सावधान रहिये : विदेशी षड्यंत्रकारी अब आप को मानसिक रूप से तोड़ने की साजिश पर उतर आये हैं
“स्वयं बनें गोपाल” समूह से जुड़े मूर्धन्य समाजशास्त्री, विदेशी षड्यंत्रकारियों की कुछ मनोवैज्ञानिक साजिशों से भारतीय जनता में मौजूद उन लोगों को आगाह करना चाहते हैं, जिन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि इसके पीछे भी कोई अंतर्राष्ट्रीय कूटनैतिक चाल हो सकती है !
असल में इस समय पड़ोसी देश को अपना माल बेचने के लिए भारत के मार्केट की सख्त आवश्यकता है क्योंकि चीन के अत्याधिक बड़े रक्षा बजट और अंधाधुंध गति से बढ़ते कन्स्ट्रक्शन वर्क को सपोर्ट तभी मिल पायेगा जब भारत में उसका माल खूब बिकता रहे !
पड़ोसी देश का माल भारत में बिकने में रोड़ा बन रहें है भारतीय सनातन धर्म के कुछ आदर्श और उसके प्रचारक !
जैसे पड़ोसी देश एक बहुत बड़ा मांस का एक्सपोर्टर भी है और भारत में पूरे विश्व की तुलना में सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग रहते हैं क्योंकि भारतीय सनातन धर्म में मांस खाना मना है !
भारतियों की इसी मानसिकता को तोड़ने के लिए पड़ोसी देश ने अभी हाल ही में हुए ओलम्पिक गेम्स में भारत को कम पदक मिलने का कारण शाकाहार और धार्मिक आस्तिकता को बताया था जबकि पड़ोसी देश खुद भूल गया कि इसी अंधाधुंध मांस को खाने की आदत की वजह से आज उस देश में हर 30 सेकंड बाद एक बच्चा जन्मजात विकृति लेकर पैदा हो रहा है मतलब औसतन हर 30 सेकंड बाद पैदा होने वाले किसी बच्चे की या तो पूँछ होती है या तो उसका कान टेढ़ा होता है या नाक बेढंगी होती है या अन्य कोई विकृति होती है !
भारतीय सनातन धर्म में बहुत सोच समझकर ही मनुष्य को शाकाहारी नस्ल का बताया गया है क्योंकि मानवों की चेतना इतनी संवेदनशील होती है कि अगर उसे रोज आसुरी आहार (मांस, मछली, अंडा आदि) मिले तो धीरे धीरे उसकी ओरिजिनल प्रकृति भी प्रभावित हो सकती है !
पड़ोसी देश के अलावा और जहाँ जहाँ भी कई पीढ़ियों से अंधाधुंध मांस खाया जा रहा है उन सब जगहों पर भी जन्मजात शारीरिक विकृतियों के केसेस में बढ़ोत्तरी आ रही है लेकिन जिन देशों में सच्ची आस्तिकता भी मौजूद है वहां पर मांसाहार के बावजूद भी शारीरिक विकृति जैसे दैवीय प्रकोप बहुत ज्यादा देखने को नहीं मिलते क्योंकि मांसाहार से बढ़ने वाली नकारात्मकता, आस्तिकता से पैदा होने वाली सकारात्मकता से कम होती है ! आज लिखित रूप में गरीबों और समाज कल्याण कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा दान करने वाले देशों में से एक अमेरिका है !
पड़ोसी देश में पूरे विश्व की तुलना में सबसे ज्यादा नास्तिक लोग रहते है जो कि उनके स्वभाव को देखकर ही पता लगने लगता है क्योंकि अगर उनके मन में किसी भी जानवर के लिए थोड़ी भी दया होती तो वे कम से कम अपने ही घर के पाले हुए कुत्ते या चूहे, छिपकली, काक्रोच आदि तक ना खा जाते ! पड़ोसी देश पर तो कई बार मानव मांस की बिक्री के आरोप भी लगते आ रहें हैं !
पड़ोसी देश ने ओलम्पिक गेम्स में भारत को कम पदक मिलने का जो दूसरा कारण, आस्तिकता को बताया है उसके पीछे का एक मुख्य कारण बाबा रामदेव जैसे सनातन धर्म के आदर्शों (देशप्रेम, सत्यवादिता, कर्मठता, साहस, परोपकार, ईश्वर में विश्वास) के प्रचारक भी हैं !
पिछले कई वर्षों से बाबा रामदेव, सिर्फ स्वदेशी निर्मित वस्तुओं के उपयोग और विदेशी कम्पनीज के प्रोडक्ट्स का पूर्ण बहिष्कार का आन्दोलन पूरे भारत में चला रहें हैं और उनका यह अभियान धीरे धीरे सफल होता दिख भी रहा है क्योंकि अब आम जनमानस के लोगों को भी पता लगने लगा है कि कौन सी कंपनी विदेशी है और कौन सी स्वदेशी !
पड़ोसी देश किसी भी कीमत पर भारत में अपनी बिक्री कम होना बर्दाश्त नहीं कर सकता है इसलिए पड़ोसी देश, बाबा रामदेव (जो कि विश्व स्तर पर भारतीय सनातन धर्म के एक बड़े आईकान के रूप में भी स्थापित हो चुकें है) के प्रति लोगों के मन में नफरत पैदा करना चाहता है !
लेकिन चीन समझ नहीं पा रहा है कि बाबा रामदेव को किस माध्यम से बदनाम करे क्योंकि अब कोई ऐसा कारण बचा नहीं है जिसके आधार पर बाबा रामदेव पर कोई नया आरोप लगाया जा सके ! आज से दो साल पहले जब बाबा रामदेव खानदान विशेष की पार्टी से भारत को मुक्त कराने का आन्दोलन चला रहे थे तब उन पर और उनकी संस्था पर एक नहीं, दो नहीं लगभग डेढ़ हजार मुकदमे दर्ज होने की बात सुनने को मिल रही थी !
इसलिए पड़ोसी देश अब बाबा रामदेव को दूसरे माध्यम से घेर रहा है जिसके लिए वो बाबा रामदेव के परम मित्र और पातंजलि आयुर्वेद के मुख्य नियंत्रक श्री बालकृष्ण को, एक बड़े अय्याश बिजनेस मैन के रूप में जनता के बीच में प्रोजेक्ट कर रहा है कि, जैसे बालकृष्ण, करोड़ो रूपए की कार से चलते हैं, महंगे मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और इतने हजार करोड़ रूपए के मालिक हैं आदि आदि !
इन सब बातों को सुनकर जनता के बीच मौजूद हल्के दिमाग के लोग तुरंत शक करने लगते हैं कि क्या बालकृष्ण व बाबा रामदेव भी उन्ही ढोंगी साधुओं की तरह हैं जो मुंह पर तो बहुत बड़े त्यागी, तपस्वी साधू बनते हैं पर पीठ पीछे हर तरह के सांसारिक अय्याशियों में लिप्त हैं ?
जनता के बीच मौजूद लोग जो समझदार हैं वे अपने आप ही समझ लेते हैं कि चीन के द्वारा बालकृष्णजी के ऊपर लगाये गए आरोपों की सच्चाई आखिर है क्या !
जैसे बालकृष्ण ऐसी महंगी कार इसलिए इस्तेमाल करते हैं क्योंकि वो कार इतनी ज्यादा मजबूत है कि छोटे मोटे जानलेवा हमलों को बर्दाश्त कर सकती है, इतनी ज्यादा ताकतवर है कि अगर कोई बुरे इरादे से पीछा करे तो ये कार जरूरत पड़ने पर सड़क की बजाय गड्ढों, कीचड़ आदि में भी बिना बैलेंस खोये हुए दौड़ सकती है आदि आदि !
श्री बालकृष्ण जो मोबाइल इस्तेमाल करते हैं वो महंगा इसलिए है क्योंकि उन्हें वक्त बेवक्त जब जरूरत पड़े वे अपने हाई टेक मोबाइल से ही अपने ऑफिस के अधिक से अधिक काम निपटा सकते हैं वो भी मोबाइल के बिना किसी वायरस या अन्य किसी प्रायोजित बाधा से प्रभावित हुए !
और जो कहा जा रहा है कि बाल कृष्णजी इतने हजार करोड़ रूपए के मालिक हैं ये एक तरह का आधा सच और आधा झूठ है क्योंकि निश्चित तौर पर बालकृष्णजी, पतंजलि आयुर्वेद कंपनी में जिस पद पर हैं उस पद पर उनके नियंत्रण में कई हजार करोड़ रूपए हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये पैसा उनकी निजी संपत्ति है ! ये पैसा है पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के रोजमर्रा के कामों को आगे बढ़ाने के लिए !
निजी जीवन में वास्तव में एक तपस्वी के समान कड़ी दिनचर्या जीने वाले, अस्वाद भोजन करने वाले, बिना एयर कंडीशन के प्राकृतिक वातावरण के नजदीक रहने वाले, सदैव हमीं देशवासियों के हित के लिए कठिन मेहनत करने वाले और बच्चों जैसे सरल स्वभाव वाले बालकृष्णजी और बाबा रामदेव जी को अगर निजी संपत्ति खड़ी करने का शौक होता तो वे एक जमाने में, कभी भी सीधे खानदान विशेष की पार्टी से ही लड़कर अपने ऊपर डेढ़ हजार मुकदमों का जोखिम ना उठाते जबकि उससे पहले तक सभी राजनेता उन्हें इतना ज्यादा मानते थे कि उनके कार्यक्रम में लगभग 25 मुख्यमंत्री एक साथ शामिल होते थे !
खैर दुनिया का दस्तूर यही रहा है कि जब जब जिसने जिसने ईमानदारी से काम शुरू किया है, तब तब हर वो आदमी उसका दुश्मन हो गया है जिसकी बेईमानी की कमाई उस ईमानदार की वजह से प्रभावित हुई है !
इसी दस्तूर को सत्य मानते हुए बाबा रामदेव और उनके सहयोगी जैसे देशभक्त हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहते हैं कि कभी भी उनके खिलाफ किसी भी तरह की साजिश हो सकती है !
अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि पड़ोसी देश और क्या क्या मनोवैज्ञानिक या राजनैतिक साजिश भारत के खिलाफ करेगा पर अब हम बात करते हैं कि पाकिस्तान की उस मनोवैज्ञानिक साजिश के बारे में जिसे वो आजकल भारत में विभिन्न माध्यमों से पुरजोर तेजी से हवा दे रहा है !
पाकिस्तान की मनोवैज्ञानिक साजिश यह है कि भारतीय मुसलमानों के मन में यह लगातार शक भर कर उन्हें भड़काना कि उनके साथ भारत में बहुत ज्यादती, नाइंसाफी हो रही है !
हर वो मुसलमान जो पढ़ा लिखा समझदार है, पाकिस्तान की इस दावे की पोल खुद ही खोल देता है क्योंकि उसे पता है कि भारत में मुसलमानों को अल्पसंख्यक दर्जा मिलने की वजह से बहुसंख्यक हिन्दुओं की तुलना में, उन्हें कई मामलों में बल्कि ज्यादा सुविधाएँ उपलब्ध हैं !
शक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है, इसलिए बुद्धिमान वही है जो अपने सामने दिखने वाली घटनाओं को समझने के लिए अपना खुद का दिमाग इस्तेमाल करे, ना कि सुनी सुनाई बातों पर क्योंकि कई बार तो आँखों देखा भी सच नहीं बल्कि साजिशन किसी शैतान खोपड़ी द्वारा प्रायोजित होता है !
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