Monthly Archive: January 2015

कहानी – रामशास्त्री की निस्पृहता – (लेखक – वृंदावनलाल वर्मा)

दो सौ वर्ष के लगभग हो गए, जब पूना में रामशास्त्री नाम के एक महापुरुष थे। न महल, न नौकर-चाकर, न कोई संपत्ति। फिर भी इस युग के कितने बड़े मानव! भारतीय संस्कृति की...

व्यंग्य – नेता का स्थान – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

लड़कपन से लेकर बी.ए. पास हो लेने तक, आठ वर्ष की अज्ञान अवस्‍था से तेईस वर्ष की अपरिपक्‍व अवस्‍था तक वे दोनों अभिन्‍न मित्र रहे। दोनों तीव्र भी थे, दोनों ‘देश के चमकते हुए...

लेख – संग्राम – भाग – 5 – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

पहला दृश्य स्थान : डाकुओं का मकान।   समय : ढाई बजे रात। हलधर डाकुओं के मकान के सामने बैठा हुआ है।   हलधर : (मन में) दोनों भाई कैसे टूटकर गले मिले हैं।...

आत्मकथा – दिग्दर्शन – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

‘मैंने क्‍या-क्‍या नहीं किया? किस-किस दर की ठोकरें नहीं खाईं? किस-किसके आगे मस्‍तक नहीं झुकाया?’ मेरे राम! आपको न पहचानने के सबब ‘जब जनमि- जनमि जग, दुख दसहू दिसि पायो।’ आशा के जाल में...

कहानी – ‘भेड़िया, भेड़िया’ – (लेखक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

एक चरवाहा लड़का गाँव के जरा दूर पहाड़ी पर भेड़ें ले जाया करता था। उसने मजाक करने और गाँववालों पर चड्ढी गाँठने की सोची। दौड़ता हुआ गाँव के अंदर आया और चिल्‍लाया, ”भेड़िया, भेड़िया!...

कहानी – नाग पूजा – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

प्रातःकाल था। आषाढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे ऐसे निखर गये थे जैसे साबुन से मैले...

कहानी – पत्थर की पुकार (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

नवल और विमल दोनों बात करते हुए टहल रहे थे। विमल ने कहा- ”साहित्य-सेवा भी एक व्यसन है।”   ”नहीं मित्र! यह तो विश्व भर की एक मौन सेवा-समिति का सदस्य होना है।”  ...

आत्मकथा – प्रवेश – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

चन्‍द ही महीने पहले बिहार के विदित आचार्य श्री शिवपूजन सहायजी (पद्मभूषण), आचार्य नलिन विलोचनजी शर्मा तथा श्री जैनेन्‍द्र कुमारजी मेरे यहाँ कृपया पधारे थे। साथ में बिहार के दो-तीन तरुण और भी थे।...

कहानी – लोकमत का सम्मान – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

बेचू धोबी को अपने गाँव और घर से उतना ही प्रेम था, जितना प्रत्येक मनुष्य को होता है। उसे रूखी-सूखी और आधे पेट खाकर भी अपना गाँव समग्र संसार से प्यारा था। यदि उसे...

आत्मकथा – अपनी खबर – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

मनकि बेचन पाँडे, वल्‍द बैजनाथ पाँडे, उम्र साठ साल, क़ौम बरहमन, पेशा अख़बार-नवीसी और अफ़साना-नवीसी, साक़िन मुहल्‍ला सद्दूपुर चुनार, ज़िला मिर्ज़ापुर (यू.पी.), हाल मुकाम कृष्‍णनगर, दिल्‍ली-31, आज ज़िन्‍दगी के साठ साल सकुशल समाप्‍त हो...

आत्मकथा – धरती और धान – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

‘अरे बेचन! न जाने कौन आया था— उर्दजी, उर्दजी, पुकार रहा था!’ ये शब्‍द मेरी दिवंगता जननी, काशी में जन्‍मी जयकली के हैं जिन्‍हें मैं ‘आई’ पुकारा करता था। यू.पी. में माता या माई...

कहानी – अनबोला (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

उसके जाल में सीपियाँ उलझ गयी थीं। जग्गैया से उसने कहा-”इसे फैलाती हूँ, तू सुलझा दे।” जग्गैया ने कहा-”मैं क्या तेरा नौकर हूँ?”   कामैया ने तिनककर अपने खेलने का छोटा-सा जाल और भी...

आत्मकथा – चुनार – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

रामचन्‍द्र भगवानद्य सरयू नदी के किनारे पैदा हुए थे, मैं पैदा हुआ गंगा सुरसरि के किनारे। मुझे सरयू उतनी अच्‍छी नहीं लगतीं जितनी नर, नाग, विबुध बन्‍दनी गंगा। रामचन्‍द्र भगवान् अयोध्‍या नगरी में पैदा...

कहानी – सेवा-मार्ग – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद)

‘तारा ने बारह वर्ष दुर्गा की तपस्या की। न पलंग पर सोयी, न केशो को सँवारा और न नेत्रों में सुर्मा लगाया। पृथ्वी पर सोती, गेरुआ वस्त्र पहनती और रूखी रोटियाँ खाती। उसका मुख...

आत्मकथा – नागा भागवतदास – (लेखक – पांडेय बेचन शर्मा उग्र)

यह सन् 1910 ई. है। और यह नगर? इसका नाम है मिण्‍टगुमरी! मिण्‍टगुमरी? यह नगर कहाँ है रे बाबा! यह नगर इस समय पश्चिमी पाकिस्‍तान में है, लेकिन जब की बात लिखी जा रही...

कहानी – ज्योतिष्मती (लेखक – जयशंकर प्रसाद)

तामसी रजनी के हृदय में नक्षत्र जगमगा रहे थे। शीतल पवन की चादर उन्हें ढँक लेना चाहती थी, परन्तु वे निविड़ अन्धकार को भेदकर निकल आये थे, फिर यह झीना आवरण क्या था! बीहड़,...