त दुर्लभ जानकारी के अनुसार आज के वैज्ञानिक जिसे कोरोना की नयी लहर मानते हैं, वह कुछ और नहीं बल्कि शरीर में सुप्त अवस्था में पड़े हुए कोरोना वायरस का अपने आप एक नए रूप में बदल कर सक्रीय हो जाना ही है !
इस बात को आसान तरीके से इस तरह समझा जा सकता है कि जब कोरोना पहली बार पूरे विश्व में फैला तो उसी समय कोरोना वायरस लगभग सभी मानवों के शरीर के अन्दर पहुँच गया था लेकिन कोरोना वायरस के शरीर में पहुचने के बावजूद भी कोई मानव तब तक बीमार नहीं हो सकता जब तक कि उसकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर ना पड़े !
तो परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार कोरोना वायरस इतना ज्यादा मिस्टीरियस और इंटेलीजेंट वायरस है कि यह एक बार दवाओं और स्वस्थ दिनचर्या के अभ्यास से नष्ट हो जाने के बावजूद भी, जरूरी नहीं है कि यह शरीर से पूरी तरह से गायब हो ही जाए ! यह शरीर में लम्बे समय तक सुप्त अवस्था में पड़ा रह सकता है और एक निश्चित समय अंतराल के बाद पुनः एक नए रूप में परिवर्तित होकर शरीर में सक्रिय हो सकता है ! इसीलिए कोरोना की हर लहर के बीच में होने वाले समय अंतराल में एक सेट पैटर्न को गौर किया जा सकता है !
मतलब सारांश रूप में कहें तो परम आदरणीय ऋषि सत्ता अनुसार कोरोना की कोइ भी नयी लहर बाहर से नहीं आती है बल्कि शरीर में सुप्त अवस्था में व्याप्त कोरोना वायरस का अपने आप एक नए रूप में बदल जाने से आती है ! हाँ ये जरूर हो सकता है कि कोरोना का नया बदला हुआ रूप, पहले से ज्यादा संक्रामक हो जिसकी वजह से वह पहले से ज्यादा लोगों को प्रभावित कर पाने में सक्षम हो सकता है और कोरोना का यही बदला हुआ व्यवहार हमें दूसरी लहर (अर्थात कोरोना के नए बदले हुए रूपों में) में भारत में देखने को मिला ! इसलिए ये अति आवश्यक है कि अब हम सभी मानवों को लगातार प्रयास करते रहना होगा कि हमारी इम्युनिटी (immunity) कभी भी कमजोर ना पड़ सके !
भारत सरकार भी कह रही है कि लोगों को कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की डबल डोज लेने के बावजूद भी, कोरोना दुबारा ना होने पाए इसके लिए मास्क (mask) लगाना और हेल्दी डाइट और रूटीन फॉलो करना बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए ! तो यहाँ पर एक बात यह भी ध्यान से समझने की जरूरत है कि कोरोना की बिमारी में सबसे ज्यादा मरीज सांस सम्बन्धित तकलीफों को झेलता है इसलिए इस बिमारी में कपालभाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम (Kapalbhati, Anulom Vilom or Nadi Shodhan pranayama) से ज्यादा सुरक्षित रूप से फायदेमंद दूसरी कोई चीज हो ही नहीं सकती है !
सोशल मीडिया में इस बात का भी काफी प्रसार हो रहा है कि शाकाहारी लोग, मांसाहारियों की तुलना में कोरोना से काफी ज्यादा सुरक्षित हैं ! अगर आप पूरी तरह से तामसिक आचरण बंद करना चाहते हों तो आपको मांस, मछली, अंडा, शराब, बियर, तम्बाखू आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए और ना ही ऐसे मार्केट में मिलने वाले सामान जिसमें मांस या अंडे से निर्मित चीजों के मिले होने की सम्भावना हो (जैसे – कुछ कम्पनीज के पिज्जा, बर्गर, चाकलेट, नूडल्स, चाय, कॉस्मेटिक, लिपस्टिक, डीयो आदि) का सेवन या इस्तेमाल करना चाहिए !
अगर मांस, मछली, अंडा खाने या किसी भी तरह का नशा आदि करने का बार बार मन करता हो तो कृपया नीचे दिए गए आर्टिकल के लिंक को क्लिक कर पढ़ें और उसमें बताये गए बेहद आसान तरीके को मात्र 5 मिनट सुबह व रात में करने से, ना केवल मांस खाने की आदत बल्कि अन्य सभी तरह की बुरी आदतों से मात्र 40 दिनों में ही छुटकारा निश्चित मिलने लगता है और साथ ही साथ सभी तरह की बीमारियों व सभी समस्याओं का भी नाश धीरे धीरे होने लगता है और इतना ही नहीं बल्कि सभी उचित मनोकामनायें भी उचित समय आने पर निश्चित पूरी होकर ही रहती है ! इस आर्टिकल को पढने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें- सभी बिमारियों, सभी मनोकामनाओं व सभी समस्याओं का निश्चित उपाय है ये
अगर हम लोग इस पूरे कोरोना वायरस के प्रकरण को “कर्मफल” के अटल सिद्धांत (Theory of Karma) के रूप में देखे तो पायेंगे कि कोरोना वायरस कुछ और नहीं बल्कि “एक कठोर अनुशासक” है जो हम मानवों को अपने वर्षों से बिगड़े व मनमाना हुए आचार – विचार (यानी मानसिक सोच और शारीरिक दिनचर्या) को जबरदस्ती सुधारने के लिए मजबूर कर रहा है ! कोरोना वायरस के इस अनुशासक व्यवहार का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है लेखिका श्री देवयानी जी ने इस कविता में- एक कठोर अनुशासक ऐसा भी
और अगर हम लोग इस पूरे कोरोना वायरस के प्रकरण को धार्मिक दृष्टिकोण से देखे तो पायेंगे कि आने वाला समय मानव सभ्यता के लिए दिन ब दिन पहले से ज्यादा कठिन होता जा सकता है, क्योकि हम सभी मानवों ने प्रकृति में सर्वत्र फैले हुए असंख्य किस्म के घृणित पापों (जैसे- स्वाद के लिए रोज करोड़ो निर्दोष जानवरों का निर्दयता पूर्वक क़त्ल, अपने फायदे के लिए रोज ना जाने कितने हरे पेड़ों को काटना, अन्न जल की बर्बादी, भ्रष्टाचार, बलात्कार, चोरी डकैती हत्या, माता पिता का अपमान, बार बार झूठ बोलने की आदत, नशा आदि) को रोकने के लिए कोई विशेष प्रयास नही किया, जिसकी वजह से अक्सर क्षुब्ध प्रकृति (यानी प्रत्यक्ष महामाया) के क्रोध की परिणिति हमें इस तरह वैश्विक आपदा के रूप में देखने को मिल सकती है !
सारांश यही है कि आने वाले समय की कठिनता को देखते हुए हमें हर वो प्रयास करना है जिससे हमारा तन और मन दोनों अधिक से अधिक मजबूत बन सकें ! तन को मजबूत और सुखी करने के लिए तो बहुत से उपाय हैं (जैसे- स्वास्थ्यवर्धक खान पान व एक्सरसाइज आदि) लेकिन मन की इम्युनिटी को जबरदस्त तरीके से बढ़ाने के लिए जो सच्ची व परम ख़ुशी किसी जरूरतमंद की उचित सहायता करने से मिलती है वह किसी दूसरी चीज से कभी मिल ही नहीं सकती है ! इसलिए अपनी हर तरह की व्यर्थ काल्पनिक मानसिक समस्याओं (जैसे- नाराजगी, स्वार्थ, शंका, डर, ईगो आदि) को परे रखकर, इस चार दिन की जिंदगी में हर समय इस बात के लिए प्रयास करते रहना चाहिए कि मुझसे कब, कैसे, कहाँ और किसका अधिक से अधिक भला हो सकता है !
नोवेल कोरोना वायरस (Novel Corona Virus; COVID-19) में लाभकारी हो सकतें है ये उपाय
These treatments may be useful in Novel Corona Virus (COVID-19)
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जब अपने तुच्छ भक्त की रक्षा के लिए शेरनी की तरह दौड़ पड़ी गाय माँ
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण से संबन्धित आवश्यक सूचना)- विभिन्न स्रोतों व अनुभवों से प्राप्त यथासम्भव सही व उपयोगी जानकारियों के आधार पर लिखे गए विभिन्न लेखकों/एक्सपर्ट्स के निजी विचार ही “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि पर विभिन्न लेखों/कहानियों/कविताओं/पोस्ट्स/विडियोज़ आदि के तौर पर प्रकाशित हैं, लेकिन “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट, इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, दी गयी किसी भी तरह की जानकारी की सत्यता, प्रमाणिकता व उपयोगिता का किसी भी प्रकार से दावा, पुष्टि व समर्थन नहीं करतें हैं, इसलिए कृपया इन जानकारियों को किसी भी तरह से प्रयोग में लाने से पहले, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर, उन सम्बन्धित जानकारियों के दूसरे एक्सपर्ट्स से भी परामर्श अवश्य ले लें, क्योंकि हर मानव की शारीरिक सरंचना व परिस्थितियां अलग - अलग हो सकतीं हैं ! अतः किसी को भी, “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान की इस वेबसाइट/फेसबुक पेज/ट्विटर पेज/यूट्यूब चैनल आदि के द्वारा, और इससे जुड़े हुए किसी भी लेखक/एक्सपर्ट के द्वारा, और किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा, प्राप्त हुई किसी भी प्रकार की जानकारी को प्रयोग में लाने से हुई, किसी भी तरह की हानि व समस्या के लिए “स्वयं बनें गोपाल” संस्थान और इससे जुड़े हुए कोई भी लेखक/एक्सपर्ट जिम्मेदार नहीं होंगे ! धन्यवाद !