सेनापति भागे, चाटुकार दरबारी गण स्तब्ध
देश की खानदान विशेष की पार्टी जो अपने आप को देश की सबसे पुरानी पार्टी होने का दावा भी करती है उसमें अभी हाल ही में हुई सियासी भगदड अर्थात उसकी बहुत पुराने और विश्वसनीय कहे जाने वाले राजनेताओं द्वारा अचानक से पार्टी छोड़ कर निकल लेने पर, उस पार्टी के कई छुटभईए नेताओं व कार्यकर्ताओं (अर्थात पुराने और नियमित चाटुकार दरबारी गण) के आन्तरिक मन की पीड़ा को व्यक्त करते “स्वयं बने गोपाल” समूह से जुड़े कुछ मूर्धन्य समाजशास्त्री, –
गम बाटने से घटता है इसलिए हम दरबारी कन्फेस करते हैं कि एक तो ऐसी पार्टी का दरबारी होना पहले से ही बहुत जोखिम का काम था कि रोज देशभक्त जनता से घर बाहर हर तरफ अत्याधिक जली कटी खरी खोटी आदि सुनने के बाद भी हमें बिना इच्छा के भी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए चेहरे से और बनावटी आत्मविश्वास दिखाते हुए, अपनी पिटी हुई पार्टी का जोर शोर से महिमा मंडन करना पड़ता है उस पर से अब क्या करें जब हमारे मुख्य सेनापति ही भाग खड़े हुए और भागते भागते हमारे पप्पू युवराज की और ज्यादा मिट्टी पलीद कर गये !
हम नियमित दरबारियों की मुख्य हैरानी इस बात की हैं कि हम इतने दिनों से जिन्हें सेनापति के रूप में प्रोजेक्ट कर इलेक्शन में वोट मांगने वाले थे वही सेनापति गण अचानक से भाग खड़े हुए और भाग के शामिल हुये भी तो किसमें, जो कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन दल था !
इन सेनापतियों को कभी विशेष जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि का बताकर, कुछ न कुछ तो वोट मिल ही जाते लेकिन अभी सब गुड़ गोबर हो गया !
हम दरबारियों को काफी गुस्सा अपने पप्पू टाइप आला कमान से भी है, जिसे इतना भी समझ में नहीं आता कि कुछ मुंह खोलने से पहले भाड़े के चुनावी एनलिस्ट से कंसल्ट कर ले कि क्या बोलना है और क्या नहीं !
बड़ी मेहनत करके हम किसी फ्यूज बल्ब को जनता की नजर में हीरो बनाने की कोशिश करते हैं और जब उस मेहनत का फल वसूलने का समय आता है तो अक्सर वो फ्यूज बल्ब, नांव डूब रही है का हल्ला मचा कर खुद तो भाग जाता है और साथ ही साथ नांव में सवार दूसरे यात्रियों के मन में भी असमंजस पैदा कर जाता है, कि हम लोग भी भाग लें या कुछ दिन और रुकें, जिससे शायद कौन जाने नांव फिर से रफ्तार पकड़ ले !
हम दरबारियों को अब वो सबक याद आ रहा है जो कभी हमारे हितैषियों ने हमें समझाया था कि अरे चाटुकारिता ही करके कुछ बड़ी कमाई का ख्वाब देखना है तो किसी ऐसी पार्टी की करो जो इतना अंधाधुंध लूट खसोट ना मचा दे कि देश की आधी आबादी ही दो वक्त के निवाले के लिए तड़पने लगे !
अब ये तो हमें और शायद पूरे भारत को भी समझ में आ रहा है कि भविष्य उसी पार्टी का है जिस तरफ मोदी जी जैसे प्रचण्ड देशभक्त मौजूद हों पर अब समस्या हमारे साथ यह है कि हमें तो पक्की आदत पड़ गयी है कि जनता का सुख-दुःख बांटने की बजाय सिर्फ अपने आला कमान की चरण रज को माथे पर लगाकर ही सत्ता सुख पाने की, जो सुविधा अब कम से कम मोदी जी के नेतृत्व वाली पार्टी में तो संभव नहीं है !
अतः अब हमारे सामने यह दुविधा फिर से आ गयी है कि अब हम ऐसा क्या करें कि अपने प्रमुख सेनापतियों के अचानक बीच मैदान से युद्ध छोड़ कर भागने से हुए डैमेज को कण्ट्रोल किया जा सके !
वैसे तो हम अपने मन में तरह तरह की नयी स्टोरी/प्लानिंग्स बनाना शुरू कर चुके हैं कि कैसे जनता को समझाया जा सके कि जो छोड़ कर भागा, उसके पीछे भी सिर्फ और सिर्फ मोदी जी की ही कोई कुटिल साजिश थी, ना कि हमारे प्यारे पप्पू की कोई अकल्पनीय बुद्धिमानी !
अन्ततः यह हमारा बहुत गम्भीर निष्कर्ष है कि खैर जो भागा वो भागा, लेकिन अब तो दूसरों को सेनापति के रूप में पेश करना ही पड़ेगा इसलिए इससे पहले कि जनता और जो थोड़े बहुत ना बिकाऊ मीडिया बचे हैं वे हमारे ऊपर पूरा राशन पानी लेकर चढ़ जाएँ, हमें ही काउंटर अटैक करना पड़ेगा जिसके लिए हमें अब यह चिल्लाना शुरू करना होगा कि वे सेनापति तो शुरू से थे ही गलत इसीलिए हमने कभी उन्हें विशेष तवज्जो नहीं दी (भले ही पीठ पीछे हमने कई बार उनके चरण धोकर पीयें हों) यहाँ तक कि उनके सगे सम्बन्धी भी गलत थे आदि आदि इसलिए हम तो शुरू से उनको नहीं, बल्कि उनको (अर्थात इमेरजेंसी बैकअप के लिए रखे गए, कोई दूसरे नये पिटे हुए एक्सपायरी डेट के फलाने ढिमकाने टाइप नेता) ही अपना सेनापति मानते थे और आगे भी वही हमारे नेता रहेंगे और यही करिश्माई नेता ही हमारी पार्टी को फिर से रिकॉर्ड तोड़ जीत दिलवा कर रहेंगे और हमारे साक्षात् परम पिता परमेश्वर प्रभु के अवतार जैसे युवराज पप्पू की विजय पताका को फिर पूरे भारत में लहरा कर ही रहेंगे !
खानदान विशेष की इस पार्टी के इन नियमित दरबारियों द्वारा खुद के आंसू खुद से ही पोछने की बेचारीगी पर “स्वयं बने गोपाल” से जुड़े समाजशास्त्रियों की टिप्पणी –
असल में इन नियमित दरबारियों को इतनी मामूली सी समझ नही है कि झूठ के पाँव नहीं होते हैं इसलिए ये बहुत लम्बी दूर तक नहीं भाग पाता ! आज से 10 – 12 साल पहले तक, जब सोशल मीडिया पॉपुलर नहीं थी तब तक बहुत से लोगों के मन में भ्रम बना रहता था कि, पता नहीं ये पार्टी सही में भ्रष्ट है या नहीं, पर जब से सोशल मीडिया पॉवर में आया है तब से हर छोटे सा छोटा करप्शन भी आम जनता से छुपा नहीं रह गया है इसलिए अब भी इन दरबारियों का इसी भुलावे की खुशफहमीं में रहना कि जनता कुछ दिन बाद उनके असंख्य कुकर्मों को भूल जायेगी और फिर से इनके हाई फाई एडवर्टीज्मेंट्स, रैलियों, बयानबाजियों, नाटक, ड्रामों, अफवाहों और लालचों के बहकावे में आकर उन्हें वोट दे देगी, ठीक उसी तरह है जैसे अपनी तरफ बढ़ते खतरे से बचने का कोई परमानेंट उपाय खोजने की बजाय शुतुरमुर्ग रेत में अपने सिर को छुपाकर खुश हो जाता है कि उसे तो कोई खतरा दिखाई ही नहीं दे रहा है !
मोदी जी नाम के खतरे से बचने का तो एक ही परमानेंट उपाय है कि वाकई में खुद को मोदी जी जैसा ईमानदार बना लेना, जो कि इनकी फितरत में है ही नहीं इसलिए ये भविष्य पूरा भारत रोज सत्य होता देख रहा है कि यह पार्टी और उनके दरबारियों का नामोनिशान ही धीरे धीरे पूरे भारत से ही मिटता जा रहा है !
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