Author: gopalp

कहानी – दारोगाजी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कल शाम को एक जरूरत से तांगे पर बैठा हुआ जा रहा था कि रास्ते में एक और महाशय तांगे पर आ बैठे। तांगेवाला उन्हें बैठाना तो न चाहता था, पर इनकार भी न...

श्री राधा रहस्य, कौन जानता है ?

ब्रज धाम में किसी राजा का नहीं बल्कि रानी का राज चलता है ! और ये रानी कोई और नहीं, हमारी प्यारी लाडली सरकार श्री राधा रानी जी हैं ! श्री राधा जी को...

कविताएँ – स्वप्न सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 संध्या अरुण जलज केसर ले   अब तक मन थी बहलाती,   मुरझा कर कब गिरा तामरस,   उसको खोज कहाँ पाती     क्षितिज भाल का कुंकुम मिटता   मलिन कालिमा के...

गणपति बाप्पा मोरया

आदिशक्ति माँ पार्वती को अपनी बाल लीलाओं से हँसाने वाले, श्री महादेव के परम लाडले, भगवान कार्तिकेय के परम आज्ञाकारी छोटे भाई, लड्डू को बहुत पसंद करने वाले, चूहे पर बैठ कर पूरा ब्रह्माण्ड...

कहानी – आगा-पीछा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

रूप और यौवन के चंचल विलास के बाद कोकिला अब उस कलुषित जीवन के चिह्न को आँसुओं से धो रही थी। विगत जीवन की याद आते ही उसका दिल बेचैन हो जाता और वह...

कविताएँ – काम सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 “मधुमय वसंत जीवन-वन के,   बह अंतरिक्ष की लहरों में,   कब आये थे तुम चुपके से   रजनी के पिछले पहरों में?     क्या तुम्हें देखकर आते यों   मतवाली कोयल...

कहानी – सत्याग्रह – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

हिज एक्सेलेंसी वाइसराय बनारस आ रहे थे। सरकारी कर्मचारी, छोटे से बड़े तक, उनके स्वागत की तैयारियाँ कर रहे थे। इधर काँग्रेस ने शहर में हड़ताल मनाने की सूचना दे दी थी। इससे कर्मचारियों...

कविताएँ – रहस्य सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 उर्ध्व देश उस नील तमस में,   स्तब्ध हि रही अचल हिमानी,   पथ थककर हैं लीन चतुर्दिक,   देख रहा वह गिरि अभिमानी,     दोनों पथिक चले हैं कब से,  ...

कहानी – प्रेरणा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मेरी कक्षा में सूर्यप्रकाश से ज्यादा ऊधामी कोई लड़का न था, बल्कि यों कहो कि अध्यापन-काल के दस वर्षों में मुझे ऐसी विषम प्रकृति के शिष्य से साबका न पड़ा था। कपट-क्रीड़ा में उसकी...

कविताएँ – लज्जा सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 “कोमल किसलय के अंचल में   नन्हीं कलिका ज्यों छिपती-सी,   गोधूली के धूमिल पट में   दीपक के स्वर में दिपती-सी।     मंजुल स्वप्नों की विस्मृति में   मन का उन्माद...

कहानी – सद्गति – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

दुखी चमार द्वार पर झाडू लगा रहा था और उसकी पत्नी झुरिया, घर को गोबर से लीप रही थी। दोनों अपने-अपने काम से फुर्सत पा चुके थे, तो चमारिन ने कहा, ‘तो जाके पंडित...

कविताएँ – संघर्ष सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 श्रद्धा का था स्वप्न   किंतु वह सत्य बना था,   इड़ा संकुचित उधर   प्रजा में क्षोभ घना था।     भौतिक-विप्लव देख   विकल वे थे घबराये,   राज-शरण में त्राण...

कहानी – विनोद – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

विद्यालयों में विनोद की जितनी लीलाएँ होती रहती हैं, वे यदि एकत्र की जा सकें, तो मनोरंजन की बड़ी उत्तम सामग्री हाथ आये। वहाँ अधिकांश छात्र- जीवन की चिंताओं से मुक्त रहते हैं। कितने...

कहानी – बनजारा (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

धीरे-धीरे रात खिसक चली, प्रभात के फूलों के तारे चू पडऩा चाहते थे। विन्ध्य की शैलमाला में गिरि-पथ पर एक झुण्ड बैलों का बोझ लादे आता था। साथ के बनजारे उनके गले की घण्टियों...

कहानी – ढपोरसंख – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

मुरादाबाद में मेरे एक पुराने मित्र हैं, जिन्हें दिल में तो मैं एक रत्न समझता हूँ पर पुकारता हूँ ढपोरसंख कहकर और वह बुरा भी नहीं मानते। ईश्वर ने उन्हें जितना ह्रदय दिया है,...

कहानी – प्रसाद (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

मधुप अभी किसलय-शय्या पर, मकरन्द-मदिरा पान किये सो रहे थे। सुन्दरी के मुख-मण्डल पर प्रस्वेद बिन्दु के समान फूलों के ओस अभी सूखने न पाये थे। अरुण की स्वर्ण-किरणों ने उन्हें गरमी न पहुँचायी...