Monthly Archive: April 2015

कहानी – आधार – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

सारे गाँव में मथुरा का-सा गठीला जवान न था। कोई बीस बरस की उमर थी। मसें भीग रही थीं। गउएँ चराता, दूध पीता, कसरत करता, कुश्ती लड़ता था और सारे दिन बाँसुरी बजाता हाट...

कहानी – आकाशदीप (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

बन्दी!” ”क्या है? सोने दो।”   ”मुक्त होना चाहते हो?”   ”अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।”   ”फिर अवसर न मिलेगा।”   ”बड़ा शीत है, कहीं से एक कम्बल डालकर कोई शीत...

कहानी – स्वर्ग की देवी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

भाग्य की बात! शादी-विवाह में आदमी का क्या अख्तियार! जिससे ईश्वर ने, या उनके नायबों- ब्राह्मणों ने तय कर दी, उससे हो गयी। बाबू भारतदास ने लीला के लिए सुयोग्य वर खोजने में कोई...

कहानी – ममता (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

रोहतास-दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता, शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही है। ममता विधवा थी। उसका यौवन शोण के समान ही उमड़ रहा था। मन में वेदना, मस्तक में...

कहानी – कौशल – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पंडित बालकराम शास्त्री की धर्मपत्नी माया को बहुत दिनों से एक हार की लालसा थी और वह सैकड़ों ही बार पंडितजी से उसके लिए आग्रह कर चुकी थी; किंतु पंडितजी हीला-हवाला करते रहते थे।...

कहानी – व्रत-भंग (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

चैत्र-कृष्णाष्टमी का चन्द्रमा अपना उज्ज्वल प्रकाश ‘चन्द्रप्रभा’ के निर्मल जल पर डाल रहा है। गिरि-श्रेणी के तरुवर अपने रंग को छोड़कर धवलित हो रहे हैं; कल-नादिनी समीर के संग धीरे-धीरे बह रही है। एक...

कई रोगों का नाश मुफ्त में करती हैं डाला छठ पर भगवान सूर्य से निकलने वाली दिव्य किरणें

बिहार में जिसे डाला छठ कहते हैं, असल में एक बहुत साइंटिफिक त्यौहार है और इसका महत्व समझना आज के वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल काम हैं क्योंकि वे भगवान सूर्य को आज भी एक...

कहानी – नैराश्य लीला – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पंडित हृदयनाथ अयोध्याय के एक सम्मानित पुरुष थे। धनवान् तो नहीं लेकिन खाने-पीने से खुश थे। कई मकान थे, उन्हीं के किराये पर गुजर होता था। इधर किराये बढ़ गये थे, उन्होंने अपनी सवारी...

कहानी – सुनहला साँप (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

”यह तुम्हारा दुस्साहस है, चन्द्रदेव!” ”मैं सत्य कहता हूँ, देवकुमार।”   ”तुम्हारे सत्य की पहचान बहुत दुर्बल है, क्योंकि उसके प्रकट होने का साधन असत् है। समझता हूँ कि तुम प्रवचन देते समय बहुत...

कहानी – नैराश्य – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

संध्या का समय था। कचहरी उठ गयी थी। अहलकार और चपरासी जेबें खनखनाते घर जा रहे थे। मेहतर कूड़े टटोल रहा था कि शायद कहीं पैसे-वैसे मिल जायँ। कचहरी के बरामदों में साँडों ने...

कहानी – शरणागत (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

प्रभात-कालीन सूर्य की किरणें अभी पूर्व के आकाश में नहीं दिखाई पड़ती हैं। ताराओं का क्षीण प्रकाश अभी अम्बर में विद्यमान है। यमुना के तट पर दो-तीन रमणियाँ खड़ी हैं, और दो-यमुना की उन्हीं...

कहानी – तेंतर – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी; जिसकी चिंता में घर के सभी लोग विशेषतः प्रसूता पड़ी हुई थी। तीन पुत्रों के पश्चात् कन्या का जन्म हुआ। माता सौर में सूख गयी, पिता बाहर आँगन...

कहानी – भिखारिन (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

जाह्नवी अपने बालू के कम्बल में ठिठुरकर सो रही थी। शीत कुहासा बनकर प्रत्यक्ष हो रहा था। दो-चार लाल धारायें प्राची के क्षितिज में बहना चाहती थीं। धार्मिक लोग स्नान करने के लिए आने...

कहानी – माता का हृदय – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

माधवी की आँखों में सारा संसार अँधेरा हो रहा था। कोई अपना मददगार न दिखायी देता था। कहीं आशा की झलक न थी। उस निर्धन घर में वह अकेली पड़ी रोती थी और कोई...

कैसे भी करके आज रात अपनी माँ जगदम्बा लक्ष्मी की नाराजगी जरूर दूर करिए

आज की महा रात्रि अगर आपने केवल एन्जॉय करने में बर्बाद कर दी तो ये आपका दुर्भाग्य ही है ! अरे कुछ ना समझ में आये तो केवल यही काम कर लीजिये जो भगवान्...

कहानी – सिकंदर की शपथ (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

सूर्य की चमकीली किरणों के साथ, यूनानियों के बरछे की चमक से ‘मिंगलौर’-दुर्ग घिरा हुआ है। यूनानियों के दुर्ग तोड़नेवाले यन्त्र दुर्ग की दीवालों से लगा दिये गये हैं, और वे अपना कार्य बड़ी...