Author: gopalp

कहानी – रक्षा – (लेखक – वृंदावनलाल वर्मा)

मुहम्मदशाह औरंगजेब का परपोता और बहादुरशाह का पोता था। 1719 में सितंबर में गद्दी पर बैठा था। सवाई राजा जयसिंह के प्रयत्न पर मुहम्मदशाह ने गद्दी पर बैठने के छह वर्ष बाद जजिया मनसूख...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 25 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद हुस्नआरा के यहाँ से चले, तो घूमते-घामते हँसोड़ के मकान पर पहुँचे और पुकारा। लौंड़ी बोली कि वह तो कहाँ गए हैं, आप बैठिए। आजाद – भाभी साहब से हमारी बंदगी कह...

लेख – संग्राम – भाग -1 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पहला दृश्य प्रभात का समय। सूर्य की सुनहरी किरणें खेतों और वृक्षों पर पड़ रही हैं। वृक्षपुंजों में पक्षियों का कलरव हो रहा है। बसंत ऋतु है। नई-नई कोपलें निकल रही हैं। खेतों में...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 26 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

आजाद ने सोचा कि रेल पर चलने से हिंदोस्तान की हालत देखने में न आएगी। इसलिए वह लखनऊ के स्टेशन पर सवार न होकर घोड़े पर चले थे। एक शहर से दूसरे शहर जाना,...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 27 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद और खोजी चलते-चलते एक नए कस्बे में जा पहुँचे और उसकी सैर करने लगे। रास्ते में एक अनोखी सज-धज के जवान दिखाई पड़े। सिर से पैर तक पीले कपड़े पहने हुए, ढीले...

कहानी – थोड़ी दूर और – (लेखक – वृंदावनलाल वर्मा)

जब मुहमूद गजनवी (सन 1025-26 में) सोमनाथ का मंदिर नष्ट-भ्रष्ट करके लौटा तब उसे कच्छ से होकर जाना पड़ा। गुजरात का राजा भीमदेव उसका पीछा किए चल रहा था। ज्यों-ज्यों करके महमूद गजनवी कच्छ...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 28 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

दूसरे दिन नौ बजे रात को नवाब साहब और उनके मुसाहब थिएटर देखने चले। नवाब – भई, आबादीजान को भी साथ ले चलेंगे। मुसाहब – जरूर, जरूर उनके बगैर मजा किरकिरा हो जायगा। इतने...

लेख – संग्राम – भाग -2 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पहला दृश्य स्थान : चेतनदास की कुटी, गंगातट।   समय : संध्या।   सबल : महाराज, मनोवृत्तियों के दमन करने का सबसे सरल उपाय क्या है ?   चेतनदास : उपाय बहुत हैं, किंतु...

कहानी – खजुराहो की दो मूर्तियाँ – (लेखक – वृंदावनलाल वर्मा)

चंद्रमा थोड़ा ही चढ़ा था। बरगद की पेड़ की छाया में चाँदनी आँखमिचौली खेल रही थी। किरणें उन श्रमिकों की देहों पर बरगद के पत्तों से उलझती-बिदकती सी पड़ रहीं थीं। कोई लेटा था,...

लेख – संग्राम – भाग -3 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

प्रथम दृश्य स्थान : कंचनसिंह का कमरा।   समय : दोपहर, खस की टट्टी लगी हुई है, कंचनसिंह सीतलपाटी बिछाकर लेटे हुए हैं, पंखा चल रहा है।   कंचन : (आप-ही-आप) भाई साहब में...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 29 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

आज तो निराला समाँ है। गरीब, अमीर, सब रँगरलियाँ मना रहे हैं। छोटे-बड़े खुशी के शादियाने बजा रहे हैं। कहीं बुलबुल के चहचहे, कहीं कुमरी के कह-कहे। ये ईद की तैयारियाँ हैं। नवाब साहब...

कहानी – ‘कंजूस और सोना – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

एक आदमी था, जिसके पास काफी जमींदारी थी, मगर दुनिया की किसी दूसरी चीज से सोने की उसे अधिक चाह थी। इसलिए पास जितनी जमीन थी, कुल उसने बेच डाली और उसे कई सोने...

लेख – संग्राम – भाग – 4 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पहला दृश्य   स्थान: मधुबन। थानेदार, इंस्पेक्टर और कई सिपाहियों का प्रवेश।   इंस्पेक्टर : एक हजार की रकम एक चीज होती है।   थानेदार : बेशक !   इंस्पेक्टर : और करना कुछ...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 30 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

दूसरे दिन सुबह को नवाब साहब जनानखाने से निकले, तो मुसाहबों ने झुक-झुक कर सलाम किया। खिदमतगार ने चाय की साफ-सुथरी प्यालियाँ और चमचे ला कर रखे। नवाब ने एक-एक प्याली अपने हाथ से...

कहानी – रामशास्त्री की निस्पृहता – (लेखक – वृंदावनलाल वर्मा)

दो सौ वर्ष के लगभग हो गए, जब पूना में रामशास्त्री नाम के एक महापुरुष थे। न महल, न नौकर-चाकर, न कोई संपत्ति। फिर भी इस युग के कितने बड़े मानव! भारतीय संस्कृति की...

व्यंग्य – नेता का स्थान – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

लड़कपन से लेकर बी.ए. पास हो लेने तक, आठ वर्ष की अज्ञान अवस्‍था से तेईस वर्ष की अपरिपक्‍व अवस्‍था तक वे दोनों अभिन्‍न मित्र रहे। दोनों तीव्र भी थे, दोनों ‘देश के चमकते हुए...