क्या एलियन्स पर रिसर्च करना वाकई में खतरनाक है

(लम्बे समय से ब्रह्मांड सम्बंधित सभी पहलुओं पर रिसर्च करने वाले “स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े कुछ शोधकर्ताओं के निजी सत्य अनुभव)-

वैज्ञानिकों के लिए अबूझ बनें हैं हमारे द्वारा प्रकाशित तथ्य

बात उन दिनों की है, जब मैं अपनी कोर टीम के कुछ मुख्य सदस्यों के साथ उत्तर भारत के एक शहर से दूर स्थित एक अत्याधुनिक कालोनी के एक फ्लैट में रहकर एलियंस सम्बंधित जानकारियों को अपने लैपटॉप पर लिपिबद्ध कर रहा था ! वैसे तो उस कॉलोनी का कैंपस कई किलोमीटर में फैला हुआ था पर मेरा फ्लैट एकदम कार्नर में थर्ड फ्लोर पर स्थित था जिसकी वजह से खिड़की के बाहर का नजारा लगभग हमेशा हिल स्टेशन जैसा सुहाना व ठंडा दिखाई पड़ता था !

यह मेरा मन पसंद काम था कि प्योर गाढ़े दूध, थोडा सा कॉफ़ी पाउडर व ढेर सारी चीनी से बनी एकदम गर्म कॉफ़ी के ग्लास के साथ, खिड़की की पास स्थिति अपनी टेबल चेयर पर बैठकर लैपटॉप पर, बड़ी मेहनत से, इकट्ठी की गयी एलियंस व अन्य रहस्यों से सम्बन्धित जानकारियों को लिपिबद्ध करना और उस समय मै वही कर रहा था अर्थात एलियंस सम्बन्धित नयी जानकारियों पर आधारित लेख लिख रहा था !

एलियंस सम्बंधित सत्य लेख लिखना आसान काम बिल्कुल नहीं है जिसे सिर्फ कोई भुक्त भोगी ही जान सकता है क्योंकि ऐसे लेखों को बनाने की शुरू से लेकर अंत तक की प्रक्रिया अर्थात एलियंस सम्बन्धित सत्य जानकारी इकट्ठी करने से लेकर उसे वेबसाइट पर अपलोड करने तक की पूरी प्रक्रिया में सैकड़ों छोटी से लेकर ऐसी बड़ी बड़ी बाधाएं व समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जिनका प्रथमद्रष्टया कोई भी भौतिक कारण समझ में ही नहीं आता है !

बाधाएं जैसे,- ऑन लैपटॉप का अचानक से बंद हो जाना, अचानक हार्ड डिस्क की समस्या आ जाना, सब कुछ ठीक होते हुए भी आर्टिकल का वेबसाइट पर बार बार अपलोड फेल हो जाना, सम्बन्धित लेख में से कुछ लाइन्स का अचानक से डिलीट हो जाना या सम्बन्धित फाइल का बिना वजह ओपेन ही ना होना !

ऐसा नहीं है कि ये सब समस्याएं किसी वायरस या किसी अन्य टेक्निकल खामियों की वजह से उत्पन्न होती हों क्योंकि इन समस्याओं से प्रोटेक्शन के लिए जो बेस्ट आप्शन्स होतें हैं उन सबको आजमाया जा चुका है, ऊपर से यह सब समस्याएं सिर्फ तभी उभरती हैं जब एलियंस के ऐसे रहस्यों व अन्य ऐसे जटिल रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश की जाती है जिन्हें इरादतन या गैर इरादतन तरीके से दुनिया से लम्बे समय तक छुपा कर रखने की भरपूर कोशिश की गयी हो !

बाधाएं केवल बाहरी तौर पर ही परेशान करतीं हों ऐसा नहीं हैं क्योंकि एलियंस सम्बन्धित लेख लिखते समय कभी कभी मानो ऐसा महसूस होता है कि अपने शरीर के अंदर स्थित महत्वपूर्ण ऑर्गन्स आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रहें हैं जिसकी परिणिति के रूप में चक्कर महसूस होता है, और कभी कभी तो ये चक्कर इतने ज्यादा बढ़ जातें हैं कि लैपटॉप की कीबोर्ड को अंदाजे से टाइप करना पड़ता है, इसके अलावा हृदय की धडकन बढ़ जाती है, पसीने आने लगतें हैं आदि !

मार्गदर्शक सत्ता ने भी इन सभी समस्याओं के बारे में कभी खुल कर नहीं बताया, एक दो बार केवल इतना ही बताया कि यह कलियुग है और यहाँ हर अच्छे काम में बाधाएं आना निश्चित है अतः अगर इन बाधाओं से तुम्हें डर लगता हो, तो छोड़ दो इन रहस्यों पर शोध करना और जीओ एक ऐसी सामान्य लाइफ जिसकी सीमा सिर्फ पैसा कमाना, शादी करना, बच्चे पैदा करना, गाड़ी बंगला खरीदना और अंत में मर जाना तक ही सीमित हो !

वास्तव में यह बात भी सिर्फ एक भुक्त भोगी ही समझ सकता है कि जिसे बचपन से ही हमेशा से अलग अलग तरह के रहस्यों को सुलझाने का जूनून रहा हो, वो कैसे इस तरह की सामान्य जिंदगी जी कर सुखी रह सकता है भले ही रहस्यों को सुलझाने में जीवन ही संकट में पड़ जाने की संभावना हो पर यह जन्मजात जूनून एक सामान्य जीवन जीने ही नहीं देता है इसलिए मार्गदर्शक सत्ता के आश्वासन के बाद मैंने उपर्युक्त बाधाओं के झेलने के बाद भी एलियंस पर रिसर्च करना ना छोड़ा !

और उस दिन भी मै वही कर रहा था अर्थात एक एक घूँट गर्म कॉफ़ी को पीता हुआ लैपटॉप पर लेख लिख रहा था ! बीच बीच में निगाह ठीक सामने स्थित बड़ी सी खिड़की की तरफ चली जाती जहाँ से बाहर का नजारा देखकर ख़ुशी मिलती क्योंकि हल्की सी बारिश का सुहाना मौसम था और ठंडी हवा चल रही थी जो माथे के पसीने से टकराकर सुखद अनुभूति प्रदान कर रही थी !

उस समय दोपहर के शायद तीन बज रहे थे ! टाइप करते करते थोड़ी थकान महसूस हुई तो मैं टाइपिंग करना छोड़ कुर्सी पर आराम की मुद्रा में बैठकर खिड़की से बाहर, आसमान की ओर एकटक देखने लगा ! अचानक मुझे बहुत दूर आसमान में (लगभग क्षितिज के पास) सूर्य के सामान ही देदीप्यमान एक प्रकाश पुंज दिखाई दिया ! मैं उस प्रकाश पुंज को देखकर आश्चर्यचकित हो गया ! फिर मैंने देखा कि कड़कती बिजली के समान चमक लिए हुए वह प्रकाश पुंज बहुत ही तेज गति से मेरी ही तरफ आने लगा ! मै अभी तक कुछ भी समझ पाता इससे पहले ही वह प्रकाश पुंज कुछ ही पलों में मेरी बिल्डिंग के पास आ गया ! उस प्रकाश पुंज के पास आने पर मैंने देखा कि वह प्रकाश पुंज आकार में छोटा नहीं है और वह पुंज आकाशीय बिजली के समान लगातार प्रकाशित हो रहा था ! मै उसे देखकर एकदम हतप्रभ व स्तम्भित हो चुका था और अब मुझे आश्चर्य मिश्रित भय भी महसूस होने लगा था !

तभी मैंने देखा कि पश्चिम दिशा की तरफ से भी एक दूसरा प्रकाश पुंज (जो कि उस पहले प्रकाश पुंज से ज्यादा बड़ा, ज्यादा चमकदार व ज्यादा तेज गतिशील था) तेजी से आते हुए उस पहले प्रकाश पुंज से भीषण गति से टकरा गया ! जिसके बाद वहां कलेजा कपा देने वाली ध्वनि उत्पन्न हुई और मेरे सामने का पूरा आसमान रोशनी से नहा गया ! इस टक्कर से इतनी प्रचंड रौशनी उत्पन्न हुई थी कि कुछ पल तक मेरी आख्नों से धुंधला दिख रहा था और इतनी भीषण कर्णभेदी ध्वनी उत्पन्न हुई थी कि कानों से भी कुछ देर के लिए कम सुनाई दे रहा था !

इस पूरे घटनाक्रम को सिर्फ थोड़ी दूर से प्रत्यक्ष देखकर मेरे शरीर के सारे रोंगटें खड़े हो गए थे, कुछ सेकंड्स के लिए बुद्धि भी भ्रमित हो गयी थी और समझ में ही नहीं आ रहा था कि कब, क्या, कैसे हो गया था ! पता नही इस घटनाक्रम को आस पास रहने वाले लोगों में से कितने लोगों ने प्रत्यक्ष देखा या नहीं, पर आवाज सभी ने सुनी थी जिसकी वजह से सभी ने अपने अपने घर की खिड़कियों को कसकर बंद कर लिया और सारे इलेक्ट्रोनिक उपकरण भी बंद कर दिये जिसका कारण लगभग सभी ने बाद में यही बताया कि हमें लगा कि ठीक पास में कही बारिश की वजह से, भयंकर बिजली गिरी होगी !

पर मैंने तो इस पूरे घटनाक्रम को शुरू से अंत तक प्रत्यक्ष आँखों से देखा था इसलिए मेरा दिल यह मानने को तैयार नहीं था कि यह कोई बारिश से सम्बन्धित बिजली गिरने की सामान्य घटना है !

इस अंदर तक हिलाकर रख देने वाली घटना के हो जाने के बाद उस दिन मेरा, उस एलियन के लेख को पूरा करने का मन नहीं किया क्योंकि मेरी छठी इन्द्रिय बार बार मुझसे यही कह रही थी कि इस पूरी घटना का मुझसे किसी ना किसी तरह से कोई ना कोई सम्बन्ध है ! अपनी टीम के अन्य सदस्यों (जो उस समय वहां प्रत्यक्ष मौजूद नहीं थे) से भी मैंने चर्चा की तो उन्होंने भी कहा कि तुम नाहक ही परेशान हो रहे हो, क्योंकि यह बारिश में बिजली गिरने वाली एक सामन्य घटना है, जो कहीं भी, कभी भी हो सकती है ! पर इन आश्वासन के बाद भी मुझे संतुष्टि नहीं मिली रही थी !

पर जब कुछ समय पश्चात् परम आदरणीय मार्ग दर्शक सत्ता से सम्पर्क हुआ तब मैंने उनसे भी इस घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने भी यही जवाब दिया कि इस घटनाक्रम में कुछ भी ख़ास नहीं था क्योंकि यह वर्षा ऋतु में होने वाली एक सामान्य घटना थी अतः इस घटना का तुमसे भी कोई लेना देना नहीं है !

परम आदरणीय मार्ग दर्शक सत्ता से आश्वासन मिल जाने के बावजूद भी मैंने धृष्टता करते हुए अपने दिल के किसी कोने में दबे इस डर को सीधे प्रश्न के रूप में मार्ग दर्शक सत्ता से पूछ ही लिया, कि क्या इस तरह की अप्रत्याशित घटना, मेरे ऊपर किसी विकसित चेतना द्वारा होने वाला कोई हमला तो नहीं था क्योंकि वह प्रकाश पुंज तेजी से मेरी ही तरफ तो आ रहा था ?

परम आदरणीय मार्ग दर्शक सत्ता ने इस प्रश्न के जवाब में सिर्फ इतना ही बताया कि अगर तुम्हारे ऊपर कभी इस प्रकार का ‘परा-भौतिकी’ हमला होगा तो तुम समाप्त हो जाओगे ! इस प्रकार की घटनायें बहुत ही दुर्लभ होती है जिसका तुम्हारे जैसे साधारण मानव से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है, इसलिए तुम एकदम निश्चिन्त होकर रहो, क्योंकि तुम्हे किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है !

जब परम आदरणीय मार्ग दर्शक सत्ता ने भी पुनः इसी तरह से आश्वासन दिया, तब ना चाह कर भी मुझे इस घटना से अपना दिमाग हटाना पड़ा !

इस घटना के बीत जाने के बाद से लेकर अब तक अर्थात अगले एक साल में, मैंने एलियंस सम्बंधित कई लेख लिखे पर किसी विशेष बाधा का सामना करना नही पड़ा !

इस घटना के लगभग एक वर्ष बाद, एक विशेष अवसर पर, बहुत सुखद माहौल में मार्गदर्शक सत्ता से ज्ञानार्जन की प्रक्रिया चल रही थी, उसी समय मुझे अचानक से यह घटना दुबारा याद आ गयी, तो मैंने परम आदरणीय मार्ग दर्शक सत्ता से फिर से यही प्रश्न पूछ लिया कि उस दिन जो घटना हुई थी वह वास्तव में थी क्या ?

मेरे द्वारा यह प्रश्न करने पर परम आदरणीय मार्ग दर्शक सत्ता का अत्यंत स्नेहमयी उत्तर मिला, कि उस दिन हुई घटना की वास्तविक सच्चाई मै तुम्हे आज बताता हूँ, उस दिन वह जो प्रकाश पुंज तुम्हारी तरफ बढ़ रहा था, उसका निशाना तुम ही थे, क्योंकि तुम्हारे दिन ब दिन और ज्यादा स्पष्ट होते जाते एलियंस सम्बन्धित सार्वजनिक लेखों की वजह से कुछ पराभौतिकी तत्वों की नाराजगी तुम्हारे प्रति बढ़ रही थी, और उन्हें आशंका थी कि भविष्य में देर सवेर तुम्हारे द्वारा जाने – अनजाने ऐसी गोपनीयता का भी उजागर हो सकता है, जिससे पृथ्वी पर निर्विघ्न रूप से चल रहे उनके वर्षों पुराने विभिन्न जटिल अनुसन्धानों की पूर्णता में बाधा उत्पन्न हो सके !

पर ऐसे दुस्साहसी पराभौतिकी तत्व अक्सर भूल जातें हैं कि अगर उनके में किसी की किस्मत बदलने का सामर्थ्य है तो उनके ऊपर भी, उनसे भी कई गुना ज्यादा सामर्थ्य वान ईश्वर के प्रति रूप भी मौजूद हैं जो ऐसे एलियंस के क्रोध से निर्दोषों की सतत रक्षा करतें हैं ! उस प्रकाश पुंज से पश्चिम दिशा से आकर टकराने वाला प्रकाश पुंज तुम्हारे ही गुरुदेव द्वारा निर्देशित था, जिसने उन एलियंस के अस्त्र को तुम तक पहुचने से पहले ही नष्ट कर दिया ! अगर इस घटना की सच्चाई मैने तुम्हे उसी दिन बता दी होती तो, शायद तुम जीवन में कभी दुबारा एलियंस संबधित शोध कर पाने की हिम्मत ना कर पाते ! पर बीतते समय के साथ तुम अब पहले से ज्यादा हिम्मती व अनुभवी होते जा रहे हो अतः आज इस चिर प्रतीक्षित प्रश्न को मुझसे दुबारा पूछा जिसका मैंने आज निवारण किया !

परम आदरणीय मार्गदर्शक सत्ता द्वारा इस पूरे वृतांत को सुनकर, मुझे तुरंत महाभारत काल की वह घटना याद आ गयी जब श्री कृष्ण ने युद्ध की समाप्ती के बाद अर्जुन को वास्तविकता बताई थी कि, यह तो मै था जिसने तुम्हारे रथ को अब तक भस्म होने से बचाए रखा नहीं तो तुम्हारा रथ युद्ध में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य व कर्ण जैसे परम शक्तिशाली योद्धाओं के दिव्यास्त्रों के वारों को झेलते झेलते कब का भस्म हो चुका होता !

मुझे खुद भी समझ में नहीं आ रहा था कि श्री कृष्ण जैसे ही परम दयालु गुरु सत्ता अगर अर्जुन जैसे किसी महान व्यक्तित्व पर कृपा करें तो उचित भी लगता है ! पर मै तो इस कलियुग में पैदा होने वाला काम क्रोध लोभ मोह माया अहंकार आदि जैसे सभी दुर्गुणों से त्रस्त अत्यंत तुच्छ प्राणी हूँ तो फिर मुझ पर ऐसी महान कृपा, आखिर क्यों ? इसके उत्तर में परम दयालु मार्गदर्शक सत्ता ने सिर्फ इतना ही कहा कि, इस कृपा के पीछे का ऐतिहासिक कारण समझाने का अभी उचित समय नहीं है, अतः तुम आज सिर्फ इतना ही जान लो कि तुम बिना किसी पक्षपात के अपने दुर्गुण खुद ही देखने की क्षमता रखते हो और उन्हें दूर करने का सतत प्रयास भी करते हो, बस इतना ही पर्याप्त है सत्यात्माओं की कृपा प्राप्त करने के लिए !

(ब्रह्माण्ड व एलियंस सम्बंधित हमारे अन्य हिंदी आर्टिकल्स एवं उन आर्टिकल्स के इंग्लिश अनुवाद को पढ़ने के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें)-

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