Author: gopalp

कहानी – अशोक (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

पूत-सलिला भागीरथी के तट पर चन्द्रालोक में महाराज चक्रवर्ती अशोक टहल रहे हैं। थोड़ी दूर पर एक युवक खड़ा है। सुधाकर की किरणों के साथ नेत्र-ताराओं को मिलाकर स्थिर दृष्टि से महाराज ने कहा-विजयकेतु,...

कहानी – बाबाजी का भोग – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

रामधन अहीर के द्वार पर एक साधु आकर बोला- बच्चा तेरा कल्याण हो, कुछ साधु पर श्रद्धा कर। रामधन ने जाकर स्त्री से कहा- साधु द्वार पर आये हैं, उन्हें कुछ दे दे।  ...

कहानी – गुलाम (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

फूल नहीं खिलते हैं, बेले की कलियाँ मुरझाई जा रही हैं। समय में नीरद ने सींचा नहीं, किसी माली की भी दृष्टि उस ओर नहीं घूमी; अकाल में बिना खिले कुसुम-कोरक म्लान होना ही...

कहानी – भाड़े का टट्टू – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आगरा कालेज के मैदान में संध्या-समय दो युवक हाथ से हाथ मिलाये टहल रहे थे। एक का नाम यशवंत था, दूसरे का रमेश। यशवंत डीलडौल का ऊँचा और बलिष्ठ था। उसके मुख पर संयम...

कविताएँ – आशा सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 ऊषा सुनहले तीर बरसती   जयलक्ष्मी-सी उदित हुई,   उधर पराजित काल रात्रि भी   जल में अतंर्निहित हुई।     वह विवर्ण मुख त्रस्त प्रकृति का   आज लगा हँसने फिर से,...

कहानी – डिमॉन्सट्रेशन – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

महाशय गुरुप्रसादजी रसिक जीव हैं, गाने-बजाने का शौक है, खाने-खिलाने का शौक है और सैर-तमाशे का शौक है; पर उसी मात्र में द्रव्योपार्जन का शौक नहीं है। यों वह किसी के मुँहताज नहीं हैं,...

कविताएँ – इडा सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 “किस गहन गुहा से अति अधीर   झंझा-प्रवाह-सा निकला   यह जीवन विक्षुब्ध महासमीर   ले साथ विकल परमाणु-पुंज     नभ, अनिल, अनल,   भयभीत सभी को भय देता   भय की...

कहानी – अभिलाषा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

कल पड़ोस में बड़ी हलचल मची। एक पानवाला अपनी स्त्री को मार रहा था। वह बेचारी बैठी रो रही थी, पर उस निर्दयी को उस पर लेशमात्र भी दया न आती थी। आखिर स्त्री...

कविताएँ – श्रृद्धा सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 कौन हो तुम? संसृति-जलनिधि   तीर-तरंगों से फेंकी मणि एक,   कर रहे निर्जन का चुपचाप   प्रभा की धारा से अभिषेक?     मधुर विश्रांत और एकांत-जगत का   सुलझा हुआ रहस्य,...

कहानी – खुचड़ – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बाबू कुन्दनलाल कचहरी से लौटे, तो देखा कि उनकी पत्नीजी एक कुँजड़िन से कुछ साग-भाजी ले रही हैं। कुँजड़िन पालक टके सेर कहती है, वह डेढ़ पैसे दे रही हैं। इस पर कई मिनट...

कविताएँ – दर्शन सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 वह चंद्रहीन थी एक रात,   जिसमें सोया था स्वच्छ प्रात   उजले-उजले तारक झलमल,   प्रतिबिंबित सरिता वक्षस्थल,     धारा बह जाती बिंब अटल,   खुलता था धीरे पवन-पटल   चुपचाप...

कहानी – दो कब्रें – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

अब न वह यौवन है, न वह नशा, न वह उन्माद। वह महफिल उठ गई, वह दीपक बुझ गया, जिससे महफिल की रौनक थी। वह प्रेममूर्ति कब्र की गोद में सो रही है। हाँ,...

कविताएँ – ईर्ष्या सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 पल भर की उस चंचलता ने   खो दिया हृदय का स्वाधिकार,   श्रद्धा की अब वह मधुर निशा   फैलाती निष्फल अंधकार     मनु को अब मृगया छोड नहीं   रह...

कविताएँ – वासना सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 चल पड़े कब से हृदय दो,   पथिक-से अश्रांत,   यहाँ मिलने के लिये,   जो भटकते थे भ्रांत।     एक गृहपति, दूसरा था   अतिथि विगत-विकार,   प्रश्न था यदि एक,...

कहानी – मृतक-भोज – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सेठ रामनाथ ने रोग-शय्या पर पड़े-पड़े निराशापूर्ण दृष्टि से अपनी स्त्री सुशीला की ओर देखकर कहा, ‘मैं बड़ा अभागा हूँ, शीला। मेरे साथ तुम्हें सदैव ही दुख भोगना पड़ा। जब घर में कुछ न...

कविताएँ – आनंद सर्ग – कामायनी (लेखक – जयशंकर प्रसाद )

भाग-1 चलता था-धीरे-धीरे   वह एक यात्रियों का दल,   सरिता के रम्य पुलिन में   गिरिपथ से, ले निज संबल।     या सोम लता से आवृत वृष   धवल, धर्म का प्रतिनिधि,...