बात पांडवो के अज्ञातवास की है जब पांडवो को अपनी पहचान छुपाकर मत्स्य नगर में रहना पड़ रहा था। वहा निवास करते हुये दस माह व्यतीत हो गये थे, सहसा एक दिन राजा विराट...
त्रिभुवन का स्वामी, भक्तों का दास है, वही महा रास है ! आत्मा परमात्मा के मिलन की जो रात है वही महा रास है, वही महा रास है ! शरद पूर्णिमा वही महान रात्रि...
आजकल कई महिलाओं के अन्दर बाँझपन की समस्या आ रही है, मतलब वो महिलाये कभी भी माँ बन ही नहीं सकती और उनकी इस समस्या का एक बड़ा कारण नियमित मांसाहार करना भी माना...
धन तेरस मौका है धन के राजा कुबेर के साथ स्वास्थ के देवता भगवान धन्वन्तरी का आशीर्वाद पाने का ! धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करनी चाहिए ! सबसे पहले श्री कुबेर...
दीपावली केवल, गिफ्ट लेकर परचितों के घर जा जाकर हैप्पी दीवाली – हैप्पी दीवाली कहने की रात नहीं हैं ! केवल इसी सत्य को जानकर ही दीपावली के असली महत्व का पता लग जाता...
इनकी आराधना से भक्त को 8 महा सिद्धियाँ – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व और 9 निधियों की प्राप्ति होती है ! नवदुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं ! सिद्धिदात्री...
महागौरी रूप में देवी ममतामयी और शांत दिखती हैं ! भगवान गणेश स्वयं माँ गौरी की संतान है अतः श्री गौरी आराधना से महा मंगल दायक, महा शुभकारी, महा सम्पति दाता श्री गणेश अनायास...
मौत (काल) भी जिनसे डर कर थर थर कांपती है ऐसी है माँ कालरात्रि ! सिर के बाल खुले और बिखरे हुए हैं। इनकी कराल वाणी सुनकर भय से कितने पापियों की तुरन्त मृत्यु...
कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन...
मातृ शक्ति श्री कूष्मांडा देवी का ध्यान एक गर्भवती स्त्री के रूप में किया गया है ! अपने उदर (पेट) से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम...
संपन्न और मध्यम वर्ग की स्त्रियों की विवशता, उनके पतिहीन जीवन की दुर्वहता समाज के निकट चिरपरिचित हो चुकी है। वे शून्य के समान पुरुष की इकाई के साथ सब कुछ हैं, परंतु उससे...
माँ चन्द्र घंटा की आराधना से समाज में रुतबा बढ़ता है ! इनका भक्त जहाँ भी जाता है उसे विशेष सम्मान मिलता है ! देवी चन्द्रघंटा के घंटे की आवाज जहाँ भक्तों को परम...
जोधपुर के महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आशकरण नाम के एक राजपूत सेनापति थे, बड़े सच्चे, वीर, शीलवान् और परमार्थी। उनकी बहादुरी की इतनी धाक थी, कि दुश्मन उनके नाम से कांपते थे। दोनों...
श्री दुर्गा के परम तेजस्वी ब्रह्मचारिणी रूप के पूजन का है नवरात्रि का दूसरा दिन ! अपनी सारी इच्छाओं का दमन करके अत्यंत कठिन तप करने की वजह से माँ पार्वती का नाम ब्रह्मचारिणी...
मातृ शक्ति दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। पहाड़ों के राजा हिमालय के यहाँ पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है,...