Author: gopalp

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 18 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद एक दिन चले जाते थे, तो देखते क्या हैं, एक चौराहे के नुक्कड़ पर भंगवाले की दुकान है और उस पर उनके एक लँगोटिए यार बैठे डींग की ले रहे हैं। हमने...

कविता -देवपाल-दूती खंड, बादशाह-दूती खंड, पद्मावती-गोरा-बादल-संवाद खंड, गोरा-बादल-युध्द-यात्राा खंड, गोरा-बादल-युध्द खंड, बंधन-मोक्ष; पद्मावती-मिलन खंड,- (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

कुंभलनेर राय देवपालू । राजा केर सत्राु हिय सालू॥ वह पै सुना कि राजा बाँधाा । पाछिल बैर सँवरि छर साधाा॥   सत्राुसाल तब नेवरै सोई । जौ घर आव सत्राु कै जोई॥  ...

कहानी – सौत- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

जब रजिया के दो-तीन बच्चे होकर मर गये और उम्र ढल चली, तो रामू का प्रेम उससे कुछ कम होने लगा और दूसरे व्याह की धुन सवार हुई। आये दिन रजिया से बकझक होने...

कविता -राजा-बादशाह-मेल खंड, बादशाह भोज खंड, चित्तौरगढ़-वर्णन खंड, पद्मावती-नागमती-विलाप खंड, रत्नसेन-बंधन खंड- (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुना साह अरदासैं पढ़ीं । चिंता आन आनि चित चढ़ी॥ तौ अगमन मन चीतै कोई । जौ आपन चीता किछु होई॥   मन झूठा, जिउ हाथ पराए । चिंता एक हिए दुइ ठाएँ॥  ...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 19 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

एक दिन मियाँ आजाद साँड़नी पर सवार हो घूमने निकले, तो एक थिएटर में जा पहुँचे। सैलानी आदमी तो थे ही, थिएटर देखने लगे, तो वक्त का खयाल ही न रहा। थिएटर बंद हुआ,...

कहानी – उपदेश- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

प्रयाग के सुशिक्षित समाज में पंडित देवरत्न शर्मा वास्तव में एक रत्न थे। शिक्षा भी उन्होंने उच्च श्रेणी की पायी थी और कुल के भी उच्च थे। न्यायशीला गवर्नमेंट ने उन्हें एक उच्च पद...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 20 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

दूसरे दिन सवेरे आजाद की आँख खुली तो देखा, एक शाह जी उनके सिरहाने खड़े उनकी तरफ देख रहे हैं। शाह जी के साथ एक लड़का भी है, जो अलारक्खी को दुआएँ दे रहा...

कविता -रत्नसेन-देवपाल-युध्द खंड, राजा रत्नसेन बैकुंठवास खंड, पदमावती-नागमती-सती खंड, उपसंहार,- (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

सुनि देवपाल राय कर चालू । राजहि कठिन परा हिय सालू॥ दादुर कतहुँ कँवल कहँपेखा । गादुर मुख न सूर कर देखा॥   अपने रँग जस नाच मयूरू । तेहि सरि साधा करै तमचूरू॥...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 21 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद रेल पर बैठ कर नाविल पढ़ रहे थे कि एक साहब ने पूछा – जनाब, दो-एक दम लगाइए, तो पेचवान हाजिर है। वल्लाह, वह धुआँधार पिलाऊँ कि दिल फड़क उठे। मगर याद...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 22 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद के पाँव में तो सनीचर था। दो दिन कहीं टिक जायँ तो तलवे खुजलाने लगें। पतंगबाज के यहाँ चार-पाँच दिन जो जम गए, तो तबीयत घबराने लगी लखनऊ की याद आई। सोचे,...

कहानी – स्वत्व-रक्षा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मीर दिलावर अली के पास एक बड़ी रास का कुम्मैत घोड़ा था। कहते तो वह यही थे कि मैंने अपनी जिन्दगी की आधी कमाई इस पर खर्च की है, पर वास्तव में उन्होंने इसे...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 23 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद शिकरम पर से उतरे, तो शहर को देख कर बाग-बाग हो गए। लखनऊ में घूमे तो बहुत थे, पर इस हिस्से की तरफ आने का कभी इत्तिफाक न हुआ था। सड़कें साफ,...

कविता -स्त्री – भेद- वर्णन खंड,पद्मावती-रूप चर्चा खंड, बादशाह-चढ़ाई खंड,राजा-बादशाह-युध्द खंड,- मलिक मुहम्मद जायसी – (संपादन – रामचंद्र शुक्ल )

पहिले कहौं हस्तिनी नारी । हस्ती कै परकीरति सारी॥ सिर औ पायँ सुभर गिउ छोटी । उर कै खीनि लंक कै मोटी॥   कुंभस्थल कुच मद उर माहीं । गयन गयंद ढाल जनु वाहीं॥...

कहानी – दुस्साहस- (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

लखनऊ के नौबस्ते मोहल्ले में एक मुंशी मैकूलाल मुख्तार रहते थे। बड़े उदार, दयालु और सज्जन पुरुष थे। अपने पेशे में इतने कुशल थे कि ऐसा बिरला ही कोई मुकदमा होता था जिसमें वह...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 24 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

बड़ी बेगम साहबा पुराने जमाने की रईसजादी थीं, टोने टोटके में उन्हें पूरा विश्वास था। बिल्ली अगर घर में किसी दिन आ जाय, तो आफत हो जाय। उल्लू बोला और उनकी जान निकली। जूते...

कहानी – रक्षा – (लेखक – वृंदावनलाल वर्मा)

मुहम्मदशाह औरंगजेब का परपोता और बहादुरशाह का पोता था। 1719 में सितंबर में गद्दी पर बैठा था। सवाई राजा जयसिंह के प्रयत्न पर मुहम्मदशाह ने गद्दी पर बैठने के छह वर्ष बाद जजिया मनसूख...