Author: gopalp

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 3 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

नवाब साहब के दरबार में दिनोंदिन आजाद का सम्मान बढ़ने लगा। यहाँ तक कि वह अक्सर खाना भी नवाब के साथ ही खाते। नौकरों को ताकीद कर दी गई कि आजाद का जो हुक्म...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 4 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

आजाद यह तो जानते ही थे कि नवाब के मुहाहबों में से कोई चौक के बाहर जानेवाला नहीं इसलिए उन्होंने साँड़नी तो एक सराय में बाँध दी और आप अपने घर आए। रुपए हाथ...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 5 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद की साँड़नी तो सराय में बँधी थी। दूसरे दिन आप उस पर सवार हो कर घर से निकल पड़े। दोपहर ढले एक कस्बे में पहुँचे। पीपल के पेड़ के साये में बिस्तर...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 6 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद मुँह-अँधेरे तारों की छाँह में बिस्तर से उठे, तो सोचे; साँड़नी के घास-चारे की फिक्र करके सोचा कि जरा अदालत और कचहरी की भी दो घड़ी सैर कर आएँ। पहुँचे तो क्या...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 7– (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद साँड़नी पर बैठे हुए एक दिन सैर करने निकले, तो एक सराय में जा पहुँचे। देखा, एक बरामदे में चार-पाँच आदमी फर्श पर बैठे धुआँधार हुक्के उड़ा रहे हैं, गिलौरी चबा रहे...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 8– (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

एक दिन मियाँ आजाद सराय में बैठे सोच रहे थे, किधर जाऊँ कि एक बूढ़े मियाँ लठिया टेकते आ खड़े हुए और बोले – मियाँ, जरी यह खत तो पढ़ लीजिए, और इसका जवाब...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 9– (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

आजाद को नवाब साहब के दरबार से चले महीनों गुजर गए, यहाँ तक कि मुहर्रम आ गया। घर से निकले, तो देखते क्या हैं, घर-घर कुहराम मचा हुआ है, सारा शहर हुसेन का मातम...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 10– (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

वसंत के दिन आए। आजाद को कोई फिक्र तो थी ही नहीं, सोचे, आज वसंत की बहार देखनी चाहिए। घर से निकल खड़े हुए, तो देखा कि हर चीज जर्द है, पेड़-पत्ते जर्द, दरो-दीवार...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 12– (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

आजाद तो इधर साँड़नी को सराय में बाँधे हुए मजे से सैर-सपाटे कर रहे थे, उधर नवाब साहब के यहाँ रोज उनका इंतिजार रहता था कि आज आजाद आते होंगे और सफशिकन को अपने...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 11– (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

एक दिन आजाद शहर की सैर करते हुए एक मकतबखाने में जा पहुँचे। देखा, एक मौलवी साहब खटिया पर उकड़ू बैठे हुए लड़कों को पढ़ा रहे हैं। आपकी रँगी हुई दाढ़ी पेट पर लहरा...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 13 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

इधर शिवाले का घंटा बजा ठनाठन, उधर दो नाकों से सुबह की तोप दगी दनादन। मियाँ आजाद अपने एक दोस्त के साथ सैर करते हुए बस्ती के बाहर जा पहुँचे। क्या देखते हैं, एक...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 14 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद ठोकरें खाते, डंडा हिलाते, मारे-मारे फिरते थे कि यकायक सड़क पर एक खूबसूरत जवान से मुलाकात हुई। उसने इन्हें नजर भर कर देखा, पर यह पहचान न सके। आगे बढ़ने ही को...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 15 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद एक दिन चले जाते थे। क्या देखते हैं, एक पुरानी-धुरानी गड़हिया के किनारे एक दढ़ियल बैठे काई की कैफियत देख रहे हैं।कभी ढेला उठाकर फेंका, छप। बुड्ढे आदमी और लौंडे बने जाते...

अनुवाद – आजाद-कथा – भाग 1 – (लेखक – रतननाथ सरशार, अनुवादक – प्रेमचंद)

मियाँ आजाद के बारे में, हम इतना ही जानते हैं कि वह आजाद थे। उनके खानदान का पता नहीं, गाँव-घर का पता नहीं; खयाल आजाद, रंग-ढंग आजाद, लिबास आजाद दिल आजाद और मजहब भी...

गायत्री मन्त्र की सत्य चमत्कारी घटनाये – 20 (बन्ध्या को सन्तान मिली)

श्री राधावल्लभ तिवारी, बहावलपुर लिखते हैं कि मेरा विवाह चौदह वर्ष की आयु में हुआ था। स्त्री सात महीने छोटी थी। इस विवाह को हुए 16 साल बीत गये हम लोगों की आयु तीस...

दिव्य पौधा है चन्दन

चंदन सम्पूर्ण भारत में पाया जाने वाला वृक्ष है। यह मध्यम श्रेणी का वृक्ष होता है। तथा मुख्यत: ठण्डे व शीतोष्ण प्रदेशों में पाया जाता है, वनस्पति जगत के ‘‘सैण्टेलेसी’’ (SANTALACEAE) ‘‘सैण्टेलम एल्बम’’ (SANTALUM...